व्हाइट हाउस के एक अधिकारी के मुताबिक वॉशिंगटन और मॉस्को परमाणु हथियार नियंत्रण और यूक्रेन पर चर्चा के लिए तैयार हैं. उसके बाद नाटो और रूस के बीच अहम मुद्दों पर बातचीत होने की उम्मीद है.
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व्हाइट हाउस के एक अधिकारी ने सोमवार को कहा कि अमेरिका और रूस 10 जनवरी को यूक्रेनी सीमा के पास सैन्य तैनाती और परमाणु हथियार नियंत्रण जैसे मुद्दे पर बातचीत करने के लिए तैयार हैं.
अमेरिकी राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक प्रवक्ता ने मीडिया से कहा, "अमेरिका रूस के साथ बातचीत को लेकर उत्सुक है." प्रवक्ता ने कहा, "जब हम बात करने के लिए बैठेंगे तो रूस अपनी चिंताओं को पटल पर रख सकता है और हम रूस की गतिविधियों के बारे में अपनी चिंता जाहिर कर सकते हैं."
आरआईए न्यूज एजेंसी के मुताबिक रूस के विदेश मंत्रालय ने मंगलवार को वार्ता की पुष्टि की है. 10 जनवरी को द्विपक्षीय बैठक सामरिक सुरक्षा वार्ता पहल के तहत होगी, जिसे अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन ने पिछले साल जून में जेनेवा में अपने शिखर सम्मेलन में शुरू किया था.
महामारी में भी जमकर बिक रहे हथियार
इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट के अध्ययन के मुताबिक कोविड-19 महामारी वैश्विक हथियारों की बिक्री को धीमा नहीं कर पाई है.
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महामारी के बीच जारी है हथियारों की दौड़
स्टॉकहोम इंटरनेशनल पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट (सिपरी) की ताजा रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया की सौ सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने 531 अरब डॉलर मूल्य के हथियार बेचे हैं. महामारी के बावजूद दुनिया में हथियारों की बिक्री में वृद्धि जारी है.
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हथियारों पर भारी खर्च
साल 2020 में दुनिया भर के देशों में कोरोना महामारी के दौरान लॉकडाउन के कारण माल की मांग में कमी आई और बाजार मंदा रहा है लेकिन एक ऐसा क्षेत्र है जिसमें व्यवसाय फलता-फूलता रहता है. यह हथियार निर्माण और बिक्री का क्षेत्र है. 2019 के मुकाबले हथियार का बाजार 1.3 प्रतिशत विस्तार किया.
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फलता-फूलता बाजार
सिपरी की शोधकर्ता एलेक्जेंड्रा मार्कस्टाइनर ने डीडब्ल्यू को बताया कि 2020 कोरोना महामारी का पहला पूर्ण वर्ष था और सबसे आश्चर्यजनक बात यह थी कि वैश्विक अर्थव्यवस्था में 3.1 प्रतिशत की कमी आई लेकिन महामारी के दौरान हथियारों और गोला-बारूद का व्यापार भी फला-फूला.
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बड़ा कारोबार
पिछले साल 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों ने कुल 531 अरब डॉलर के हथियार या फिर उससे जुड़ी सेवाएं बेची. यह मूल्य बेल्जियम के आर्थिक उत्पादन से भी अधिक है.
अमेरिका ने हथियारों के उत्पादन और हथियारों की बिक्री दोनों में दुनिया का नेतृत्व करना जारी रखा है. वैश्विक स्तर पर शीर्ष 100 हथियार कंपनियों में से 41 अमेरिकी हैं. उनकी हथियारों की बिक्री 2020 में 285 अरब डॉलर थी, जिसमें साल दर साल 1.9 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई.
