यूक्रेन की उप विदेश मंत्री एमिने जापारोवा ने अपने भारत दौरे के दौरान कहा कि यूक्रेन युद्ध में रूस का साथ देना गलत ऐतिहासिक पक्ष को चुनना है. उन्होंने भारत से इस युद्ध में एक संतुलित रास्ता अपनाने को कहा है.
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जापारोवा यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद भारत आने वाली पहली यूक्रेनी वरिष्ठ अधिकारी हैं. वो नई दिल्ली में राज्य विदेश मंत्री मीनाक्षी लेखी से मिलीं और उन्हें यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमिर जेलेंस्की का प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम एक पत्र सौंपा. जापारोवा विदेश मंत्रालय में सचिव (पश्चिम) संजय वर्मा से भी मिलीं. इसके अलावा वो पत्रकारों, शोधकर्ताओं और अंतरराष्ट्रीय मामलों के जानकारों से भी मिलीं और उनसे यूक्रेन युद्ध के अलग अलग पहलुओं पर चर्चा की.
इंडियन काउंसिल ऑफ वर्ल्ड अफेयर्स (आईसीडब्ल्यूए) संस्थान में एक भाषण में जापारोवा ने कहा कि भारत युद्ध में "और बड़ी भूमिका अदा कर सकता है" और यूक्रेन "युद्ध के समाधान की दिशा में की गई किसी भी कोशिश का स्वागत करेगा."
संतुलन की अपील
भारत की अभी तक रही भूमिका पर टिप्पणी करते हुए उन्होंने कहा, "हम एक बार फिर ईमानदारी से कहना चाहेंगे कि रूस के साथ होना ऐतिहासिक रूप से गलत पक्ष को चुनना है. रूस का समर्थन करने का मतलब दुनिया के बारे में एक शैतानी योजना का हिस्सा होना."
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक जापारोवा ने यह भी कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल "संतुलन की खातिर" कीव आ सकते हैं. डोभाल युद्ध शुरू होने के बाद तीन बार मॉस्को जा चुके हैं. भारत कई बार युद्ध की निंदा कर चुका है लेकिन उसने रूस की और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की निंदा नहीं की है.
संयुक्त राष्ट्र में भी रूस के खिलाफ लाए गए पश्चिमी देशों के प्रस्तावों पर मतदान से भारत ने खुद को बाहर रखा है. भारत ने रूस के खिलाफ लगाए गए प्रतिबंधों में भी पश्चिमी देशों का साथ नहीं दिया है और रूस से तेल, कोयला आदि सामान सस्ते दामों पर खरीदना जारी रखा है.
आईसीडब्ल्यूए में अपने भाषण में जापारोवा ने यह भी कहा, "मुझे लगता है कि मैं यहां जो सुझाव लाई हूं वो भारत के साथ संबंध को और बेहतर और और गहरा बनाने का है और इसके लिए पारस्परिकता की जरूरत है. हमने दरवाजे पर दस्तक दी है लेकिन अब यह घर के मालिक के ऊपर है कि वो दरवाजा खोलेगा या नहीं."
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पेचीदा प्रस्ताव
उन्होंने यूक्रेन-पाकिस्तान रिश्तों को लेकर भारत में असहजता को भी संबोधित किया. यूक्रेन लंबे समय से पाकिस्तान को टैंक और अन्य सैन्य उत्पाद बेचता रहा है. इस पर जापारोवा ने कहा, "पाकिस्तान के साथ हमारे रिश्ते भारत के साथ हमारे संबंधों के खिलाफ निर्देशित नहीं हैं. मुझे मालूम है कि सैन्य ठेकों को लेकर कुछ संवेदनशीलता है, लेकिन मैं यह स्पष्ट कहना चाहती हूं कि ये ठेके 90 के दशक से हैं."
