ब्रिटेन की नई सरकार अमीरों पर लगने वाले 45 प्रतिशत आयकर को हटाना चाह रही थी, लेकिन भारी विरोध के बाद सरकार ने अपने कदम को वापस लेने का और आयकर को बनाए रखना का फैसला किया है.
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ब्रिटेन की सरकार का यह प्रस्ताव कटौतियों के उस पैकेज का हिस्सा था जिसकी वजह से बाजार में उथल पुथल हो गई थी और पाउंड की कीमत भी गिर गई थी. प्रस्ताव के तहत सालाना 1,50,000 पाउंड से ज्यादा कमाने वालों के लिए अभी तक लागू 45 प्रतिशत आयकर को खत्म कर दिया जाना था.
सरकार अपनी योजना पर आगे भी बढ़ रही थी लेकिन वित्त मंत्री क्वासि क्वारटेंग ने नाटकीय ढंग से ऐसा न करने की घोषणा कर दी है. उन्होंने एक बयान जारी कर कहा, "हम समझ गए और हमने आपकी बात सुन ली है. स्पष्ट है कि 45 प्रतिशत टैक्स दर को हटाना देश की चुनौतियों का सामना करने के हमारे बड़े मिशन से ध्यान भटका रहा है."
यह यू-टर्न सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के कई सांसदों द्वारा सरकार के प्रस्ताव का विरोध करने के 10 दिनों बाद आया. घोषणा के कुछ ही घंटे पहले पार्टी के सदस्यों ने उस भाषण के कुछ हिस्से सार्वजनिक कर दिए जो क्वारटेंग बिर्मिंघम में पार्टी के सालाना सम्मलेन मेंदेने वाले थे.
एक महीने में बड़े विवाद
क्वारटेंग कहने वाले थे, "हमें इस पर अंत तक बने रहना होगा. मुझे विश्वास है कि हमारी योजना सही है." प्रधानमंत्री लिज ट्रस ने भी रविवार को इन कदमों का समर्थन किया था, लेकिन साथ ही यह भी कहा था कि वो इन घोषणाओं के लिए "और बेहतर तरीके से जमीन तैयार कर सकती थीं."
ट्रस को पद संभाले हुए एक महीना भी नहीं हुआ है. उन्होंने सालों से धीमे विकास की राह पर चल रही ब्रिटेन की अर्थव्यवस्था को मौलिक रूप से बदलने का वादा किया था. लेकिन 23 सितंबर को सरकार ने एक स्टिमुलस पैकेज की घोषणा की और उसके बाद पाउंड डॉलर के मुकाबले ऐतिहासिक रूप से निचले स्तर तक लुढ़क गया.
इतनी जहरीली लंदन की हवा
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बॉन्ड बाजार का स्तर बनाए रखने के लिए बैंक ऑफ इंग्लैंड को हस्तक्षेप करना पड़ा. लेकिन इसके साथ लोगों को यह डर भी सताने लगा कि बैंक जल्द की ब्याज दरें भी बढ़ाएगा. इस वजह से कर्ज देने वाली संस्थाओं ने अपनी सबसे सस्ती डीलों को वापस ले लिया और फिर मकान खरीदने वालों के बीच हड़कंप मच गया.
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जनता में और पार्टी के अंदर नाराजगी
ये कटौतियां अलोकप्रिय रही. यहां तक कि पार्टी के अंदर भी इन्हें पसंद नहीं किया गया. जब ऊर्जा के बढ़े हुए दामों की वजह से करोड़ों लोग वित्तीय संकट से जूझ रहे हैं ऐसे में सबसे ज्यादा कमाने वालों का टैक्स कम करने और बैंकरों के बोनस पर सीमा को हटाने के कदमों को राजनीतिक रूप से घातक कदम के रूप में देखा गया.
ट्रस और क्वारटेंग का मानना है कि उनकी योजना अर्थव्यवस्था को विकसित करेगी और आगे चल कर टैक्स से राजस्व बढ़ेगा, जिससे इन कटौतियों का बोझ उठाने की कीमत की भरपाई हो जाएगी. लेकिन दोनों ने यह संकेत भी दिया है कि सरकारी खर्च में कटौती करनी होगी.
क्वारटेंग ने ताजा बयान में कहा कि सरकार अपने दूसरे टैक्स प्रस्तावों पर कायम है. इनमें अगले साल आय कर की मूल दर में कटौती और पिछली सरकार द्वारा लाई गई कारपोरेशन टैक्स में बढ़ोतरी को पलट देना शामिल हैं. क्वारटेंग की घोषणा के बाद पाउंड लगभग 1.12 तक आ गया, जो 23 सितंबर की घोषणाओं से पहले के स्तर के आस पास है.
सीके/एए (एपी)
राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में छाने वालीं महिलाएं
लिज ट्रस ब्रिटेन की नई प्रधानमंत्री का पद संभाल चुकी हैं. ट्रस उन एक दर्जन से ज्यादा यूरोपीय महिलाओं के समूह में शामिल हो गईं, जिन्होंने अपने-अपने देशों में राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बनकर राजनीति में इतिहास रचा.
तस्वीर: Yui Mok/Pool photo/AP/picture alliance
ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनीं ट्रस
ब्रिटेन में लिज ट्रस ने सत्तारूढ़ कंजर्वेटिव पार्टी के नेतृत्व की दौड़ जीत ली. जुलाई में बोरिस जॉनसन के इस्तीफे के बाद पीएम पद की रेस में ट्रस ने बाजी मारी. 1979 से 1990 तक प्रभार संभालने वाली 'आयरन लेडी' मारग्रेट थैचर और 2016 से 2019 तक शासन करने वाली थेरेसा मे के बाद ट्रस ब्रिटेन की तीसरी महिला प्रधानमंत्री बनी हैं.
तस्वीर: Phil Noble/REUTERS
डेनमार्क की सबसे युवा प्रधानमंत्री
सोशल डेमोक्रेट नेता मेटे फ्रेडरिक्सन जून 2019 में डेनमार्क की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनीं. उन्होंने 41 साल की उम्र में प्रधानमंत्री का पद संभाला. यहां की पहली महिला प्रधानमंत्री, सोशल डेमोक्रेट नेता हेले थॉर्निंग-श्मिट थीं, जिन्होंने 2011 से 2015 तक पद संभाला.
तस्वीर: Philip Davali/Ritzau Scanpix/REUTERS
एस्टोनिया की पहली महिला राष्ट्रपति
52 साल की पूर्व ईयू ऑडिटर केर्स्टी कलजुलैद अक्टूबर 2016 में बाल्टिक राज्य एस्टोनिया की पहली महिला राष्ट्रपति बनीं. हालांकि, एस्टोनिया में राष्ट्रपति पद का औपचारिक महत्व होता है, जिसमें शक्तियां कम होती हैं.
तस्वीर: John Minchillo/AP Photo/picture alliance
एस्टोनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री
जनवरी 2021 में काजा कलास एस्टोनिया की पहली महिला प्रधानमंत्री बनीं. उनके पिता सिम कलास 2002-2004 तक प्रधानमंत्री थे.
तस्वीर: Ints Kalnins/REUTERS
दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री
दिसंबर 2019 में, सोशल डेमोक्रेट, सना मरीन, 34 साल की उम्र में दुनिया की सबसे कम उम्र की प्रधानमंत्री बनीं. फिनलैंड की तीसरी महिला प्रधानमंत्री मरीन हाल ही में दोस्तों के साथ डांस और पार्टी करते हुए अपनी तस्वीरों को लेकर काफी सुर्खियों में रहीं.
तस्वीर: Frederick Florin/AFP/Getty Images
फ्रांस की दूसरी महिला प्रधानमंत्री
61 साल की इंजीनियर एलिसाबेथ बोर्न मई में फ्रांस की प्रधानमंत्री बनीं, जो समाजवादी नेता एडिथ क्रेसन के बाद पद संभालने वाली दूसरी महिला हैं. क्रेसन 1990 के दशक की शुरुआत में एक साल से भी कम समय तक इस पद पर रहीं थी.
तस्वीर: Franck Castel/abacca/picture alliance
ग्रीस की पहली महिला राष्ट्रपति
पेशे से तेज तर्रार वकील कैटरीना सकेलारोपोलू जनवरी 2020 में ग्रीस की पहली महिला राष्ट्रपति चुनी गईं. हालांकि ग्रीस में राष्ट्रपति पद की भूमिका मोटे तौर पर औपचारिक है. साकेलारोपोलू 2018 में देश की शीर्ष अदालत की अध्यक्ष बनकर पहले ही न्यायपालिका के मैदान में झंडे गाड़ चुकी थीं.
तस्वीर: Petros Giannakouris/AP/picture alliance
हंगरी की पहली महिला राष्ट्रपति
प्रधानमंत्री विक्टर ओरबान की करीबी सहयोगी और पूर्व फैमिली पॉलिसी मंत्री कैटलिन नोवाक को मार्च 2022 में हंगरी की पहली महिला राष्ट्रपति चुना गया.
47 साल की रॉक और आइस हॉकी फैन, लिथुआनिया की पूर्व वित्त मंत्री इंग्रिडा सिमोनीटे दिसंबर 2020 में सेंटर-राइट सरकार की प्रधानमंत्री बनीं. लिथुआनिया में महिला नेतृत्व की एक मजबूत परंपरा है, जिसमें "बाल्टिक आयरन लेडी" डालिया ग्राइबॉस्काइट ने 2009 से 2019 तक सत्ता में एक दशक बिताया.
तस्वीर: Petras Malukas/AFP/Getty Images
स्लोवाकिया की पहली महिला राष्ट्रपति
उदारवादी वकील और भ्रष्टाचार विरोधी 48 साल की जुजाना कैपुतोवा ने जून 2019 में स्लोवाकिया की पहली महिला राष्ट्रपति के रूप में पद संभाला. एक राजनीतिक नौसिखिया होने के बावजूद उन्होंने चुनाव में सत्ताधारी पार्टी के उम्मीदवार को आसानी से हराया था. स्लोवाकिया में राष्ट्रपति के पास प्रधानमंत्री की तुलना में कम शक्ति होती है लेकिन वह वरिष्ठ न्यायाधीशों के कानूनों और नियुक्तियों को वीटो कर सकता है.
तस्वीर: Boris Grdanoski/AP Photo/picture alliance
स्वीडन को मिली पहली महिला प्रधानमंत्री
लैंगिक समानता का चैंपियन देश होने के बावजूद स्वीडन में कभी भी माग्दालेना एंडरसन से पहले प्रधानमंत्री के रूप में कोई महिला नहीं रही. सोशल डेमोक्रेट माग्दालेना ने नवंबर 2021 में जीत हासिल की थी. माग्दालेना एक अर्थशास्त्री भी हैं, जिन्होंने सात साल तक वित्त मंत्री के रूप में काम किया.
तस्वीर: Jonas Ekstromer/TT News Agency via REUTERS
बाकी देश जहां सत्ता के शीर्ष पर महिलाएं
फिलहाल और भी महिला नेता जैसे जॉर्जियाई राष्ट्रपति सैलोम ज़ुराबिशविली, आइसलैंड की प्रधानमंत्री कैटरीन जैकब्सडॉटिर, कोसोवो की राष्ट्रपति वोजोसा उस्मानी, मोल्दोवा की राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री मिया संदू और नतालिया गैवरिलिता, सर्बिया की गे एना ब्रनाबिक और स्कॉटलैंड सरकार फर्स्ट मिनिस्टर निकोला स्टर्जन की भूमिका को नजरअंदाज नहीं किया ज सकता. केके/ओएसजे (एएफपी)
तस्वीर: Jane Barlow/PA Wire/empics/picture alliance