संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण पूर्वी एशिया में दिन-पर-दिन साइबरस्कैम सेंटर बढ़ रहे हैं और ये दुनियाभर में भी फैल रहे हैं. गैंग के लोग कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए लगातार जगह बदलते रहते हैं.
संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार दक्षिण पूर्वी एशिया में दिन-पर-दिन साइबरस्कैम सेंटर बढ़ रहे हैं और ये दुनियाभर में भी फैल रहे हैं. गैंग के लोग कानूनी कार्रवाई से बचने के लिए लगातार जगह बदलते रहते हैं. तस्वीर: Annette Riedl/dpa/picture alliance
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संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट के अनुसार, पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया में अंतर्राष्ट्रीय संगठित अपराध समूह दुनियाभर में अपने स्कैम का जाल फैला रहे हैं. ऐसा इसलिए हो रहा है क्योंकि जहां ये स्कैम सेंटर मौजूद थे, वहां सरकार और अधिकारी इन पर लगाम कसने के लिए कानूनी कार्रवाई शुरू कर रहे हैं. इससे बचने के लिए वे इलाके तलाश रहे हैं.
ऐसे स्कैम सेंटर दक्षिण पूर्वी एशिया में कई सालों से चल रहे हैं. कंबोडिया,लाओस और म्यांमार, साथ ही फिलीपीन्स, इनका गढ़ माने जाते हैं और इसे अंजाम देने वाली अलग अलग गैंग एक बॉर्डर से दूसरे बॉर्डर घूमती रहते हैं ताकि वो किसी एक देश के कानून की गिरफ्त में ना आ सकें.
यह स्कैम दुनिया में कई नए इलाकों तक भी पहुंच गए हैं. अफ्रीका और यहां तक कि लैटिन अमेरिका से भी ऐसी धोखाधड़ियों की खबरें आ रही हैं जहां स्कैमरों ने किसी को झूठे प्यार के जाल में फंसा लिया, या कोई झूठा निवेश और व्यापार का वादा कर के पैसे ऐंठ लिए या फिर गैरकानूनी सट्टेबाजी में लोगों को फंसा दिया हो. इन सभी मामलों में धोखाधड़ी करने वाले पैसे लेकर फरार हो गए.
हो जाइए सावधान, ये हैं साइबर फ्रॉड के नए तरीके
तकनीक तेजी से बदल रही है और साथ ही बदल रही है धोखाधड़ी करने की तकनीक भी. आजकल साइबर ठगों के निशाने पर बैंक खाते भी आ गए हैं और अनजान लिंक पर क्लिक करने भर से आपके पैसे गायब हो सकते हैं. यहां जानिए कैसे रह सकते हैं सतर्क.
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व्हाट्सऐप कॉल से फर्जीवाड़ा
अगर आपको व्हाट्सऐप पर किसी अनजान नंबर से वॉयस कॉल आती है तो आप सावधान हो जाइए क्योंकि फोन करने वाला आपको ठग सकता है. इस वारदात को अंजाम देने के बाद आपके नंबर को ब्लॉक कर सकता है. वॉयस कॉल करने वाला अपनी ट्रिक में फंसाकर आपके पैसे हड़प सकता है.
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यूपीआई
यूनिफाइड पेमेंट इंटरफेस के जरिए किसी को भी आसानी से पैसे भेजे या मंगाए जा सकते हैं. यूपीआई के जरिए ठग किसी व्यक्ति को डेबिट लिंक भेज देता है और जैसे ही वह उस लिंक पर क्लिक कर अपना पिन डालता है तो उसके खाते से पैसे कट जाते हैं. इससे बचने के लिए अनजान डेबिट रिक्वेस्ट को तुरंत डिलीट कर देना चाहिए. अजनबियों के लिंक भेजने पर क्लिक ना करें.
तस्वीर: DW
एटीएम क्लोनिंग
पहले सामान्य कॉल के जरिए ठगी होती थी लेकिन अब डाटा चोरी कर पैसे खाते से निकाले जा रहे हैं. ठग हाईटेक होते हुए कार्ड क्लोनिंग करने लगे हैं. एटीएम कार्ड लोगों की जेब में ही रहता है और ठग पैसे निकाल लेते हैं. एटीएम क्लोनिंग के जरिए आपके कार्ड की पूरी जानकारी चुरा ली जाती है और उसका डुप्लीकेट कार्ड बना लिया जाता है. इसलिए एटीएम इस्तेमाल करते वक्त पिन को दूसरे हाथ से छिपाकर डालें.
