यूक्रेन के इस न्यूक्लियर प्लांट पर महीनों से रूस का कब्जा है. परमाणु दुर्घटना का डर बना हुआ है. इस बीच आईएईए के विशेषज्ञों का दौरे से उम्मीदें जगी हैं.
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14 अंतरराष्ट्रीय विशेषज्ञों का समूह दक्षिणी यूक्रेन के जापोरिझिया के दौरे पर है. दल का नेतृत्व कर रहे हैं राफाएल ग्रोसी जो कि अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी आईएईए के प्रमुख हैं. परमाणु ऊर्जा के विशेषज्ञों का यह दल इस उम्मीद के साथ वहां पहुंचा है ताकि वहां के जमीनी हालात देख सके. साथ ही उनका मकसद है कि अगर यूरोप के इस सबसे बड़े परमाणु संयंत्र को कोई नुकसान पहुंचा हो तो उसका जायजा लें और वहां काम करने वाले यूक्रेनी स्टाफ से मिल कर उनका हाल जानें.
जापोरिझिया पर छह महीने पहले रूस के युद्ध छेड़ने के कुछ हफ्तों बाद से ही रूसी सेना का कब्जा है. जुलाई से इस परमाणु संयंत्र के परिसर के पास कई बार गोलीबारी हो चुकी है. इस जगह पर हमले करने का आरोप दोनों ही देश एक दूसरे पर मढ़ते आए हैं और किसी ने भी इसे स्वीकार नहीं किया है.
एक हफ्ते पहले ऐसा पहली बार हुआ जब प्लांट का नेशनल पावर सप्लाई से संपर्क कट गया क्योंकि रास्ते में कहीं बिजली का तार कट गया. आईएईए के इस दौरे से यहां तनाव कुछ कम होने, दोनों ओर की सेनाओं के अपनी कार्रवाई यहां से दूर ले जाने की उम्मीदें बढ़ी हैं. आशा यह भी है कि इसके बाद प्लांट में फंसे यूक्रेनी स्टाफ को भी वहां से निकालने का रास्ता खुलेगा.
क्याआईएईएटीम को पूरी तस्वीर दिखेगी?
यह पक्के तौर पर कहना कठिन है. विशेषज्ञ मानते हैं कि इंस्पेक्टरों को तना तो दिखाया जाएगा कि प्लांट की सुरक्षा के कैसे इंतजाम हैं.
सुरक्षा को सुनिश्चित करने के लिए क्या करना होगा?
प्लांट और उसके पास के इलाके में हर तरह की सैन्य गतिविधियां बंद करना, वहां काम करने वाले लोगों को प्लांट के हर हिस्से में आजादी से आने जाने देना, स्पेयर पार्ट्स मुहैया कराना जरूरी होगा जिससे समय पर उसकी मरम्मत हो सके.
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कितने परमाणु हथियार हैं दुनिया में और किसके पास
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन पर हमले के तीन दिन बाद ही परमाणु हथियारों को भी हाई अलर्ट पर रखने का हुक्म दिया. रूस के पास कुल कितने परमाणु हथियार हैं. रूस के अलावा दुनिया में और कितने परमाणु हथियार है?
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
कितने परमाणु हथियार
स्टॉकहोम अंतरराष्ट्रीय शांति शोध संस्थान यानी सीपरी हर साल दुनिया भर में हथियारों के बारे में रिपोर्ट तैयार करती है. सीपरी के मुताबिक 2021 की शुरुआत में दुनिया भर में कुल 13,080 परमाणु हथियार मौजूद थे. इनमें से 3,825 परमाणु हथियार सेनाओं के पास हैं और 2,000 हथियार हाई अलर्ट की स्थिति में रखे गए हैं, यानी कभी भी इनका उपयोग किया जा सकता है. तस्वीर में दिख रहा बम वह है जो हिरोशिमा पर गिराया गया था.
तस्वीर: AFP
किन देशों के पास है परमाणु हथियार
सीपरी के मुताबिक दुनिया के कुल 9 देशों के पास परमाणु हथियार हैं. इन देशों में अमेरिका, रूस, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन, भारत, पाकिस्तान, इस्राएल और उत्तर कोरिया के नाम शामिल हैं. दुनिया में परमाणु हथियारों की कुल संख्या में कमी आ रही है हालांकि ऐसा मुख्य रूप से अमेरिका और रूस के परमाणु हथियारों में कटौती की वजह से हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
उत्तर कोरिया
डेमोक्रैटिक पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ कोरिया यानी उत्तर कोरिया ने 2006 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. वर्तमान में उसके पास 40-50 परमाणु हथियार होने का अनुमान है.
तस्वीर: KCNA/KNS/AP/picture alliance
इस्राएल
इस्राएल ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण कब किया इस बारे में कोई जानकारी नहीं है. फिलहाल इस्राएल के पार 90 परमाणु हथियार होने की बात कही जाती है. इस्राएल ने भी परमाणु हथियारों की कहीं तैनाती नहीं की है. तस्वीर में शिमोन पेरेज नेगेव न्यूक्लियर रिसर्च सेंटर नजर आ रहा है. इस्राएल ने बहुत समय तक इसे छिपाए रखा था.
