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यूक्रेन में युद्धविराम, मिलने लगी अरबों की मदद

१५ सितम्बर २०१६

यूक्रेन के राष्ट्रपति पोरोशेंको ने कहा है कि उनका देश रूस समर्थक विद्रोहियों की तरफ से रखे गए युद्धविराम के प्रस्ताव पर सहमत है. पिछले साल हुए शांति समझौते के बावजूद दोनबास इलाके में लड़ाई रुकी नहीं थी.

Ukraine Kiew Treffen Steinmeier Poroschenko Ayrault
तस्वीर: picture-alliance/dpa/G. Savilov

यूक्रेन के राष्ट्रपति पेत्रो पोरोशेंको ने कहा कि सरकारी सैनिक विद्रोहियों की तरफ से घोषित युद्धविराम का पालन करेंगे. यह युद्धविराम गुरुवार से लागू होगा और कम से कम एक हफ्ते तक रहेगा. जर्मनी उन सबसे पहले देशों में से एक है जिसने इस फैसले की सराहना की है. जर्मन विदेश मंत्री फ्रांक वॉल्टर श्टाइनमायर ने कहा, "हम खुश हैं कि राष्ट्रपति पोरोशेंको लड़ाई को बंद रखने के लिए सहमत हैं." उन्होंने कहा कि अगर यूक्रेन इस समझौते पर अमल करता रहेगा तो अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष उसकी मदद करने को तैयार है.

यूक्रेन संकट के शुरू होने के बाद पहली बार जर्मनी और फ्रांस के विदेश मंत्री फ्रांक-वाल्टर श्टाइनमायर और जॉँ-मार्क एरो देश के पूर्वी हिस्से में स्थित विवाद क्षेत्र में गए. क्रामातोर्स्क में दोनों मंत्रियों ने यूरोपीय सुरक्षा व सहयोग संगठन के प्रतिनिधियों से मुलाकात की. उन्होंने जर्मनी और फ्रांस के राजनीतिज्ञों को संघर्ष विराम को तोड़े जाने की घटनाओं के बारे में बताया और इलाके में मिले बारूदी सुरंग और ग्रेनेड के टुकड़े दिखाए. दोनबास में क्रामातोर्स्क का इलाका यूक्रेन के सरकारी सैनिकों के नियंत्रण में है.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/R. Jensen

युद्धविराम के फैसले पर सहमति के बाद आईएमएफ ने यूक्रेन को आर्थिक पैकेज बहाल करने का फैसला किया, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाया जाएगा. आईएमएफ यूक्रेन को एक अरब डॉलर की अतिरिक्त राशि देगा. 2015 में यूक्रेन के लिए 17.5 अरब डॉलर के पैकेज पर रोक लगने के बाद आईएमएफ की तरफ से उसे मिलने वाली यह पहली मदद है. ताजा फैसले के बाद अब तक आईएमएफ की ओर से जो रकम यूक्रेन को दी गई है वह 7.62 अरब हो गई है. यूक्रेन संकट की मार सीधे तौर पर देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ी है. यही कारण है कि 2015 में यूक्रेन की अर्थव्यवस्था में 9.9 प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई.

यूक्रेन में फरवरी 2015 में एक शांति समझौते पर हस्ताक्षर हुए थे लेकिन पूर्वी यूक्रेन में सेना और रूस समर्थक बागियों के बीच छिटपुट हिंसा जारी रही. वैसे दोनों ही पक्षों ने लड़ाई के मोर्चे से भारी हथियारों को हटाने की सहमति पर आम तौर पर अमल किया है.

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2014 में यूक्रेन के राष्ट्रपति विक्टर यानुकोविच के खिलाफ बगावत से शुरू हुए इस संघर्ष में अब तक कम से कम एक हजार लोग मारे जा चुके हैं. यानुकोविच को रूस समर्थक माना जाता था, जिन्हें सत्ता से हटाए जाने के कारण रूसी भाषी पूर्वी यूक्रेन में बगावत शुरू हो गई. इसका नतीजा ये हुआ कि यूक्रेन का क्रीमिया रूस में शामिल हो गया.

एके/वीके (एएफपी, रॉयटर्स, डीपीए)

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