यूक्रेन के शहर बुचा में सैकड़ों आम लोगों के मारे जाने पर भारत ने चिंता जताई है और घटना की निष्पक्ष जांच की मांग की है. संयुक्त राष्ट्र में भारत ने बुचा की घटना को तकलीफदेह बताया.
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भारत ने कहा है कि बुचा से आ रहीं आम नागरिकों की हत्याओं की खबरें परेशान करने वाली हैं और इनकी निष्पक्ष जांच होनी चाहिए. यूक्रेन मुद्दे पर संयुक्त राष्ट्र में अब तक के अपने सबसे कड़े बयान में भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने कहा, "बुचा से हाल ही में आईं आम लोगों की हत्याओं की खबरें बेहद तकलीफदेह हैं. हम इन हत्याओं की बिना किसी लाग-लपेट के निंदा करते हैं और एक निष्पक्ष जांच का समर्थन करते हैं.” भारत ने एक बार फिर यूक्रेन में तुरंत हिंसा रोकने की अपनी अपील भी दोहराई.
यूक्रेन की राजधानी कीव के पास स्थित बुचा शहर से बीते सप्ताहांत पर ऐसी तस्वीरेंऔर वीडियो जारी हुए थे जिनमें सड़कों पर इधर-उधर बिखरे शवों को देखा जा सकता था. यूक्रेन का आरोप था कि शहर पर कब्जे के दौरान रूसी सैनिकों ने ये हत्याएं कीं. रूस इस आरोप को गलत बताता है और उसका कहना है कि यूक्रेन के उग्रवादी झूठा प्रचार कर रहे हैं.
भारत ने कहा कि यूक्रेन के हालात पर वह बेहद चिंतित है. त्रिमूर्ति ने कहा, "इस संकट के कारण विकासशील देशों में भोजन और ईंधन की कीमतें बढ़ रही हैं. जब मासूम जानों को खतरा हो तो कूटनीति ही एकमात्र विकल्प होना चाहिए.”
‘टैंकों के नीचे कुचले गए लोग'
बुचा के मेयर अनातोली फेदरूक का कहना है कि शहर में तीन सौ शव बरामद हुए हैं. एक अन्य अधिकारी के मुताबिक 410 लोगों की जानें गई हैं. इसी हफ्ते यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने बुचा का दौरा किया था और उसके बाद रूस पर नरसंहार का आरोप लगाया था.
कह कर गया था यूक्रेनी फौजी, अब हम कभी नहीं मिलेंगे
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मंगलवार को संयुक्त राष्ट्र में एक उद्बोधन में जेलेंस्की ने कहा आम नागरिकों को टैंकों तले कुचला गया है. उन्होंने कहा, "लोगों को टैंकों के नीचे कुचला गया. महिलाओं के साथ उनके बच्चों के सामने बलात्कार हुआ. रूसी सेना ने बुचा में जो किया है वह वहशियाना है. यूएन के चार्टर का शब्दशः उल्लंघन हुआ है. बुचा का नरसंहार तो सिर्फ एक उदाहरण है.”
अपने देश में युद्ध शुरू होने के बाद जेलेंस्की ने पहली बार संयुक्त राष्ट्र को संबोधित किया था. उन्होंने सदस्यों देशों को एक वीडियो दिखाने का भी अनुरोध किया जिसमें बुचा के अलावा अन्य शहरों की विचलित करतीं तस्वीरें देखी जा सकती थीं. इस वीडियों में सड़कों पर यहां-वहां पड़े शव और सामूहिक कब्रें दिखाई गईं.
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‘फर्जी हैं तस्वीरें'
यूरोपीय देशों और अमेरिका ने बुचा में हत्याओं को भयानकबताते हुए रूस पर युद्ध अपराधों का आरोप लगाया. रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को एक ‘युद्ध अपराधी' बताते हुए अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने कहा कि उन पर युद्ध अपराधों में मुकदमा चलना चाहिए.
प्रतिबंधों के लपेटे में आए पुतिन के मित्र
पश्चिमी देशों ने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के करीबी माने जाने वाले लोगों पर भी प्रतिबंध लगाए हैं. देखिए इस लिस्ट में कौन कौन से रूसी सेठ हैं.
तस्वीर: Christian Charisius/dpa/picture alliance
इगोर सेशिन
सेशिन रूस के पूर्व उप प्रधानमंत्री रह चुके हैं. फिलहाल वह सरकारी तेल कंपनी रोजनेफ्ट के सीईओ हैं. सेशिन को पुतिन की विश्वस्त करीबियों में गिना जाता है.