तस्वीर: Planet Labs Inc./AP/picture alliance
भारत
भारत के परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 156 हथियार हैं जिन्हें रिजर्व रखा गया है. अब तक जो जानकारी है उसके मुताबिक भारत ने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है. भारत ने पहली बार नाभिकीय परीक्षण 1974 में किया था.
तस्वीर: Indian Defence Research and Development Organisation/epa/dpa/picture alliance
पाकिस्तान
भारत के पड़ोसी पाकिस्तान के पास कुल 165 परमाणु हथियार मौजूद हैं. पाकिस्तान ने भी अपने परमाणु हथियारों की तैनाती नहीं की है और उन्हें रिजर्व रखा है. पाकिस्तान ने 1998 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
ब्रिटेन
ब्रिटेन के पास मौजूद परमाणु हथियारों के जखीरे में कुल 225 हथियार है. इनमें से 120 परमाणु हथियारों को ब्रिटेन ने तैनात कर रखा है जबकि 105 हथियार उसने रिजर्व में रखे हैं. ब्रिटेन ने पहला बार नाभिकीय परीक्षण 1952 में किया था. तस्वीर में नजर आ रही ब्रिटेन की पनडुब्बी परमाणु हथियारों को ले जाने में सक्षम है.
तस्वीर: James Glossop/AFP/Getty Images
फ्रांस
फ्रांस ने 1960 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था और फिलहाल उसके पास 290 परमाणु हथियार मौजूद हैं. फ्रांस ने 280 परमाणु हथियारों की तैनाती कर रखी है और 10 हथियार रिजर्व में रखे हैं. यह तस्वीर 1971 की है तब फ्रांस ने मुरुरोआ एटॉल में परमाणउ परीक्षण किया था.
तस्वीर: AP
चीन
चीन ने 1964 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था. उसके पास कुल 350 परमाणु हथियार मौजूद हैं. उसने कितने परमाणु हथियार तैनात किए हैं और कितने रिजर्व में रखे हैं इसके बारे में जानकारी उपलब्ध नहीं है.
तस्वीर: Zhang Haofu/Xinhua/picture alliance
अमेरिका
परमाणु हथियारों की संख्या के लिहाज से अमेरिका फिलहाल दूसरे नंबर पर है. अमेरिका ने 1,800 हथियार तैनात कर रखे हैं जबकि 2,000 हथियार रिजर्व में रखे गए हैं. इनके अलावा अमेरिका के पास 1,760 और परमाणु हथियार भी हैं. अमेरिका ने 1945 में पहली बार नाभिकीय परीक्षण किया था.
तस्वीर: Jim Lo Scalzo/EPA/dpa/picture alliance
रूस
वर्तमान में रूस के पास सबसे ज्यादा 6,255 परमाणु हथियार हैं. इनमें से 1,625 हथियारों को रूस ने तैनात कर रखा है. 2,870 परमाणु हथियार रूस ने रिजर्व में रखे हैं जबकि दूसरे परमाणु हथियारों की संख्या 1,760 है. रूस के हथियारों की संख्या 2020 के मुकाबले थोड़ी बढ़ी है. रूस ने 1949 में परमाणु हथियार बनाने की क्षमता हासिल की थी.
तस्वीर: AP Photo/picture-alliance
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सेनामुक्त इलाका बनाए जाने की कितनी संभावना है?
अभी तो काफी कम संभावना है. रूस के पास ऐसी तकनीकी और ऑपरेशनल विशेषज्ञता है कि वह न्यूक्लियर प्लांट का करीब 38 फीसदी हिस्सा खुद ही चलाता है. साइट पर बड़ी दुर्घटना होने की काफी प्रबल आशंका होने के बावजूद रूस ने वहां इतने महीनों से कब्जा किया हुआ है. इसके पहले रूस से की गई तमाम अंतरराष्ट्रीय अपीलों में से एक भी अब तक सफल नहीं हुई है.
क्या सारे रिएक्टरों को बंद कर देना है उपाय?
इससे बड़ी दुर्घटना होने की संभावना तो जरूर कम होगी लेकिन इसका फैसला वहां जमीनी हालात देखने के बाद ही लिया जा सकता है और वो भी फौरन नहीं. शटडाउन के बाद भी प्लांट को ठंडे होने तक काफी ज्यादा ऊर्जा की जरूरत होगी.. यहां मौजूद छह रिएक्टर अगर ठंडे ना हुए तो पिघलने का खतरा रहेगा. शटडाउन के कुछ दिन बाद जब रिएक्टर ठंडे हो जाएं तब असल में परमाणु दुर्घटना का खतरा कम होगा.
यूक्रेन में छह महीने के रूसी युद्ध की कीमत
यूक्रेन पर रूस के हमले में दसियों हजार लोगों की जान चली गई, लाखों लोग विस्थापित हुए और दुनिया भर में आर्थिक मुश्किलें बढ़ीं. छह महीने के युद्ध में इसका क्या असर हुआ वो यहां देखिये.
