क्रीमिया के विवादित हिस्से में अपने पानी के जहाजों पर हमले को लेकर यूक्रेनी राष्ट्रपति ने रूस को 'डाकू जैसा' बर्ताव करने वाला बताया और देश में 'मार्शल लॉ' लगा दिया है.
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केर्च खाड़ी पर पुल बनाना असंभव माना जाता था. लेकिन रूस ने इसे मुमकिन कर दिया है. उसने रूस को सीधे क्रीमिया प्रायद्वीप से जोड़ दिया है.
तैयार हो रहा है रूस का सबसे बड़ा पुल
केर्च खाड़ी पर पुल बनाना असंभव माना जाता था. लेकिन रूस ने इसे मुमकिन कर दिया है. उसने रूस को सीधे क्रीमिया प्रायद्वीप से जोड़ दिया है.
तस्वीर: Reuters/P. Rebrov
यूक्रेन का बायपास
जमीन के रास्ते रूस क्रीमिया तक नहीं पहुंच सकता. वहां जाने का रास्ता यूक्रेन से होकर गुजरता है. लेकिन 2014 में क्रीमिया को यूक्रेन से अलग करने के बाद दोनों देशों के रिश्ते खट्टे हो गए. अब रूस समंदर पर एक विशाल पुल बांध रहा है, ताकि वह बिना यूक्रेन गये सीधे क्रीमिया तक पहुंच जाए.
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प्रोजेक्ट पर पुतिन की नजर
इतने बड़े ढांचे का टेक्निकल इंस्पेक्शन सिर्फ हवा से ही हो सकता है. पुल के काम पर खुद रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन नजर रख रहे हैं. निर्माण पूरा होने के बाद इस पुल से हर दिन 40,000 गाड़ियां और 47 ट्रेनें गुजरा करेंगी.
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जूडो टीचर को जिम्मेदारी
रूस की कंपनी एसजीएम 2015 से इस प्रोजेक्ट पर काम कर रही है. कंपनी के मालिकों में से एक अरकाडी रोटेनबर्ग, पुतिन के जूडो टीचर रह चुके हैं. उन्हें आज रूसी राष्ट्रपति के सबसे भरोसेमंद लोगों में गिना जाता है. इसी कंपनी ने सोची विंटर ओलंपिक्स के दौरान भी निर्माण कार्य किये.
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काले सागर का गेटवे
इस पुल के नीचे से गुजरने के बाद ही कोई जहाज काले सागर से ओजोव सागर तक पहुंच पाएगा. ओजोव सागर में ही डॉन नदी का मुहाना है. डॉन नदी के जलमार्ग के जरिये जहाज रूस की सबसे बड़ी नदी वोल्गा तक पहुंच सकते हैं.
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हाई ड्यूटी ब्रिज
इन स्तंभों को भविष्य में हजारों ट्रकों और ट्रेनों का वजन बर्दाश्त करना होगा. दूसरे विश्वयुद्ध के दौरान जर्मन सेना ने भी केर्च खाड़ी पर पुल बनाने की कोशिश की थी, लेकिन कड़ाके की सर्दी और बर्फ ने उस पुल को बर्बाद कर दिया.
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आखिरी टच की तैयारी
ट्रकों, कारों और बसों के लिए यह पुल 2018 में खुल जाएगा. 2019 में इसे रेलवे के लिए भी खोल दिया जाएगा. इस पुल के जरिये गाड़ियां रूस से सीधे क्रीमिया पहुंचेगी.
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ताकत और हुनर का प्रतीक
निर्माण पूरा होने के बाद यह रूस का सबसे विशाल पुल होगा. इस पुल का काम बहुत तेजी से आगे बढ़ा. रूस के सामने साफ लक्ष्य था कि यूक्रेन से क्रीमिया को अलग करने के बाद जल्द जल्द से प्रायद्वीप तक सीधे पहुंचने का रास्ता बनाना जाए.