तस्वीर: Reuters/R.D. Chowdhuri
कार्ड के डाटा की चोरी
एटीएम कार्ड के डाटा की चोरी के लिए जालसाज कार्ड स्कीमर का इस्तेमाल करते हैं, इसके जरिए जालसाज कार्ड रीडर स्लॉट में डाटा चोरी करने की डिवाइस लगा देते हैं और डाटा चुरा लेते हैं. इसके अलावा फर्जी कीबोर्ड के जरिए भी डाटा चुराया जाता है. किसी दुकान या पेट्रोल पंप पर अगर आप अपना क्रेडिट कार्ड स्वाइप कर रहे हैं तो ध्यान रखें कि कर्मचारी कार्ड को आपकी नजरों से दूर ना ले जा रहा हो.
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क्यूआर कोड स्कैम
क्यूआर यानि क्विक रिस्पांस कोड के जरिए जालसाज ग्राहकों को भी लूटने का काम कर रहे हैं. इसके जरिए मोबाइल पर क्यूआर कोड भेजा जाता है और उसे पाने वाला शख्स क्यूआर कोड लिंक को क्लिक करता है तो ठग उसके मोबाइल फोन का क्यूआर कोड स्कैन कर बैंक खाते से रकम निकाल लेते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Imaginechina/D. Qing
ई-मेल स्पूफिंग
ई-मेल स्पूफिंग के जरिए ठग ऐसी ई-मेल आईडी बना लेते हैं जो नामी गिरामी कंपनियों से मिलती-जुलती होती हैं और फिर सर्वे फॉर्म के जरिए लोगों को अपनी ओर आकर्षित कर डाटा चुरा लेते हैं. गूगल सर्च के जरिए भी ठगी के मामले सामने आए हैं. जालसाज सर्च इंजन में जाकर मिलती जुलती वेबसाइट बनाकर अपना नंबर डाल देते हैं और अगर कोई सर्च इंजन पर कोई खास चीज तलाशता है तो वह फर्जी साइट भी आ जाती है.
अगर आप ऑनलाइन मैट्रिमोनियल साइट पर पार्टनर की तलाश कर रहे हैं तो जरा सावधान रहिए क्योंकि इसके जरिए भी ठगी हो रही है. गृह मंत्रालय के साइबर सुरक्षा विभाग के मुताबिक ऑनलाइन वैवाहिक साइट पर चैट करते वक्त निजी जानकारी साझा ना करें और साइट के लिए अलग से ई-मेल आईडी बनाएं और बिना किसी पुख्ता जांच किए निजी जानकारी साझा करने से बचें.
तस्वीर: picture-alliance
बैंक खातों की जांच
साइबर विशेषज्ञों का कहना है कि बैंक खातों की नियमित जांच करनी चाहिए और अस्वीकृत लेनदेन के बारे में तुरंत अपने बैंक को जानकारी देनी चाहिए.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
नौकरी का झांसा
कई जॉब पोर्टल संक्षिप्त विवरण को लिखने, विज्ञापित करने और जॉब अलर्ट के लिए फीस लेते हैं, ऐसे पोर्टलों को भुगतान करने से पहले, वेबसाइट की प्रमाणिकता और समीक्षाओं की जांच करना जरूरी है.
तस्वीर: Reuters/D. Siddiqui
सतर्कता जरूरी
ऑनलाइन लेनदेन करते समय मोबाइल फोन या कंप्यूटर पर किसी ऐसे लिंक को क्लिक ना करे जिसके बारे में आप सुनिश्चित ना हो. सॉफ्टवेयर डाउनलोड करते समय भी सुनिश्चित कर लें कि वेबसाइट वेरिफाइड हो.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/C. Klose
बैंकों की जिम्मेदारी
साइबर अपराध को रोकने के लिए रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने भी दिशा-निर्देश बनाए हैं जिनके तहत बैंकों को साइबर सुरक्षा के पैमाने को और सुधारना, ग्राहकों के डाटा की सुरक्षा सुनिश्चित करना और साइबर अपराध रोकने के लिए बैंक ग्राहकों को जागरुक करना शामिल हैं.
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संयुक्त राष्ट्र ने क्या कहा
सोमवार को संयुक्त राष्ट्र के ऑफिस ऑन ड्रग्स एंड क्राइम (यूएनओडीसी) द्वारा जारी रिपोर्ट के अनुसार, एशियाई अपराध सिंडिकेट ऐसे दूरदराज के इलाकों में काम कर रहे हैं, जहां कानून लागू करने वाली संस्थाएं कमजोर हैं और ऐसे स्कैमों की भरमार से तंग आ चुकी हैं.
