जलवायु मसौदे में संयुक्त राष्ट्र ने मानी भारत की अपील
१७ नवम्बर २०२२
संयुक्त राष्ट्र ने सीओपी27 शिखर सम्मेलन के आधार पर तैयार की गई संधि का पहला मसौदा सार्वजनिक किया है. सभी जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से बंद ना करने की भारत और यूरोपीय संघ की अपील को मान लिया गया है.
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संयुक्त राष्ट्र की जलवायु संस्था ने इस मसौदे को फिल्हाल "नॉन-पेपर" का नाम दिया है, जो इस बात का संकेत है कि यह अंतिम संस्करण नहीं है. इसमें पिछले साल की ग्लासगो जलवायु संधि के लक्ष्य को दोहराया गया है.
यह लक्ष्य "अनियंत्रित कोयला आधारित बिजली के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने के कदमों को तेज करने और जीवाश्म ईंधनों से जुड़ी बेअसर सब्सिडियों को कम करने और धीरे धीरे खत्म करने" के विषय में है.
भारत का अनुरोध
इस दस्तावेज में सभी जीवाश्म ईंधनों के इस्तेमाल को चरणबद्ध तरीके से खत्म करने की मांग नहीं की गई है. भारत और यूरोपीय संघ ने ऐसा ना करने का अनुरोध किया था, जिसे मंजूर कर लिया गया है. मसौदे में घाटे और नुकसान के लिए एक कोष की स्थापना करने के बारे में विस्तार से जानकारी नहीं है.
पृथ्वी को बचाएगी डेढ़ डिग्री सेल्सियस की सीमा?
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यह द्वीप देशों जैसे अधिकांश जलवायु परिवर्तन के प्रति ज्यादा संवेदनशील देशों की एक प्रमुख मांग थी. मसौदे में बस इस बात का "स्वागत" किया गया है कि पहली बार सभी पक्षों ने माना कि शिखर सम्मलेन के एजेंडा पर "घाटे और नुकसान के प्रति फंडिंग से संबंधित मामलों" को शामिल किया जाए.
इसमें यह तय करने की किसी समय-सीमा का जिक्र नहीं है कि अलग से एक कोष बनाया जाना चाहिए या नहीं या उसका प्रारूप कैसा हो. ऐसा करने से वार्ताकारों को इस विवादास्पद विषय पर काम करते रहने के लिए और समय मिल गया.
मसौदे में पेरिस समझौते के तापमान लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर स्तर पर हर कोशिश की अहमियत पर जोर दिया गया है. यह लक्ष्य है वैश्विक औसत तापमान को पूर्व-औद्योगिक स्तरों से दो डिग्री सेल्सियस तक नीचे रखना और पूर्व-औद्योगिक स्तरों से 1.5 डिग्री सेल्सियस तकसीमित करने की कोशिश करना.
मसौदा इन विषयों को अंतिम संधि में शामिल करने के करीब 200 देशों के प्रतिनिधियों के अनुरोधों पर आधारित है. यह आने वाले दिनों में उस बातचीत का आधार बनेगा जिससे अंतिम संधि को मुकम्मल रूप दिया जाएगा.
सीके/एए (रॉयटर्स)
2022 की भीषण मौसमी आपदाएं
क्या अमीर, क्या गरीब बदलती जलवायु हर मुल्क पर भारी पड़ रही है. इस साल अब तक आई मौसमी आपदाएं बता रही हैं कि भविष्य कितना भयावह हो सकता है.
तस्वीर: Jagadeesh Nv/dpa/picture alliance
भीषण गर्मी
भारत और पाकिस्तान में अप्रैल, मई और जून को गर्मी का सीजन माना जाता है. लेकिन दक्षिण एशिया के ये देश इस बार फरवरी अंत से ही तपने लगे. मार्च और अप्रैल में इतनी गर्मी पड़ी कि 120 साल का रिकॉर्ड टूट गया. मई में कई दिनों तक भारत के मैदानी हिस्सों में तापमान लगातार 40 से 50 डिग्री सेल्सियस के बीच बना रहा.
