बिहार: धार्मिक रंग ले रहा है नीतीश का हिजाब प्रकरण
१९ दिसम्बर २०२५
बिहार में इस प्रकरण का वीडियो वायरल होने के बाद देश के मुस्लिम संगठन काफी सक्रिय हो गए. पाकिस्तान व बांग्लादेश में विरोध प्रदर्शन किया जा रहा. पाकिस्तान के गैंगस्टर शहजाद भट्टी ने अंजाम भुगतने की धमकी दे दी तथा वहां के नेता भी टीका-टिप्पणी कर रहे.
वायरल वीडियो के अनुसार, बीते 15 दिसंबर को मुख्यमंत्री (सीएम) नीतीश कुमार आयुष चिकित्सकों को नियुक्ति पत्र बांट रहे थे. इस दौरान उन्होंने डॉ. नुसरत परवीन को नियुक्ति पत्र दे दिया और फिर इशारा करते हुए पूछा कि यह क्या है. महिला ने जवाब दिया कि यह हिजाब है सर. फिर सीएम ने कहा, हटाइए इसे और फिर उन्होंने खुद ही हिजाब खींच दिया. हालांकि, इस बीच डिप्टी सीएम सम्राट चौधरी मुख्यमंत्री को रोकने के प्रयास में उनकी आस्तीन खींचते हुए दिखाई दे रहे. वहीं, हिजाब हट जाने के बाद महिला डॉक्टर थोड़ी असहज हो गई तथा आसपास के लोग हंसते हुए नजर आए. इसके बाद वहां मौजूद अधिकारियों ने महिला को जाने का इशारा किया और वह वहां से चली गई.
बिहार: आसान नहीं नीतीश सरकार की राह
इस प्रकरण के बाद बताया जा रहा है कि डॉ. नुसरत परवीन ने नौकरी ज्वाइन करने से मना कर दिया. वह कोलकाता चली गई. नुसरत मूल रूप से बिहार के नवादा जिले की रहने वाली हैं, उनका परिवार कोलकाता में रहता है. उन्होंने कोलकाता से बीयूएमएस (बैचलर ऑफ यूनानी मेडिकल साइंस) किया है तथा फिलहाल वह पटना के तिब्बी कॉलेज से पीजी कर रही हैं. दैनिक भास्कर की एक रिपोर्ट के अनुसार, नुसरत अब बिहार सरकार की नौकरी नहीं करेंगी. परिवार उन्हें समझाने की कोशिश कर रहा है. नुसरत का कहना है कि वे यह नहीं कह रहीं कि मुख्यमंत्री ने यह इंटेशनली किया, लेकिन जो हुआ वह उन्हें अच्छा नहीं लगा. वहां काफी लोग थे, कुछ हंस रहे थे. एक लड़की होने के नाते उनके लिए यह अपमान जैसा था.
हिजाब पर मुखर हुए धार्मिक नेता
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के अध्यक्ष मौलाना यासूब ने नीतीश कुमार द्वारा हिजाब खींचे जाने को महिलाओं की इज्जत पर हमला बताते हुए कहा कि जो काम बीजेपी और आरएसएस ने नहीं किया, वह नीतीश ने कर दिया, उन्हें सबके सामने माफी मांगनी चाहिए. वहीं, इस्लामिक सेंटर के प्रवक्ता मौलाना सूफियान निजामी ने कहा है कि हिजाब पहनना मुस्लिम महिलाओं का अधिकार है, एक महिला का हिजाब खींचने का अधिकार किसी को नहीं है.
वहीं, इमारत-ए-शरिया बिहार, झारखंड, ओडिशा व बंगाल के महासचिव मुफ्ती मो. रहमान काजमी ने अपनी प्रतिक्रिया में इसे महिलाओं का अपमान तथा शर्मनाक स्थिति बताया. जबकि वे दावा करते आए हैं कि महिलाओं का सम्मान करते हैं. यह किसी तरह मुनासिब नहीं है. बिहार की तमाम महिलाओं से उन्हें माफी मांगनी चाहिए. वहीं, बरेलवी के मौलाना मुफ्ती शहाबुद्दीन रजवी ने कहा कि मुख्यमंत्री ने अपनी गरिमा तार-तार की है. वे पूरे मुस्लिम कौम से माफी मांगें. इस्लाम में महिलाओं को पर्दा रखने को कहा गया है.
