अमेरिका के अटॉर्नी जनरल ने मौत की सजा देने पर अस्थायी तौर पर रोक लगा दी है. यह रोक केंद्रीय सजाओं पर ही लागू होगी. अब इस सजा की समीक्षा की जाएगी और तब तक किसी फैसले पर अमल नहीं होगा.
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पिछली सरकार की नीति को पलटते हुए अमेरिका की जो बाइडेन सरकार ने केंद्र की ओर से दी जाने वाली मौत की सजाओं पर रोक लगा दी है. अटॉर्नी जनरल मेरिक गारलैंड ने यह आदेश जारी किया है. गारलैंड के नेतृत्व में देश का न्याय विभाग मौत की सजा को लेकर अपनी नीतियों में बदलाव ला रहा है.
गुरुवार को मेरिक गारलैंड ने आदेश जारी करते हुए कहा कि संघीय अदालतों द्वारा दी गई मौत की सजाओं का क्रियान्वयन अस्थायी तौर पर स्थगित किया जाता है. गारलैंड ने न्याय विभाग को आदेश दिया कि मौत की सजा की समीक्षा की जाए. वरिष्ठ अधिकारियों को भेजे गए एक संदेश में उन्होंने कहा कि उन्हें अश्वेत लोगों पर इस सजा के असंतुलित प्रभाव की आशंका है. उन्होंने इस बात पर भी ध्यान दिलाया कि बड़ी संख्या में मौत की सजाओं के फैसलों को पलटा जा रहा है.
गारलैंड ने एक बयान में कहा, "न्याय विभाग को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि संघीय अपराधिक न्याय व्यवस्था संविधान और अमेरिका के कानूनों द्वारा दिए गए अधिकार उपलब्ध कराए और वहनीय हो. साथ ही, यह भी कि यह निष्पक्ष व मानवीय हो.” जब तक यह समीक्षा पूरी नहीं होती, तब तक मौत की किसी सजा पर अमल नहीं किया जाएगा.
ट्रंप नीति के उलट
गारलैंड का यह फैसला सरकार की नीति में बड़ा बदलाव है. पूर्व राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप के कार्यकाल के दौरान अटॉर्नी जरनल रहे विलियम बार के कार्यकाल में बड़ी संख्या में मौत की सजाओं को अंजाम दिया गया. सिर्फ आखरी छह महीने यानी जुलाई 2020 से जनवरी 2021 के बीच 13 लोगों की मौत की सजा पर अमल किया गया, जो कि अमेरिका के 120 साल के इतिहास में एक रिकॉर्ड है.
तस्वीरों मेंः सजा-ए-मौत के 10 सबसे भयानक तरीके
सजा-ए-मौत के 10 सबसे भयानक तरीके
आज मौत की सजा को पूरी तरह से खत्म करने की मांगें उठती हैं. लेकिन एक समय था जब ये सजाएं न केवल बहुत आम हुआ करती थीं, बल्कि बेहद वीभत्स होती थीं. देखिए, सजा-ए-मौत देने के 10 सबसे भयानक तरीके.
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सूली चढ़ाना
रोमन साम्राज्य में यह तरीका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता था. ईसा मसीह को भी ऐसे ही मौत की सजा दी गई थी. हाथों और पांवों में कील ठोककर लकड़ी पर टांग कर मरने के लिए छोड़ दिया जाता था.
तस्वीर: Reuters/J. Costa
सांड के पेट में
सिसली में तानाशाह अकगरागास के राज में इस भयानक तरीके को ईजाद किया गया. एक धातु का सांड बनाया जाता था. सजायाफ्ता को उसके पेट में बंद करके आग लगा दी जाती थी. सांड के मुंह से उसकी चीखें बाहर आती थीं तो ऐसा लगता था जैसे सांड की आवाज है.
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बीचोबीच काटना
यह तरीका कभी इंग्लैंड में इस्तेमाल होता था. व्यक्ति को घसीटते हुए सजा स्थल तक ले जाया जाता था. फिर उसे टांगों के बीचोबीच काट डाला जाता था.
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कोलंबियाई टाई
कोलंबिया और दक्षिण अमेरिका के कुछ और देशों में भी व्यक्ति का गला आगे से काटकर उसकी जबान खींच ली जाती थी और फिर उसे पेड़ से बांध दिया जाता था.
जिंदा जला देना
1937 में जापानी सैनिकों ने चीनियों को यही सजा दी थी. इतिहास में इस सजा के कई उदाहरण मिलते हैं जब कैदियों को जिंदा जला दिया जाता था.
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सेपुकू
जापानी योद्धा समुराई इस तरीके का इस्तेमाल करते थे. वे अपने हाथ से काटकर अपनी आंतें निकालते थे और जब वे तड़पने लगते तो उनका कोई साथी सिर पर वार कर देता.
तस्वीर: Museum Kunstpalast, Düsseldorf, Graphische Sammlung
लिंग ची
चीन में 20वीं सदी में इस सजा पर रोक लगाई गई. सजायाफ्ता के अंगों को एक एक करके काटा जाता था. और उसे ज्यादा से ज्यादा लंबे समय तक जीवित रखा जाता था.
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कैथरीन व्हील
सजायाफ्ता को एक पहिए पर लिटा दिया जाता था और उसे घुमाते हुए जल्लाद उसे पीटता था. उसकी हड्डियां टूट जाती थीं और धीरे धीरे वह मर जाता था.
तस्वीर: Reuters/J. Young
बांस से बांधकर
यह सजा एशियाई इलाकों में दी जाती थी. बांस का पेड़ रोजाना करीब एक फुट बढ़ता है. सजायाफ्ता को उस पेड़ के ऊपर बांध दिया जाता था. बांस बढ़कर उसके शरीर में घुस जाता था.
