पाकिस्तान: बाढ़ के सालभर बाद भी मदद के इंतजार में बच्चे
२८ अगस्त २०२३
यूनिसेफ के मुताबिक पाकिस्तान में कई बाढ़ प्रभावित बच्चे मदद की पहुंच से बाहर हैं और लाखों बच्चों को भुला दिए जाने का खतरा है. बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में लगभग चालीस लाख बच्चों को स्वच्छ पेयजल उपलब्ध नहीं है.
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संयुक्त राष्ट्र बाल कल्याण संगठन (यूनिसेफ) का कहना है कि पाकिस्तान में विनाशकारी बाढ़ के एक साल बाद भी लाखों बच्चे अभी भी मदद का इंतजार कर रहे हैं. यूनिसेफ ने एक बयान में कहा कि बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में 15 लाख बच्चों को जीवनरक्षक खाद्य सहायता की जरूरत है, जबकि लगभग 40 लाख बच्चों को स्वच्छ पेयजल तक पहुंच नहीं है.
राहत प्रयासों के लिए धन की कमी की चेतावनी देते हुए पाकिस्तान में यूनिसेफ के प्रतिनिधि अब्दुल्ला फाजिल के मुताबिक, "बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहने वाले कमजोर बच्चों ने एक भयानक साल का सामना किया है. पीड़ितों के पुनर्वास के लिए प्रयास जारी हैं लेकिन कई प्रभावित बच्चे पहुंच योग्य नहीं हैं और ऐसे में पाकिस्तान के इन बच्चों को भुला दिए जाने का डर सता रहा है."
बाढ़ का एक साल
यूनिसेफ की ओर से यह चेतावनी ऐसे समय में आई है जब पाकिस्तान के पंजाब प्रांत में अधिकारी सतलज नदी के बाढ़ प्रभावित इलाकों से लोगों को निकालने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं. 1 अगस्त से अब तक कसूर और बहावलपुर जिलों में बाढ़ प्रभावित इलाकों से एक लाख से अधिक लोगों को निकाला गया है.
लगभग छह महीने पहले जेनेवा में संयुक्त राष्ट्र प्रायोजित सम्मेलन में दर्जनों देशों और अंतरराष्ट्रीय संगठनों ने पाकिस्तान को पिछले साल की बाढ़ से उबरने और पुनर्निर्माण में मदद करने के लिए नौ अरब डॉलर से अधिक का वादा किया था. लेकिन अधिकांश प्रतिबद्धताएं परियोजनाओं के लिए ऋण के रूप में थीं, जो अभी भी योजना चरण में हैं.
यूनिसेफ ने बयान में कहा, "इस सीजन की मानसूनी बारिश बाढ़ से प्रभावित समुदायों के लिए पहले से ही कठिन स्थिति को और खराब कर रही है, जिसने दुखद रूप से देश भर में 87 बच्चों की जान ले ली है."
पाकिस्तान: पिछले साल की बाढ़ से अब भी परेशान महिला किसान
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पीने का साफ पानी नहीं उपलब्ध
यूनिसेफ का कहना है कि अनुमानित 80 लाख लोग, जिनमें से आधे बच्चे हैं, सुरक्षित पानी तक पहुंच के बिना बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं. अब्दुल्ला फाजिल का कहना है कि मौजूदा मानसून में बारिश की वापसी से एक और पर्यावरणीय आपदा की आशंका बढ़ गई है.
पिछले साल की बाढ़ से पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था को 30 अरब डॉलर से अधिक का नुकसानहुआ. आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक 2022 की बाढ़ के कारण पाकिस्तान में 1700 लोगों की मौत हुई, जबकि देश का एक तिहाई से अधिक हिस्सा जलमग्न हो गया और लगभग 3.3 करोड़ लोग प्रभावित हुए.
बाढ़ ने 30,000 स्कूलों, 2,000 स्वास्थ्य सुविधाओं और 4,300 जल आपूर्ति प्रणालियों को पूरी तरह से नष्ट कर दिया या आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त कर दिया. फाजिल के मुताबिक बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में एक तिहाई बच्चे पहले से ही स्कूल से बाहर थे, जबकि कुपोषण आपातकालीन स्तर तक पहुंच रहा है और स्वच्छ पेयजल और स्वच्छता तक पहुंच चिंताजनक रूप से कम है.
