संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) का कहना है कि यमन में 2016 से अब तक 10,000 बच्चे मारे गए हैं या अपंग हो चुके हैं. युद्ध के कारण देश इस समय दुनिया के सबसे भीषण मानवीय संकट का सामना कर रहा है.
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यूनिसेफ ने मंगलवार, 19 अक्टूबर को कहा कि युद्धग्रस्त देश यमन में 10,000 से अधिक बच्चे मारे गए या घायल हुए हैं. एजेंसी के अनुसार यमन हर दिन चार बच्चों के मारे जाने या घायल होने के "शर्मनाक मील के पत्थर" पर पहुंच गया है.
यमन में पिछले पांच वर्षों से युद्ध छिड़ा हुआ है, जिसमें ईरानी समर्थित हूथी विद्रोही अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त यमनी सरकार से लड़ रहे हैं. इस युद्ध में सऊदी अरब और क्षेत्र में उसके सहयोगी भी सरकार का समर्थन कर रहे हैं.
यूनिसेफ के प्रवक्ता जेम्स एल्डर ने कहा कि उनकी एजेंसी का अनुमान है कि यमन में अब तक 10,000 से अधिक बच्चों की मौत हो चुकी है, लेकिन वास्तविक संख्या इससे कहीं अधिक हो सकती है. नवीनतम आंकड़ों के मुताबिक 2015 में युद्ध में सऊदी गठबंधन के हस्तक्षेप के बाद से हर दिन लगभग चार बच्चे मारे गए या घायल हुए हैं.
यूनिसेफ ने इसे "शर्मनाक मील का पत्थर" बताया है. संयुक्त राष्ट्र का कहना है मार्च 2015 से इस साल 30 सितंबर के बीच यमन में हुई लड़ाई में 3,455 बच्चे मारे गए और 6,600 घायल हुए.
दुनिया भर से खतरों से भाग रहे शरणार्थियों की लाचारी
युद्ध, उत्पीड़न, प्राकृतिक आपदाओं और जलवायु परिवर्तन के खतरे के परिणामस्वरूप, दुनिया भर में अनुमानित आठ करोड़ लोग सुरक्षा की तलाश में अपने देश से भागने को मजबूर हुए हैं. इस दौरान सबसे ज्यादा दर्द बच्चों को झेलना पड़ा है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
समुद्र में डूबने से बचाया
बच्चा सिर्फ कुछ महीने का था जब एक स्पेनिश पुलिस गोताखोर ने उसे डूबने से बचा लिया. मई के महीने में हजारों लोगों ने यूरोप पहुंचने के लिए मोरक्को से भूमध्य सागर पार करने की कोशिश की थी. ये लोग स्पेन के छोटे से एन्क्लेव सेउता पहुंच गए थे. इस तस्वीर से सेउता में प्रवासी संकट की असली झलक देखने को मिलती है.
तस्वीर: Guardia Civil/AP Photo/picture alliance
कोई उम्मीद नहीं
भूमध्य सागर दुनिया के सबसे खतरनाक प्रवास मार्गों में से एक है. कई अफ्रीकी शरणार्थी समुद्र के रास्ते यूरोप पहुंचने में विफल रहने के बाद लीबिया में फंसे हुए हैं. त्रिपोली में कई ऐसे युवा हैं जो पल-पल अपने जीवन के लिए संघर्ष कर रहे हैं. उन्हें अक्सर कठिन परिस्थितियों में काम करना पड़ता है.
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सूटकेस में बंद जिंदगी
बांग्लादेश में कॉक्स बाजार शरणार्थी शिविर दुनिया के सबसे बड़े आश्रयों में से एक है. यहां म्यांमार से भागकर आए रोहिंग्या मुसलमानों की एक बड़ी संख्या रहती है. वहां के एनजीओ बाल शोषण, ड्रग्स, मानव तस्करी, साथ ही बाल श्रम और बाल विवाह जैसे मुद्दों पर चिंता जताते हैं.
