लगातार बढ़ते हिंसक विवाद, अंतरराष्ट्रीय व्यापार में कमी, ऊंची ब्याज दरों और कुदरती आपदाओं के कारण 2024 में आर्थिक विकास 2023 से कम रहने की आशंका जताई गई है.
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अपनी विशेष आर्थिक रिपोर्ट में यूएन ने कहा है कि 2024 में आर्थिक विकास दर 2.4 फीसदी रहने का अनुमान है. हालांकि 2023 में आर्थिक विकास दर करीब 2.7 फीसदी रहने का अनुमान है जो पहले जताए गए अनुमान से ज्यादा रही. लेकिन कोविड महामारी के पहले के 3 फीसदी से यह अब भी कम है.
अक्तूबर में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) और नवंबर में ऑर्गनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक कोऑपरेशन एंड डिवेलपमेंट (ओईसीडी) ने 2024 के लिए जो अनुमान जाहिर किए थे, वे यूएन के अनुमानों से ज्यादा हैं. आईएमएफ ने कहा था कि वैश्विक आर्थिक विकास दर 2023 में 3 प्रतिशत और 2024 में 2.9 प्रतिशत रहेगी.
38 विकसित देशों के संगठन ओईसीडी ने अपनी रिपोर्ट में अनुमान जाहिर किया था कि 2023 में आर्थिक विकास दर 2.9 फीसदी रहेगी और 2024 में यह पहले से कम यानी 2.7 फीसदी रहेगी.
खतरा टला नहीं
संयुक्त राष्ट्र की ‘वर्ल्ड इकनॉमिक सिचुएशन एंड प्रोस्पेक्ट्स 2024' शीर्षक से आई रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि बढ़ती ब्याज दरों और पहले से ही उधार के लिए धन की तंगी के चलते विश्व अर्थव्यवस्था को बड़ी मुश्किलों का सामना करना पड़ सकता है, खासतौर पर पहले से ही भारी कर्ज के बोझ से दबे गरीब देशों में, जहां विकास के लिए निवेश की जरूरत है.
इन पांच देशों में बस रहे हैं सबसे ज्यादा करोड़पति
ब्रिटेन की हेनली एंड पार्टनर्स नामक कंपनी की रिपोर्ट कहती है कि 2023 में एक लाख 20 हजार करोड़पति अपना देश छोड़कर किसी और देश में रहने चले गए. ये पांच अमीरों के सबसे पसंदीदा देश बने.
तस्वीर: Oanh/Image Source/IMAGO
ऑस्ट्रेलिया टॉप पर
पिछले साल सबसे ज्यादा 5,200 करोड़पति अपना देश छोड़कर ऑस्ट्रेलिया में बस गए. ऑस्ट्रेलिया लगातार अमीरों की पसंद रहा है. पिछले दो दशक में वहां बड़ी संख्या में अमीर बसे हैं और यह संख्या और बढ़ने का अनुमान है.
तस्वीर: Oanh/Image Source/IMAGO
यूएई
संयुक्त अरब अमीरात अमीरों की दूसरी सबसे बड़ी पसंद है. 2023 में वहां 4,500 करोड़पतियों ने अपना घर बसाया है, जो अब तक की सबसे बड़ी संख्या है. रिपोर्ट का अनुमान है कि इनमें सबसे ज्यादा भारतीय थे.
तस्वीर: RYAN LIM/AFP via Getty Images
अमेरिका
अमेरिका को लेकर अमीरों में आकर्षण अभी भी बरकरार है. वहां पिछले साल 2,100 करोड़पति बसे हैं. इनमें से ज्यादातर एशिया से थे.
तस्वीर: Bruno Coelho/Zoonar/picture alliance
सिंगापुर
सिंगापुर कई सालों से अमीरों की पसंद रहा है. 2023 में वहां 3,200 करोड़पतियों के बसने का अनुमान है. हेनली एंड पार्टर्नस के मुताबिक एक मिलियन अमेरिकी डॉलर यानी लगभग नौ करोड़ रुपये की संपत्ति वाले लोगों को करोड़पति कहा जाता है.
तस्वीर: Dasril Roszandi/NurPhoto/picture alliance
स्विट्जरलैंड
यूरोप में अमीरों की सबसे बड़ी पसंद स्विट्जरलैंड रहा है. 2023 में वहां 1,800 करोड़पतियों के बसने का अनुमान है.
