यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा है कि अब वो नाटो की सदस्यता पर "जोर नहीं दे रहे हैं". इसे यूक्रेन के रवैये में बड़ा बदलाव माना जा रहा है, लेकिन रूस ने इस पर अभी तक कुछ नहीं कहा है.
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जेलेंस्की ने अमेरिकी मीडिया संस्थान एबीसी न्यूज को बताया, "मैं इस विषय पर काफी पहले ही शांत हो चुका हूं, जबसे मुझे समझ में आ गया कि...नाटो यूक्रेन को स्वीकार करने के लिए तैयार नहीं है."
उन्होंने यह भी कहा कि नाटो "विवादास्पद चीजों से और रूस से सीधा भिड़ जाने से डरा हुआ है." पुतिन कि यूक्रेन से मांगों में से नाटो सदस्यता की ख्वाइश को छोड़ देना एक प्रमुख मांग रही है, इसलिए जेलेंस्की के इस बयान को रूस के लिए उनकी तरफ से एक बड़ा इशारा माना जा रहा है.
इसके साथ ही जेलेंस्की ने एक इशारा और दिया. उन्होंने कहा कि वो डोनिएस्क और लुगांस्क के दर्जे को ले कर भी "समझौते" पर विचार कर सकते हैं. डोनेत्स्क और लुहांस्क रूस की सीमा से सटे यूक्रेन के ही दो इलाके हैं जहां कई सालों से अलगाववादी आंदोलन चल रहा था.
21 फरवरी को रूस ने इन इलाकों को स्वतंत्र गणराज्यों के रूप में मान्यता दे दी थी और उसके बाद वहां अपने सैनिकों को "शांति सेना" के रूप में भेज दिया था. इसके तुरंत बाद ही यूक्रेन पर रूस के हमले की शुरुआत हुई थी. पुतिन की दो प्रमुख मांगें रही हैं कि यूक्रेन नाटो का सदस्य बनने का इरादा छोड़ दे और डोनेत्स्क और लुहांस्क की स्वतंत्रता को मान्यता दे दे.
दोनों इलाकों के बारे में कहते हुए जेलेंस्की ने कहा, "मैं बातचीत के लिए तैयार हूं-हम समर्पण के लिए तैयार नहीं हैं...हम बातचीत के जरिए इस पर किसी समझौते पर पहुंच सकते हैं कि इन इलाकों का क्या दर्जा होगा."
जेलेंस्की का बयान यूक्रेन के रुख में बड़ा बदलाव है और यूक्रेन की तरफ से रूस के लिए समझौते का बड़ा संदेश है. हालांकि रूस ने जेलेंस्की के बयान पर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
सीके/एए (एएफपी, डीपीए)
यूक्रेन में बर्बादी का हाल बयां करती हैं ये तस्वीरें
यूक्रेन पर रूस के हमले से करोड़ों लोगों की जिंदगी उलट पुलट हो गई. घर नष्ट हो गए हैं, रसद की कमी हो गई है और कई दुकानें भी तेजी से खाली हो रही हैं. कई लोग हताशा में बस वहां से भाग जाने की कोशिश कर रहे हैं.
तस्वीर: Emilio Morenatti/AP/picture alliance
मदद के लिए
यूक्रेनी सैनिक राजधानी कीव में इरपिन नदी पार करने में छोटे बच्चों वाले एक परिवार की मदद कर रहे हैं. इस इलाके में अधिकांश पुल ध्वस्त हो चुके हैं. इस तरह के दृश्य अब यूक्रेन में आम हो गए हैं. रूसी सेना कई शहरों पर हमला कर रही है.
तस्वीर: Emilio Morenatti/AP/picture alliance
गोलाबारी से बचाव
कीव से कुछ ही किलोमीटर दूर इरपिन शहर भी है जहां पांच मार्च को रूसी सेना ने पूरे दिन बमबारी की. बम के गोलों से बचने के लिए स्थानीय लोगों ने एक टूटे हुए पुल के नीचे शरण ली. बाद में लोगों ने इस शहर को भी छोड़ कर जाना शुरू कर दिया.
