भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) द्वारा ज्ञानवापी मस्जिद का सर्वेक्षण सोमवार से शुरू हो गया. एएसआई को चार अगस्त को अपनी रिपोर्ट जिला अदालत में पेश करनी है.
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भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) की एक टीम ने वाराणसी की ज्ञानवापी मस्जिद का "वैज्ञानिक सर्वे" शुरू कर दिया है. मस्जिद मैनेजमेंट कमेटी ने निरीक्षण की अनुमति देने वाली वाराणसी जिला अदालत के आदेश के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की है.
पिछले शुक्रवार को वाराणसी के जिला जज एके विश्वेश ने मस्जिद परिसर का वैज्ञानिक सर्वे कराने का आदेश दिया था. सर्वे करने वाली एएसआई की टीम में 30 लोग शामिल हैं और सर्वे में दोनों पक्षों के वकील भी शामिल हैं. कोर्ट ने सर्वे की रिपोर्ट चार अगस्त तक पेश करने का आदेश दिया है.
क्यों हो रहा है सर्वे
वाराणसी की जिला अदालत ने शुक्रवार को हिंदू पक्ष की मांग स्वीकार करते हुए वजूखाने को छोड़कर पूरे ज्ञानवापी परिसर का एएसआई से सर्वे कराने की इजाजत दी थी. अदालत ने अपने आदेश में कहा था कि बिना कोई क्षति पहुंचाए वैज्ञानिक तरीके से सर्वे के लिए टीम बनाई जाए.
इस मामले पर अगली सुनवाई चार अगस्त को होगी और उस दिन एएसआई की ओर से अदालत को सर्वे टीम की जानकारी दी जाएगी और वैज्ञानिक तकनीक के बारे में बताया जाएगा. उस दिन तय होगा कि सर्वे किस तरह और कब से होगा.
वजूखाने में दावे वाले शिवलिंग के वैज्ञानिक सर्वे के आदेश पर सुप्रीम कोर्ट रोक लगा चुका है. इस आदेश की वजह से सील वजूखाने का सर्वे नहीं होगा. वजूखाने के फव्वारे को लेकर हिंदू पक्ष का दावा है कि वह शिवलिंग है. जिला अदालत ने एएसआई को 10 बिंदुओं पर जांच करने का आदेश दिया है.
हागिया सोफिया अब मस्जिद है
05:09
इन बातों की होगी जांच
एएसआई अपने सर्वे में यह पता लगाएगी कि ज्ञानवापी की पश्चिम दीवार पर ढांचा मौजूद है वह कितना पुराना है. निर्माण को किसी भी तरह से नुकसान पहुंचाए बिना रडार तकनीक से मस्जिदों के गुंबदों के नीचे के पूरे हिस्से की उम्र का पता लगाने की कोशिश की जाएगी.
सर्वे में धार्मिक, पुरातात्विक और ढांचे की वास्तविक उम्र से जुड़े सभी तथ्यों की पूरी सूची बनाकर अदालत में पेश करना होगा. एएसआई के निदेशक दोनों पक्षकारों से मिलकर चार अगस्त तक रिपोर्ट दाखिल करेंगे.
हिंदू पक्ष की दलील है कि ज्ञानवापी आदिविश्वेश्वर का मूल स्थान है . हिंदू पक्ष का दावा है कि पिछले साल मई में हुए सर्वे में मस्जिद की पश्चिमी दीवार पर मिले निशान और अवशेषों से साफ है कि यह मंदिर की दीवार है. वहीं मुस्लिम पक्ष का दावा है ज्ञानवापी में पहले से मस्जिद थी. मस्जिद को किसी धार्मक स्थल पर नहीं बनाया गया है.
मुस्लिम पक्ष का कहना है कि ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे साबित हो सके कि मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई गई थी.
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1528
कुछ हिंदू नेताओं का दावा है कि इसी साल मुगल शासक बाबर ने मंदिर तोड़कर मस्जिद बनाई थी.
तस्वीर: DW/S. Waheed
1853
इस जगह पर पहली बार सांप्रदायिक हिंसा हुई.