तस्वीर: imago images/CHROMORANGE
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यूएन की आर्थिक विश्लेषण एवं नीति शाखा के निदेशक शांतनु मुखर्जी ने कहा कि 2023 में आर्थिक मंदी इसलिए टल पाई क्योंकि अमेरिका बिना अर्थव्यवस्था को धीमा किए महंगाई काबू करने में कामयाब रहा. लेकिन रिपोर्ट जारी करते वक्त पत्रकारों से बातचीत में मुखर्जी ने कहा, "अभी खतरा टला नहीं है.”
मुखर्जी ने कहा कि वैश्विक अस्थिरता महंगाई को और हवा दे सकती है. उदाहरण के लिए अगर सप्लाई चेन को एक और झटका लगा या ईंधन की उपलब्धता में समस्या के कारण फिर से ब्याज दरें बढ़ने का दौर आ सकता है.
मुखर्जी ने कहा, "हमें मंदी की तो आशंका नहीं है लेकिन माहौल में अस्थिरता है जो खतरे की एक बड़ी वजह है. लंबे समय तक ब्याज दरों का उच्च स्तर पर बने रहना और खतरों का डर रहना संतुलन को बहुत मुश्किल बना देता है. इसलिए हम कह रहे हैं कि खतरा अभी टला नहीं है.”
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अमेरिका की तारीफ
रिपोर्ट के मुताबिक 2022 में जो मुद्रास्फीति 8.1 फीसदी पर चली गई थी वह 2023 में घटकर 5.7 फीसदी रह गई. 2023 में इसके और घटकर 3.9 फीसदी पर आ जाने की उम्मीद है. लेकिन लगभग एक चौथाई विकासशील देशों में सालाना महंगाई दर 10 फीसदी से ज्यादा रहने की संभावना है.
रिपोर्ट में अमेरिका के प्रदर्शन की तारीफ की गई है. रिपोर्ट कहती है कि 2023 में अमेरिकी अर्थव्यवस्था ने बेहतरीन प्रदर्शन किया और विकास दर अनुमानित रूप से 2.5 फीसदी रही, लेकिन 2024 में इसके घटकर 1.4 प्रतिशत पर आ जाने की आशंका है.
प्रति व्यक्ति आय में आगे हैं भारत के ये राज्य
भारत के अलग अलग राज्यों में प्रति व्यक्ति आय के ताजा आंकड़े सामने आए हैं. ज्यादा और कम आय दोनों ही दर्ज करने वाले राज्यों में कई नाम चौंकाने वाले हैं.
तस्वीर: Niharika Kulkarni/REUTERS
विकास के स्तर में अंतर
अलग अलग राज्यों की प्रति व्यक्ति आय में बहुत अंतर है, जो अलग अलग राज्यों के आर्थिक विकास के स्तर में अंतर को साफ दिखाता है. किसी राज्य की सालाना प्रति व्यक्ति आय 2.5 लाख रुपयों से भी ज्यादा है तो किसी की 32,000 से भी कम.
तस्वीर: Arun Sankar/AFP
सबसे पीछे कौन सा राज्य
स्थिर कीमतों के हिसाब से देखने पर सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में बिहार को सबसे पीछे पाया गया है. वहां 2022-23 में सालाना प्रति व्यक्ति आय 31,280 रुपये पाई गई. सभी आंकड़े स्थिर कीमतों पर दर्ज किए गए हैं और 2011-12 को आधार वर्ष रखा गया है.
तस्वीर: Manish Kumar/DW
त्रिपुरा भी पीछे
50,000 रुपयों से कम प्रति व्यक्ति आय वाले राज्यों में बिहार के अलावा त्रिपुरा भी है. 2022-23 में त्रिपुरा में प्रति व्यक्ति आय 47,066 रुपये पाई गई.
तस्वीर: Subrata Goswami/DW
मध्यम आय वाले राज्य
जम्मू और कश्मीर की प्रति व्यक्ति आय करीब 60,000 रुपये, असम की 69,826, केरल और मणिपुर की करीब 65,000 रुपये पाई गई.
तस्वीर: Tauseef Mustafa/AFP
एक लाख से कम
सालाना 80,000 से एक लाख रुपयों की आय की श्रेणी में उत्तराखंड (75,561), दिल्ली (77,891), छत्तीसगढ़ (83,511), पंजाब (86,134), नागालैंड (87,361) और तेलंगाना (91,853) पाए गए.
