1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें

लिज ट्रस गईं, अब भारत के साथ समझौते का क्या होगा?

२१ अक्टूबर २०२२

ब्रिटेन में कंजर्वेटिव पार्टी की लिज ट्रस के प्रधानमंत्री पद से इस्तीफा दे देने के बाद वहां की राजनीतिक उथल-पुथल में भारत-ब्रिटेन मुक्त व्यापार समझौता भी फंस गया है.

लिज ट्रस
लिज ट्रसतस्वीर: House Of Commons/PA Wire/dpa/picture alliance

भारत और ब्रिटेन इस कोशिश में लगे थे किदिवाली तक मुक्त व्यापार समझौता हो जाए. लेकिन ब्रिटेन में मची राजनीतिक उथल-पुथल ने ऐसी संभावनाओं पर पानी फेर दिया है. हालांकि दोनों देशों के अधिकारी इस समझौते पर बातचीत जारी रखे हुए हैं लेकिन भारत ने कहा है कि वह ‘इंतजार करेगा और देखेगा' कि ऊंट किस करवट बैठता है.

भारत के वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल ने गुरुवार को लिज ट्रस के इस्तीफे के बाद कहा कि अब इंतजार करना होगा. गोयल ने कहा, "हमें देखना होगा कि अब क्या होता है. वे जल्दी से नेतृत्व में बदलाव करते हैं या फिर पूरी प्रक्रिया दोबारा होगी. देखते हैं कि सरकार में कौन आता है और उसके क्या विचार होंगे. उसके बाद ही हम ब्रिटेन के संबंध में कोई रणनीति बना पाएंगे.”

ब्रिटेन की प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने गुरुवार को पद से इस्तीफा दे दिया था. "वादे पूरे ना कर पाने के कारण' उन्होंने अपना पद मात्र छह हफ्ते में छोड़ दिया. ट्रस ने कहा कि उन्होने "भयंकर आर्थिक और अंतर्राष्ट्रीय अस्थिरता के वक्त कुर्सी संभाली” लेकिन वो अपने वादे पूरे नहीं कर पाईं जिनके दम पर वो सत्ता में आईं थीं.

‘सब सहमत हैं'

कॉन्फेडरेशन ऑफ इंडियन इंडस्ट्रीज द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में गोयल ने कहा कि ब्रिटेन में राजनेताओं के बीच इस बात की सहमति है कि भारत के साथ मुक्त व्यापार समझौता करना उनके लिए भी "बहुत महत्वपूर्ण” है. उन्होंने कहा, "इसलिए मेरी समझ कहती है कि जो कोई भी सरकार में आए, हमारे साथ जुड़ना चाहेगा.”

गोयल ने कहा कि समझौता न्यायपूर्ण, संतुलित और बराबरी का होना चाहिए, जिसमें दोनों को फायदा हो. उन्होंने कहा कि दोनों पक्ष संतुष्ट नहीं होंगे तो कोई समझौता नहीं होगा. गोयल ने कहा, "हम अभी इंतजार करो और देखो की नीति पर चलेंगे लेकिन मेरा मानना है कि यूके, कनाडा, यूरोपीय संघ और एक अन्य देश, जिसका नाम हम जल्दी ही घोषित कर सकते हैं, इन सबके साथ हमारे मुक्त व्यापार समझौते सही रास्ते पर हैं.”

पीयूष गोयल ने कहा कि भारत 2027 तक दो खरब डॉलर के निर्यात का लक्ष्य लेकर चल रहा है, "जो चुनौतीपूर्ण लगता है” और इसे "2030 तक हासिल किया जा सकता है.” उन्होंने कहा कि अगर हालात भारत के पक्ष में हों और उद्योग अतिरिक्त कोशिश करें तो "अगर हम इसे 2027 तक कर पाएं तो मुझे सबसे ज्यादा खुशी होगी” लेकिन कोविड के कारण काफी वक्त जाया हो गया और यूक्रेन-रूस युद्ध के कारण भी दिक्कतें आ रही हैं.

भारत की दिक्कतें

भारत को दूसरे देशों के साथ समझौते में सबसे ज्यादा दिक्कत एमआरए यानी ‘परस्पर मान्यता समझौता' (म्यूच्यूअल रिकग्निशन एग्रीमेंट) करने में आ रही है. एमआरए के तहत दोनों देश एक दूसरे के सामान की गुणवत्ता को मान्यता देते हैं और उनके एक-दूसरे के बाजार में पहुंचना आसान हो जाता है. इससे चीजों को बार-बार क्वॉलिटी चेक से नहीं गुजरना पड़ता और आवाजाही में कम समय व धन खर्च होता है.

रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से भारत को होने वाले नफा-नुकसान

03:13

This browser does not support the video element.

गोयल ने कहा कि कई देश भारत के साथ एमआरए करने में झिझक रहे हैं. उन्होंने कहा, "पता नहीं कयों, कम से कम विकसित दुनिया बहुत ज्यादा एमआरए स्वीकार करने में बहुत ज्यादा झिझक रहे हैं. शायद उन्हें हमारी चीजों और सेवाओं की गुणवत्ता पर भरोसा करने के लिए ज्यादा वक्त चाहिए.”

वाणिज्य मंत्री को लगता है कि इसका हल अन्य देशों के सामानों पर शर्तें लगाकर हो सकता है. उन्होंने कहा कि भारत को भी उन चीजों पर क्वॉलिटी कंट्रोल लगाना चाहिए, जिसे वे भेजना चाहते हैं और फिर "हम बराबरी पर आ जाएंगे, जहां हम कहेंगे कि तुम हमें एमआरए दो, हम तुम्हें एमआरए देंगे.” हालांकि उन्होंने इस बात पर भी चिंता जताई कि सरकार को भारतीय उद्योगों से भी समर्थन नहीं मिल रहा है क्योंकि वे भी क्वॉलिटी कंट्रोल ऑर्डर पर सहमत नहीं हैं.

गोयल ने मौजूद उद्योगपतियों से कहा, "मैं आपसे अनुरोध करूंगा कि इस पर विचार करें. हमें बताएं कि किन उद्योगों में आपको क्वॉलिटी कंट्रोल ऑर्डर चाहिए. इससे हमें दूसरे देशों के साथ मोलभाव करने में थोड़ा फायदा मिलेगा.” उन्होंने कहा कि अमेरिका ने 4,500 क्वॉलिटी कंट्रोल ऑर्डर लगा रखे हैं, जबकि भारत ने सिर्फ 450.

रिपोर्टः विवेक कुमार (रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें

इस विषय पर और जानकारी

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें