रूस पर रुख को लेकर भारत से बहुत निराश है ब्रिटेन
१८ मार्च २०२२ब्रिटेन की व्यापार मंत्री ऐन-मरी ट्रेवेलयान ने कहा है कि रूस पर भारत के रुख को लेकर उनका देश बहुत निराश है. भारत के साथ व्यापार वार्ताओं के दूसरे दौर के समापन से पहले ट्रेवेलयान ने यह बात कही. इससे पहले भी ब्रिटेन भारत को रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने का आग्रह कर चुका है.
भारत ने यूक्रेन पर हमले के लिए रूस की निंदा करने से परहेज किया है. उसने संयुक्त राष्ट्र में हुए रूस-विरोधी प्रस्ताव पर मतदान में भी हिस्सा नहीं लिया था, जिसे रूस का समर्थन माना गया और रूस ने इसके लिए भारत की तारीफ भी की थी.
इसी हफ्ते भारत ने ऐसे संकेत दिए थे कि वह रूस से सस्ता तेल और अन्य सामान खरीदने पर विचार कर रहा है और इसके लिए भुगतान डॉलर में ना होकर रूबल और रुपये में किया जा सकता है. यह कदम रूस पर पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों को कमजोर करता है.
मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत
ब्रिटेन और भारत के बीच मुक्त व्यापार समझौते के लिए जनवरी में बातचीत शुरू हुई थी. इस बातचीत का दूसरा दौर लंदन में चल रहा है और शुक्रवार को इसके समापन की संभावना है. दोनों देश चाहते हैं कि इस साल मुक्त व्यापार समझौते पर बातचीत खत्म कर लें.
जब ब्रिटिश मंत्री ट्रेवेलयान से पूछा गया कि रूस को लेकर भारत के रूख का मुक्त व्यापार समझौते से संबंधित बातचीत पर असर पड़ेगा या नहीं, तो उन्होंने उम्मीद जताई कि भारत अपना रूख बदल लेगा. ट्रेवेलयान ने कहा, “हम बहुत निराश हैं लेकिन हम अपने भारतीय साझीदारों के साथ काम करना जारी रखेंगे और उम्मीद करेंगे कि उनके विचार बदलें.”
प्रतिबंधों की आंच दुनिया भर की विमान सेवाओं पर
ट्रेवेलयान ने कहा कि मुक्त व्यापार समझौते से दोनों देशों को लाभ होगा. उन्होंने कहा, “भारत युनाइडेट किंग्डम के लिए एक बहुत महत्वपूर्ण व्यापारिक साझीदार है.” सभी देशों के साथ काम करने की बात कहते हुए उन्होंने कहा कि यह सुनिश्चित किया जाएगा कि रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को “भविष्य में इस युद्ध के लिए धन ना मिले.”
नाखुश हैं पश्चिमी देश
इससे पहले ब्रिटेन की विदेश मंत्री लिज ट्रस ने भी भारत को रूस के खिलाफ कड़ा रुख अपनाने की नसीहत दी थी. पिछले हफ्ते उन्होंने कहा था कि भारत कुछ हद तक रूस पर निर्भर करता है, जो उसकी संयुक्त राष्ट्र में रूस की निंदा में लाए गए प्रस्ताव पर वोट के दौरान गैरहाजिर रहने के लिए जिम्मेदार है. रूस के यूक्रेन पर हमले के कारण संयुक्त राष्ट्र में रूस के खिलाफ निंदा प्रस्ताव लाया गया था, जिस पर मतदान से भारत गैरहाजिर रहा था.
ब्रिटिश मंत्री ने एक संसदीय समिति को बताया, "यहां मुद्दा यह है कि भारत कुछ हद तक रूस पर निर्भर करता है. यह निर्भरता रक्षा संबंधों में भी है और आर्थिक संबंधों में भी. और मेरा मानना है कि आगे बढ़ने के लिए भारत के साथ रक्षा और आर्थिक संबंधों में नजदीकियां बढ़ानी होंगी."
भारत के इस रुख से पश्चिमी देश बहुत ज्यादा खुश नहीं रहे हैं. हाल ही में भारत में जर्मनी के राजदूत वॉल्टर लिंडनर ने उम्मीद जताई थी कि आने वाले दिनों में भारत रूस को लेकर संयुक्त राष्ट्र में अपना रवैया बदलेगा.
वीके/एए (रॉयटर्स, एपी)