कोरोना वायरस महामारी के समय में साइबर अपराधी अस्पतालों और स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों पर हमला कर जरूरी जानकारी चुरा रहे हैं और कोविड-19 के खिलाफ उनके काम में बाधा पैदा कर रहे हैं.
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संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय के प्रमुख ने कहा है कि इस साल की पहली तिमाही में साइबर अपराध के मामलों में तेज उछाल आया है और साइबर अपराधियों द्वारा फर्जी ईमेल भेजकर निजी जानकारी चुराने या फिशिंग में 350 फीसदी की बढ़ोतरी दर्ज की गई है. कई मामलों में साइबर अपराधी अस्पतालों, स्वास्थ्य देखभाल प्रणालियों को निशाना बनाकर उनके कोविड-19 के खिलाफ काम में बाधा पैदा कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद निरोधक कार्यालय के प्रमुख व्लादीमीर वोरोनकोव ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद को बताया कि, ''फिशिंग साइट्स द्वारा हमले में तेजी हाल के महीनों में साइबर अपराध में एक महत्वपूर्ण बढ़ोतरी का हिस्सा था.'' वैश्विक महामारी कोविड-19 से बने हालात का फायदा उठाने की कोशिश में साइबर अपराधी भरपूर तरीके से जुटे हुए हैं. वोरोनकोव ने कहा यूएन और वैश्विक विशेषज्ञ यह पूरी तरह से नहीं समझ पाए हैं कि कोरोना वायरस वैश्विक शांति, सुरक्षा को कितना प्रभावित करता है. खासकर संगठित अपराध और आतंकवाद पर.
वोरोनकोव के मुताबिक, ''कोविड-19 के कारण हुई परेशानियों और विकट आर्थिक हालात का आतंकी फायदा उठा रहे हैं, और भय, नफरत और बंटवारे फैलाने के साथ-साथ नए लोगों की भर्ती करने के साथ कट्टरता फैलाने की कोशिश में लगे हैं.'' उन्होंने कहा, ''महामारी के समय में इंटरनेट का इस्तेमाल और साइबर अपराध में वृद्धि समस्या को और बढ़ा देती है.''
गुरूवार को सुरक्षा परिषद में आतंकवाद और संगठित अपराध के विषय पर चर्चा हुई और विशेषज्ञों ने चिंता जाहिर की कि कोविड-19 महामारी में साइबर अपराध बढ़े हैं और आतंकवादी संगठन खराब आर्थिक हालात का फायदा उठाकर भर्तियां कर रहे हैं. वोरोनकोव ने इस मौके पर कहा, "हमारा विचार-विमर्श दर्शाता है कि सदस्य देशों में यह समझ और चिंता है कि आतंकवादी तत्व नशीली दवाओं, सामान, प्राकृतिक संसाधनों की अवैध तस्करी, अपहरण, फिरौती समेत अन्य जघन्य अपराध को अंजाम दे रहे हैं.''
साथ ही उन्होंने कहा कि यूएन सदस्य देश कोविड-19 के स्वास्थ्य आपातकाल और मानवीय संकट पर सही तरीके से ध्यान दे रहे हैं लेकिन उन्हें आतंकवाद के खतरे को नहीं भूलना चाहिए. इससे पहले संयुक्त राष्ट्र महासचिव अंटोनियो गुटेरेश देशों को महामारी के दौरान आतंकी गुटों द्वारा फायदा उठाने को लेकर चेतावनी भी दे चुके हैं.
एए/सीके (एएफपी)
हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
तकनीक तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रही है धोखाधड़ी करने की तकनीक भी. आजकल साइबर ठगों के निशाने पर बैंक खाते भी आ गए हैं और अनजान लिंक पर क्लिक करने भर से आपके पैसे गायब हो सकते हैं. यहां जानिए कैसे रह सकते हैं सतर्क.
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व्हाट्सऐप कॉल से फर्जीवाड़ा
अगर आपको व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉयस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉयस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.
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यूपीआई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
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एटीएम क्लोनिंग
पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.
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कार्ड के डाटा की चोरी
एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं, इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी कीबोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.
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क्यूआर कोड स्कैम
क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
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ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.
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बैंक खातों की जांच
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खातों की नियमित जांच करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.
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नौकरी का झांसा
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.
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सतर्कता जरूरी
ऑनलाइन लेनदेन करते समय मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर किसी ऐसे लिंक को क्लिक ना करे जिसके बारे में आप सुनिश्चित ना हो. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय भी सुनिश्चित कर लें कि वेबसाइट वेरिफाइड हो.
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बैंकों की जिम्मेदारी
साइबर अपराध को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनके तहत बैंकों को साइबर सुरक्षा के पैमाने को और सुधारना, ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर अपराध रोकने के लिए बैंक ग्राहकों को जागरुक करना शामिल हैं.