मानवाधिकार काउंसिल से निकाला गया रूस, लेकिन समर्थन बढ़ा
८ अप्रैल २०२२
संयुक्त राष्ट्र में हुए एक प्रस्ताव पर मतदान के बाद रूस की मानवाधिकार परिषद की सदस्यता रद्द कर दी गई है. हालांकि, आधे से कम सदस्यों ने ही प्रस्ताव का समर्थन किया.
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संयुक्त राष्ट्र महासभा में एक प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें रूस द्वारा यूक्रेन में कथित नरसंहार के कारण उसकी सदस्यता निलंबित करने की बात थी. 193 सदस्य देशों में से 93 ने ही प्रस्ताव के समर्थन में वोट किया. 24 देशों ने रूस के समर्थन में मतदान किया. वहीं 58 सदस्यों ने मतदान में हिस्सा नहीं लिया, इसलिए प्रस्ताव को दो तिहाई समर्थन मिल गया और रूस की सदस्यता के निलंबन पर मुहर लग गई.
रूस के यूक्रेन पर हमले के बाद संयुक्त राष्ट्र की महासभा में उसके खिलाफ यह तीसरा प्रस्ताव था. इस बार पहले से ज्यादा सदस्य देशों ने रूस के समर्थन में मतदान किया, जिनमें चीन भी शामिल है. चीन पहले दो प्रस्तावों में मतदान से गैरहाजिर रहा था, लेकिन गुरुवार को उसने रूस के समर्थन में मतदान किया. पिछले दो प्रस्तावों में क्रमशः 141 और 140 सदस्यों ने रूस के खिलाफ वोट किया था, जो इस बार घटकर सिर्फ 93 रह गया.
पुतिन का परिवार
अमेरिका ने रूस पर प्रतिबंधों के नए दौर में राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के परिवार को निशाना बनाया है. व्लादिमीर पुतिन अपने परिवार को लेकर ज्यादा बोलते नहीं हैं. उनके परिवार के बारे में क्या जानते हैं आप?
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की दो बेटियों पर अमेरिका ने आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध लगा दिए हैं. ये हैं 36 वर्ष की मारिया वोरोंत्सोवा और 35 साल की कतरीना तिखोनोवा. ये दोनों ही पुतिन की पूर्व पत्नी ल्यूदिमिला से हैं.
ल्युदिमिला व्लादिर पुतिन की पूर्व पत्नी हैं. दोनों की शादी 1983 में हुई थी जब पुतिन केजीबी के अफसर थे और ल्युदिमिला एयर होस्टेस थीं. 30 साल तक दोनों शादीशुदा रहे. इसी दौरान उनकी दोनों बेटियां जन्मीं और पुतिन ने राजनीति के कई पायदान चढ़े. 2013 में जब दोनों का सहमति से तलाक हुआ तो ल्युदिमिला ने कहा कि वह हमेशा काम में डूबे रहते हैं.
तस्वीर: Itar-TASS/dpa/picture-alliance
मारिया वोरोंत्सोवा
पुतिन की बड़ी बेटी मारिया 1985 में जन्मी थीं. उन्होंने रूस की सेंट पीटर्सबर्ग यूनिवर्सिटी से जीव विज्ञान की पढ़ाई की. उसके बाद मॉस्को स्टेट यूनिवर्सिटी से उन्होंने चिकित्साशास्त्र में डिग्री की. फिलहाल वह एक अकादमिक हैं और मॉस्को के एंडोक्रिनोलॉजी रीसर्च सेंटर में बतौर रिसर्चर काम करती हैं.
तस्वीर: Dmitry Feoktistov/TASS/picture alliance
उद्योगपति मारिया
मारिया वोरोंत्सोवा ने नीदरलैंड्स के उद्योगपति योरिट यूस्ट फासेन से शादी की है. हालांकि, बताया जाता है कि अब दोनों अलग हो चुके हैं. बीबीसी के मुताबिक मारिया वोरोंत्सोवा अपना बिजनस भी चलाती हैं और उनकी कंपनी एक विशाल मेडिकल सेंटर बना रही है.
कतरीना तिखोनावा 35 साल की हैं. वह एक रॉक एन रोल डांसर हैं और 2013 में एक अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में पांचवें नंबर पर रही थीं. उसी साल उन्होंने पुतिन के एक दोस्त के बेटे किरील शामालोव से शादी की थी. 2018 में अमेरिका ने कतरीना पर प्रतिबंध लगा दिए थे क्योंकि वह रूसी ऊर्जा क्षेत्र में सक्रिय थीं.