गर्म हो गया सियासी पारा
इस बीच, उत्तर प्रदेश के मंत्री संजय निषाद का एक बयान भी विवादों में रहा. उन्होंने नीतीश कुमार का बचाव करते हुए कहा कि वे भी आदमी ही हैं. नकाब छू लिया तो इतना पीछे नहीं पड़ना चाहिए. कहीं और छू लिया होता तो क्या होता. नकाब पर आप लोग इतना कह रहे तो कहीं चेहरा-वेहरा छू लेते, कहीं और उंगली पड़ जाती तो क्या करते आप लोग. हालांकि, बाद में निषाद ने अपने इस बयान के लिए माफी भी मांगी, लेकिन शायर मुनव्वर राणा की बेटी व समाजवादी पार्टी की प्रवक्ता सुमैया राणा ने इसे लेकर दोनों के ही खिलाफ शिकायत दर्ज करा दी है.
सुप्रीम कोर्ट ने तलाक-ए-हसन की वैधता पर सवाल उठाए
इस घटनाक्रम के बाद राज्य के प्रमुख विपक्षी दल व लालू प्रसाद की पार्टी आरजेडी ने हिजाब हटाने का वीडियो अपने सोशल साइट पर अपलोड करते हुए लिखा कि नीतीश जी को ये क्या हो गया है, क्या उनकी मानसिक स्थिति बिल्कुल ही दयनीय हो चुकी है. क्या वे सौ प्रतिशत संघी हो चुके हैं. उल्लेखनीय है कि इससे पहले भी कई मौकों पर तथा चुनाव के दौरान आरजेडी नेता तेजस्वी यादव मुख्यमंत्री की सेहत को लेकर सवाल उठाते रहे हैं.
कांग्रेस पार्टी ने भी एक्स हैंडल पर कहा, बिहार में सबसे बड़े पद पर बैठा आदमी सरेआम ऐसी हरकत कर रहा है, सोचिए राज्य में महिलाएं कितनी सुरक्षित होंगी. इस घटिया हरकत के लिए नीतीश कुमार को तुरंत इस्तीफा दे देना चाहिए. श्रीनगर की मुस्लिम महिला नेता जायरा वसीम ने एक्स पर लिखा कि नीतीश कुमार बिना शर्त माफी मांगें. महिलाओं की मर्यादा और गरिमा कोई खिलौना नहीं है, जिससे खिलवाड़ किया जा सके.
नीतीश के साथ फिर से क्यों गईं महिला वोटर?
दैनिक भास्कर की रिपोर्ट के अनुसार जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला ने इस घटनाक्रम पर कहा कि सोचिए, अगर किसी हिंदू महिला का घूंघट मैंने उठा दिया होता तो क्या होता. कितना हंगामा करती बीजेपी. लेकिन, अभी बात मुस्लिम महिला की है तो उसका स्टैंड कुछ और ही है. वहीं, पूर्व सीएम महबूबा मुफ्ती ने कहा कि एक युवती का नकाब खींचते हुए देखकर मुझे गहरा सदमा लगा. सपा सांसद इकरा हसन ने कहा कि हिजाब खींचना महिला डॉक्टर की गरिमा और धार्मिक पहचान पर सीधा हमला है. जब मुख्यमंत्री ऐसा करे तो सुरक्षा पर सवाल उठना लाजिमी है. इससे हमारे समाज में गलत संदेश गया है.
मौलाना असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी एआइएमआइएम के कोचाधामन से विधायक सरवर आलम कहते हैं, ‘‘मुस्लिम महिला हिजाब पहन कर आई तो इसमें किसी को क्या आपत्ति हो सकती है. सीएम अच्छी तरह से जानते हैं कि किसी औरत के कपड़े के साथ छेड़छाड़ नहीं कर सकते.''
पब्किल स्पेस में बराबरी मांगती महिलाओं का संघर्ष
नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक सुरक्षित: जेडीयू
गुरुवार को जेडीयू के आधिकारिक एक्स हैंडल पर पोस्ट में कहा गया है कि नीतीश जी ने न्याय के साथ विकास की यात्रा में किसी के साथ भेदभाव नहीं किया है. अल्पसंख्यक समाज के विकास के लिए विभाग का बजट काफी बढ़ाया. नीतीश सरकार में अल्पसंख्यक सुरक्षित और निश्चित हैं. मुख्यमंत्री का बचाव करते हुए केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह कहते हैं, ‘‘नीतीश कुमार ने कुछ भी गलत नहीं किया है. ये कोई इस्लामिक देश है क्या. अगर कोई नियुक्ति पत्र लेने जा रही है तो क्या वह अपना चेहरा नहीं दिखाएगी.''