तस्वीर: Emilio Morenatti/AP/picture alliance
जोखिम भरा अभियान
कुछ स्थानीय लोग बस में बैठ कर इरपिन से बच कर निकलने में सफल रहे. लेकिन कई लोगों को पैदल ही नदी पार करना पड़ा. उन्होंने लकड़ी के फट्टों से बने एक कामचलाऊ पुल का इस्तेमाल किया. इसमें यूक्रेनी सिपाहियों ने भी उनकी मदद की. पूरा अभियान बेहद जोखिम भरा रहा क्योंकि इस दौरान रूसी सेना की बमबारी लगातार जारी रही.
तस्वीर: Aris Messinis/AFP/Getty Images
भागने की हताशा
कई लोगों ने भाग निकलने के लिए ट्रेनों को भी जरिया बनाया. यह तस्वीर इरपिन स्टेशन की है जहां बड़ी संख्या में लोगों को कीव जाने वाली ट्रेनों में सवार होने की कोशिश करते देखा जा सकता है. इन लोगों को उम्मीद है कि कीव पहुंचने के बाद उन्हें देश से बाहर निकलने का रास्ता मिल जाएगा.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
आखिरी बार मुड़ कर देखना
जाने वालों को इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं है कि वो कभी अपने शहर, अपने घर वापस लौट भी पाएंगे या नहीं और जब लौटेंगे तब वहां क्या मंजर होगा. ट्रेनों में भारी भीड़ है, जिसका मतलब है भागने वाले लोग अपने साथ ज्यादा सामान भी नहीं ले जा सकते हैं.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
जलते घर
इस मकान पर बम का गोला गिरा था और इस तस्वीर में घर के लोग जलते हुए मकान से जो सामान बचा सकें उसे निकालने की कोशिश कर रहे हैं. संयुक्त राष्ट्र का अनुमान है कि अभी तक 15 लाख से ज्यादा लोग यूक्रेन छोड़ कर जा चुके हैं. कुछ विशेषज्ञों का कहना कि यह संख्या एक करोड़ तक जा सकती है.
तस्वीर: Aris Messinis/AFP/Getty Images
बमबारी का असर
इरपिन में इस आवासीय इमारत पर इतनी बमबारी हुई कि यह मिट्टी में मिल जाने के कगार पर पहुंच गई थी. रूसी सेना ने रिहायशी इमारतों और दूसरे सार्वजनिक स्थानों पर हमले बढ़ा दिए हैं और माना जा रहा है कि शरणार्थियों की संख्या में भारी उछाल आने की यह एक बड़ी वजह बन सकती है.
तस्वीर: Getty Images
भोजन का संकट
यहां बस कुछ ही दिनों पहले एक आम, चहल पहल वाला सुपरमार्केट था. लेकिन अब इसकी जल्दी जल्दी खाली होती अलमारियां युद्ध कालीन अभाव की स्थिति का चिन्ह बन गई हैं. यूक्रेनी सैनिक बचेखुचे खाने और पानी को लोगों में बांटने के लिए इकट्ठा कर रहे हैं.
तस्वीर: Chris McGrath/Getty Images
सिनेमा घर में बंदूक चलाने की प्रैक्टिस
जो लोग सेना की मदद के लिए पीछे रह गए उन्हें लड़ाई का बुनियादी प्रशिक्षण दिया जा रहा है. यह लवीव का एक सिनेमा घर है जहां आम लोगों को हथियार दिए गए और उन्हें चलाने के बारे में संक्षेप में बताया गया. कई लोगों ने अपनी जिंदगी में पहली बार हाथों में हथियार उठाए हैं. रिपोर्ट- ग्रेटा हामन