अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने रूसी सेना पर यूक्रेन में "नरसंहार" करने का आरोप लगाया है. बाइडेन ने पिछले हफ्ते रूसी हमले के वैश्विक आक्रोश के बीच पुतिन को "युद्ध अपराधी" कहा था.
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राष्ट्रपति बाइडेन ने मंगलवार को पहली बार व्लादिमीर पुतिन की सेना पर यूक्रेन में नरसंहार करने का आरोप लगाया, जहां रूस तबाह हुए बंदरगाह शहर मारियोपोल को कब्जे में करने के लिए अपने अभियान को तेज कर रहा है. बाइडेन ने आरोप लगाया कि पुतिन "यूक्रेनी होने के विचार को मिटाने" की कोशिश कर रहे हैं.
आइओवा में एक कार्यक्रम के दौरान बाइडेन ने पत्रकारों से कहा, "हां, मैंने इसे नरसंहार कहा है." बाइडेन ने कहा कि यह तय करना वकीलों पर निर्भर करेगा कि रूस का आचरण नरसंहार के अंतरराष्ट्रीय मानक को पूरा करता है या नहीं, लेकिन साथ ही कहा कि निश्चित रूप से मुझे ऐसा ही लगता है.
बाइडेन की टिप्पणी की यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की से सराहना की है. वे पश्चिमी नेताओं को अपने देश पर रूस के आक्रमण का वर्णन करने के लिए इस शब्द का उपयोग करने के लिए प्रोत्साहित कर चुके हैं. उन्होंने अपने ट्वीट में कहा, "एक सच्चे नेता के सच्चे शब्द." उन्होंने आगे लिखा, "बुराई का सामना करने के लिए चीजों को उनके नाम से पुकारना जरूरी है. हम अब तक दी गई अमेरिकी सहायता के लिए आभारी हैं और रूसी अत्याचारों को रोकने के लिए हमें तत्काल और अधिक भारी हथियारों की जरूरत है."
अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत नरसंहार की परिभाषा एक राष्ट्र, जाति या धार्मिक समूह को पूरी तरह या आंशिक रूप से नष्ट करने के इरादे से एक कार्य करना है. शीत युद्ध की समाप्ति के बाद से अमेरिकी विदेश विभाग ने सात बार "नरसंहार" शब्द का इस्तेमाल किया है.
युद्ध के शीघ्र अंत की बहुत कम उम्मीद के साथ पुतिन ने कहा है कि वह यूक्रेन में तब तक सैन्य अभियान जारी रखेंगे जब तक उनके लक्ष्य पूरे नहीं हो जाते. अंतरराष्ट्रीय जगत उनसे बार-बार युद्धविराम की अपील कर रहा है.
इस बीच रूसी ऊर्जा मंत्री निकोलाई शुलगिनोव ने रूस के एक अखबार को बताया कि मॉस्को "किसी भी मूल्य पर मित्र देशों को तेल और तेल उत्पाद बेचने के लिए तैयार है." उन्होंने कहा, "पश्चिमी राजनीति की प्रकृति में तेल की कीमतों के बारे में कुछ भी कहना बहुत मुश्किल है."
एए/सीके (एपी, रॉयटर्स, एएफपी)
पुतिन के युद्ध का दुनिया पर असर
रूस के यूक्रेन पर हमले का असर पूरी दुनिया में महसूस किया जा रहा है. खाने पीने की चीजों और ईंधन की कीमतें आसमान पर हैं. कुछ देशों में तो महंगाई के कारण लोग सड़कों पर उतर आए हैं.
तस्वीर: PIUS UTOMI EKPEI/AFP via Getty Images
यूक्रेन के कारण महंगाई
जर्मनी में लोगों की जेब पर यूक्रेन युद्ध का असर महसूस हो रहा है. मार्च में जर्मनी की मुद्रास्फीति दर 1981 के बाद सर्वोच्च स्तर पर पहुंच गई है.
तस्वीर: Moritz Frankenberg/dpa/picture alliance
केन्या में लंबी लाइन
केन्या के नैरोबी में पेट्रोल पंपों के सामने लंबी-लंबी कतारें देखी जा सकती हैं. तेल महंगा हो गया है और सप्लाई बहुत कम है. इसका असर खाने-पीने और रोजमर्रा की जरूरत की बाकी चीजों पर भी नजर आ रहा है.
तस्वीर: SIMON MAINA/AFP via Getty Images
तुर्की में ब्रेड हुई महंगी
रूस दुनिया में गेहूं का सबसे बड़ा उत्पादक है और रूसी उत्पादों पर लगे प्रतिबंधों के कारण गेहूं की आपूर्ति प्रभावित हुई है. यूक्रेन भी गेहूं के पांच सबसे बड़े उत्पादकों में से एक है. नतीजतन कई जगह ब्रेड महंगी हो गई है.
तस्वीर: Burak Kara/Getty Images
इराक में गेहूं बस के बाहर
यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद से इराक में गेहूं के दाम आसमान पर हैं. इराक ने फिलहाल यूक्रेन के मुद्दे पर निष्पक्ष रुख अपनाया हुआ है. हालांकि देश में पुतिन समर्थक पोस्टर बैन कर दिए गए हैं.
तस्वीर: Ameer Al Mohammedaw/dpa/picture alliance
लीमा में प्रदर्शन
पेरू की राजधानी लीमा में महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन करते लोगों की पुलिस से खासी झड़प हुई. सरकार ने कुछ समय के लिए कर्फ्यू भी लगाकर रखा था लेकिन जैसे ही कर्फ्यू हटाया गया, प्रदर्शन फिर शुरू हो गए.
तस्वीर: ERNESTO BENAVIDES/AFP via Getty Images
श्रीलंका में संकट
श्रीलंका इस वक्त ऐतिहासिक आर्थिक और राजनीतिक संकट से गुजर रहा है. पहले से ही खराब देश की आर्थिक हालत को यूक्रेन युद्ध ने और ज्यादा बिगाड़ दिया है और लोग अब सड़कों पर हैं.
स्कॉटलैंड में लोगों ने महंगाई के खिलाफ प्रदर्शन किया. पूरे युनाइटेड किंग्डम में ट्रेड यूनियनों ने बढ़ती महंगाई का विरोध किया है. पहले ब्रेक्जिट, फिर कोविड और अब यूक्रेन युद्ध ने लोगों की हालत खराब कर रखी है.
तस्वीर: Jeff J Mitchell/Getty Images
मछली पर मार
ब्रिटेन के राष्ट्रीय डिश फिश एंड चिप्स पर यूक्रेन युद्ध का असर नजर आ रहा है. सालभर में 38 करोड़ ‘फिश एंड चिप्स’ खाने वाले ब्रिटेन में अब रूस से आने वाली व्हाइट फिश और खाने का तेल इतना महंगा हो गया है कि लोगों को इससे मुंह मोड़ना पड़ा है. फरवरी में यूके की मुद्रास्फीति दर 6.2 प्रतिशत थी.
तस्वीर: ADRIAN DENNIS/AFP via Getty Images
नाइजीरिया के लिए मौका
यूक्रेन युद्ध को नाइजीरिया के उत्पादक एक मौके की तरह देख रहे हैं. वे रूस पर अपनी निर्भरता कम करना चाहते हैं. देश के सबसे धनी व्यक्ति अलीको दांगोट ने हाल ही में नाइजीरिया का सबसे बड़ा खाद कारखाना खोला है.