बिहार: आखिर मां के दूध में कैसे पहुंचा यूरेनियम?
वहीं, केंद्रीय मंत्री व हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा के संरक्षक जीतन राम मांझी कहते हैं, ‘‘बेटी समझ कर उन्होंने ऐसा किया होगा कि काम करने जा रही हो तो हिजाब लगाने की क्या जरूरत है. उनका इरादा गलत नहीं था. इसे धर्म के चश्मे से नहीं देखना चाहिए.''
इसमें कोई दो राय नहीं कि इस प्रकरण से एनडीए निशाने पर नहीं है. तीन-चार दिन बाद ही उसके नेता नीतीश के बचाव में सामने आए, आखिर मामला महिला अस्मिता से जो जुड़ा है. शायद इसलिए पत्रकार रवि रंजन कहते हैं, ‘‘नीतीश एक तरह से एनडीए की मजबूरी हैं. उनके पास नीतीश के कद का कोई नेता नहीं है, वहीं नीतीश के पास संख्या बल के अनुसार दूसरा विकल्प भी है. यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी कि वे पाला बदल भी सकते हैं और मौके-बेमौके ऐसे दावे किए भी जाते हैं. वे कब तक चुप रह सकते हैं.''
पड़ोसी देश में भी हुई निंदा
पाकिस्तान के डिप्टी पीएम और विदेश मंत्री इसहाक डार ने एक्स हैंडल पर लिखा कि बिहार में एक मुस्लिम महिला के अपमान से जुड़ी शर्मनाक घटना निंदनीय और बेहद परेशान करने वाली है. ऐसी घटनाएं अल्पसंख्यकों के अधिकारों की रक्षा करने तथा इस्लामोफोबिया के बढ़ते मामलों से निपटने की जरूरत को दिखाती है.
वहीं, पाकिस्तान के राजनीतिक विश्लेषक अम्मार मसूद ने वीडियो शेयर करते हुए लिखा है कि भारत में मुसलमानों के साथ दुर्व्यवहार की यह दुखद मिसाल है. पाकिस्तान के ही 'द डॉन' अखबार में लिखा गया है कि भारत और पाकिस्तान, दोनों ही देशों में इस घटना को लेकर गुस्सा है. इसकी गंभीरता को समझने के लिए किसी विशेष धर्म से संबंधित होना जरूरी नहीं है.
बदल गया नियुक्ति पत्र वितरण का तरीका
इधर, इस मामले के तूल पकड़ने के बाद बीते बुधवार को गया पहुंचे सीएम के कार्यक्रम में मीडिया को प्रतिबंधित कर दिया गया. साथ ही नियुक्ति पत्र वितरण का तरीका भी बदला हुआ नजर आया. बिहार स्टेट पावर होल्डिंग कंपनी लिमिटेड तथा इससे जुड़ी कंपनियों में नियुक्ति के लिए चुने दो हजार से अधिक अभ्यर्थियों में महज तीन को सीएम ने सिंबॉलिक नियुक्ति पत्र सौंपा. शेष को विभागीय अधिकारियों ने नियुक्ति पत्र दिए.
वहीं, मुख्यमंत्री के कार्यक्रम की लाइव स्ट्रीमिंग बंद कर दी गई. इसके बदले तस्वीर व वीडियो विभाग के सोशल साइट पर शेयर किए गए. राजनीतिक समीक्षक एस के सिंह कहते हैं, ‘‘बीते दिनों उनके अजीबोगरीब व्यवहार से यह आभास तो हो ही रहा कि दिन-प्रतिदिन बढ़ती उम्र के साथ कहीं न कहीं स्वास्थ्य संबंधी समस्या तो कुछ है. उन्हें कुछ नेता तो हमेशा ही घेरे हुए दिखाई देते हैं. खैर... जो भी हो, उनकी पार्टी के नेताओं तथा अफसरों को इस पर सोचना चाहिए. इतने बड़े पद पर बैठे व्यक्ति की अटपटी हरकतें तो निशाना बनेंगी ही.'' इससे तो बचना ही होगा.