तस्वीर: Alexei Nikolsky/Russian Presidential Press and Information Office/TASS/picture alliance
अलेक्सेई मोर्दाशोव
रूस के सबसे बड़े प्राइवेट मीडिया ग्रुप, नेशनल मीडिया ग्रुप में मोर्दाशोव ने खूब निवेश किया है. यूरोपीय संघ का आरोप है कि मोर्दाशोव ने यूक्रेन को अस्थिर करने वाली नीतियों का समर्थन किया. मीडिया टाइकून इन आरोपों से इनकार करते हैं.
तस्वीर: Tass Zhukov/TASS/dpa/picture-alliance
अलीशेर उस्मानोव
उज्बेकिस्तान में पैदा हुए उस्मानोव धातु और टेलिकॉम सेक्टर के टायकून हैं. ईयू के मुताबिक उस्मानोव ने पुतिन के एक करीबी सलाहकार को करोड़ों की रकम दी. अमेरिका और ब्रिटेन ने उस्मानोव को ब्लैकलिस्ट कर दिया है.
तस्वीर: Alexei Nikolsky/Kremlin/Sputnik/REUTERS
मिखाएल फ्रिडमैन और एवेन
यूरोपीय संघ के मुताबिक इस तस्वीर में दिख रहे फ्रिडमैन पुतिन के सबसे करीबी रूसी फाइनेंसरों में से एक हैं. फ्रिडमैन और उनके पार्टनर पियोत्र एवेन बैंकिंग, रिटेल और तेल से अरबों डॉलर कमा चुके हैं. ईयू के दस्तावेजों के मुताबिक फ्रिडमैन नियमित रूप से पुतिन से मुलाकात करते हैं.
तस्वीर: Mikhail Metzel/ITAR-TASS/imago
बोरिस और इल्गोर रोटेनबर्ग
रोटेनबर्ग परिवार का पुतिन से करीबी नाता बताया जाता है. बोरिस एसएमपी बैंक के सहमालिक भी हैं. यह बैंक रूसी गैस कंपनी गाजप्रोम से जुड़ा है. बोरिस के बड़े भाई आर्कादी पर पहले ही ईयू और अमेरिका के प्रतिबंध हैं.
तस्वीर: Sergey Dolzhenko/epa/dpa/picture-alliance
गेनादी तिमशेकों
तिमशेंको, बैंक रोसिया के बड़े शेयर धारकों में शामिल हैं. ईयू के डॉक्यूमेंट्स के मुताबिक रूसी सरकार के वरिष्ठ अधिकारी इस बैंक को अपना पर्सनल बैंक मानते हैं. बैंक रूसी टेलीविजन स्टेशनों में भी पैसा लगा चुका है और उसका निवेश क्रीमिया तक फैला है.
तस्वीर: Sergei Karpukhin/AFP/Getty Images
लक्जरी याटें जब्त
नए प्रतिबंधों के तहत संपत्तियां जब्त की गई हैं और यात्रा पर भी पाबंदियां लगाई गई हैं. बीते कुछ दिनों में इटली, फ्रांस और ब्रिटेन में रूसी कुलीन वर्ग की कई लक्जरी याटें जब्त की गई हैं. इनमें सेशिन, उस्मानोव और तिमशेंको की याट्स भी शामिल हैं. (रिपोर्ट मोनिर घाएदी)
तस्वीर: Imago/M. Segerer
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उधर रूस इन आरोपों का खंडन करता है कि उसकी सेना ने आम नागरिकों पर हमला किया. रूसी प्रवक्ता दमित्री पेश्कोव ने यूक्रेन द्वारा दिखाई गईं तस्वीरों को फर्जी बताया. पेश्कोव ने कहा, "रक्षा मंत्रालय के हमारे विशेषज्ञों ने वीडियो के फर्जी होने के संकेत देखे हैं. हम आग्रह करते हैं कि दुनियाभर के नेता बिना सोचे समझे आरोप ना लगाएं और कम से कम हमारा तर्क सुनें.”
रूस के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने कहा कि ये तस्वीरें बातचीत से ध्यान हटाने की कोशिश हैं. रूसी टेलीविजन पर प्रसारित एक संदेश में उन्होंने कहा, “एक सवाल पैदा होता हैः इस सरासर झूठे उकसावे से क्या मकसद हासिल हो रहा है? हमारे पास ऐसा मानने की वजह है कि जारी बातचीत को नुकसान पहुंचाने की कोशिश की जा रही है.” रूस और यूक्रेन के बीच तुर्की में शांति वार्ता चल रही है, जिसके मद्देनजर पिछले हफ्ते रूस ने अपनी सैन्य कार्रवाई में भारी कमी करने का ऐलान किया था.