भारत की जिम्मेदारी बड़ी
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जापारोवा ने भारत की जी20 की अध्यक्षता के दौरान संगठन में यूक्रेन की भागीदारी बढ़ाने की भी अपील की और फिर एक ऐसा प्रस्ताव भी रखा जिस पर प्रतिक्रिया देना भारत के लिए थोड़ा पेचीदा सकता है. उन्होंने कहा कि जेलेंस्की को सितंबर में भारत में होने वाले जी20 शिखर सम्मेलन को संबोधित करने में खुशी होगी.
यह प्रस्ताव दिलचस्प इसलिए है कि क्योंकि अभी तक भारत ने जेलेंस्की को न्योता नहीं दिया है. लेकिन साथ ही इस प्रस्ताव की पृष्ठभूमि में संयुक्त राष्ट्र में भारत के कदम हैं क्योंकि भारत ने जेलेंस्की द्वारा संयुक्त राष्ट्र को संबोधित करने के प्रस्ताव का समर्थन किया था. रूस ने प्रस्ताव का विरोध किया था.
इन सब बातों के बावजूद जापारोवा ने कहा कि उनकी भारत यात्रा दोनों देशों के बीच "दोस्ती का एक प्रतीक" है और उन्हें उम्मीद है कि इससे भारत की यूक्रेन के साथ बातचीत शुरू हो जाएगी.
यूक्रेन के नाम एक प्रेम-पत्र
नतालिया व्लासेंको रूस के हमले से पहले यूक्रेन के ओडेसा में एक टूर गाइड का काम करती थीं. युद्ध शुरू होने के एक साल बाद नतालिया बता रही हैं कि युद्ध की गिरफ्त में फंसे अपने देश की कौन से बात उन्हें सबसे ज्यादा पसंद है.
तस्वीर: N. Vlasenko/S. Kinka/O. Goldayeva
मेरा प्यारा ओडेसा
मेरा दिल यूक्रेन के पास है. मुझे यात्रा करना और नई जगह पर जाना बहुत पसंद है, लेकिन मैं हमेशा घर लौट कर खुश हो जाती हूं. मैं मूल रूप से ओडेसा से हूं, जो एक सुंदर शहर है. इसका ऐतिहासिक केंद्र यूरोपीय शिल्प से प्रेरित है. यहां वो शानदार ओपेरा थिएटर भी है जिसे विएना के शिल्पकारों ने डिजाइन किया था. मुझे प्रिमोर्स्की बुलेवार्ड भी पसंद है. वहां इस शहर के पहले मेयर ड्यूक द रिशलू का स्मारक है.
तस्वीर: N. Vlasenko/S. Kinka/O. Goldayeva
शांति देने वाला ब्लैक सी
मुझे ओडेसा की खुली मानसिकता, समुद्र से करीबी, सकारात्मक वातावरण और खूब सारी धूप बहुत पसंद है. युद्ध से पहले मैं दोस्तों से मिलने, या पिकनिक के लिए या सूर्योदय देखने के लिए समुद्र के किनारे तक पैदल जाना पसंद करती थी. ओडेसा में हम कहते हैं कि समुद्र किसी भी दुख को कम कर सकता है, दर्द मिटा सकता है और आपके मूड को आनंदित कर सकता है.
तस्वीर: Natalia Vlasenko
बतौर टूर गाइड मेरा काम
पर्यटन में डिग्री और शिल्पकला और इतिहास के प्रति प्रेम की वजह से मैं 2016 में एक गाइड के तौर पर काम करने लगी. मैं पर्यटकों को ओडेसा और इस इलाके के टूर पर ले जाती थी. अलग अलग देशों के लोगों से मिलना, सांस्कृतिक आदान प्रदान का आनंद लेना और विदेशी यात्रियों को यूक्रेन दिखाना बहुत अच्छा लगता था. मैं अभी भी उनमें से कई से संपर्क में हूं. युद्ध शुरू होने के बाद उन्होंने मुझे प्रोत्साहन संदेश भेजे हैं.