तस्वीर: Eastnews/imago
पुतिन के नाती
व्लादिमीर पुतिन के पोते-पोतियां भी हैं लेकिन उनके बारे में कोई सार्वजनिक जानकारी नहीं है. 2017 में एक फोन इंटरव्यू में उन्होंने बताया था, “मेरे नातियों में से एक तो नर्सरी स्कूल में है. आप समझिए कि मैं नहीं चाहता वे किसी राजकुमार की तरह पाले-पोसे जाएं. मैं चाहता हूं कि वे आम लोगों की तरह ही बड़े हों.”
मानवाधिकार परिषद में 47 सदस्य हैं और रूस अपनी तीन साल की सदस्यता के दूसरे साल में था, जब उसे निलंबित कर दिया गया. मतदान से पहले यूक्रेन के राजदूत सर्गई किसलित्स्या ने कहा, "हमें आज काउंसिल को डूबने से बचाने के लिए कदम उठाने की जरूरत है.”
मतदान के बाद यूक्रेन के विदेशमंत्री दमित्रो कुलेबा ने रूस के खिलाफ वोट करने वाले सदस्य देशों का धन्यवाद किया. ट्विटर पर एक संदेश में उन्होंने कहा, "युद्ध अपराधियों के लिए ऐसी यूएन संस्थाओं में कोई जगह नहीं है, जिनका मकसद मानवाधिकारों की रक्षा करना है. जिन सदस्यों ने यूएनजीए के प्रासंगिक प्रस्ताव का समर्थन किया और इतिहास के सही पक्ष की ओर रहने का फैसला किया, उनका आभार.”
चीन और अमेरिका आमने-सामने
मतदान के बाद रूस के उप राजदूत गेनादी कुजमिन ने प्रक्रिया की वैधता पर सवाल उठाए. उन्होंने इसे "अवैध और राजनीति से प्रेरित कदम” बताते हुए कहा कि रूस ने मानवाधिकार परिषद से पूरी तरह बाहर रहने का फैसला किया है.
यूएन में अमेरिकी राजदूत लिंडा थॉसम ग्रीनफील्ड ने कहा कि इस प्रस्ताव के पारित होने के साथ ही यूएन ने "एक स्पष्ट संदेश भेजा है कि पीड़ितों और बचे हुए लोगों की तकलीफों को नजरअंदाज नहीं किया जाएगा.” उन्होंने कहा, "हमने सुनिश्चित किया है कि मानवाधिकारों का सरेआम उल्लंघन करने वालों को यूएन में मानवाधिकारों पर नेतृत्व करने के लिए जगह नहीं मिलेगी.”
जर्मनी में 'सोवियत रूस का भूत'
दो दशक पहले रूसी सेना ने वुन्सडोर्फ छोड़ दिया था. लेकिन तब से जर्मनी का यह सबसे बड़ा सैन्य शहर धूल फांक रहा है. देखिए, इस भुतिया शहर की तस्वीरें...
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सूखा
कभी रेड आर्मी के अफसरों से भरा रहने वाला यह स्विमिंगपूल सालों से सूखाग्रस्त है. बर्लिन से वुन्सडोर्फ सिर्फ 40 किलोमीटर दूर है. शीत युद्ध के दौरान यह जगह पूर्वी जर्मनी में रूस का सबसे बड़ा सैनिक अड्डा थी.
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ऑफिसर्स मेस
रूसी सेना ने 9 सितंबर 1994 को वुन्सडोर्फ खाली कर दिया था. लेकिन खाली बैरक और बाकी बिल्डिंग्स आज भी ज्यों की त्यों हैं. इन इमारतों में स्पोर्ट्स हॉल, स्विमिंग पूल, सिनेमा और बहुमंजिला फ्लैट्स भी थे.
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अभेद्य था शहर
यह था वुन्सडोर्फ का सिनेमा. वुन्सडोर्फ बाहरी दुनिया के लिए एकदम अभेद्य जगह थी. यहां के बारे में कहा जाता था कि परिंदा भी पर नहीं मार सकता. अंदर क्या होता था, कैसे होता था कोई नहीं जानता.
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गिर चुका पर्दा
अब वुन्सडोर्फ पर पर्दा गिरे भले ही दो दशक से ज्यादा समय हो चुका है लेकिन सिनेमा में पर्दे टंगे हुए हैं. वैसे रूसी सेना के आने से पहले वुन्सडोर्फ 3000 लोगों का एक छोटा सा गांव था.
