संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक उत्तरी इथियोपिया में टिग्रे अलगाववादियों और उनके खिलाफ सैन्य अभियान ने गंभीर संकट पैदा कर दिया है.
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संयुक्त राष्ट्र ने चेतावनी दी है कि इथियोपिया में टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के संघर्ष ने देश के उत्तरी हिस्से में नागरिकों के जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक उत्तरी इथियोपिया में खाद्य की कमी से इस क्षेत्र में भोजन की गंभीर कमी होने की संभावना है.
यह भी उल्लेख किया गया कि उत्तरी इथियोपिया में 94 लाख लोगों को खाद्य सहायता की सख्त जरूरत है. वहीं, तीसरे संघर्ष की तीव्रता में कोई कमी नहीं आई है.
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टिग्रे में मानव त्रासदी की गंभीरता
इथियोपिया के टिग्रे क्षेत्र में मानवीय संकट हर गुजरते दिन के साथ गहराता जा रहा है. क्षेत्र के 25 लाख लोगों को सहायता की जरूरत है. उनके अलावा अफार में 5,34,000 और अमहारा में 33 लाख लोग मदद का इंतजार कर रहे हैं. अफार और अमहारा क्षेत्र टिग्रे के पास स्थित हैं और सशस्त्र संघर्ष ने उनके दैनिक जीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है. उत्तरी इथियोपियाई शहर कोम्बोल्चा में बंदूकधारियों द्वारा भोजन और आवश्यक वस्तुओं के एक बड़े गोदाम को लूटने के बाद संयुक्त राष्ट्र ने पिछले दिनों राहत भोजन के वितरण को निलंबित कर दिया था.
संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश के प्रवक्ता स्टीफन डुजारिक के अनुसार कुछ स्थानीय लोग तीन अन्य अलगाववादियों के साथ कोम्बोल्चा के गोदाम को लूटने में शामिल थे. डुजारिक के मुताबिक, "लुटेरों ने गोदाम से बच्चों के खाने-पीने का सामान और दवाइयां भी चुरा लीं."
इथियोपिया: टिग्रे संकट का एक साल
टिग्रे में सरकारी फौजों और टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट के बीच युद्ध को एक साल हो चुका है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है टिग्रे प्रांत में लगभग साढ़े तीन लाख लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है.
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जलता शहर
20 अक्टूबर को सरकारी बलों द्वारा किए गए हवाई हमले के बाद टिग्रे की राजधानी मेकेले के निवासी मलबे से बाहर निकलते हुए. सेना ने कहा कि वह टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट द्वारा संचालित एक हथियार निर्माण सुविधा को लक्षित कर रही थी, जिसे विद्रोही टिग्रे बलों ने इनकार किया है.
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युद्ध की धुंध
सैन्य हवाई हमले के बाद धुआं मेकेले की सड़कों से ऊपर उठता नजर आ रहा है. टिग्रे अलगाववादियों ने सरकार पर नागरिकों की हत्या का आरोप लगाया है, जबकि अदीस अबाबा का कहना है कि वह हथियारों के डिपो को निशाना बना रहा है. स्थानीय लोगों ने पुष्टि की है कि मेकेले में कम से कम एक प्रमुख औद्योगिक परिसर नष्ट हो गया है.
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बंधक बनाए गए सैनिक
टिग्रेयाई बलों द्वारा पकड़े गए इथियोपियाई सरकार के सैनिक पंक्तियों में बैठे हुए. उन्हें यहां से एक डिटेंशन केंद्र में ले जाया गया.
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मिलती मदद
एक इथियोपियाई रेड क्रॉस सोसाइटी (ईआरसीएस) वाहन सरकारी हवाई हमलों के बाद मेकेले से गुजरता हुआ. ईआरसीएस टिग्रे क्षेत्र में चिकित्सा उपचार प्रदान करने, बुनियादी आश्रय और स्वच्छता वस्तुओं को वितरित करने के लिए काम कर रहा है.
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महत्वपूर्ण सहायता एक दुर्लभ दृश्य
सहायता संगठन समैरिटन पर्स से संबंधित एक मालवाहक विमान मार्च में वापस मेकेले हवाई अड्डे पर आपूर्ति करता हुआ. टिग्रे में मानवीय सहायता का प्रवाह तब से गंभीर रूप से बाधित हो गया है जब से प्रमुख मार्गों पर बाधाओं के कारण काफिले को गुजरने से रोक दिया गया है.
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युद्ध के शिकार
तोगोगा हवाई हमले के पीड़ित का अस्पताल में इलाज चल रहा है. 22 जून को इथियोपियाई वायु सेना ने व्यस्त बाजार के दिन टोगोगा के टिग्रेयन शहर पर हवाई हमला किया, जिसमें 64 नागरिक मारे गए और 184 घायल हो गए. घटनास्थल तक पहुंचने का प्रयास करने वाली एंबुलेंस को शुरू में सैनिकों द्वारा अवरुद्ध कर दिया गया था.
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एक हताश अपील
मेकेले में संयुक्त राष्ट्र कार्यालय के बाहर स्वास्थ्य कर्मचारी भोजन और दवा की भारी कमी के कारण मरीजों की मौत की निंदा करते हुए विरोध प्रदर्शन किया. राजधानी में महत्वपूर्ण आपूर्ति का स्टॉक तेजी से घट रहा है, जिससे बच्चों में कुपोषण की दर तेजी से बढ़ रही है. संयुक्त राष्ट्र ने हाल ही में घोषणा की थी कि वह अपने आधे कर्मचारियों को देश से वापस बुलाएगा.