तस्वीर: Jagadeesh Nv/dpa/picture alliance
गर्मी से झुलसी फसलें
भीषण गर्मी के कारण भारत के कई इलाकों में गेहूं की फसल तैयार होने से पहले ही मुरझा गई. लंबी गर्मी के बाद कई इलाकों में मानसून भी देर से और कमजोर रूप में आया. विशेषज्ञों का अनुमान है कि इन मौसमी बदलावों के कारण भारत के अनाज उत्पादन में 10 से 35 फीसदी की गिरावट रहेगी.
गर्मी झेलने के बाद पाकिस्तान के बड़े इलाके में रिकॉर्डतोड़ बारिश हुई. देश के कुछ हिस्सों में 66 फीसदी ज्यादा पानी बरसा और उसने सिंध प्रांत को बुरी तरह डुबो दिया. इसके बाद पहाड़ी इलाकों में बादल फटने और ग्लेशियरों के तेजी से पिघलने के कारण बाढ़ आई, जिसने पहले ऊपरी इलाकों में तबाही मचाई और फिर नीचे सिंध में भी.
तस्वीर: Abdul Majeed/AFP/Getty Images
अभूतपूर्व नुकसान
पाकिस्तान में बाढ़ से करीब 10 लाख घरों को नुकसान पहुंचा है. 162 पुल बर्बाद हो चुके हैं. पाकिस्तान की नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथॉरिटी के मुताबिक करीब 3600 किलोमीटर सड़क बह चुकी है. अनुमान है कि बाढ़ के कारण करीब 8 लाख मवेशी मारे जा चुके हैं. विशेषज्ञों का कहना है कि निचले और सपाट इलाकों से बाढ़ का पानी इस साल के अंत तक ही उतर सकेगा.
तस्वीर: Abdul Majeed/AFP
धधका यूरोप
यूरोपीय संघ की ज्वाइंट रिसर्च टीम के मुताबिक, इस साल यूरोप में 6 लाख हेक्टेयर से ज्यादा जंगल जले. यह आंकड़ा लक्जमबर्ग के कुल क्षेत्रफल का दोगुना है. बारिश नहीं होने से जंगल सूखे थे. पुर्तगाल, स्पेन और फ्रांस में जंगल की आग बुझाने में जुटे कम से कम 40 लोगों की मौत हो गई.
तस्वीर: Philippe Lopez/AFP
भयानक सूखा
जब पाकिस्तान पानी से परेशान था, उसी वक्त चीन, इराक, उत्तर पूर्वी अफ्रीका, यूरोप और अमेरिका का बड़ा हिस्सा भयानक सूखे का सामना कर रहे थे. इराक, यूरोप और अमेरिका में कई बड़ी नदियां सूख सी गईं. राइन, पो, लोर, डेन्यूब और कोलोराडो जैसी बड़ी नदियां भी सिकुड़ गईं.
तस्वीर: Stephane Mahe/REUTERS
सूखे इलाके में बाढ़
दशकों से सूखा झेल रहे अमेरिकी राज्य टेक्सस में अगस्त का महीना अचानक भारी बारिश लेकर आया. बारिश इतनी हुई कि बाढ़ की नौबत आ गई. सबसे बुरी हालत मैसाचुसेट्स प्रांत की हुई, जहां कई लोग मारे गए.
तस्वीर: Dallas Police Department/AFP
ताकतवर तूफान
सितंबर 2022 में जापान ने एक के बाद एक, कुल 14 चक्रवाती तूफान झेले. महासागर से उठे चक्रवाती तूफान ने अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा में भी भारी तबाही मचाई. वैज्ञानिकों का दावा है कि जलवायु परिवर्तन चक्रवाती तूफानों को और ज्यादा ताकतवर बना रहा है.
तस्वीर: Tosei Kisanuki/AP Photo/picture alliance
सिडनी में रिकॉर्ड बारिश
6 अक्टूबर 2022 को ऑस्ट्रेलिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले महानगर सिडनी में बारिश ने 70 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया. इस साल के पहले 10 महीनों में ही शहर में 2,216 मिलीमीटर से ज्यादा पानी बरस चुका है. इससे पहले 1950 में पूरे साल सिडनी में 2,194 एमएम बारिश हुई थी.