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समय पूर्व चेतावनी बचाएगी चरम मौसम की मार से

२५ मार्च २०२२

संयुक्त राष्ट्र चाहता है कि चरम मौसम की घटनाओं और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों से दुनियाभर में लोगों की रक्षा के लिए अगले पांच सालों के भीतर समय पूर्व चेतावनी प्रणालियां स्थापित की जाए.

तस्वीर: REUTERS

संयुक्त राष्ट्र के महासचिव अंटोनियो गुटेरेश ने कहा कि परियोजना का उद्देश्य सभी को कार्य करने की क्षमता देना है क्योंकि जलवायु परिवर्तन के कारण प्राकृतिक आपदाएं अधिक शक्तिशाली और बार-बार हो रही हैं. गुटेरेशन ने कहा, "समय पूर्व चेतावनी और कार्रवाई जीवन की रक्षा करती है."

इंटरगवर्नमेंटल पैनल फॉर क्लाइमेट चेंज (आईपीसीसी) की नई रिपोर्ट में चेताया गया है कि वैश्विक तापमान में होने वाली हर छोटी वृद्धि से चरम मौसम घटनाओं की आवृत्ति और गहनता बढ़ जाती है. गुटेरेश ने कहा, "वैश्विक ताप की प्रत्येक वृद्धि से चरम मौसम की घटनाओं की आवृत्ति और तीव्रता में और बढ़ोतरी होगी."

समय पूर्व चेतावनी प्रणाली की मदद से बाढ़, सूखे की घटनाओं, ताप लहरों और तूफानों से देशों की सरकारों, समुदायों और लोगों को बचाव व तैयारी के लिए चेताया जा सकता है. पूर्व चेतावनी से मौसमी घटनाओं के असर को कम किया जा सकता है.

गुटेरेश का कहना है कि दुनिया की एक-तिहाई आबादी के पास अब भी समय पूर्व चेतावनी प्रणालियां उपलब्ध नहीं हैं, इनमें से अधिकतर लोग सबसे कम विकसित और लघु द्वीपीय विकासशील देशों में रहते हैं. गुटेरेश ने कहा, "यह अस्वीकार्य है, विशेष रूप से जब जलवायु प्रभाव और बदतर होना निश्चित है."

उन्होंने कहा, "समय पूर्व चेतावनी प्रणाली लोगों की जान बचाती है. आइए हम सुनिश्चित करें कि यह सभी के लिए काम करें." इस योजना की लागत डेढ़ अरब डॉलर होगी और विश्व मौसम विज्ञान एजेंसी नवंबर में मिस्र में संयुक्त राष्ट्र जलवायु सम्मेलन में एक कार्य योजना पेश करेगी.

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विश्व मौसम विज्ञान एजेंसी के मुताबिक जलवायु परिवर्तन और चरम मौसम घटनाओं ने पिछले पचास वर्षों में आपदाओं की संख्या पांच गुना तक बढ़ा दी है. अच्छी बात यह रही कि इसी अवधि के दौरान पूर्व चेतावनी प्रणालियों और आपदा प्रबंधन की मदद से मृतकों की संख्या में बड़ी गिरावट दर्ज की गई है.

एए/सीके (एएफपी, एपी, रॉयटर्स)

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