अमेरिका और उसके साथी लोगों के वॉट्सऐप मैसेज पढ़ना चाहते हैं
४ अक्टूबर २०१९
अमेरिका, ब्रिटेन और ऑस्ट्रेलिया की सरकार ने फेसबुक से कहा है कि वो सुरक्षा और अपराध से जुड़ी चीजों के चलते एनक्रिप्टेड मैसेजों को पढ़ना चाहती है. ऐसे में फेसबुक को इसके लिए इन सरकारों को तरीका बताना होगा.
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अमेरिका के अटॉर्नी जनरल विलियम बार के साथ ब्रिटिश और ऑस्ट्रेलियाई अटॉर्नी जनरलों ने फेसबुक से कहा है कि वो उनकी सरकारों के लिए वॉट्सऐप सहित दूसरे एनक्रिप्टेड मैसेजिंग प्लेटफॉर्म्स पर मैसेज पढ़ने के लिए कोई रास्ता तैयार करे. एनक्रिप्टेड मैसेज का मतलब ऐसे मैसेज होते हैं जो टेक्स्ट फॉर्म में ना होकर किसी कोड की फॉर्म में होते हैं और उन मैसेजों को भेजने वाले और प्राप्त करने के अलावा कोई और नहीं पढ़ सकता है. फेसबुक के संस्थापक मार्क जुकरबर्ग को लिखे एक पत्र में उन्होंने ये मांग की. इस पत्र के बाद टेक कंपनियों और सरकार के बीच विवाद होने की आशंका है. टेक कंपनिया प्राइवेसी का हवाला देकर अपने यूजर्स की निजी चैट्स साझा नहीं करती हैं.
इस पत्र में उन्होंने लिखा, "कंपनियों को जानबूझकर ऐसे सिस्टम बनाने से बचना चाहिए जिनसे किसी भी तरह से जानकारी ना मिल सके. ऐसा ना हो कि इस सिस्टम की वजह से गंभीर अपराध होने की सूरत में भी जांच ना हो सके." फेसबुक की मैसेजिंग ऐप वॉट्सऐप एंड टू एंड एनक्रिप्शन का इस्तेमाल करती है. दुनियाभर में वॉट्सऐप के करीब 150 करोड़ यूजर्स हैं. इस पॉलिसी की वजह से खुद फेसबुक भी यूजर्स के मैसेज नहीं पढ़ सकता है. हाल में फेसबुक ने घोषणा की थी कि इंस्टाग्राम और फेसबुक मैसेंजर के लिए भी वो एंड टू एंड एनक्रिप्शन का फीचर लाने वाला है.
इस पत्र में ब्रिटिश गृह मंत्री प्रीति पटेल और ऑस्ट्रेलियाई गृहमंत्री पीटर डटन ने फेसबुक को लिखा है कि अपराधिक मामलों की जांच के लिए वॉट्सऐप के मैसेजों की जांच का अधिकार सरकारी एजेंसियों को दिया जाए. साथ ही दूसरे प्लेटफॉर्मों पर एंड टू एंड एनक्रिप्शन लागू करने की योजना को फिलहाल टालने के लिए कहा है. फेसबुक ने इसके जवाब में कहा है कि यूजर्स को अपनी निजी बातचीत को निजी रखने का अधिकार है. जब भी किसी सरकार द्वारा वैध शिकायत सामने लाई जाती तो उसमें फेसबुक मदद करता है. फेसबुक के प्रवक्ता जो ऑस्बोर्न ने कहा, "हम लोगों की निजता में पिछले दरवाजे से सेंध लगाने के सरकार के प्रयास का विरोध करते हैं. "
तीनों सरकारों ने पत्र में अपने तर्क में लिखा है कि आतंकवादी, बच्चों का यौन शोषण करने वाले और दूसरे अपराधी इन तकनीकों का इस्तेमाल कर अपने गुनाहों को छिपाते हैं. यह इस तकनीक का एक काला पहलू है. निजता और सरकार के बीच टकराव का ये मामला साल 2015 से शुरू हुआ जब ऐप्पल ने एक आतंकवादी के मोबाइल का लॉक प्राइवेसी का हवाला देकर खोलने से मना कर दिया था. इस आतंकवादी ने 2015 में 14 लोगों को मार दिया था. ऐप्पल के मना करने के बाद एफबीआई ने बड़ी रकम खर्च कर इस लॉक को खुलवाया था.
एनक्रिप्शन का एक अच्छा पहलू ये है कि इससे पत्रकारों, सरकार का विरोध करने वालो, सामाजिक कार्यकर्ताओं और मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को सरकार के निशाने पर आने से बचाता है. साथ ही टेक कंपनियों का कहना है कि इससे एनक्रिप्शन से हैकर्स, अपराधियों और सरकार को ताकझांक करने से रोका जा सकता है. मार्च में एनक्रिप्शन पॉलिसी को दूसरे प्लेटफॉर्मों पर लागू करने की बात कहते हुए जुकरबर्ग ने कहा था कि इस तरीके का इस्तेमाल कर लोग बुरे काम भी कर रहे हैं. लेकिन जल्दी ही ऐसी कोई तकनीक विकसित की जाएगी जिसके द्वारा ऐसे लोगों की पहचान की जा सके.
क्या बता सकते हैं फेसबुक का रंग नीला क्यों है? या उस अकाउंट के बारे में जिसे कभी ब्लॉक नहीं कर सकते. अगर कोई मर जाए तो उस अकाउंट का क्या होगा? जानिए फेसबुक के बारे में ऐसी 11 बातें जो आमतौर पर किसी को नहीं मालूम होतीं.