दर्ज आंकड़ों के मुताबिक 24 फरवरी से अब तक 5,587 आम लोगों की मौत हुई और 7,890 लोग घायल हुए हैं. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयुक्त का कहना है कि असल संख्या इससे कई गुना ज्यादा हो सकती है. ज्यादातर आम लोग टैंक, मिसाइल और हवाई हमलों मे मारे गए हैं.
तस्वीर: Alexander Ermochenko/REUTERS
सैनिकों की मौत
22 अगस्त तक इस जंग में यूक्रेन के 9,000 सैनिकों ने जान गंवाई है. यूक्रेन ने पहली बार अपने सैनिकों की मौत के बारे में जानकारी दी है. रूस ने भी अपने सैनिकों की मौत की जानकारी नहीं दी है लेकिन अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने 15,000 रूसी सैनिकों के मारे जाने और इसकी तीन गुना संख्या घायलों की बताई है. इतने ही सैनिक अफगानिस्तान पर रूसी कब्जे के दौरान मारे गए थे.
तस्वीर: Orlando BarrÌa/Agencia EFE/IMAGO
जंग की मुसीबतें
करीब 4.1 करोड़ की आबादी वाले यूक्रेन की एक तिहाई जनता विस्थापित हो गई है. 66 लाख से ज्यादा लोग यूरोप के बाहर गये हैं और लगभग इतने ही देश के भीतर भटक रहे. सबसे ज्यादा लोगों ने पोलैंड का रुख किया है और उसके बाद आता है जर्मनी. छह महीने से अपने घर और परिवार से दूर ये लोग कई तरह की परेशानियां झेल रहे हैं.
तस्वीर: Maksim Blinov/SNA/IMAGO
रूस का खर्च
यह जंग रूस के लिये भी काफी खर्चीली है. सैन्य खर्च के अलावा पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों का रूस को काफी नुकसान हुआ है. रूसी सेंट्रल बैंक ने 2022 में अर्थव्यवस्था के 4-6 फीसदी सिकु़ड़ने का अनुमान लगाया है. ज्यादातर रूसी ओलिगार्क प्रतिबंधित हैं और माइक्रोचिप के साथ ही कई और चीजों का संकट है. पिछले महीने रूस ने अपने फॉरेन बॉन्ड पर डिफॉल्ट किया.
तस्वीर: Vitalii Hnidyi/REUTERS
ऊंची कीमतें
हमला और पश्चिमी प्रतिबंधों के कारण उर्वरक, गेहूं, धातु और ऊर्जा की कीमतें काफी ज्यादा बढ़ गई हैं. इसकी वजह से भोजन का संकट और महंगाई दोनों बढ़े हैं और वैश्विक अर्थव्यवस्था मुसीबत में है. रूस तेल का दूसरा और प्राकृतिक गैस, गेहूं, नाइट्रोजन उर्वरक और पैलेडियम का सबसे बड़ा निर्यातक है. अगर यूरोप को रूसी गैस की सप्लाई पूरी तरह से बंद हो गई तो यूरोप की अर्थव्यवस्था मंदी में चली जायेगी.
तस्वीर: ZDF
अर्थव्यस्था का विकास
इस साल दुनिया की अर्थव्यवस्था में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष का अनुमान घटते घटते 3.2 फीसदी पर आ गया है. बीते साल महामारी के दौर में भी 6.1 फीसदी की दर से विकास हुआ. अगर यूरोप को रूसी गैस की सप्लाई पूरी तरह बंद और दुनिया को तेल का निर्यात 30 फीसदी घट गया तो विकास 2022 में 2.6 फीसदी और 2023 में 2 फीसदी पर चला जायेगा.
तस्वीर: Allie Joseph/New York Stock Exchange/AP Photo/picture alliance
यूक्रेन का नुकसान
मानवीय संकट के अलावा यूक्रेन ने 2014 में क्रीमिया के अलग होने से लेकर अब तक अपनी 22 फीसदी जमीन रूस के हाथों गंवाई है. उसके हाथों से समुद्र तटीय इलाके निकल गये हैं और कई शहर कचरे और मलबे के ढेर में तब्दील हो गये हैं. यूक्रेन की अर्थव्यस्था 2022 में 45 फीसदी सिकुड़ जायेगी. यूक्रेनी प्रधानमंत्री ने अनुमान लगाया है कि यूक्रेन के पुनर्निर्माण पर 750 अरब डॉलर का खर्च आएगा.
अमेरिका ने 24 फरवरी से अब तक यूक्रेन को 9.1 अरब डॉलर की सुरक्षा सहायता दी है. इनमें स्टिंगर एयर क्राफ्ट सिस्टम, जावेलिन एंटी आर्मर सिस्टम, होवित्जर टैंक के अलावा केमिकल, बायोलॉजिकल, रेडियोलॉजिकल और न्यूक्लियर सुरक्षा उपकरण शामिल हैं. ब्रिटेन ने 2.3 अरब पाउंड जबकि यूरोपीय संघ ने 2.5 अरब यूरो की सुरक्षा सहायता यूक्रेन को दी है.
तस्वीर: State Service for Export Control of Ukraine