रूस-यूक्रेन युद्ध: भारत दौरे पर आए यूक्रेन के विदेश मंत्री
आमिर अंसारी
२८ मार्च २०२४
रूस-यूक्रेन युद्ध छिड़ने के बाद यूक्रेन के विदेश मंत्री की यह पहली भारत यात्रा है. दो दिवसीय यात्रा के दौरान दिमित्रो कुलेबा भारत के साथ द्विपक्षीय संबंधों और सहयोग को बढ़ावा देंगे.
युद्ध के बाद पहली बार भारत दौरे पर यूक्रेन के विदेश मंत्री दिमित्रो कुलेबातस्वीर: John Macdougall/AP/picture alliance
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कुलेबा की यह यात्रा विदेश मंत्री एस जयशंकर के निमंत्रण पर हो रही है. कुलेबा, जयशंकर और राष्ट्रीय सुरक्षा उप-सलाहकार के साथ बैठक करेंगे और अन्य कई कार्यक्रमों में शामिल होंगे. यात्रा के पहले दिन कुलेबा राजघाट जाकर महात्मा गांधी को श्रद्धांजलि देंगे.
कुलेबा की यह अहम यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कुछ दिनों पहले रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन और यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से टेलीफोन पर बात की थी.
भारत चाहता है बातचीत से हल हो मुद्दा
भारत ने अब तक रूस द्वारा यूक्रेन पर हमले की निंदा नहीं की है, बल्कि उसने कहा है कि युद्ध को बातचीत और कूटनीति के जरिए खत्म किया जा सकता है. मोदी ने शांति प्रयासों में योगदान देने की इच्छा जाहिर की है.
20 मार्च को मोदी ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर एक पोस्ट में लिखा था कि जेलेंस्की को "शांति के लिए सभी प्रयासों और संघर्ष को जल्द समाप्त करने के लिए भारत का लगातार समर्थन है."
उन्होंने कहा था कि भारत यूक्रेन को मानवीय सहायता प्रदान करना जारी रखेगा. प्रधानमंत्री मोदी ने पुतिनको पांचवीं बार चुनाव जीतने पर बधाई देने के लिए फोन किया था और उसके बाद जेलेंस्की से बात की थी.
हिरोशिमा में जी-7 शिखर सम्मेलन के दौरान मोदी और जेलेंस्की की मुलाकाततस्वीर: Ukrainian President Press Office/UPI Photo/newscom/picture alliance
शांति के लिए भारत कर सकता है पहल
भारतीय विदेश मंत्रालय के एक बयान के मुताबिक उस फोन कॉल के दौरान दोनों नेता अपने संबंधों को और मजबूत करने पर सहमत हुए, जबकि मोदी ने दोहराया कि रूस-यूक्रेन युद्ध के लिए बातचीत और शांति सबसे अच्छा तरीका है.
मोदी के नेतृत्व में भारत ने खुद को एक उभरते वैश्विक खिलाड़ी के रूप में प्रचारित किया है. उसने यह जताने की कोशिश की है कि यूक्रेन में युद्ध पर पश्चिम और रूस के बीच मध्यस्थता कर सकता है. पिछले हफ्ते मोदी के साथ अपने फोन कॉल में जेलेंस्की ने कहा कि उन्होंने भारत को उस शांति शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया जिसे स्विट्जरलैंड ने आयोजित करने की पेशकश की है.
जेलेंस्की ने एक्स पर पोस्ट में कहा, "यूक्रेन भारत के साथ व्यापार और आर्थिक संबंधों को मजबूत करने में रुचि रखता है. यूक्रेन भारत के साथ विशेष रूप से कृषि निर्यात, विमानन सहयोग, दवा उद्योग और औद्योगिक उत्पाद व्यापार में सहयोग कर सकता है."
संयुक्त राष्ट्र में नई दिल्ली ने मॉस्को के खिलाफ मतदान करने से परहेज किया है और यूक्रेन पर हमले के बाद रियायती दरों पर रूसी तेल की खरीद बढ़ा दी है.
इस बीच भारत ने अमेरिका और यूरोपीय संघ जैसी पश्चिमी शक्तियों के साथ अपनी सहभागिता बढ़ा दी है. युद्ध के कारण सप्लाई में व्यवधान के कारण भारत हथियारों और तकनीक के लिए रूस पर अपनी निर्भरता कम करने की कोशिश कर रहा है.
