यूरोपीय आयोग की प्रमुख उर्सुला फोन डेय लायन ने भारत यात्रा के दौरान मोदी सरकार को रूस के प्रति उसके रुख को लेकर आगाह किया किया है. उन्होंने कहा कि रूस और चीन की मित्रता की कोई सीमा नहीं है.
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उर्सुला फोन डेय लायन भारत की दो दिवसीय यात्रा के पहले दिन भारतीय विदेश मंत्रालय और ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन द्वारा आयोजित सम्मेलन रायसीना डायलॉग में बोल रही थीं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में उन्होंने यूक्रेन पर रूस के हमले की निंदा की.
फोन डेय लायन ने बूचा में हुई हत्याओं को "अंतरराष्ट्रीय कानून का गंभीर उल्लंघन" बताया और आगे कहा कि यूक्रेन में जो हो रहा है उसका असर हिंद-प्रशांत क्षेत्र पर भी पड़ेगा क्योंकि "यूरोप की तरह हिंद-प्रशांत के लिए भी यह जरूरी है कि सीमाओं का आदर किया जाए और प्रभुत्व के क्षेत्रों को नकारा जाए."
भारत को इशारों में समझाते हुए उन्होंने चेताया की रूस को समर्थन देने से भारत को चीन के साथ अपने रिश्ते संभालने में दिक्कत हो सकती है. उन्होंने बताया कि रूस और चीन ने इसी साल फरवरी में घोषणा की थी कि उनकी दोस्ती की कोई सीमा नहीं है और किसी भी क्षेत्र में सहयोग वर्जित नहीं है.
यह बताते हुए कि इसके ठीक बाद रूस ने यूक्रेन पर हमला कर दिया, उन्होंने सवाल उठाया कि अब इन दोनों देशों ने जो "नए अंतरराष्ट्रीय संबंधों" का आह्वान किया है, उससे हम क्या उम्मीद कर सकते हैं?
फोन डेय लायन ने जोर देकर कहा कि पूरी दुनिया में शांति और सुरक्षा के जो मूल सिद्धांत हैं वो एशिया में भी और यूरोप में भी दांव पर लगे हैं.
लेकिन इसके साथ ही उन्होंने मामले के कूटनीतिक समाधान की जरूरत को भी रेखांकित किया और कहा कि रूस के खिलाफ यूरोप के प्रतिबंधों का यही उद्देश्य है कि लंबी अवधि में इनकी मदद से एक ऐसा कूटनीतिक समाधान हासिल किया जा सके जिससे स्थायी रूप से शांति की स्थापना की जा सके.
इशारों में ही इन प्रतिबंधों को समर्थन देने के लिए भारत से अपील करते हुए उन्होंने कहा, "हम अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सभी सदस्यों से अनुनय करते हैं कि वो लंबी चलने वाली शांति के लिए हमारी कोशिशों का समर्थन करें."
यूरोपीय देश, ब्रिटेन और अमेरिका यूक्रेन युद्ध की शुरुआत से ही भारत के रूस के प्रति रुख को लेकर निराशा व्यक्त करते आए हैं. भारत ने युद्ध और हिंसा की निंदा तो की है लेकिन रूस की निंदा नहीं की है.
संयुक्त राष्ट्र में भी पश्चिमी देशों द्वारा लाए गए रूस की आलोचना वाले प्रस्तावों पर मतदान से भारत ने बार बार खुद को दूर रखा है. माना जा रहा है कि फोन डेय लायन की भारत यात्रा का उद्देश्य भी भारत को अपने रुख को बदलने के लिए मनाने की कोशिश करना है.
रूसी सेना पर भारी पड़ रहे हैं यूक्रेन को मिले ये हथियार
छोटी सी यूक्रेनी सेना, रूस को इतनी कड़ी टक्कर कैसे दे रही है? इसका जवाब है, यूक्रेन को मिले कुछ खास विदेशी हथियार. एक नजर इन हथियारों पर.
ये अमेरिकी पोर्टेबल एंटी टैंक मिसाइलें हैं. इन्हें आसानी से कंधे पर रखकर कहीं भी ले जाया जा सकता है. पेड़ या इमारत की आड़ में छुपा एक सैनिक भी इसे अकेले ऑपरेट कर सकता है. इस मिसाइल ने यूक्रेन में रूसी टैंकों को काफी नुकसान पहुंचाया है.
