अमेरिका: 'चीनी पुलिस स्टेशन' चलाने के आरोप में दो गिरफ्तार
१८ अप्रैल २०२३
अमेरिकी अभियोजकों ने चीन की सरकार से असहमति जताने वालों की निगरानी और उन्हें परेशान करने की कथित गतिविधियों के लिए 34 चीनी सुरक्षा अधिकारियों पर आरोप लगाए हैं.
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अमेरिकी अभियोजकों ने सोमवार को कहा कि कथित रूप से एक चीनी "गुप्त पुलिस स्टेशन" चलाने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया है. यह केंद्र मैनहैटन के चाइनाटाउन इलाके में था.
इन दो लोगों पर अमेरिकी अधिकारियों को सूचित किए बिना चीन की सरकार के एजेंट के रूप में कार्य करने की साजिश रचने और साथ ही न्याय में बाधा डालने का आरोप है. गिरफ्तारी के बाद इन दोनों को न्यूयॉर्क की एक अदालत में पेश किए जाने की उम्मीद है.
ब्रुकलिन के शीर्ष संघीय अभियोजक ब्रियोन पीस ने कहा, "न्यूयॉर्क शहर के मध्य में एक गुप्त पुलिस स्टेशन स्थापित करने का यह मामला चीनी सरकार द्वारा हमारी राष्ट्रीय संप्रभुता का घोर उल्लंघन है."
उन्होंने कहा, "हमें अपने महान शहर में एक गुप्त पुलिस थाने की न तो जरूरत है और न ही हम चाहते हैं."
चीनी प्रवासियों के खिलाफ दमन योजनाएं
अमेरिकी अभियोजकों का कहना है कि गिरफ्तार किए गए दो लोगों में से एक ने चीन के एक संदिग्ध भगोड़े को स्वदेश लौटने के लिए मनाने की कोशिश की. उस व्यक्ति ने प्रताड़ित किए जाने और धमकी दिए जाने की बात भी कही है.
अभियोजकों ने यह भी कहा कि चीनी सरकार ने कथित एजेंट को 2022 में कैलिफोर्निया निवासी का पता लगाने में मदद करने के लिए कहा, जिसे लोकतंत्र समर्थक कार्यकर्ता माना जाता है.
अभियोजकों के मुताबिक दोनों गिरफ्तार लोगों ने एफबीआई के सामने स्वीकार किया कि जब उन्हें पता चला कि वे जांच के दायरे में हैं, तो उन्होंने चीनी सरकार के साथ सभी संवाद डिलीट कर दिए.
सोमवार को ही अभियोजकों ने 34 चीनी सुरक्षा अधिकारियों को अमेरिका में रहने वाले असंतुष्टों की निगरानी और उत्पीड़न का अभियान चलाने के तरीके से संबंधित विभिन्न मामलों का आरोप लगाया.
ब्रुकलिन के शीर्ष संघीय अभियोजक ने कहा कि "उनपर न्यूयॉर्क शहर और अमेरिका में कहीं और रहने वाले चीनी प्रवासियों को निशाना बनाने वाली अंतरराष्ट्रीय योजनाओं से संबंधित होने के आरोप लगे हैं."
इससे पहले संघीय अभियोजकों ने चीन और अन्य देशों के एक दर्जन से अधिक नागरिकों पर अमेरिका में रहने वाले असहमत लोगों के खिलाफ निगरानी और उत्पीड़न का अभियान चलाने का आरोप लगाया था.
नवंबर 2022 में एफबीआई के निदेशक क्रिस्टोफर रे ने एक अमेरिकी सीनेट समिति को बताया कि वह अमेरिकी शहरों में गुप्त निगरानी केंद्रों की उपस्थिति के बारे में "बहुत चिंतित" थे. उन्होंने कहा कि बीजिंग ने गुप्त पुलिस की मौजूदगी स्थापित कर अमेरिका की संप्रभुता का उल्लंघन किया है.
अमेरिका एकमात्र ऐसा देश नहीं है जिसने अपने यहां पर अवैध चीनी पुलिस स्टेशनों की मौजूदगी की रिपोर्ट की है. पिछले साल के अंत में नीदरलैंड्स ने कहा कि उसने एम्स्टर्डम और रॉटरडैम में दो कथित चीनी कानून प्रवर्तन केंद्रों की जांच शुरू की थी.
पिछले साल ‘सेफगार्ड डिफेंडर्स' नाम के एक मानवाधिकार संगठन ने कुछ चीनी ‘सेवा केंद्रों' के बारे में खुलासा किया था. स्पेन स्थित इस संगठन ने सितंबर से अब तक दो रिपोर्ट प्रकाशित की हैं जिनमें कहा गया है कि चीन ने 53 देशों में 102 पुलिस थाने स्थापित कर लिए हैं. इनमें सबसे ज्यादा 11 इटली में हैं.
एए/सीके (रॉयटर्स, एपी, एएफपी)
जासूसों का शहर
कोल्ड वॉर के दौरान, बर्लिन पूर्वी और पश्चिमी ब्लॉक का फ्रंटियर शहर था. ऐसे में यहां जासूसों का जमावड़ा हुआ करता था. शहर में जासूसी के इस अतीत से जुड़े कई अहम ठिकाने अब भी मौजूद हैं. देखिए ऐसे ही कुछ चर्चित ठिकाने.