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बाढ़ के कारण शिक्षा से भी दूर हुए बच्चे
पिछले साल बाढ़ के कारण दक्षिण सिंध प्रांत सबसे ज्यादा प्रभावित हुआ था. लेकिन स्थानीय आपदा प्रबंधन एजेंसी के प्रवक्ता ने कहा कि अधिकारियों को बाढ़ प्रभावित जिलों से कोई शिकायत या मांग नहीं मिली है.
उन्होंने कहा कि जो लोग राहत शिविरों या सड़कों के किनारे रह रहे थे वे अपने घरों को लौट गये हैं क्योंकि उन्हें नुकसान का मुआवजा मिल गया है. उन्होंने कहा, "मैं कह सकता हूं कि यहां स्थिति सामान्य है." उन्होंने कहा कि स्थानीय सहायता संगठन घरों, स्कूलों और स्वास्थ्य देखभाल सुविधाओं के पुनर्निर्माण और बहाली के लिए काम कर रहे हैं.
यूनिसेफ ने पाकिस्तान और सहायता एजेंसियों से बच्चों और परिवारों के लिए बुनियादी सामाजिक सेवाओं में निवेश बढ़ाने और उसे बनाए रखने का आह्वान किया. फाजिल ने कहा, "बाढ़ का पानी कम हो गया है लेकिन जलवायु परिवर्तन वाले इस क्षेत्र में उनकी समस्याएं बनी हुई हैं."
एए/सीके (डीपीए, एपी)
जलवायु से जुड़े संकटों का साल रहा 2022
भीषण गर्मी और सूखा, जंगल की भयानक आग, तीखे तूफान और विनाशकारी बाढ़ - साल 2022 में जलवायु ने ऐसे रंग दिखाये कि विशेषण कम पड़ गये. इन तस्वीरों में देखिये बदलते जलवायु और मौसम की मुसीबतों का हाल.
तस्वीर: Thomas Coex/AFP
यूरोपः सबसे ज्यादा गर्म और अत्यधिक सूखा
यूरोप की गर्मियों ने 500 साल के सबसे ज्यादा गर्म मौसम से रूबरू कराया. स्पेन में तो लू चलने और 45 डिग्री से ऊपर के तापमान के कारण 500 से ज्यादा लोगों की मौत हो गई. ब्रिटेन में भी तापमान 40 डिग्री के ऊपर गया. यूरोप की ज्यादातर नदियों के पानी में भारी कमी हुई और कई जगहों पर तो घरों में पानी की सप्लाई का कोटा तय करना पड़ गया.
तस्वीर: Thomas Coex/AFP
जलते जंगलों से तपता रहा यूरोप
पश्चिम में पुर्तगाल, स्पेन और फ्रांस से लेकर पूरब में इटली, ग्रीस और साइप्रस और उत्तर में साइबेरिया तक के जंगलों से उठती लाल लपटों ने यूरोप की गर्मी बढ़ाये रखी. साल के मध्य तक तकरीबन 660,000 हेक्टेयर जमीन पर दावानल ने तबाही मचाई. 2006 में रिकॉर्ड रखना शुरू होने के बाद यह सबसे ज्यादा है.
मानसून की भीषण बरसात से पाकिस्तान के करीब एक तिहाई हिस्से में पानी भर गया. बाढ़ के कारण 1100 से ज्यादा लोगों की जान गई, 3 करोड़ से ज्यादा लोग बेघर हुए और यह संक्रामक रोगों के फैलने का बड़ा कारण बन गया है. भारी बारिश ने अफगानिस्तान में भी काफी नुकसान किया. हजारों हेक्टेयर में फैली फसलें तबाह हो गईं और पहले से ही गरीबी का सामना कर रहे देश में भूख की समस्या और बढ़ गई.
तस्वीर: Stringer/REUTERS
एशिया में अत्यधिक गर्मी और तूफान भी
बाढ़ से पहले अफगानिस्तान, पाकिस्तान और भारत ने अत्यधिक गर्मी और सूखे का सामना किया. इसी बीच चीन ने बीते 60 सालों का सबसे भयानक सूखा देखा और रिकॉर्ड रखना शुरू होने के बाद की सबसे भयानक लू. पतझड़ का मौसम आने से पहले ही 12 तूफानों ने यहां धावा बोला था. फिलिपींस, जापान, दक्षिण कोरिया और बांग्लादेश भी बड़े तूफानों की चपेट में आये. जलवायु परिवर्तन इन तूफानों की ताकत बढ़ा रहा है.