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1859
ब्रिटिश सरकार ने एक दीवार बनाकर हिंदू और मुसलमानों के पूजा स्थलों को अलग कर दिया.
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1949
मस्जिद में राम की मूर्ति रख दी गई. आरोप है कि ऐसा हिंदुओं ने किया. मुसलमानों ने विरोध किया और मुकदमे दाखिल हो गए. सरकार ने ताले लगा दिए.
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1984
विश्व हिंदू परिषद ने एक कमेटी का गठन किया जिसे रामलला का मंदिर बनाने का जिम्मा सौंपा गया.
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1986
जिला उपायुक्त ने ताला खोलकर वहां हिंदुओं को पूजा करने की इजाजत दे दी. विरोध में मुसलमानों ने बाबरी मस्जिद एक्शन कमेटी का गठन किया.
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1989
विश्व हिंदू परिषद ने मस्जिद से साथ लगती जमीन पर मंदिर की नींव रख दी.
तस्वीर: AP
1992
वीएचपी, शिव सेना और बीजेपी नेताओं की अगुआई में सैकड़ों लोगों ने बाबरी मस्जिद पर चढ़ाई की और उसे गिरा दिया.
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जनवरी 2002
तत्कालीन प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी ने अपने दफ्तर में एक विशेष सेल बनाया. शत्रुघ्न सिंह को हिंदू और मुस्लिम नेताओं से बातचीत की जिम्मेदारी दी गई.
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मार्च 2002
गोधरा में अयोध्या से लौट रहे कार सेवकों को जलाकर मारे जाने के बाद भड़के दंगों में हजारों लोग मारे गए.
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अगस्त 2003
पुरातात्विक विभाग के सर्वे में कहा गया कि जहां मस्जिद बनी है, कभी वहां मंदिर होने के संकेत मिले हैं.
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जुलाई 2005
विवादित स्थल के पास आतंकवादी हमला हुआ. जीप से एक बम धमाका किया गया. सुरक्षाबलों ने पांच लोगों को गोलीबारी में मार डाला.
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2009
जस्टिस लिब्रहान कमिश्न ने 17 साल की जांच के बाद बाबरी मस्जिद गिराये जाने की घटना की रिपोर्ट सौंपी. रिपोर्ट में बीजेपी को जिम्मेदार ठहराया गया.
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सितंबर 2010
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि विवादित स्थल को हिंदू और मुसलमानों में बांट दिया जाए. मुसलमानों को एक तिहाई हिस्सा दिया जाए. एक तिहाई हिस्सा हिंदुओं को मिले. और तीसरा हिस्सा निर्मोही अखाड़े को दिया जाए. मुख्य विवादित हिस्सा हिंदुओं को दे दिया जाए.
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मई 2011
सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को निलंबित किया.
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मार्च 2017
रामजन्म भूमि और बाबरी मस्जिद विवाद पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोनों पक्षों को यह विवाद आपस में सुलझाना चाहिए.
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मार्च, 2019
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की मध्यस्थता के लिए एक तीन सदस्यीय समिति बनाई. श्रीश्री रविशंकर, श्रीराम पांचू और जस्टिस खलीफुल्लाह इस समिति के सदस्य थे. जून में इस समिति ने रिपोर्ट दी और ये मामला मध्यस्थता से नहीं सुलझ सका. अगस्त, 2019 से सुप्रीम कोर्ट ने रोज इस मामले की सुनवाई शुरू की.
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नवंबर, 2019
सुप्रीम कोर्ट की संवैधानिक बेंच ने फैसला दिया कि विवादित 2.7 एकड़ जमीन पर राम मंदिर बनेगा जबकि अयोध्या में मस्जिद के लिए पांच एकड़ जमीन सरकार मुहैया कराएगी.
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अगस्त, 2020
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अयोध्या में बुधवार को राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन किया और मंदिर की आधारशिला रखी. कोरोना वायरस की वजह से इस कार्यक्रम को सीमित रखा गया था और टीवी पर इसका सीधा प्रसारण हुआ.