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अंतरराष्ट्रीय विरोध
दुनिया के दूसरी ओर 19 अक्टूबर को लंदन के व्हाइटहॉल में सैकड़ों लोगों ने हिंसा के विरोध में नारेबाजी की. उन्होंने टिग्रे में हिंसा और सहायता नाकाबंदी को समाप्त करने का आह्वान किया.
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मानवीय सहायता की कोशिश
घाना की राजधानी अक्रा में विदेश नीति और सुरक्षा विश्लेषक आदिब सानी का कहना है कि मानवीय संकट से निपटने के लिए संयुक्त राष्ट्र के प्रयास अराजकता की स्थिति में सफल नहीं हो रहे हैं क्योंकि युद्धरत पक्ष सबसे बड़ी बाधा हैं. सानी के मुताबिक, "उनके सशस्त्र कार्यों के कारण मानवीय संकट गहरा रहा है और वे स्थिति के लिए एक दूसरे को दोषी ठहराते हैं."
विश्लेषक आदिब सानी ने स्पष्ट किया कि सशस्त्र स्थिति कम नहीं हुई है और आम आदमी के लिए स्थिति कठिन होती जा रही है. उनके अनुसार स्थिति राहत कार्यों को जारी रखने के लिए अनुकूल नहीं थी और राहत सामग्री गंभीर रूप से प्रभावित लोगों तक नहीं पहुंच रही थी.
उत्तरी इथियोपिया में पिछले एक साल से सरकारी बलों और टिग्रे अलगाववादियों के बीच झड़पें होती रही हैं. हिंसा में अब तक हजारों मर चुके हैं. दो लाख से ज्यादा लोग बेघर हो चुके हैं. संयुक्त राष्ट्र पर्यवेक्षकों ने पार्टियों पर गंभीर मानवाधिकारों के हनन का भी आरोप लगाया है.
अंतरराष्ट्रीय समुदाय भी इस संकट के समाधान के लिए काम कर रहा है. अमेरिकी विदेश विभाग के एक प्रवक्ता का कहना है कि इथियोपिया में मानवीय संकट "विनाशकारी" बन गया है और यह अमेरिका के लिए प्राथमिकता है. अमेरिका ने भी युद्धरत पक्षों से बातचीत के माध्यम से अपने मतभेदों को हल करने का आग्रह किया है.
एए/सीके (एएफपी, एपी)
महामारी में भी जमकर बिक रहे हथियार
इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 महामारी वैश्विक हथियारों की बिक्री को धीमा नहीं कर पाई है.
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महामारी के बीच जारी है हथियारों की दौड़
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सौ सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने 531 अरब डॉलर मूल्य के हथियार बेचे हैं. महामारी के बावजूद दुनिया में हथियारों की बिक्री में वृद्धि जारी है.
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हथियारों पर भारी खर्च
साल 2020 में दुनिया भर के देशों में कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण माल की मांग में कमी आई और बाजार मंदा रहा है लेकिन एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें व्यवसाय फलता-फूलता रहता है. यह हथियार निर्माण और बिक्री का क्षेत्र है. 2019 के मुकाबले हथियार का बाजार 1.3 प्रतिशत विस्तार किया.
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फलता-फूलता बाजार
सिपरी की शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा मार्कस्टाइनर ने डीडब्ल्यू को बताया कि 2020 कोरोना महामारी का पहला पूर्ण वर्ष था और सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.1 प्रतिशत की कमी आई लेकिन महामारी के दौरान हथियारों और गोला-बारूद का व्यापार भी फला-फूला.
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बड़ा कारोबार
पिछले साल 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने कुल 531 अरब डॉलर के हथियार या फिर उससे जुड़ी सेवाएं बेची. यह मूल्य बेल्जियम के आर्थिक उत्पादन से भी अधिक है.
अमेरिका ने हथियारों के उत्पादन और हथियारों की बिक्री दोनों में दुनिया का नेतृत्व करना जारी रखा है. वैश्विक स्तर पर शीर्ष 100 हथियार कंपनियों में से 41 अमेरिकी हैं. उनकी हथियारों की बिक्री 2020 में 285 अरब डॉलर थी, जिसमें साल दर साल 1.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
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हथियार कंपनियों का प्रभाव
बॉन इंटरनेशनल सेंटर फॉर कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज के एक राजनीतिक जानकार मारकुस बेयर का कहना है कि हथियार कंपनियां कुछ मामलों में अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करने से नहीं कतराती हैं. उन्होंने एक अमेरिकी गैर-सरकारी संगठन ओपन सीक्रेट की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि हथियार कंपनियां अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए अरबों डॉलर खर्च करती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/I. Langsdon
भारत भी पीछे नहीं
फ्रैंकफर्ट में थिंक टैंक पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की हथियार नियंत्रण विशेषज्ञ सिमोन वेसोत्स्की ने भारत का हवाला देते हुए कहा कि हथियारों की दौड़ में वैश्विक दक्षिण कंपनियों का महत्व बढ़ गया है. वेसोत्स्की के मुताबिक 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों में भारत की तीन कंपनियां शामिल हैं. उनकी बिक्री कुल बिक्री का 1.2 प्रतिशत है, जो दक्षिण कोरियाई कंपनियों के बराबर है.