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रूस पर लगे प्रतिबंधों का जर्मनी को भी होगा तगड़ा नुकसान

३ मार्च २०२२

जर्मनी को उम्मीद थी कि कोरोना प्रतिबंधों में आई ढील के बाद उसकी अर्थव्यवस्था फिर रफ्तार पकड़ेगी. लेकिन यूक्रेन युद्ध के चलते होने वाले नुकसान की आशंका से इन उम्मीदों को बड़ा झटका लगा है.

Ukraine-Konflikt - Habeck zu Russlandsanktionen
जर्मनी के वित्तमंत्री रॉबर्ट हाबेक ने कहा कि रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंधों में साथ देने के लिए कंपनियों की तारीफ की. वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि जर्मन अर्थव्यवस्था पर भी युद्ध का असर पड़ने की आशंका है. तस्वीर: Michael Kappeler/dpa/picture alliance

यूक्रेन पर हमले के चलते रूस पर लगाए गए आर्थिक प्रतिबंधों से जर्मनी को भी बड़ा नुकसान हो सकता है. जर्मनी के वित्त मंत्री रॉबर्ट हाबेक ने यह आशंका जताई है. उन्होंने कहा, "रूस पर लगे आर्थिक प्रतिबंध और युद्ध के चलते अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों पर पड़ने वाला प्रभाव इतना ज्यादा है कि हम पर भी इसका बड़ा असर होने की आशंका है."

हाबेक ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि कोरोना के कारण लगी रोक में दी जा रही ढील के चलते 2022 की दूसरी तिमाही में अर्थव्यवस्था में सुधार आने की उम्मीद थी. युद्ध के कारण इन उम्मीदों को झटका लग सकता है. हालांकि वित्तमंत्री ने यह भी कहा कि मुश्किल हालात के बावजूद कंपनियों का रूस पर लगे प्रतिबंधों में साथ देना और अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया का समर्थन करना तारीफ की बात है.

रूस को अंतरराष्ट्रीय वित्तीय ढांचे और व्यापार व्यवस्था में अलग-थलग करने के लिए अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय देशों ने उसपर विस्तृत आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं. इनमें रूसी कंपनियों, बैंकों और अरबपतियों पर लगाए गए प्रतिबंध भी शामिल हैं.

जर्मन कंपनियों का रूस में 20 अरब यूरो से अधिक का निवेश है. इनमें से केवल साढ़े सात अरब यूरो के निवेश का ही बीमा है. ऐसे में कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है. तस्वीर: picture alliance/dpa

जर्मनी का रूस में बड़ा निवेश

जर्मन कार कंपनी फॉक्सवागेन, डायमलर और बीएमडब्ल्यू ने रूस में कारोबार बंद करने की घोषणा की है. इसके अलावा यूक्रेन में चल रहे युद्ध के चलते अंतरराष्ट्रीय सप्लाई चेन भी प्रभावित हुई है. इसके कारण इन कंपनियों के बाकी प्लांटों में भी काम धीमा हो गया है. इसका जिक्र करते हुए हाबेक ने कहा, "हमें इस बात के लिए आभारी होना चाहिए कि मैंने जितनी भी कंपनियों से बात की, फिर चाहे वे जर्मनी में हों या अमेरिका में, उन सबने प्रतिबंधों का पूरी तरह समर्थन किया. जबकि इस फैसले से उनपर आर्थिक बोझ बढ़ेगा, उनके कर्मचारी प्रभावित होंगे."

जर्मनी बड़ी निर्यातक आर्थिक शक्ति है. उसके रूस के साथ पारंपरिक रिश्ते रहे हैं. जर्मनी का रूस में बड़ा निवेश है. जर्मन कंपनियों का रूस में 20 अरब यूरो से अधिक का निवेश है. इनमें से केवल साढ़े सात अरब यूरो के निवेश का ही बीमा है. ऐसे में कंपनियों को बड़ा नुकसान हो सकता है. हाबेक ने कहा कि सरकार प्रभावित कंपनियों की मदद करने की कोशिश करेगी. उन्होंने कहा कि जर्मन सरकार प्रभावित कंपनियों को सस्ती दरों पर ब्याज उपलब्ध करवाएगी, ताकि उनको हुए नुकसान की कुछ भरपाई हो सके.

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'नुकसान के जिम्मेदार हैं पुतिन'

वित्तमंत्री ने मौजूदा संकट के चलते एनर्जी सेक्टर में आए उछाल से होने वाले नुकसान की आशंका पर भी चेताया. उन्होंने कहा कि बाकी यूरोप की तरह जर्मनी भी महंगाई से जूझ रहा है. ऐसे में कुछ खास तरह के कच्चे माल की सप्लाई में रुकावट का भी अर्थव्यवस्था पर असर पड़ सकता है.

वित्तमंत्री ने कहा, "महामारी से जुड़े प्रतिबंध खत्म होने और सप्लाई चेन के वापस सामान्य होने से हम सबको उम्मीद थी कि इस साल बसंत से अर्थव्यवस्था सुधरेगी और जर्मनी महामारी के पहले वाली स्थिति में लौट सकेगा. लेकिन अब हमें युद्ध के नतीजों पर विचार करना होगा." युद्ध के आर्थिक असर की बात करते हुए उन्होंने रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन का भी जिक्र किया. हाबेक बोले, "और फिर से कह दिया जाना चाहिए कि केवल पुतिन ही हैं, जिन्होंने दुनिया के माथे पर यह बोझ डाला है."

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एसएम/एनआर  (एएफपी)

 

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