जर्मनी के उल्म शहर में मशहूर चर्च को पेशाब से खतरा पैदा हो गया है. यह दुनिया का सबसे ऊंची चर्च है और लोग इसकी दीवार पर पेशाब करते हैं. इस वजह से चर्च के ढांचे को नुकसान पहुंच रहा है.
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उल्म के चर्च की ऊंचाई 161.5 मीटर यानी करीब 530 फुट है. 1377 में इस चर्च की नींव रखी गई थी और आज यह दुनिया के सबसे ऊंची चर्च के रूप में दर्ज है. लेकिन लोग इसकी दीवार पर पेशाब करते हैं. इसे शहर प्रशासन की ओर से अपराध घोषित किया जा चुका है. हाल के दिनों में जुर्माना दोगुना किया जा चुका है. लेकिन लोगों को रोका नहीं जा पा रहा है. समस्या सिर्फ सफाई और बदबू की नहीं है. इमारत की नींव सैंड स्टोन से बनी है. पेशाब में मौजूद एसिड उसे भुरभुरा कर रहे हैं. हाल ही में इस इमारत की मरम्मत की गई है और उस पर अच्छा खासा पैसा खर्च हुआ है.
इस साल की शुरुआत में जब अधिकारियों ने देखा कि पेशाब की समस्या तो बढ़ती ही जा रही है, तब जुर्माना दोगुना कर दिया गया. लेकिन मरम्मत के लिए जिम्मेदार एजेंसी म्युन्सटरबाऊ के प्रमुख मिषाएल हिलबर्ट कहते हैं कि कोई खास फर्क नहीं पड़ा है. वह कहते हैं, "मैं इस पर करीब छह महीने से नजर रखे हुए हूं और देख रहा हूं कि अब फिर यह दीवार पेशाब और उलटियों से पट गई है."
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हिल्बर्ट बताते हैं कि एक समस्या यह भी है कि इस जगह पर बहुत सारे कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं. इमारत के इर्द गिर्द सालभर कुछ न कुछ होता ही रहता है. क्रिसमस मार्किट और अन्य मेलों के अलावा चार वाइन फेस्टिवल भी होते हैं. और इनमें आने वाले लोगों के लिए पर्याप्त टॉइलेट्स की सुविधा उपलब्ध नहीं करवाई जा रही है. हिलबर्ट पहले ही आयोजकों को इस बारे में बता चुके हैं और कह चुके हैं कि उन्हें ऐसे प्रबंध करने होंगे कि लोग चर्च की ओर पेशाब करने न आएं. वह चाहते हैं कि लोगों को मुफ्त टॉयलेट्स उपलब्ध कराए जाएं. हिलबर्ट कहते हैं, "मैं मूत्र-पुलिस तो हूं नहीं. लेकिन यह तो कानून व्यवस्था का मामला है."
रिचर्ड कॉनर/वीके (डीपीए)
यह भी जान लें कि पेशाब आए तो क्या करना चाहिए
मूत्र का सूत्र: रोकें नहीं, करें
पेशाब करना उन कामों में शामिल है जिनके बिना हमारा काम नहीं चलता. इस काम में भले ही जरा सा समय लगता हो, लेकिन हमारी सेहत के लिए ये बहुत ही जरूरी है.
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ब्लैडर की क्षमता
आम तौर पर कोई व्यक्ति दिन में सात बार पेशाब करता है. इस काम में भले ही चंद सेकंड्स का समय लगे, लेकिन हमारा ब्लैडर 500 से 600 एमएल पेशाब रख सकता है. यानी पांच से तीन से चार गिलास के बराबर.
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अनावश्यक तत्वों से छुटकारा
पेशाब न सिर्फ हमारे शरीर में जाने वाली पानी को बाहर निकालता है, बल्कि इसके जरिए अनावश्यक तत्व भी शरीर से बाहर चले जाते हैं. हमारी किडनी फिल्टर करके इन तत्वों को ब्लैडर में भेजती है जहां से पेशाब के रास्ते ये बाहर निकल जाते हैं.
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महिला और पुरुष का अंतर
जो नली पेशाब को ब्लैडर से शरीर से बाहर निकालती है, उसे यूरेथ्रा कहते हैं. महिलाओं में यूरेथ्रा की लंबाई 4.8 से 5.1 सेंटीमीटर तक होती है जबकि पुरुषों में ये लगभग 20 सेंटीमीटर होती है.
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बढ़ती उम्र के तकाजा
जैसे जैसे उम्र बढ़ती है तो हमारे अंग और मांसपेशियां कमजोर पड़ने लगती हैं. इसलिए बुजुर्ग लोगों को पेशाब करने में ज्यादा समय लगता है क्योंकि उनकी मांसपेशिया और ब्लैडर कमजोर होने लगते हैं.
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बार बार
कमजोर अंगों की वजह से हो सकता है कि बुजुर्गों के ब्लैडर में पेशाब बाकी रह जाता हो. इसलिए उन्हें बार बार इसके लिए जाना पड़ता है.
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पेशाब में क्या है?
पेशाब में लगभग तीन हजार तत्व होते हैं. 2013 में हुए एक अध्ययन के मुताबिक पेशाब में 95 प्रतिशत पानी और तीन प्रतिशत यूरिया होता है. बाकी शरीर में प्रोटीन की प्रोसेसिंग से निकले अवयव होते हैं.
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बैक्टीरिया से मुक्त नहीं
2014 में हुए एक अध्ययन से पता चलता है कि पेशाब भी बैक्टीरिया से मुक्त नहीं होता.
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पेशाब का रंग
पीला पेशाब शरीर में पानी की कमी को दिखाता है. हालांकि बीमारी से भी पेशाब का रंग पीला हो सकता है. अगर पेशाब का रंग लाल है तो इसका मतलब किडनी ठीक ना होना या फिर कैंसर हो सकता है.
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दर्द हो रहा है?
पेशाब करते समय अगर दर्द हो तो समझ लीजिए आपको डॉक्टर के पास जाना है. इस दर्द का कारण किडनी, ब्लैडर या यूरेथ्रा में इन्फेक्शन हो सकता है.
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रोक कर रखना
पेशाब को रोके रखने से सैद्धांतिक रूप से इन्फेक्शन हो सकता है. लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसा नहीं मानते हैं. लेकिन अगर कोई मजबूरी न हो तो कर लेने में ही भलाई है.