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शिक्षाभारत

यूक्रेन संकट: चिंता में भारतीय छात्र और परिजन

२२ फ़रवरी २०२२

यूक्रेन में करीब 20 हजार भारतीय छात्र पढ़ते हैं. यूक्रेन पर मंडराते युद्ध के बादलों के बीच छात्र और उनके परिवार चिंतित हैं.

फैसल का परिवार अपने बेटे को लेकर चिंतित
फैसल का परिवार अपने बेटे को लेकर चिंतित तस्वीर: Privat

पिछले साल दिसंबर में मोहम्मद फैसल खान मेडिकल की पढ़ाई के लिए यूक्रेन गए थे, लेकिन रूस और यूक्रेन के बीच बढ़ते तनाव के कारण उनके जैसे हजारों भारतीय छात्रों की पढ़ाई पर असर पड़ता दिख रहा है. सोमवार को जब रूस ने पूर्वी यूक्रेन के दो क्षेत्रों की मान्यता का आदेश जारी किया तो उसके बाद फैसल के परिवार ने फोन पर अपने बेटे का हालचाल लिया. फैसल यूक्रेन के इवानो फ्रांकिस्क स्थित नैशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी में प्रथम वर्ष के छात्र हैं. फैसल की मां सायरा खान ने डीडब्ल्यू से बातचीत में कहा कि जिस तरह से रूस और यूक्रेन के बीच तनाव बढ़ रहा है उससे उन्हें अपने बेटे की चिंता सता रही है.

फैसल के ही कॉलेज में पिछले साल दिसंबर में भारत से करीब 130-140 छात्रों ने मेडिकल की पढ़ाई के लिए दाखिला लिया था. सायरा कहती हैं, "रूस और यूक्रेन के बीच विवाद बढ़ने की वजह से बच्चों में भय तो है ही हम भी चिंतित हैं. हम रोज उन्हें वीडियो कॉल या व्हॉट्सऐप कॉल करके उनका हाल जानने की कोशिश करते हैं, और उन्हें दिलासा देते हैं कि सबकुछ ठीक होगा. यूनिवर्सिटी ने छात्रों से कहा है कि हमने ऑनलाइन पढ़ाई शुरू कर दी है और जो बच्चे अपने देश लौटना चाहें वे जा सकते हैं."

सायरा कहती हैं बच्चे आना भी चाहें तो फ्लाइट उपलब्ध नहीं है और यहां आने पर उनकी पढ़ाई पर भी असर पड़ेगा. इस बीच भारत ने मंगलवार को यूक्रेन में फंसे भारतीय नागरिकों के लिए विशेष फ्लाइट्स की घोषणा की. मंगलवार को एयर इंडिया का विशेष विमान यूक्रेन के लिए रवाना हुआ, वह मंगलवार की रात यूक्रेन पहुंचेगा. इसके बाद दो और फ्लाइट्स यूक्रेन के लिए 24 और 26 फरवरी को रवाना होगी, जो यूक्रेन में फंसे छात्रों और नागरिकों को लेकर आएगी.

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक यूक्रेन में करीब 20 हजार छात्र पढ़ते हैं, इनमें से ज्यादातर मेडिकल की पढ़ाई के लिए वहां गए हैं. फैसल ने एक साल की पढ़ाई के लिए पहले ही फीस भर दी है और अब परिवार को चिंता है कि तनावपूर्ण स्थिति में कहीं बेटे की पढ़ाई प्रभावित ना हो. 

यूक्रेन में मेडिकल की पढ़ाई करने वाले शुमैल अथर खानतस्वीर: Privat

तेरनोपिल नैशनल मेडिकल यूनिवर्सिटी के पांचवें वर्ष के छात्र शुमैल अथर खान कहते हैं कि यूक्रेन में रहना तनाव भरा तो है ही लेकिन वे अपनी पढ़ाई को लेकर भी फिक्रमंद हैं. साथ ही वे कहते हैं कि उन्हें अस्पताल में भी समय बिताना पड़ता है और इस पेशे के लिहाज से वे भारत लौटने के बारे में नहीं सोच रहे हैं. शुमैल का कहना है कि पश्चिमी यूक्रेन में इस वक्त हालात वैसे नहीं दिख रहे हैं जैसे कि पूर्वी क्षेत्र में नजर आ रहे हैं.

कुछ दिन पहले ही यूक्रेन में भारतीय दूतावास ने एडवाइजरी जारी कर भारतीय छात्रों और नागरिकों को देश छोड़ने के लिए कहा था. एडवाइजरी में छात्रों से अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी गई थी. मंगलवार को एक बार फिर भारतीय दूतावास ने ट्विटर एक एडवाइजरी जारी कर कहा, ''भारतीय दूतावास को बड़ी संख्या में कॉल आ रही हैं कि मेडिकल विश्वविद्यालयों द्वारा ऑनलाइन कक्षाओं की पुष्टि के बारे में पूछा जाए. इस मामले पर जैसा कि पहले बताया गया है, भारतीय छात्रों के लिए शिक्षा प्रक्रिया को सुव्यवस्थित करने के लिए, दूतावास संबंधित अधिकारियों के साथ संपर्क में है. छात्रों को उनकी सुरक्षा के हित में, विश्वविद्यालयों से आधिकारिक पुष्टि की प्रतीक्षा करने के बजाय अस्थायी रूप से यूक्रेन छोड़ने की सलाह दी जाती है."

एक ओर जहां माता-पिता अपने बच्चों की भलाई के लिए चिंतित हैं, वहीं छात्र भारत लौटने के लिए सस्ती फ्लाइट टिकट की तलाश में जुटे हुए हैं.

जानिए यूक्रेन संकट से जुड़े 'मिंस्क समझौते' के बारे में

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