दक्षिण-पूर्वी एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए यूएनओडीसी के क्षेत्रीय अधिकारी बेनेडिक्ट हॉफमैन ने एक बयान में कहा, "यह रिपोर्ट इस उद्योग के बढ़ने और व्यापार करने के नए तरीकों और स्थानों की तलाश के साथ-साथ एक स्वाभाविक विस्तार को भी दर्शाती है. और साथ ही रिपोर्ट ये भी दिखाती है कि आगे चलकर अगर ये स्कैम यूं ही चलते रहे तो अपराधी भविष्य में अपने ऊपर कैसे जोखिम कम कर सकेंगे.”
यूएनओडीसी का अनुमान है कि सैकड़ों औद्योगिक स्तर के फ्रॉड सेंटर्स लगभग 40 अरब डॉलर का सालाना मुनाफा कमा रहे हैं.
साइबर क्राइम का गढ़ बना मेवात
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एक जगह पर नहीं टिकते स्कैमर
अपने कार्यक्षेत्र से बाहर निकलकर दूसरे देशों में सेंटर खोलने का चलन तेजी से बढ़ा है. ऐसे कई सेंटर अफ्रीका, दक्षिण पूर्वी एशिया, खाड़ी देशों और प्रशांत महासागर के कई द्वीपों में सामने आ रहे हैं. यूरोप, उत्तरी और दक्षिण अमेरिका में तो सेंटरों में हवाला का पैसे से लेकर मानव तस्करी और रिक्रूटमेंट सेवाएं तक उपलब्ध थीं.
अफ्रीका में, नाइजीरिया ऐसी गतिविधियों के लिए एक हॉट स्पॉट बन चुका है, जहां 2024 के अंत और 2025 की शुरुआत में पुलिस की छापेमारी के कारण कई गिरफ्तारियां हुईं. इनमें पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी एशिया के लोग भी शामिल हैं, जिन पर क्रिप्टोकरेंसी और रोमांस घोटाले का आरोप लगा है. जाम्बिया और अंगोला में भी प्रशासन ने एशिया-संबंधित साइबर धोखाधड़ी गतिविधियों का भंडाफोड़ किया है.
यूएन की रिपोर्ट के अनुसार "लैटिन अमेरिका में ब्राजील एक ऐसा देश बनकर उभरा है जहां ऐसे स्कैमों से निपटने के लिए काफी जद्दोजहद चल रही है. इनमें साइबर फ्रॉड, ऑनलाइन सट्टेबाजी, हवाला रकम जमा करना सबसे आम फ्रॉड हैं, इनके सरगना दक्षिण पूर्वी एशिया से बैठकर इस व्यापार को चला रहे हैं.”
किन भारतीय बैंकों में हुई कितनी बड़ी धोखाधड़ी
आरबीआई ने बताया कि बीते 11 वित्तीय वर्षों में सामने आए धोखाधड़ी के 53,334 मामलों में बैंकों को 2050 अरब रुपये का चूना लगा. सबसे ज्यादा धोखाधड़ी आईसीआईसीआई बैंक के साथ हुई लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान पंजाब नेशनल बैंक को हुआ.
तस्वीर: Getty Images/AFP/P. Paranjpe
आईसीआईसीआई बैंक
आईसीआईसीआई बैंक में धोखाधड़ी के सबसे ज्यादा 6,811 मामले सामने आए, जिसके सहारे 50 अरब रुपये की चपत लगाई गई.
तस्वीर: Getty Images/AFP//T. Clary
भारतीय स्टेट बैंक
भारत के सबसे बड़े कर्जदाता भारतीय स्टेट बैंक में धोखाधड़ी के 6,793 मामले सामने आए, जिसके सहारे उसे 237 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: Reuters/R.D. Chowdhuri
एचडीएफसी बैंक
एचडीएफसी बैंक में धोखाधड़ी के 2,497 मामले सामने आए. बैंक को 12 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: Reuters/J. Dey
बैंक ऑफ बड़ौदा
बैंक ऑफ बड़ौदा ने 2,160 धोखाधड़ी के मामलों की रिपोर्ट की. इसमें 129 अरब रुपये की हेराफेरी की गई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Nath
पंजाब नेशनल बैंक
एचडीएफसी बैंक में धोखाधड़ी के 2,047 मामले सामने आए. बैंक को 287 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri
एक्सिस बैंक
एक्सिस बैंक में धोखाधड़ी के 1,944 मामले दर्ज किए गए. बैंक को 53 अरब रुपये का चूना लगाया गया.