वीके/एए (रॉयटर्स, एएफपी)
युद्ध से दूर बर्लिन के स्कूल में थोड़ी पढ़ाई, थोड़ी मस्ती करते यूक्रेनी बच्चे
यूक्रेन युद्ध के कारण लाखों लोगों ने देश छोड़कर यूरोपीय देशों में पनाह ली है. बर्लिन में भी हजारों की संख्या में लोग पहुंचे हैं. उनके बच्चे अब स्कूल में पढ़ाई कर रहे हैं. देखिए, नए स्कूल में बच्चों की नई जिंदगी.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
शरणार्थियों के लिए कक्षाएं
यूक्रेन से जर्मनी आने वाले शरणार्थियों के बच्चों के लिए राजधानी बर्लिन में एक खास योजना के तहत कक्षाएं शुरू की गईं हैं. बच्चे क्लास में आकर खुश नजर आ रहे हैं.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
तनाव से दूर
कैमिला नाम की इस लड़की के परिवार ने भी बर्लिन में शरण ली है. कैमिला एक नए देश में आकर स्कूली जीवन में वापसी कर खुश है. क्लास में गणित की पढ़ाई करती कैमिला.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
मिल गए नए दोस्त
क्लास में कैमिला को एक नई दोस्त मिल गई है. कैमिला की दोस्त का नाम सोफिया है. वह भी युद्ध के दौरान अपने परिवार के साथ बर्लिन चली आई थी. कैमिला और सोफिया अब साथ ही पढ़ना पसंद करते हैं.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
जर्मन स्कूलों के लिए तैयारी
शरणार्थी बच्चों को सामान्य जीवन में वापस लाने का एक साधन पढ़ाई भी है. बच्चे नए स्कूल में नए दोस्त बना रहे हैं और जर्मनी के स्कूलों के लिए तैयारी कर रहे हैं.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
मातृभाषा में शिक्षा
कई जर्मन वॉलंटियर्स यूक्रेन के शरणार्थियों के साथ खड़े होने के लिए आगे आए हैं. कई निजी संगठनों ने इस संबंध में पहल की है. 'आर्शे नोवा' नाम के संगठन ने यूक्रेनी बच्चों के लिए उनकी मातृभाषा में पढ़ाई का इंतजाम किया है, ताकि उनके लिए पढ़ाई करना आसान हो सके.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
शरणार्थी बच्चों की नई जिंदगी
ये बच्चे इस स्कूल में पढ़ने के बाद जर्मनी के रेगुलर स्कूलों में जाने के लिए तैयार हो जाएंगे और इस तरह से वे आसानी से नई संस्कृति को अपना पाएंगे.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
कम हुआ तनाव
बच्चों को पढ़ाने वाली एक टीचर ने बताया कि बच्चे अपने ही देश के अन्य बच्चों से मिलकर खुश हैं और इसका उन पर सकारात्मक असर हुआ है.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
जर्मन भाषा भी
बच्चों को यूक्रेनी भाषा में पढ़ाने के साथ-साथ जर्मन भाषा भी सिखाई जाएगी. कुछ वॉलंटियर्स ने इन बच्चों की पढ़ाई के लिए धन इकट्ठा किया और फिर स्कूल की शुरूआत हो गई. इसका प्रचार टेलीग्राम मैसेजिंग ऐप के जरिए भी किया गया.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
पढ़ाई के साथ एक्टिविटी भी
स्कूल में बच्चे हर दिन तीन घंटे बिताते हैं. इस दौरान वे पेंटिंग और हैंडीक्राफ्ट भी करते हैं.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
टीचर भी यूक्रेनी
बच्चों को पढ़ाने वाली टीचर भी यूक्रेन से हैं और उन्हें दान के तौर 500 यूरो हर महीने दिया जाएगा, जब तक कि उनको जर्मनी में काम करने का परमिट ना मिल जाए. इस स्कूल में पढ़ाने वाली दो टीचर भी रूसी हमले के बाद देश से निकलकर जर्मनी आ गई थीं.
तस्वीर: Lisi Niesner/REUTERS
इस पहल के पीछे कौन
36 साल की सेव्लिगेन खुद बर्लिन में शिक्षिका हैं और उनकी 31 साल की दोस्त कार्लित्सकी ने रिफ्यूजी क्लास शुरू करने के बारे में सोचा और इसे अंजाम तक पहुंचाया.