तस्वीर: DANISH SIDDIQUI/REUTERS
ताजा संकट
इथियोपिया के टिग्रे प्रांत में गृह युद्ध ने एक और शरणार्थी संकट पैदा कर दिया है. टिग्रे की 90 फीसदी आबादी विदेशी मानवीय सहायता पर निर्भर है. करीब 16 लाख लोग सूडान भाग गए हैं. इनमें 7,20,000 बच्चे शामिल हैं. ये शरणार्थी अस्थायी शिविरों में फंसे हुए हैं और वे अनिश्चित भविष्य का सामना कर रहे हैं.
तस्वीर: BAZ RATNER/REUTERS
शरणार्थियों को कहां जाना चाहिए?
तुर्की में फंसे सीरियाई और अफगान शरणार्थी अक्सर ग्रीक द्वीपों तक पहुंचने की कोशिश करते हैं. कई शरणार्थी ग्रीक द्वीप लेसबोस के मोरिया शरणार्थी शिविर में रहते थे. पिछले साल सितंबर में कैंप में आग लग गई थी. आग के बाद यह परिवार अब एथेंस आ गया है लेकिन अपने अगले गंतव्य के बारे में कुछ नहीं जानता है.
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एक कठिन जीवन
पाकिस्तान की राजधानी इस्लामाबाद में 'अफगान बस्ती रिफ्यूजी कैंप' में रहने वाले अफगान बच्चों के लिए कोई स्कूल नहीं है. 1979 में अफगानिस्तान में सोवियत हस्तक्षेप के बाद से यह शिविर अस्तित्व में है. वहां रहने की व्यवस्था बेहद खराब है. शिविर में पीने का पानी और पर्याप्त आवास का अभाव है.
तस्वीर: Muhammed Semih Ugurlu/AA/picture alliance
सहायता संगठनों से महत्वपूर्ण समर्थन
वेनेजुएला के कई परिवार अपने देश में अपने भविष्य को धूमिल देखकर पड़ोसी देश कोलंबिया चले गए हैं. वहां वे एनजीओ रेड क्रॉस से चिकित्सा और खाद्य सहायता प्राप्त करते हैं. रेड क्रॉस ने सीमावर्ती शहर अरौक्विटा के एक स्कूल में एक अस्थायी शिविर बनाया है.
तस्वीर: Luisa Gonzalez/REUTERS
समाज में मिलने की कोशिश
कई शरणार्थी जर्मनी में अपने बच्चों के बेहतर भविष्य की उम्मीद करते हैं. कार्ल्सरूहे में लर्नफ्रुंडे हाउस में शरणार्थी बच्चों को जर्मन स्कूल प्रणाली में प्रवेश के लिए तैयार किया जाता है. हालांकि कोविड महामारी के दौरान वे नए समाज में एकीकृत होने में मिलनी वाली मदद के इस अहम तत्व से चूक गए.
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दुनिया का सबसे बड़ा मानवीय संकट
युद्ध के परिणामस्वरूप अनगिनत यमनी बच्चे अप्रत्यक्ष रूप से घातक तरीकों से प्रभावित हो रहे हैं. यमन वर्तमान में संघर्षों, आर्थिक तबाही, सामाजिक विघटन और कमजोर स्वास्थ्य सेवाओं से ग्रस्त है.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार यमन वर्तमान में दुनिया के सबसे खराब मानवीय संकट से जूझ रहा है, जिसमें लगभग दो करोड़ लोग या देश की एक तिहाई आबादी को किसी भी सहायता की सख्त जरूरत है. बच्चे इस स्थिति से बुरी तरह प्रभावित हैं और कुल 1.1 करोड़ लोग मानवीय सहायता पर निर्भर हैं. यानी पांच में से चार यमनी बच्चों को भारी कठिनाई का सामना करना पड़ता है.
इसके अलावा यूनिसेफ के अनुसार लगभग चार लाख बच्चे गंभीर रूप से कुपोषित हैं. एजेंसी के जेम्स एल्डर ने कहा, "वे भूख से मर रहे हैं क्योंकि वयस्कों ने एक युद्ध शुरू कर दिया है जिसमें बच्चे सबसे ज्यादा पीड़ित हैं."