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हथियार कंपनियों का प्रभाव
बॉन इंटरनेशनल सेंटर फॉर कॉन्फ्लिक्ट स्टडीज के एक राजनीतिक जानकार मारकुस बेयर का कहना है कि हथियार कंपनियां कुछ मामलों में अपने राजनीतिक प्रभाव का इस्तेमाल करने से नहीं कतराती हैं. उन्होंने एक अमेरिकी गैर-सरकारी संगठन ओपन सीक्रेट की एक रिपोर्ट का हवाला दिया, जिसमें कहा गया था कि हथियार कंपनियां अपना प्रभाव बनाए रखने के लिए अरबों डॉलर खर्च करती हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/I. Langsdon
भारत भी पीछे नहीं
फ्रैंकफर्ट में थिंक टैंक पीस रिसर्च इंस्टीट्यूट की हथियार नियंत्रण विशेषज्ञ सिमोन वेसोत्स्की ने भारत का हवाला देते हुए कहा कि हथियारों की दौड़ में वैश्विक दक्षिण कंपनियों का महत्व बढ़ गया है. वेसोत्स्की के मुताबिक 100 सबसे बड़ी हथियार कंपनियों में भारत की तीन कंपनियां शामिल हैं. उनकी बिक्री कुल बिक्री का 1.2 प्रतिशत है, जो दक्षिण कोरियाई कंपनियों के बराबर है.
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नाटो और मास्को की बातचीत की योजना
व्हाइट हाउस के प्रवक्ता ने कहा कि रूस और नाटो के भी 12 जनवरी को मिलने की उम्मीद है, जबकि यूरोप में सुरक्षा और सहयोग संगठन (ओएससीई) की व्यापक बैठक 13 जनवरी को होने वाली है.
पश्चिमी देशों ने रूसी राष्ट्रपति पुतिन पर यूक्रेन पर हमले करने की धमकी देने का आरोप लगाया है. हाल के दिनों में रूस ने यूक्रेन के साथ अपनी सीमा पर हजारों सैनिकों को तैनात किया है. इससे यूक्रेन और उसके पश्चिमी सहयोगियों के बीच युद्ध की आशंका पैदा हो गई है. हालांकि, पुतिन ने अपने पड़ोसी पर हमला करने की योजना से इनकार करते हुए कहा कि सेना की गतिविधियां पश्चिमी सेना के अतिक्रमण के खिलाफ रूस की रक्षा करने के लिए हैं.
रूस ने पश्चिम पर काला सागर में सैन्य अभ्यास करने और यूक्रेन को आधुनिक हथियार मुहैया कराने का आरोप लगाया है. रूस ने यह भी मांग की है कि नाटो गारंटी दे कि उसकी सैन्य महत्वाकांक्षाएं पूर्व की ओर नहीं फैलेंगी.
एए/सीके (एएफपी, रॉयटर्स)
कौन से देश विदेशियों को करते हैं अपनी सेना में शामिल
क्या कोई देश किसी दूसरे देश के नागरिकों को अपनी सेना में भर्ती कर सकता है? जर्मनी इस बारे में विचार कर रहा है, लेकिन वास्तव में अमेरिका और रूस समेत कई देश सेना में विदेशी लोगों को भर्ती करते हैं.
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कनाडा
2022 के नवंबर की शुरुआत में कनाडा के सशस्त्र बलों (सीएएफ) ने घोषणा की कि स्थायी निवासियों को अब सेवाओं में भर्ती दी जाएगी, क्योंकि सेना में इन दिनों सैनिकों की कमी है. सीएएफ के इस कदम से कनाडा निवासी भारतीयों को फायदा मिलेगा. 2021 में करीब एक लाख भारतीय कनाडा के स्थायी निवासी बने थे.