तस्वीर: Natalia Vlasenko
शिल्पकला के लिए प्रेम
अगर कोई मुझसे पूछे कि मुझे सबसे ज्यादा क्या पसंद है तो मेरा जवाब होगा यूक्रेन की शिल्पकला की मिसालों को खोजना और उनकी तस्वीरें लेना. मुझे ऐतिहासिक इमारतें, पुराने लकड़ी के दरवाजे और संगमरमर की सीढ़ियां पसंद हैं. ओडेसा में मैंने आंगनों को समर्पित एक खास पैदल टूर बनाया था. ओडेसा के आंगन अपने आप में एक छोटी सी दुनिया की तरह होते हैं और उनका एक खास वातावरण होता है.. और बहुत सारी बिल्लियां भी!
तस्वीर: Natalia Vlasenko
लवीव, एक आकर्षक शहर
ओडेसा के बाद यूक्रेन में मेरा दूसरा मनपसंद शहर है लवीव. यह एक सांस्कृतिक राजधानी है क्योंकि युद्ध से पहले लवीव को उसके आरामदायक कैफे, त्योहारों, पूर्वी यूरोप के सबसे बड़े पुस्तक-मेले और जबरदस्त इमारतों के लिए जाना जाता था. पुराना शहर यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल है और वहां रेनेसां, बरोक, क्लासिसिस्ट और आर्ट नोवो शिल्पकलाएं हैं. यह सच में नायब है.
तस्वीर: N. Vlasenko/S. Kinka/O. Goldayeva
लवीव की शिल्पकला
लवीव में अपनी दोस्त इरिना के साथ मिल कर मैं शहर के शिल्प को देखने के लिए पैदल टूर आयोजित करती थी. हम पुराने आंगन और इमारतें और उनमें छिपी हुई सुंदरता खोजने जाया करते थे. अकसर हमें खुशकिस्मती से किसी छत पर दुर्लभ चित्र या सजीले जड़ाऊ काम के फर्श मिल जाया करते थे. युद्ध शुरू होने से पहले मैं आखिरी बार लवीव गई थी और मैं उस यात्रा की यादों को अपने दिल के करीब रखती हूं.
तस्वीर: N. Vlasenko/S. Kinka/O. Goldayeva
कार्पेथियन पहाड़
यूक्रेन का सौभाग्य है कि उसके पास समुद्र और मनोरम पहाड़ दोनों हैं. कार्पेथियन पहाड़ हर महीने में सुंदर दिखते हैं. यात्री अकसर यहां पर्वतारोहण करने, हाइक करने, ईकोपर्यटन का आनंद लेने, दुर्लभ खाने का स्वाद लेने और स्थानीय संस्कृति और परंपरा के बारे में जानने आते थे. एक बार मैंने अपना जन्मदिन पैलिपेट्स नाम के गांव में मनाया, जहां मैंने पहली बार केबल कार पर यात्रा की. ये मेरी पसंदीदा यादों में से हैं.
तस्वीर: N. Vlasenko/S. Kinka/O. Goldayeva
एक ऐतिहासिक शहर, चेर्निहीव
जब मैं एक टूर गाइड का काम करती थी तो लोगों को वीकेंड पर ओडेसा से चेर्निहीव ले जाया करती थी. वह एक काफी पुराना शहर है जहां की शिल्पकला बहुत अच्छी है. वहां कई पुराने चर्च हैं, जिनमें से कुछ तो 13वीं शताब्दी के हैं. इस शहर को बहुत नुकसान हुआ है और कई लोग मारे गए हैं. मेरे पास अपने दुख को व्यक्त करने के लिए शब्द नहीं हैं.
तस्वीर: Natalia Vlasenko
यूक्रेन की विविध सुंदरता खतरे में
यूक्रेन के हर इलाके के अपने दृश्य और अपनी प्राकृतिक सुंदरता है. खेरसों प्रांत के असकानिया नोवा बायोस्फियर रिजर्व से लेकर खारकीव के स्मारकों की शिल्पकला तक. और भी बहुत कुछ है मेरे यूक्रेन में. उम्मीद है कि युद्ध के बाद हर वो चीज जो टूट गई है उसे उसका पुराना गौरव फिर से लौटा दिया जाएगा. (नतालिया व्लासेंको)