नावाल्नी के बाद रूस में अभी और भी विपक्षी ऐक्टिविस्ट जेलों में हैं
रूस के प्रमुख विपक्षी नेता ऐलेक्सी नावाल्नी की जेल में मौत के बाद देश में विपक्ष के अन्य कार्यकर्ताओं को लेकर चिंताएं उत्पन्न हो रही हैं. अभी भी ऐसे कई विपक्षी ऐक्टिविस्ट बचे हैं जो उन्हीं की तरह लंबे समय से कैद हैं.
तस्वीर: Liesa Johannssen/REUTERS
इल्या याशिन
इल्या याशिन नावाल्नी के पुराने सहयोगी हैं. उन्हें यूक्रेन के बूचा में रूसी सैनिकों के कथित युद्ध अपराधों के बारे में दिए गए बयान की वजह से आठ साल से ज्यादा जेल की सजा सुनाई गई थी. 40 साल के याशिन ने पुतिन को उस "नरसंहार के लिए जिम्मेदार" बताया था और कहा था, "एक ईमानदार आदमी के रूप में जेल की सलाखों के पीछे 10 साल बिताना, आपकी सरकार जो खून बहा रही है उस पर शर्मिंदगी से चुपचाप मरने से बेहतर है."
तस्वीर: Yury Kochetkov/Pool/AP/picture alliance
व्लादिमीर कारा-मुर्जा
42 साल के विपक्षी नेता व्लादिमीर कारा-मुर्जा को देशद्रोह और अन्य आरोपों में अप्रैल 2023 को 25 साल जेल की सजा दी गई थी. उन्हें जनवरी 2024 में साइबेरिया में बनी एक नई पीनल कॉलोनी में भेज दिया गया था जहां उन्हें एक कड़े एकांत कक्ष में रखा गया है. आरोप है कि उन्हें दो बार जहर देकर मारने की कोशिश की गई है जिनसे वह बच तो गए लेकिन उन्हें एक बीमारी हो गई.
तस्वीर: Maxim Grigoryev/TASS/dpa/picture alliance
इगोर गिरकिन
इगोर गिरकिन को इगोर स्त्रेलकोव के नाम से भी जाना जाता है. वह एक राष्ट्रवादी सेना के पूर्व प्रमुख कमांडर हैं. उन्होंने 2014 में क्रीमिया को हथिया लेने में रूस की मदद की थी. लेकिन बाद में वह पुतिन के विरोधी हो गए. 53 साल के गिरकिन ने चुनावों में पुतिन के खिलाफ लड़ने की इक्षा जाहिर की थी. उन्हें पुतिन की निंदा करने के बाद जनवरी 2024 में "चरमपंथ भड़काने" के आरोप में चार साल जेल की सजा दी गई थी.
तस्वीर: Alexander Zemlianichenko/AP Photo/picture alliance
लिलिया चानिशेवा, वादिम ओस्तानिन, सेनिया फादेयेवा
लिलिया चानिशेवा, वादिम ओस्तानिन और सेनिया फादेयेवा नावाल्नी के अभियान और उनके भ्रष्टाचार-विरोधी संगठन एफबीके के पूर्व सहयोगी हैं. चानिशेवा को "एक चरमपंथी संगठन बनाने" के लिए जून 2023 में 7.5 साल जेल की सजा, ओस्तानिन को एक "चरमपंथी समुदाय" में शामिल होने के लिए जुलाई 2023 में नौ साल जेल की सजा और फादेयेवा को एक "चरमपंथी संगठन" चलाने के लिए दिसंबर 2023 में 9.5 साल जेल की सजा दी गई थी.
तस्वीर: DW
इगोर सेर्गुनिन, एलेक्सेई लिप्तसर, वादिम कोब्जेव
इगोर सेर्गुनिन, एलेक्सेई लिप्तसर और वादिम कोब्जेव नावाल्नी के वकील हैं. उन पर नावाल्नी की सलाखों के पीछे से 'चरमपंथी गतिविधियों' को चलाने में मदद करने के आरोप लगे हैं. रूस के गृह मंत्रालय ने फरवरी 2024 में नावाल्नी के दो और वकीलों को अपनी वॉन्टेड लिस्ट में शामिल किया. ये दोनों हैं ओल्गा मिखाइलोवा और अलेक्सान्दर फेदुलोव. माना जा रहा है कि दोनों ही इस समय रूस से बाहर हैं. - सीके/वीके (रॉयटर्स)