तस्वीर: Ryan Remiorz/Canadian Press/Zuma/picture alliance
अमेरिका
अमेरिका की सेना में स्थाई निवासी और ग्रीन कार्ड रखने वाले ही शामिल हो सकते हैं. हालांकि उन्हें सेना में कमीशन नहीं मिलता. 2002 में तब के राष्ट्रपति जॉर्ज बुश ने गैर-अमेरिकी सैनिकों की नागरिकता को आसान और तेज बनाने के आदेश दिए. हर साल यहां सेना में 8,000 विदेशी नागरिक भर्ती होते हैं. इनमें ज्यादातर मेक्सिको और फ्रांस के लोग हैं. माइक्रोनेशिया और पलाउ के लोग भी सेना में आ सकते हैं.
तस्वीर: Patrick T. Fallon/AFP
रूस
सेना में शामिल होने के नियमों को 2010 में रूस ने आसान किया. इसे पुराने सोवियत संघ के देशों में रह रहे रूसी लोगों को बुलाने का जरिया माना गया. हालांकि रूस ने विदेशियों के लिए कई दूसरे कदम भी उठाए हैं. रूसी भाषा बोलने वाले गैर-रूसी लोग 5 साल के करार पर सेना में जा सकते हैं. 3 साल बाद नागरिकता के भी कई विकल्प मिलते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/Tass/V. Savitskii
ब्रिटेन
ब्रिटेन ने 2018 में कॉमनवेल्थ देशों के नागरिकों के सेना में भर्ती होने के लिए चली आ रही 5 साल ब्रिटेन में रहने की शर्त को खत्म कर दिया है. अन्य देशों के नागरिक यहां की सेना में नहीं जा सकते यहां तक कि यूरोपीय संघ के भी नहीं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/G. Kirk
फ्रांस
फ्रांस का फॉरेन लीजन अनोखा है. यह सबसे पुरानी सिर्फ विदेशी सैनिकों की शाखा है जो अब भी सक्रिय है. यह 1831 में बनी और इसे अब भी फ्रेंच सेना के अधिकारियों से आदेश मिलता है. इसमें शामिल लोग 3 साल की नौकरी के बाद ही फ्रांस की नागरिकता के लिए आवेदन कर सकते हैं.
तस्वीर: Reuters/G. Fuentes
स्पेन
स्पेन ने 2002 से विदेशियों की सेना में भर्ती शुरू की. पहले स्पेन के पुराने उपनिवेशों के नागरिकों को मौका दिया गया. बाद में इसमें मोरक्को भी शामिल हुआ. मोरक्को का उत्तरी हिस्सा कभी स्पेन का उपनिवेश रहा था. सेना में कई ऐसे लोग भी हैं जो स्पेनवासी नहीं हैं. विदेशियों का कोटा 2 फीसदी से बढ़ कर अब 9 फीसदी हो गया.
तस्वीर: picture-alliance/ZUMAPRESS/Legan P. Mace
बेल्जियम
2004 से बेल्जियम की सेना में 18-34 साल के यूरोपीय नागरिकों की सैनिक के रूप में भर्ती शुरू की गई.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/V. Lefour
आयरलैंड
आयरलैंड यूरोपीय आर्थिक क्षेत्र यानी यूरोपीय संघ समेत आइसलैंड, लिश्टेनश्टाइन और नॉर्वे के लोगों को सेना में शामिल करता है. दूसरे देश के नागरिक अगर 3 साल से ज्यादा समय से आयरलैंड में रह रहे हों, तो वे भी सेना में भर्ती हो सकते हैं.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/A. Widak
लग्जमबर्ग
लग्जमबर्ग भी यूरोपीय नागरिकों को अपनी सेना में जगह देता है. बशर्ते वो देश में 3 साल से ज्यादा वक्त से रह रहे हों और उनकी उम्र 18 से 24 साल के बीच हो.
तस्वीर: Getty Images/AFP/L. Marin
डेनमार्क
डेनमार्क की सेना में भर्ती होने के लिए डेनमार्क में रहने वाले विदेशी लोग आवेदन दे सकते हैं. डेनमार्क में रहने के अलावा उम्मीदवार का डैनिश भाषा बोलना भी जरूरी है.