यूनिसेफ ने दुनियाभर में मानवीय संकटों और कोविड-19 महामारी से प्रभावित करोड़ों लोगों के लिए रिकॉर्ड फंडिंग की अपील की.
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संयुक्त राष्ट्र बाल कोष (यूनिसेफ) ने दुनियाभर में मानवीय संकटों और कोविड-19 महामारी से प्रभावित 17.7 करोड़ बच्चों समेत 32.7 करोड़ से अधिक लोगों तक पहुंचने के लिए रिकॉर्ड 9.4 अरब डॉलर की आपातकालीन फंडिंग अपील शुरू की है.
यूनिसेफ ने दुनियाभर में चल रहे संघर्षों, जलवायु संकट और कोरोना वायरस महामारी के बढ़ने के मुख्य कारणों का हवाला देते हुए 2022 के लिए 9.4 बिलियन डॉलर के रिकॉर्ड परिचालन बजट की घोषणा की. यूनिसेफ की इस साल की फंडिंग पिछले साल की तुलना में 31 फीसदी ज्यादा है.
यूनिसेफ की कार्यकारी निदेशक हेनरीटा फोर के मुताबिक, "दुनिया भर में लाखों बच्चे घटनाओं और जलवायु संकट के प्रभावों से पीड़ित हैं. जैसे-जैसे कोविड-19 महामारी अपने तीसरे साल के करीब आ रही है लड़खड़ाती अर्थव्यवस्थाओं, बढ़ती गरीबी और बढ़ती असमानता के साथ और भी बदतर हो गई है. हमेशा की तरह, पहले से ही संकट से गुजर रहे बच्चों को तत्काल मदद की जरूरत है."
गरीब कैश रखते हैं, अमीर धन
2022 की वैश्विक असमानता रिपोर्ट पूरी दुनिया में धन के बंटवारे को समझने की विस्तृत कोशिश है. इस रिपोर्ट से पता चलता है कि दुनिय के अमीर कैसे हैं. जानिए...
तस्वीर: STRF/STAR MAX/IPx/picture alliance
अमीरों के पास कितना धन
दुनिया के सिर्फ 10 प्रतिशत लोगों के पास 76 प्रतिशत धन है. इन दस प्रतिशत लोगों की कुल संपत्ति की कीमत है 2850 खरब यूरो. एक यूरो करीब 85 रुपये का है.
दुनिया के सबसे ज्यादा 34 प्रतिशत अमीर पूर्वी एशिया में रहते हैं. यूरोप में 21 फीसदी और उत्तर अमेरिका में 18 प्रतिशत धनी रहते हैं. सबसे कम अमीर सब-सहारन अफ्रीका में रहते हैं, सिर्फ एक प्रतिशत.
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औसत आय में फर्क
दुनिया में प्रति व्यक्ति औसत आय 72,913 यूरो यानी लगभग 62 लाख रुपये है. और सबसे अमीर एक फीसदी लोगों की औसत आय है कि करीब 24 करोड़ रुपये.
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आम लोगों से 6,000 गुना
दुनिया के कुल धन का 6 प्रतिशत हिस्सा सिर्फ 0.1% लोगों के पास है. इनकी संख्या करीब 55,200 है यानी आम लोगों से 6,000 गुना ज्यादा.
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गरीबों की संपत्ति
गरीब लोगों के पास संपत्ति के रूप में या कैश होता है या फिर बैंक में कुछ डिपॉजिट. अगर किसी के पास घर हो भी तो उसकी कीमत बहुत कम होती है. मध्य वर्ग के पैस बैंक डिपॉजिट के अलावा घर भी होता है और साथ में थोड़ा बहुत शेयर आदि.
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अमीरों के पास कैश कम
अमीरों के पास संपत्ति सबसे ज्यादा (40-60 प्रतिशत) वित्तीय एसेट्स के रूप में होती है. हाउसिंग एसेट्स (30-40 फीसदी) भी उनकी संपत्ति का बड़ा हिस्सा है जबकि बाकी धन (5-10 प्रतिशत) बिजनस में हिस्सेदारी के रूप में पाया जाता है.
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दुनिया बढ़ाए मदद के हाथ
अपील में अफगानिस्तान में यूनिसेफ की प्रतिक्रिया के लिए 2 अरब डॉलर शामिल हैं, जहां 1.3 करोड़ बच्चों को तत्काल मदद की आवश्यकता है. इनमें 10 लाख बच्चे शामिल हैं, जो ऐसे समय में गंभीर कुपोषण का सामना कर रहे हैं. अफगानिस्तान की यह अब तक की सबसे बड़ी अपील है.