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स्पैनिश पंजे
बिल्ली के पंजों जैसे लोहे के इन तेजधार हथियारों से सजायाफ्ता व्यक्ति की खाल उतार ली जाती थी. आमतौर पर मौत उन घांवों में संक्रमण से होती थी.
तस्वीर: fotolia
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बार ने निर्देश जारी किया था कि केंद्रीय सजाओं के अमल के लिए पेंटोबारबिटल दवा का इस्तेमाल किया जाए. आलोचकों का कहना है कि यह दवा सजा पाने वालों को बहुत ज्यादा यातना देती है क्योंकि यह फेफड़ों को नुकसान पहुंचाती है और दवा लेने वाले को डूब कर मरने का अहसास होता है.
इसी साल पद संभालने वाले अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन ने देश में मौत की सजा को खत्म करने का वादा किया है. अमेरिकी मानवाधिकार कार्यकर्ता इस सजा के खिलाफ लंबे समय से संघर्ष कर रहे हैं. हालांकि इस सरकार के आने के बाद न्याय विभाग 2013 की बॉस्टन मैराथन में हुए आतंकी बम धमाके के दोषी की सजा के लिए जोर लगा रहा है.
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मौत की सजा, एक चुनौती
मानवाधिकार कार्यकर्ता दुनियाभर में मौत की सजा खत्म कराने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. दूसरे विश्व युद्ध के बाद इस सजा के अमल पर काफी कमी आई है और 107 देशों ने इसे पूरी तरह खत्म कर दिया है. लेकिन आज भी 54 देश ऐसे हैं जहां मौत की सजा को कानूनी दर्जा प्राप्त है. सात देशों ने बहुत कम अपराधों के लिए इसे सीमित कर दिया है, जबकि 27 देश ऐसे हैं जहां पिछले दस साल से ज्यादा समय से मौत की सजा नहीं दी गई है.
जानें, क्या कोरोनाकाल में कम हुई मौत की सजा
कोरोना काल में क्या कम हुई मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि दुनियाभर में मौत की सजा साल 2020 में कम हुई. हालांकि कुछ देशों में यह सजा कम होने की जगह और बढ़ गई. जानिए कोरोना काल में कहां ज्यादा और कम हुई मौत की सजा तामील.
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साल 2020 में मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की ताजा रिपोर्ट से पता चलता है कि 2020 में मौत की सजा देने में गिरावट दर्ज की गई. 2020 कोरोना महामारी का साल था लेकिन रिपोर्ट में कहा गया कि कुछ देशों ने मौत की सजा को जारी रखा. कोरोना काल में लाखों लोगों की मौत हुई लेकिन कुछ देश मौत की सजा देने से पीछे नहीं हटे.
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महामारी और मौत की सजा
एमनेस्टी महासचिव एग्नेस कैलमार्ड कहती हैं, "कुछ सरकारों की तरफ से मृत्युदंड की निरंतर कोशिश के बावजूद 2020 में तस्वीर सकारात्मक थी." वे कहती हैं, "ज्ञात मौत की सजा लगातार गिरी."
तस्वीर: Brendan Smialowski /AFP/Getty Images
2020 में 483 लोगों को दी गई मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट के मुताबिक साल 2020 में कुल 483 लोगों को मौत की सजा दी गई. एमनेस्टी की तरफ से दर्ज यह पिछले 10 सालों में सबसे कम आंकड़ा है.
तस्वीर: Pat Sullivan/AP/picture alliance
मध्य पूर्व के देशों में सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट में दावा किया गया है कि साल 2020 में मौत की सजा दिए जाने वाले शीर्ष 5 देशों में चार मध्य पूर्व के हैं. ईरान में 246, मिस्र में 107 से अधिक, इराक में 45 और सऊदी अरब में 27 लोगों को मृत्यु दंड दिया गया. यह पूरी दुनिया में दी गई मौत की सजा का 88 फीसदी हिस्सा है.
तस्वीर: Steve Helber/AP/picture alliance
चीन में हजारों को मौत की सजा
चीन, उत्तर कोरिया, सीरिया और वियतनाम जैसे देश मौत की सजा को गोपनीय सूचना के अंतर्गत रखते हैं और आंकड़े जारी नहीं करते हैं. इसलिए इन देशों में मौत की सजा के बारे में सही संख्या जाहिर नहीं है. चीन ने इस साल हजारों लोगों को मौत की सजा दी और आंकड़े जारी नहीं किए.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/D. Azubel
भारत में चार लोगों को मौत की सजा
एमनेस्टी इंटरनेशनल की रिपोर्ट कहती है कि भारत में साल 2020 में चार लोगों को फांसी दी गई. इतने ही लोग ओमान में फांसी पर चढ़ाए गए और यमन में पांच से अधिक. भारत समेत दुनिया के 33 देशों में मौत की सजा देने के लिए एकमात्र तरीका फांसी है.
तस्वीर: AP
अमेरिका में मौत की सजा बहाल
अमेरिका में पिछले साल ट्रंप प्रशासन ने 17 साल के अंतराल के बाद मौत की सजा शुरू की. साल 2020 में देश में 17 लोगों को मौत की सजा दी गई. छह महीने में 10 लोगों को मौत के घाट उतार दिया गया.
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एमनेस्टी इंटरनेशनल के मुताबिक 2020 में 18 देश ऐसे थे जहां कम से कम एक व्यक्ति को मौत की सजा के तहत मारा गया. और यह आंकड़ा चीन व उत्तर कोरिया जैसे देशों को छोड़कर है, जो मौत की सजा के आंकड़े उजागर नहीं करते. एमनेस्टी के मुताबिक 2017 में एक हजार लोगों को मौत की सजा दी गई थी.