तस्वीर: Getty Images/AFP/I. Mukherjee
बैंक ऑफ इंडिया
बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 1,872 मामले दर्ज किए गए. बैंक से 123 अरब रुपये हड़पने की कोशिश की गई.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Kakade
सिंडिकेट बैंक और सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया
सिंडिकेट बैंक में धोखाधड़ी के 1,783 मामले दर्ज किए गए. बैंक के 58 अरब रुपये हड़पने की कोशिश की गई. सेंट्रल बैंक ऑफ इंडिया में धोखाधड़ी के 1,613 मामले सामने आए. इसकी कुल रकम 90 अरब रुपये है.
तस्वीर: UNI India
आईडीबीआई और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक
आईडीबीआई में 59 अरब रुपये के 1.264 मामले और स्टैंडर्ड चाटर्ड बैंक में 12 अरब रुपये के 1,263 धोखाधड़ी के मामले सामने आए.
तस्वीर: Imago/Hindustan Times/R. K. Raj
केनरा बैंक, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया, कोटक महिंद्रा बैंक
केनरा बैंक में 55 अरब के 1,254 मामले, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया में 118 अरब रुपये के 1,244 और कोटक महिंद्रा में 4 अरब के 1,213 मामले सामने आए.
तस्वीर: DIBYANGSHU SARKAR/AFP/Getty Images
ये भी हुए शिकार
इंडियन ओवरसीज बैंक में 1,115 मामले, ओरिएंटल बैंक ऑफ कॉमर्स में 1040, यूनाइटेड बैंक ऑफ इंडिया में 944, स्टेट बैंक ऑफ मैसूर में 395, स्टेट बैंक ऑफ पटियाला में 386, पंजाब एंड सिंध बैंक में 276 मामले दर्ज किए गए.
तस्वीर: Reuters/A. Verma
यहां भी धोखाधड़ी
यूको बैंक में 1081, तमिलनाडु मर्केंटाइल बैंक लिमिटेड में 261 और लक्ष्मी विलास बैंक लिमिटेड में धोखाधड़ी के 259 मामले सामने आए.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/A. Qadri
विदेशी बैंक के साथ भी धोखाधड़ी
अमेरिकन एक्सप्रेस बैंकिंग कॉर्पोरेशन, सिटी बैंक, एचएसबीसी लिमिटेड और रॉयल बैंक ऑफ स्कॉटलैंड पीएलसी के साथ भी धोखाधड़ी के मामले सामने आए. (रिपोर्ट-रवि रंजन)
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/R. Kakade
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दुनियाभर में फैल रहा फ्रॉड का बाजार
रिपोर्ट में एक किस्सा ऐसा भी है जब 2023 में पेरू में 40 मलेशियाई लोगों को ताइवान स्थित रेड ड्रैगन नाम की गैंग से बचाया गया था. इस गैंग ने इन्हें पकड़ कर साइबर फ्रॉड गतिविधियों को अंजाम देने के लिए मजबूर किया था.
रिपोर्ट में कहा गया है कि चिंताजनक बात यह है कि जहां एक ओर एशियाई गैंग भौगोलिक रूप से दुनियाभर में फैल रहे हैं, वहीं दूसरी ओर दुनिया में और जगहों के गैंग भी इसमें शामिल हो रहे हैं.
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तकनीक की मदद लेते अपराधी
रिपोर्ट में कहा गया है कि नए ऑनलाइन बाजार, मनी लॉन्ड्रिंग नेटवर्क, चोरी किए गए डेटा उत्पाद, ऐसे सॉफ्टवेयर जो कोई अड़चन पैदा करें या वायरस डाल दें (मालवेयर), आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और डीपफेक तकनीकें आग में घी का काम कर रही हैं. ये नई नवेली तकनीक और खोजें उनके कारोबार को ऑनलाइन संचालित करने और कार्रवाई से निपटने में मदद कर रही हैं.
हॉफमैन कहते हैं, "एक ओर इन गतिविधियों की तेजी से बढ़ने और ज्यादा प्रोफेशनल होने की सांठगांठ है तो दूसरी ओर, दूसरे देशों में इनके फ्रॉड का बढ़ता क्षेत्र है. ये दो चीजें इस उद्योग की बढ़ती साठगांठ का सबूत हैं– और सरकारों को इसका जवाब देने के लिए तैयार रहना होगा.”