यूक्रेन को अमेरिका और तुर्की ने बड़ी मात्रा में हमलावर ड्रोन मुहैया कराए हैं. बीते एक दशक में तुर्की हमलावर ड्रोन टेक्नोलॉजी में बहुत आगे निकल चुका है. अमेरिकी ड्रोन भी अफगानिस्तान में जांचे परखे जा चुके हैं. यूक्रेन को मिले इन ड्रोनों ने रूसी काफिले को काफी नुकसान पहुंचाया है.
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S-300 मिसाइल डिफेंस सिस्टम
स्लोवाकिया की सरकार ने यूक्रेन को रूस में बने S-300 एयरक्राफ्ट एंड मिसाइल डिफेंस सिस्टम दिया है. यह सिस्टम 100 किलोमीटर की दूरी से लड़ाकू विमानों और मिसाइलों का पता लगा लेता है. इस सिस्टम के मिलने के बाद यूक्रेन के ऊपर रूसी लड़ाकू विमानों का प्रभुत्व कमजोर पड़ चुका है.
तस्वीर: AP
MI-17 हेलिकॉप्टर
अमेरिका ने यूक्रेन को रूसी MI-17 हेलिकॉप्टर भी दिए हैं. अमेरिका ने काफी पहले रूस से ये हेलिकॉप्टर खरीदे थे. रूस के यही हेलिकॉप्टर अब रूसी सेना के लिए आफत बन रहे हैं. अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोपीय संघ के देश अब तक यूक्रेन को 1.5 अरब डॉलर की सहायता दे चुके हैं.
तस्वीर: Reuters/Kacper Pempel
NLAW-लाइट एंटी टैंक वीपन
टैंकों को निशाना बनाने वाला बेहद हल्का यह मिसाइल सिस्टम स्वीडिश कंपनी साब बनाती हैं. 12.5 किलोग्राम वजन वाला ये सिस्टम 800 मीटर दूर तक सटीक मार करता है. ब्रिटेन ने अब तक ऐसे करीब 3600 लाइट एंटी टैंक वीपन यूक्रेनी सेना को दिए हैं.
तस्वीर: picture alliance/Vadim Ghirda/AP Photo
हमर और रडार सिस्टम
अमेरिका ने यूक्रेन को 70 हमर गाड़ियां दी हैं. साथ ही यूक्रेन को दी गई करोड़ों डॉलर की सैन्य मदद के तहत अमेरिका ने आधुनिक रडार सिस्टम और गश्ती नाव भी दी हैं.
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FIM-92 स्ट्रिंगर
एक इंसान के जरिए ऑपरेट किया जाने वाला FIM-92 स्ट्रिंगर सिस्टम असल में एक पोर्टेबल एयर डिफेंस सिस्टम है. अमेरिका में बनाया गया यह सिस्टम तेज रफ्तार लड़ाकू विमानों और हेलिकॉप्टरों को निशाना बनाता है. अमेरिका और जर्मनी ने ऐसी 1900 यूनिट्स यूक्रेन को दी हैं.
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बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां
जर्मनी ने यूक्रेन की सेना को 80 बुलेटप्रूफ बख्तरबंद गाड़ियां दी हैं. इन गाड़ियों से फायरिंग और रॉकेट लॉन्च किए जा सकते हैं. जर्मनी ने यूक्रेन को 50 एंबुलेंस भी दिए हैं.
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नीदरलैंड्स के हथियार
यूक्रेन को सबसे पहले सैन्य मदद देने वाले यूरोपीय देशों में नीदरलैंड्स भी शामिल है. डच सरकार ने कीव को 400 एंटी टैंक वैपन, 200 एंटी एयरक्राफ्ट स्ट्रिंगर मिसाइलें और 100 स्नाइपर राइफलें दीं.
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नाइट विजन इक्विपमेंट्स
अमेरिका से मिले नाइट विजन ग्लासेस भी यूक्रेनी सेना की बड़ी मदद कर रहे हैं. पश्चिमी देशों से मिले नाइट विजन चश्मे और ड्रोन, इंफ्रारेड व हीट सेंसरों से लेस है. रूस फिलहाल इस टेक्नोलॉजी में पीछे है.
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इंटेलिजेंस सपोर्ट
अमेरिका और यूरोपीय संघ के पास ऐसी कई सैटेलाइट हैं जो बेहद हाई रिजोल्यूशन में धरती का डाटा जुटाती हैं. इन सैटेलाइटों और दूसरे स्रोतों से मिला खुफिया डाटा भी इस युद्ध में यूक्रेनी सेना की काफी मदद कर रहा है.