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प्रचार
वुन्सडोर्फ में अफसरों के बैरकों के पास यह दीवार बताती है कि रूसी सेना किस तरह का प्रचार करती थी. दीवार पर रूसी राष्ट्रकवि एलेग्जैंडर पुश्किन की पंक्तियां लिखी हैं कि अपनी आत्मा को देश पर न्योछावर कर दो.
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लेनिन अकेला
सोवियत संघ खत्म हो चुका है और अब उसके संस्थापक नेता लेनिन की यह मूर्ति सुनसान पड़े वुन्सडोर्फ में अकेली खड़ी है.
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तेज गिरावट
वुन्सडोर्फ की दीवारों से रूसी रंग उतरने में ज्यादा समय नहीं लगा है. किसी एक जगह से सेना की यह इतिहास की सबसे बड़ी वापसी थी. यहां तीन लाख 30 हजार सैनिक, उनके दो लाख आठ हजार परिजन, 4116 टैंक और आठ हजार सैन्य वाहन थे.
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कुछ नहीं बचा
एक अफसर के दफ्तर में मेड इन यूएसएसआर की मुहर वाले ये उपकरण रखे हैं. लेकिन अब ज्यादा कुछ बचा नहीं है. जो कुछ बचा था उसे निशानियां जमा करने वाले लोग ले गये या कूड़ा उठाने वाले.
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दुनिया बदल चुकी है
एक दफ्तर में शीत युद्ध के दिनों का दुनिया का नक्शा टंगा है. लेकिन तब से दुनिया बहुत बदल चुकी है. कभी दो ध्रुवीय दुनिया में अब पुतिन फिर से ताकतवर हो चले हैं और अमेरिका में ट्रंप विराजमान हैं.
रिपोर्ट: डानियाल हाइनरिष/वीके
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प्रस्ताव के विरोध में मतदान करने वाले चीन ने इसे जल्दबाजी में उठाया गया कदम बताया. चीन के राजदूत जांग जुन ने वोटिंग से पहले कहा, "महासभा में इस तरह जल्दबाजी में सदस्य देशों को किसी एक पक्ष को चुनने के लिए मजबूर करने से दरारें और चौड़ी होंगी और संबंधित पक्षों के बीच विवाद और भड़केगा. यह आग में घी डालने जैसा काम है.”
रूस का कहना है कि यूक्रेन में उसने "विशेष सैन्य अभियान” चलाया है, जिसका मकसद मानवाधिकारों का उल्लंघन रोकना और नात्सी विचारधारा को खत्म करना है. उसने किसी तरह के नरसंहार के आरोपों को भी गलत बताया और उसका कहना है कि उसकी सेनाएं आम नागरिकों या असैन्य ठिकानों पर हमले नहीं कर रही हैं.
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भारत रहा गैरहाजिर
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने खबर दी है कि गुरुवार को मतदान से पहले रूस ने चेतावनी दी थी कि इस प्रस्ताव के पक्ष में मतदान करना या गैरहाजिर रहना प्रतिकूल रुख माना जाएगा, जिसका द्विपक्षीय संबंधों पर असर पड़ेगा. भारत पहले दो प्रस्तावों की तरह इस मतदान से भी गैरहाजिर रहा.
रूस-यूक्रेन युद्ध की वजह से अनाज की कमी
03:24
भारत के राजदूत टीएस त्रिमूर्ति ने गैरहाजिर रहने के फैसले का बचाव करते हुए कहा कि भारत यदि किसी का पक्ष चुनेगा, तो वह शांति का पक्ष है और हिंसा को फौरन रोका जाना चाहिए. त्रिमूर्ति ने कहा, "हम पुरजोर विश्वास करते हैं कि सभी फैसले लोकतांत्रिक नीतियों की प्रक्रिया का पूरी तरह पालन करते हुए लिए जाने चाहिए. यह बात सभी अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं पर लागू होती है, खासतौर पर यूएन की संस्थाओं पर."
मानवाधिकार परिषद से सदस्यता के निलंबन के मामले बहुत कम हुए हैं. पिछली बार 2011 में लीबिया को निलंबित किया गया था, जब उस पर तत्कालीन शासक मुअम्मर गद्दाफी के विरोधी प्रदर्शनकारियों पर अत्याचार के आरोप लगे थे.
मानवाधिकार परिषद के फैसले कानूनी रूप से किसी देश के लिए बाध्यकारी नहीं होते, लेकिन इनका प्रतीकात्मक महत्व होता है. इसके अलावा यह किसी मामले में जांच करा सकती है. पिछले महीने ही परिषद ने यूक्रेन में संभावित युद्ध अपराधों की जांच शुरू की थी.