तस्वीर: Mark Schiefelbein/AP Photo/picture alliance
अफ्रीका की कमर तोड़ता जलवायु संकट
दुनिया के बाकी हिस्सों की तुलना में अफ्रीका ज्यादा और तेजी से गर्म हो रहा है. यही वजह है कि बारिश का बदलता चक्र यहां सूखा और गर्मी की ज्यादा मुश्किलें ला रहा है. सोमालिया बीते 40 सालों के सबसे भयानक सूखे का सामना कर रहा है. संकट की वजह से लाखों लोग अपना घर छोड़ कर कहीं और जा कर रहने को मजबूर हुए हैं.
तस्वीर: ZOHRA BENSEMRA/REUTERS
अफ्रीका में अकाल और पलायन
बाढ़ और भयानक सूखे ने कृषि और मवेशीपालन को अफ्रीका के कई हिस्सों में असंभव बना दिया है इसके नतीजे में लाखों लोगों के सामने पेट भरने का संकट है. इथियोपिया, सोमालिया और केन्या में तो भूख के कारण पहले ही बहुत से लोगों की जान जा चुकी है.
तस्वीर: Dong Jianghui/dpa/XinHua/picture alliance
उत्तर अमेरिका की आग और बाढ़ ca
आंधी और तूफान ने अमेरिका के कैलिफोर्निया, नेवाडा और एरिजोना में खूब तबाही मचाई. गर्मियों के आखिरी महीनों में 40 डिग्री से ज्यादा तापमान ने लोगों को पसीने पसीने कर दिया. इसके साथ ही शुरुआती गर्मी के मौसम में भारी बारिश ने येलोस्टोन नेशनल पार्क और केंटकी में बाढ़ का संकट पैदा किया.
तस्वीर: DAVID SWANSON/REUTERS
तूफानों की तबाही
सितंबर में ईयान तूफान ने अमेरिकी राज्य फ्लोरिडा का काफी नुकसान किया स्थानीय अधिकारियों ने इसकी तीव्रता के आधार पर इसे 'ऐतिहासिक' कहा. इससे पहले ईयान ने क्यूबा को भी खूब परेशान किया, जहां लोगों को कई दिन तक बिना बिजली के गुजारने पड़े. फियोना तूफान लातिन अमेरिका और कैरेबिया में भारी नुकसान करने के बाद कनाडा पहुंचा. यह सबसे भयानक उष्णकटिबंधीय तूफान साबित हुआ.
तस्वीर: Giorgio Viera/AFP/Getty Images
मध्य अमेरिका में उष्णकटिबंधीय तूफान
मध्य अमेरिका तक पहुंचने वाले उष्णकटिबंधीय तूफानों में फियोना अकेला नहीं था. अक्टूबर में तूफान जूलिया ने कोलंबिया, वेनेजुएला, निकारागुआ, होंडुरास और अल सल्वाडोर को सताया और भारी नुकसान किया. वैश्विक तापमान बढ़ रहा है, सागर की सतह का तापमान बढ़ रहा है जो तूफानों को भयानक बना रहा है.
लगभग पूरे दक्षिण अमेरिकी महादेश को लगातार सूखे ने अपनी चंगुल में जकड़े रखा. उदाहरण के लिए चिली तो 2007 से ही बारिश की अत्यधिक कमी से जूझ रहा है. कई इलाकों में धाराएं और नदियां 50 से 90 फीसदी तक सूख गई हैं. मेक्सिको भी कई साल से बारिश के लिए तरस रहा है. अर्जेंटीना, ब्राजील, उरुग्वे, बोलिविया, पनामा और इक्वाडोर और कोलंबिया के लोग भी सूखे के साथ जी रहे हैं.
तस्वीर: IVAN ALVARADO/REUTERS
न्यूजीलैंड और ऑस्ट्रेलिया पानी पानी
तेज बारिश के कारण ऑस्ट्रेलिया के कई इलाके 2022 में कई बार बाढ़ की चपेट में आये. जनवरी और मार्च के बीच देश के पूर्वी तट वाले इलाके में लगभग उतनी ही बारिश हुई जितनी जर्मनी में पूरे साल में होती है. न्यूजीलैंड भी बाढ़ से नहीं बच सका. अल नीना मौसम के तीखे तेवरों के लिए जिम्मेदार है लेकिन जलवायु परिवर्तन इसे और बढ़ा रहा है. गर्म वातावरण ज्यादा पानी सोखता है और बारिश को भारी बनाता है.