तस्वीर: Arun Sankar/AFP
एक लाख से ज्यादा
आंध्र प्रदेश (1,23,526), ओडिशा (1,23,614), हिमाचल प्रदेश (1,52,376), उत्तर प्रदेश (1,58,245), सिक्किम (1,66,727), तमिलनाडु (1,69,006), झारखंड (1,76,383) और हरियाणा (1,81,961) उच्च आय वाले प्रदेशों में हैं.
तस्वीर: Umer Ahmed
सबसे आगे
सिर्फ दो प्रदेशों की सालाना प्रति व्यक्ति आय दो लाख रुपयों से भी ज्यादा है. ये दो राज्य हैं चंडीगढ़ (2,71,019) और राजस्थान (2,59,938).
तस्वीर: picture alliance / Photononstop
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यूएन ने कहा, "लोगों की बचत घट रही है, ब्याज दरें ऊंची हैं और श्रम बाजार लगातार नरम पड़ रहा है, इस कारण 2024 में उपभोक्ताओं द्वारा खर्च कम होने और निवेश धीमा रहने का अनुमान है. हालांकि
बहुत जोर का झटका लगने की संभावना नहीं है लेकिन अमेरिका में रोजगार, प्रॉपर्टी और वित्तीय बाजारों में गिरावट के खतरे हैं.”
अन्य देशों का हाल
यूएन ने यूरोपीय संघ में आर्थिक विकास दर बेहतर रहने के अनुमान जाहिर किए हैं. 2023 की 0.5 फीसदी से बढ़कर 2024 में यह 1.2 फीसदी तक जा सकती है.
रिपोर्ट के मुताबिक इसकी मुख्य वजह महंगाई घटने व नौकरियां और वेतन में वृद्धि के कारण लोगों के खर्च में बढ़ोतरी है. उधर दुनिया की चौथी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था जापान की विकास दर 2023 की 1.7 फीसदी से भी घटकर 1.2 फीसदी पर आ सकती है.
सर्वे: करीब आधे भारतीय नौकरी में सुरक्षित महसूस नहीं करते
नौकरी की असुरक्षा को लेकर दुनियाभर में कर्मचारियों के बीच चिंता है. भारत भी इस मामले में अलग नहीं है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
असुरक्षा वाली स्थिति
सर्वे में शामिल 47 फीसदी कर्मचारियों ने कहा कि वे अपनी स्थितियों में सुरक्षित महसूस नहीं करते.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
जॉब में सुरक्षित नहीं
जेनरेशन जेड (18 से 24 वर्षीय) के 50 प्रतिशत कर्मचारियों ने वैश्विक स्तर पर कहा कि वे अपनी नौकरी में सुरक्षित महसूस नहीं करते.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
नौकरी बचाने के लिए क्या करेंगे
सर्वेक्षण में शामिल देशों के 60 प्रतिशत उत्तरदाताओं ने अपनी नौकरियों की सुरक्षा बढ़ाने के लिए बिना पैसे लिए कुछ घंटे अतिरिक्त काम करने पर विचार करने की इच्छा जाहिर की.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
उद्योग बदलने पर विचार
वैश्विक स्तर पर जेनरेशन जेड के 20 प्रतिशत कर्मचारियों ने पिछले 12 महीनों में उद्योग बदलने पर विचार किया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
खुद का बिजनेस
वैश्विक स्तर पर जेनरेशन जेड के 25 प्रतिशत कर्मचारियों ने खुद का कारोबार करने पर विचार किया. इस सर्वे को एडीपी रिसर्च इंस्टीट्यूट्स पीपल एट वर्क ने कराया है.
तस्वीर: Punit Paranjpe/AFP/Getty Images
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दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था चीन के बारे में यूएन का अनुमान है कि विकास दर 2023 के मुकाबले धीमी रह सकती है. रिपोर्ट में कहा गया कि घरेलू और अंतरराष्ट्रीय चुनौतियों के बावजूद चीन में कोविड लॉकडाउन से वापसी अनुमान से ज्यादा संतुलितरही है.
2022 में चीन की विकास दर महज 3 फीसदी रही थी लेकिन 2023 की दूसरी छमाही से हालात बदल गए हैं और विकास दर 5.3 फीसदी पर पहुंच गई. लेकिन कमजोर प्रॉपर्टी बाजार और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चीनी उत्पादों की मांग में कमी के कारण 2024 में यह 4.7 फीसदी पर आ सकती है.
चीन के पड़ोसी भारत के बारे में अनुमान ज्यादा निराशाजनक नहीं हैं. 2023 में भारत की विकास दर 6.3 फीसदी रही जो 2024 में मामूली कमी के साथ 6.2 फीसदी रहने का अनुमान है.