यूनिसेफ ने कहा कि अतिरिक्त 93.3 करोड़ डॉलर कोविड-19 टूल्स एक्सेलेरेटर तक पहुंच के लिए आवंटित किए जाएंगे, जो कोविड-19 परीक्षणों, उपचारों और टीकों के विकास, उत्पादन और समान पहुंच में तेजी लाने का एक वैश्विक प्रयास है.
फंड सीरियाई शरणार्थी संकट के लिए 90.9 करोड़ डॉलर, सीरिया के अंदर संकट के लिए 33.4 करोड़ डॉलर, यमन में प्रतिक्रिया के लिए 48.4 करोड़ डॉलर और कांगो लोकतांत्रिक गणराज्य में कार्यक्रमों के लिए 35 करोड़ डॉलर से अधिक की मांग कर रहा है.
इथियोपिया में जहां 1.56 करोड़ बच्चों को मानवीय सहायता की आवश्यकता है और जहां क्रूर लड़ाई ने उत्तर में लाखों बच्चों को विस्थापित किया है, यूनिसेफ को अपने कार्य के लिए 35.1 करोड़ डॉलर की आवश्यकता होगी. इसी साल गैर सरकारी संस्था ऑक्सफैम ने कहा था कि दुनिया भर में हर एक मिनट में 11 लोगों की मौत भूख के कारण हो जाती है. विश्व में अकाल जैसी परिस्थितियों का सामना करने वालों की संख्या में पिछले वर्ष की तुलना में छह गुना वृद्धि हुई.
एए/वीके (डीपीए)
दुनिया में बढ़ रही है मानवीय मदद की जरूरत
संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि दुनिया में जिन्हें मानवीय मदद की जरूरत है ऐसे लोगों की संख्या बढ़ती जा रही है. अनुमान है कि इस साल के मुकाबले अगले साल करीब चार करोड़ ज्यादा लोगों को मानवीय मदद की जरूरत होगी.
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असहाय लोग
मानवीय मामलों के संयोजन के लिए संयुक्त राष्ट्र की संस्था (ओसीएचए) का अनुमान है कि जहां 2021 में 25 करोड़ लोगों को मानवीय मदद या संरक्षण की जरूरत पड़ी, वहीं 2022 में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ कर 27.4 करोड़ हो जाएगी.
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बड़ी संख्या
इसका मतलब है दुनिया के हर 29वे व्यक्ति को मदद की जरूरत पड़ेगी. ओसीएचए के मुताबिक, "राजनीतिक अस्थिरता, विस्थापन के बढ़ने, जलवायु परिवर्तन के असर और कोविड-19 के असर की वजह से जरूरतें बढ़ती जा रही हैं."
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सब तक नहीं पहुंच पाएगी मदद
संयुक्त राष्ट्र की संस्थाएं चाहती हैं कि वो इनमें से कम से कम 18.3 करोड़ लोगों की मदद कर पाएं, जो 63 देशों में बसे हैं. आपातकालीन राहत संयोजक मार्टिन ग्रिफिथ्स कहते हैं, "मानवीय मदद जिंदगियां बचाती है. अगर दान किया हुआ पैसा सही समय पर पहुंच गया तो वो बर्बाद नहीं होता है."
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धन की आवश्यकता
संयुक्त राष्ट्र संस्थाओं का अनुमान है कि इतने लोगों की मदद के लिए उन्हें कुल 4.1 करोड़ डॉलर की आवश्यकता है. यह धनराशि चार साल पहले की राशि से दोगुना ज्यादा है. ग्रिफिथ्स ने यह भी कहा, "मानवीय मदद समाधान का बस एक हिस्सा है. पूरे समाधान के लिए राजनीतिक समाधान भी चाहिए."
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संकट ग्रस्त इलाके
इस मदद की जरूरत सबसे ज्यादा अफगानिस्तान, सीरिया, यमन और इथियोपिया जैसे इलाकों में है. अफगानिस्तान में करीब 1.4 करोड़ लोगों के भुखमरी के कगार तक पहुंचने का अनुमान है.
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इथियोपिया में गंभीर हालात
ग्रिफिथ्स सबसे ज्यादा चिंतित इथियोपिया के हालात को लेकर हैं जहां सरकार काफी समय से हावी टिग्रे पीपल्स लिबरेशन फ्रंट (टीपीएलएफ) से लड़ रही है. संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों का कहना है टिग्रे प्रांत में लगभग साढ़े तीन लाख लोगों के सामने भुखमरी का संकट खड़ा हो गया है. (डीपीए)