अफगानिस्तान में निशाने पर पत्रकार और अधिकार कार्यकर्ता
१५ फ़रवरी २०२१
अफगानिस्तान में स्थित संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन के मुताबिक पिछले तीन साल में कम से कम 65 मीडियाकर्मियों और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं की टारगेट किलिंग में मौत हुई है. कई पत्रकार अब इस पेशे से हट रहे हैं.
विज्ञापन
यूएनएएमए ने 1 जनवरी 2018 से लेकर 21 जनवरी 2021 की अवधि के बीच जानकारी इकट्ठा की है. उसके मुताबिक इस अवधि में मानवाधिकार के 32 रक्षकों और 33 मीडियाकर्मियों की टारगेट किलिंग में मौत हुई. रिपोर्ट में यह भी पाया गया कि अंतर-अफगान वार्ता जिसकी शुरुआत पिछले 12 सितंबर को हुई थी, के शुरू होने से लेकर जनवरी 2021 तक 11 मीडियाकर्मियों और अधिकार कार्यकर्ताओं की हत्या हुई. अंतर-अफगान वार्ता का मकसद युद्ध समाप्ति करने का राजनीतिक समाधान ढूंढना है. इन हत्याओं के कारण मीडिया से जुड़े कई लोगों ने पेशा छोड़ दिया, खुद को सेंसर किया या फिर खुद की और परिवार की सुरक्षा की खातिर देश ही छोड़ दिया.
अफगानिस्तान में यूएन महासचिव की विशेष प्रतिनिधि डेबराह लियोन्स के मुताबिक, "ऐसे समय में जब बातचीत और वार्ता के जरिए संघर्ष समाप्ति का अंत होना चाहिए और राजनीतिक समझौतों पर ध्यान केंद्रित होना चाहिए. मानवाधिकार और मीडिया की आवाज पहले से कहीं अधिक सुनी जानी चाहिए, इसके बजाय उन्हें चुप कराया जा रहा है."
इस रिपोर्ट में विशेष तौर पर तालिबान को जिम्मेदार नहीं ठहराया जा रहा है. अफगानिस्तान की सरकार हमेशा से नागरिक समाज की आवाज दबाने के लिए तालिबान पर आरोप लगाती रही है. रिपोर्ट में अफगान सरकार से नागरिक कार्यकर्ताओं की सुरक्षा के लिए एक प्रभावी राष्ट्रीय सुरक्षा तंत्र की शुरूआत करने को कहा गया है.
अफगानिस्तान में जारी रहेगा नाटो का मिशन
समाचार एजेंसी डीपीए को सूत्रों के हवाले से जानकारी मिली है कि नाटो फिलहाल अपना मिशन अफगानिस्तान में जारी रखेगा. जर्मनी और अन्य सहयोगी इस बात पर सहमत हुए हैं कि अफगानिस्तान में तैनात 10 हजार सैनिकों की वापसी पर वे फैसला नहीं करेंगे. इस हफ्ते बुधवार और गुरुवार को रक्षा मंत्रियों की इसी मुद्दे पर बैठक होने वाली है. मंत्रियों की बैठक में तालिबान से हिंसा कम करने और सरकार के साथ धीमी शांति वार्ता को गति देने के लिए आग्रह किया जाएगा. गठबंधन सूत्रों ने कहा कि अफगानिस्तान में तालिबान के हमले शांति प्रक्रिया को कमजोर कर रहे हैं और देश में हिंसा खत्म होनी चाहिए.
राजनयिक चिंता जता रहे हैं कि तालिबान द्वारा हिंसा खास तौर से सफल शांति वार्ता के लिए जरूरी विश्वास को कम कर रही है. कई महीनों की देरी के बाद पिछले साल सितंबर में दोहा में शांति वार्ता की शुरूआत हुई थी. अमेरिका भी देश से धीरे-धीरे अपने सैनिकों की संख्या कम कर रहा है और मई तक पूरी तरह से देश से सैनिकों को वापस बुला लेगा.
इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने अपने वार्षिक वर्ल्ड टेररिज्म इंडेक्स में अफगानिस्तान को धरती पर सबसे अधिक आतंक से प्रभावित देश बताया है. इस सूची में एशिया और अफ्रीका के भी कई देश शामिल हैं.
तस्वीर: Mohammad Jan Aria/Xinhua/Imago Images
अफगानिस्तान
ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने अपने वैश्विक आतंकवाद सूचकांक (2020) में अफगानिस्तान को पहले पायदान पर रखा है. धरती पर सबसे अधिक आतंक प्रभावित देश अफगानिस्तान को 9.59 अंक दिए गए हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AA/H. Sabawoon
इराक
इराक भी आतंक से प्रभावित देशों में दूसरे स्थान पर है. इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने इराक को 10 में से 8.68 अंक दिए हैं.
तस्वीर: Reuters/G. Tomasevic
नाइजीरिया
तीसरे स्थान पर पश्चिमी अफ्रीकी देश नाइजीरिया है. यहां पिछले कुछ महीनों में जिहादी गुटों और सुरक्षा बलों के बीच संघर्ष तेज हुआ है. आतंक से प्रभावित नाइजीरिया को 10 में से 8.31 अंक मिले हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa
सीरिया
7.77 अंक के साथ सीरिया चौथे स्थान पर हैं. सीरिया में बशर अल असद के खिलाफ कई ऐसे गुटे भी लड़ रहे हैं जिनके रिश्ते इस्लामिक संगठनों से हैं या वे जिहादी संगठन हैं.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/Anha
सोमालिया
पांचवें स्थान पर पूर्वी अफ्रीकी देश सोमालिया है. विश्व आतंकवाद सूचकांक में इसे 7.64 अंक मिले हैं. यहां पर अल शबाब आतंकी संगठन के आतंकियों का सुरक्षा बलों के साथ लंबे समय से संघर्ष जारी है. सोमालिया में 700 अमेरिकी सैनिक तैनात हैं और अमेरिका वहां से सैन्य कटौती की योजना बना रहा है.
मध्य-पूर्वी देश यमन में शांति दूर-दूर तक नजर नहीं आती है. हूथी विद्रोहियों के साथ ही देश अकाल से भी जूझ रहा है. सूचकांक में इसे 7.58 अंक मिले हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Y. Arhab
पाकिस्तान
एशियाई देश पाकिस्तान आतंकवाद से प्रभावित देशों की सूची में सातवें स्थान पर है. पाकिस्तान को संस्था ने 10 में से 7.54 अंक दिए हैं.
तस्वीर: Reuters/M. Raza
भारत
आतंकवाद से प्रभावित देश के रूप में भारत आठवें स्थान पर है. भारत को 10 में से 7.35 अंक दिए गए हैं. भारत का जम्मू-कश्मीर क्षेत्र आतंकवाद से सबसे ज्यादा प्रभावित है.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो
नौवें स्थान पर डीआरसी कांगो है. संस्था ने इसे 7.17 अंक दिए हैं. डीआरसी कांगो की अस्थिरता का एक लंबा इतिहास है और यह भी आतंक से प्रभावित देशों में से एक है.
एशियाई देश फिलीपींस को इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस ने आतंक से प्रभावित देश की सूची में 10वें स्थान पर रखा है. फिलीपींस को 7 अंक मिले हैं. स्रोत:ऑस्ट्रेलिया स्थित इंस्टीट्यूट फॉर इकोनॉमिक्स एंड पीस