तस्वीर: picture alliance/Prisma Archivo
चेकपॉइंट चार्ली
चेकपॉइंट चार्ली बर्लिन के पूर्वी और पश्चिमी हिस्सों के बीच का सबसे चर्चित क्रॉसिंग पॉइंट था. अक्टूबर 1961 में सोवियत और अमेरिका के बीच बढ़े तनाव का यह बड़ा केंद्र था. हालांकि यह प्रकरण दोनों ओर से बिना एक भी गोली चले खत्म हो गया था. बरसों बाद पता चला कि एक अंडरकवर जासूस जो कि वेस्ट बर्लिन का एक पुलिस अफसर उसने उस समय सोवियत को अमेरिकी सैनिकों की खुफिया जानकारी दी थी.
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ग्लीनिके पुल
ग्लीनिके पुल भी बर्लिन के दोनों हिस्सों की सीमाओं के आर-पार जाने का बड़ा मशहूर रास्ता हुआ करता था. कई मौकों पर इस पुल के ऊपर सोवियत और पश्चिमी देशों ने एक-दूसरे के पकड़े हुए जासूसों की अदला-बदली की. इसीलिए इसे "ब्रिज ऑफ स्पाइज" भी कहा जाता था. 2015 में स्टीवन स्पीलबर्ग ने इसी नाम से एक फिल्म बनाई, जिसमें जासूसों की अदला-बदली का यह रोमांचक इतिहास दिखाया गया है.
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स्टासी म्यूजियम, बर्लिन
स्टेट सिक्यॉरिटी मिनिस्ट्री, पूर्वी जर्मनी की कुख्यात जासूसी और सर्विलांस एजेंसी थी. इसका प्रचलित संक्षिप्त नाम स्टासी है. एक बड़ी आम सी दिखने वाली इमारत में इसका मुख्यालय हुआ करता था. अब इसे म्यूजियम बना दिया गया है. कई दफ्तर और कॉन्फ्रेंस रूम अपनी पुरानी शक्ल में सहेजकर रखे गए हैं. ये टेलिफोन इसी संग्रह का हिस्सा हैं, जो पूर्वी जर्मनी के जासूसी प्रमुख एरिष मिल्के के दफ्तर में लगे थे.
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मारियनफेल्ड रिफ्यूजी सेंटर म्यूजियम
पूर्वी जर्मनी से भागकर आने वाले कई लोगों को पश्चिमी बर्लिन स्थित मारियनफेल्ड रिफ्यूजी सेंटर में पनाह मिलती थी. इस सेंटर ने करीब 13 लाख शरणार्थियों को जगह दी. ये शरणार्थी पूर्वी जर्मनी और सोवियत से जुड़ी खुफिया जानकारियां हासिल करने में भी काम आते थे. पश्चिमी देशों की खुफिया एजेंसियां इन शरणार्थियों की विस्तृत तफ्तीश करके सोवियत के राज जानने की कोशिश करती थीं.
इस टावर का अतीत बड़ा रोमांचक है. दूसरे विश्व युद्ध के दौरान मित्र देशों की बमबारी से बर्लिन तहस-नहस होकर मलबे का ढेर बन गया. युद्ध के बाद उस मलबे को हटाने में बरसों लग गए. शहर के बाहर जहां मलबा जमा किया गया, वहां पहाड़ सा बन गया. 1960 के दशक में इसी पहाड़ पर अमेरिकी की नेशनल सिक्यॉरिटी एजेंसी ने यह टावर बनाया. मकसद था, सोवियत ब्लॉक की जासूसी और खुफिया बातचीत को सुनना.
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अलाइड म्यूजियम
यह म्यूजियम बर्लिन के सेलेनडॉर्फ जिले में है. कोल्ड वॉर के दौरान यह इलाका अमेरिकी नियंत्रण में था. यह सैलानियों के लिए खुला है. यहां आप कोल्ड वॉर के तनाव भरे माहौल को अमेरिका, फ्रांस और ब्रिटेन जैसे पश्चिमी देशों के नजरियों से देख सकते हैं. यहां का प्रमुख आकर्षण है, एक जासूसी सुरंग का हिस्सा. अमेरिकी और ब्रिटिश खुफिया एजेंसियों ने सोवियत की बातचीत में सेंध लगाने के लिए यह सुरंग बनाई थी.
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जर्मन स्पाई म्यूजियम
यह म्यूजियम पॉस्टडामर प्लाट्स के नजदीक है. कोल्ड वॉर के दौर में यहां बर्लिन को दो हिस्सों में बांटने वाली दीवार हुआ करती थी. यहां आप जासूसी में इस्तेमाल होने वाले कई तरह के दिलचस्प उपकरण देख सकते हैं. इस म्यूजियम में जाकर आप बेहतर समझ पाएंगे कि बर्लिन को जासूसों का शहर क्यों कहा जाता था. ना केवल बड़ों के लिए, बल्कि बच्चों के लिए भी ये बड़ी रोमांचक जगह है.
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