अब कैसा है गजा
इस्राएल और हमास के बीच हालिया संघर्ष को खत्म हुए तीन हफ्ते हो चुके हैं. अब बंदूकें शांत हैं पर जिंदगी शांत नहीं है. तस्वीरों में देखिए, युद्ध के बाद कैसा हो गजा.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
बस मलबा बचा है
गजा में 11 दिन तक बरसे बमों ने घरों के नाम पर बस मलबा छोड़ा है. लोग उसमें भी बसर कर रहे हैं.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
269 लोगों की मौत
21 मई को हमास और इस्राएल के बीच युद्ध विराम हुआ था. लेकिन तब तक गजा में 256 और इस्राएल में 13 लोगों की जानें जा चुकी थीं.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
कितने आम नागरिक थे?
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि गजा में मरने वालों में कम से कम 128 आम नागरिक थे. इस्राएल ने कहा है कि उसने 200 उग्रवादी मारे. हमास के मुताबिक उसके 80 लड़ाके मारे गए.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
4,300 रॉकेट
संघर्ष के दौरान हमास ने इस्राएल पर गजा से 4,300 से ज्यादा रॉकेट दागे थे. उनमें से 680 तो गजा में ही गिर गए.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
कितने घर गिरे
फलस्तीन के भवन निर्माण मंत्रालय के मुताबिक कुल 258 इमारतों को नुकसान पहुंचा है जिनमें 1042 घर, दुकानें या दफ्तर थे.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
और जो गिरे नहीं
756 घरों को भारी नुकसान पहुंचा है जबकि 14,356 को हल्का नुकसान हुआ है.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
स्कूल, अस्पताल
संघर्ष के दौरान गजा के 54 स्कूल, छह अस्पताल और 11 स्वास्थ्य केंद्रों को नुकसान हुआ है.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
करोड़ों डॉलर का खर्च
फलस्तीन का कहना है कि पुनर्निर्माण में दसियों लाख डॉलर का खर्च आएगा. अमेरिका ने बर्बाद हुए गजा को फिर से बनाने के लिए मदद देने का वादा किया है.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
अमेरिकी मदद
युद्ध विराम के बाद मध्य पूर्व के दौरे पर अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकेन ने 55 लाख डॉलर यानी लगभग 40 करोड़ रुपये देने का ऐलान किया था.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
महीनों लगेंगे
इस पुनर्निर्माण में महीनों का वक्त लगेगा. तब तक गजा के लोग इस मलबे के ढेर पर जिंदगी जीते रहेंगे.
तस्वीर: Mohammed Salem/REUTERS
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यमन में गृहयुद्ध के चलते करीब 20 लाख बच्चे अब स्कूल नहीं जा पा रहे हैं जबकि हिंसा ने लगभग 17 लाख बच्चों और उनके परिवारों को विस्थापित कर दिया है.
एए/सीके (डीपीए, एपी)
कोरोना से ज्यादा भुखमरी से मर रहे लोग
गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम का कहना है कि दुनिया भर में हर एक मिनट में 11 लोगों की मौत भूख के कारण हो जाती है. विश्व में अकाल जैसी परिस्थितियों का सामना करने वालों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में छह गुना वृद्धि हुई.
तस्वीर: Florian Lang/Welthungerhilfe
कोरोना पर भी भारी भुखमरी
ऑक्सफैम ने अपनी ताजा रिपोर्ट का शीर्षक "हंगर वायरस मल्टीप्लाइज" दिया है. गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम का कहना है कि भुखमरी के कारण मरने वाले लोगों की संख्या कोविड-19 के कारण मरने वाले लोगों की संख्या से अधिक हो गई है. कोविड-19 से दुनिया में हर एक मिनट में करीब सात लोगों की मौत होती है.