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फेसबुक का नीला रंग
दुनिया में इतने रंग है लेकिन फेसबुक का रंग नीला ही क्यों? दरअसल फेसबुक का रंग नीला है क्योंकि फेसबुक चीफ मार्क जुकरबर्ग सबसे ठीक तरह से नीला रंग ही देख सकते हैं. मार्क जुकरबर्ग को रेड-ग्रीन कलर ब्लाइंडनेस है. एक रशियन टेलिविजन टॉक शो में बात करते हुए उन्होंने कहा था कि उन्हें कलर ब्लाइंडनेस है और नीला ही वह रंग है जिसे वे सबसे बेहतर ढंग से देख सकता हूं. इसीलिए उन्होंने फेसबुक का रंग नीला रखा है.
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जिसे ब्लॉक नहीं किया जा सकता
फेसबुक पर एक ऐसा शख्स भी है जिसे कभी भी ब्लॉक नहीं किया जा सकता है. जी हां, ऐसा बिल्कुल संभव है. कोई हैरत की बात नहीं है कि वह प्रोफाइल खुद मार्क जुकरबर्ग की है. फेसबुक पर कोई भी व्यक्ति उन्हें ब्लॉक नहीं कर सकता. कोशिश करके देखिए.
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जुकरबर्ग को खोजना इतना आसान
अगर आप फेसबुक पर लॉग इन करके अपने होम पेज पर हैं तो उस वक्त आपका यूआरएल होता है https://www.facebook.com और दिलचस्प बात यह है कि अगर आप अपने इसी url के आगे बस /4 जोड़ देंगे तो आप सीधे मार्क जुकरबर्ग की वॉल पर पहुंच जाएंगे.
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दो देशों में फेसबुक बैन भी है
फेसबुक पर अरबों यूजर्स हैं जिनमें दुनिया के लगभग हर देश के लोग हैं. लेकिन सबसे दिलचस्प बात है कि फेसबुक चीन और उत्तर कोरिया दो देशों में बैन है.
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कोई मर जाए तो अकाउंट का क्या होता है?
यदि हमारी जान पहचान में कोई किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है तो हम फेसबुक पर इस बात की रिपोर्ट कर सकते हैं. फेसबुक ऐसी प्रोफाइल्स को एक तरह का स्मारक (memorialized account) बना देता है. इस अकाउंट में कोई भी व्यक्ति लॉग इन नहीं कर सकता है. इस तरह के अकाउंट में कोई भी बदलाव नहीं किया जा सकता.
हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर
फेसबुक के जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक हर सेकंड 5 नए लोग फेसबुक पर अपना अकाउंट बनाते हैं. फेसबुक पर हर रोज लगभग 30 करोड़ तस्वीरें अपलोड की जाती हैं. हर 60 सेकंड में 50 हजार कमेंट्स और लगभग 3 लाख स्टेटस लिखे जाते हैं. वहीं दूसरी ओर फेसबुक पर लगभग 9 करोड़ फेक प्रोफाइल्स हैं.
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लाइक की जगह था ये नाम
फेसबुक पर हर जगह लाइक का ऑप्शन दिखता है. वैसे फेसबुक पर इस ऑप्शन के बारे में काफी विवाद रहा. सबसे पहले इसका नाम 'AWESOME' रखा गया था. लेकिन इसे बाद में LIKE किया गया था.
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ये पोक क्या बला है?
फेसबुक पर एक फीचर है पोक. किसी की प्रोफाइल पर जाकर आप उसे पोक कर सकते हैं. लेकिन इसका मतलब क्या है? दरअसल कोई मतलब नहीं है. ये बस जैसे खेल के लिए है. यहां तक कि फेसबुक हेल्प सेंटर में भी आप पूछेंगे कि 'poke' का क्या मतलब है तो आपको कभी पता नहीं चलेगा. इस बारे में मार्क जुकरबर्ग कह चुके हैं कि उन्होंने सोचा था कि वे फेसबुक पर एक ऐसा फीचर बनाएंगे जो बेमतलब होगा. ये बस मस्ती के लिए बनाया गया है.
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फेसबुक एक बीमारी
फेसबुक का एडिक्शन इन दिनों एक बीमारी का रूप लेता जा रहा है. दुनियाभर में हर उम्र के लोग फेसबुक एडिक्शन डिसऑर्डर यानी फेसबुक की लत से जूझ रहे हैं. इस बीमारी का संक्षिप्त नाम FAD है. इस वक्त दुनिया में लगभग कई करोड़ लोग FAD से ग्रसित हैं.
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खरीदा इंस्टाग्राम और वॉट्सऐप को
9 फेसबुक 2004 मार्च में शुरू हुआ और एक साल के भीतर ही इसने दस लाख यूजर्स जुटा लिए थे. जून 2009 तक यह इतना बढ़ चुका था कि यह अमेरिका की नंबर वन सोशल नेटवर्किंग साइट बन गयी. अप्रैल 2012 में फेसबुक ने इंस्टाग्राम और 2014 में वॉट्सऐप को भी खरीद लिया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/T. Hase
कब क्या लॉन्च हुआ
फेसबुक ने सितंबर 2004 में "वॉल", सितंबर 2006 में "न्यूज फीड", फरवरी 2009 में "लाइक" बटन और सितंबर 2011 में टाइमलाइन फीचर लॉन्च किया.