तस्वीर: Laetitia Bezain/AP/picture alliance
एक साल में बढ़ी संख्या
रिपोर्ट में कहा गया है कि पिछले एक साल में अकाल जैसे हालात का सामना करने वाले लोगों की संख्या पूरी दुनिया में छह गुना बढ़ गई है. ऑक्सफैम अमेरिका के अध्यक्ष और सीईओ एबी मैक्समैन के मुताबिक, "आंकड़े चौंका देने वाले हैं, लेकिन हमें यह याद रखना चाहिए कि ये आंकड़े अकल्पनीय पीड़ा का सामना करने वाले अलग-अलग लोगों से बने हैं. यहां तक की एक व्यक्ति भी बहुत अधिक है."
तस्वीर: Eshete Bekele/DW
15.5 करोड़ लोगों के सामने खाद्य असुरक्षा का संकट
ऑक्सफैम की रिपोर्ट में कहा गया कि दुनिया में करीब 15.5 करोड़ लोग खाद्य असुरक्षा के भीषण संकट का सामना कर रहे हैं. यह आंकड़ा पिछले साल के आंकड़ों की तुलना में दो करोड़ ज्यादा है. इनमें से करीब दो तिहाई लोग भुखमरी के शिकार हैं और इसका कारण है उनके देश में चल रहा सैन्य संघर्ष.
तस्वीर: Jack Taylor/Getty Images
कोविड और जलवायु परिवर्तन का भी असर
एबी मैक्समैन का कहना है, "आज कोविड-19 के कारण आर्थिक गिरावट और निरंतर संघर्षों और जलवायु संकट ने दुनिया भर में 5.20 लाख से अधिक लोगों को भुखमरी की कगार पर पहुंचा दिया है." उन्होंने कहा वैश्विक महामारी से निपटने के बजाय युद्धरत गुट एक दूसरे से लड़ाई लड़ रहे हैं. जिसका सीधा असर ऐसे लाखों लोगों पर पड़ता है जो पहले से ही मौसम से जुड़े आपदाओं और आर्थिक झटकों से कराह रहे हैं.
तस्वीर: picture-alliance/M. Hamoud
महामारी में भी सैन्य खर्च
ऑक्सफैम का कहना है कि महामारी के बावजूद वैश्विक सैन्य खर्च बढ़कर 51 अरब डॉलर हुआ है. यह राशि भुखमरी को खत्म करने के लिए संयुक्त राष्ट्र को जितने धन की जरूरत है उसके मुकाबले कम से कम छह गुना ज्यादा है.
तस्वीर: Ismail Hakki/AFP/Getty Images
इन देशों में स्थिति बेहद खराब
रिपोर्ट में उन देशों को शामिल किया गया है जो भुखमरी से "सबसे ज्यादा प्रभावित" हैं. इसमें अफगानिस्तान, इथियोपिया, दक्षिण सूडान, सीरिया और यमन शामिल हैं. इन सभी देशों में संघर्ष जारी है.
ऑक्सफैम का कहना है कि भुखमरी को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. लोगों को भोजन और पानी से वंचित रखकर, मानवीय सहायता में बाधा पहुंचाकर भुखमरी को युद्ध के हथियार के रूप में इस्तेमाल किया जा रहा है. ऑक्सफैम के मुताबिक जब उनके बाजारों, खेतों और जानवरों पर बमबारी हो रही हो तो वे सुरक्षित रूप से नहीं रह सकते या भोजन नहीं तलाश सकते हैं.
तस्वीर: Nabeel al-Awzari/REUTERS
संघर्ष रोकने की अपील
संस्था ने सरकारों से हिंसक संघर्षों को रोकने का आग्रह किया है. संस्था ने सरकारों से संघर्षों को विनाशकारी भूख पैदा करने से रोकने की अपील की है. उसने कहा है कि सरकारें यह सुनिश्चित करें कि जरूरतमंदों तक राहत एजेंसियां पहुंच सकें और दान देने वाले देशों से कहा है कि वह यूएन के प्रयासों को तुरंत निधि दें.