अमेरिका में ट्रांसजेंडर लोगों के लिए स्कूलों में टॉयलेट की लड़ाई में सुप्रीम कोर्ट ने हाईकोर्ट के फैसले पर रोक लगाई. बच्चों को अपनी पसंद का टॉयलेट इस्तेमाल करने की आजादी फिलहाल नहीं होगी.
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एक लड़का, जो पहले लड़की था, अब भी लड़कों के टॉयलेट में नहीं जा पाएगा. अमेरिका के सुप्रीम कोर्ट ने उसके स्कूल से कह दिया है कि चाहे तो इस लड़के को जबरन लड़कियों के टॉयलेट में भेज सकते हो.
अमेरिका में टॉयलेट्स का यह झगड़ा अब सुप्रीम कोर्ट में है. वैसे, वर्जीनिया स्टेट हाई कोर्ट ने लड़की से लड़के बने इस बालक को अपनी मर्जी का टॉयलेट यूज करने की इजाजत दे दी थी. लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने उसका फैसला पलट दिया है. ट्रांसजेंडर लोगों को अलग टॉयलेट उपलब्ध कराए जाएं या उन्हें उनकी मर्जी के टॉयलेट इस्तेमाल करने दिया जाए, इस बारे में अभी सुप्रीम कोर्ट ने आखिरी फैसला नहीं किया है. फिलहाल बस हाई कोर्ट के फैसले पर रोक लगाई गई है.
सबसे पहले तो जानिए, LGBT आखिर है क्या
LGBTQ की ABCD
भारत समेत कई देशों में समलैंगिक अपने अधिकारों की लड़ाई लड़ते रहे हैं. लेकिन जिन्हें हम एक शब्द "समलैंगिक" में समेट देते हैं, वे खुद को एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी कहते हैं. आखिर क्या है LGBTQ?
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एल से लेस्बियन
लेस्बियन यानी वे महिलाएं जो महिलाओं की ओर आकर्षित होती हैं. 1996 में आई फिल्म फायर ने जब इस मुद्दे को उठाया तब काफी बवाल हुआ. आज 20 साल बाद भी यह मुद्दा उतना ही संवेदनशील है.
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जी से गे
गे यानी वे पुरुष जो पुरुषों की ओर आकर्षित होते हैं. दोस्ताना और कल हो ना हो जैसी फिल्मों में हंसी मजाक में समलैंगिक पुरुषों के मुद्दे को उठाया गया, तो हाल ही में आई अलीगढ़ में इसकी संजीदगी देखने को मिली.
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बी से बायसेक्शुअल
बायसेक्शुअल एक ऐसा व्यक्ति है जो महिला और पुरुष दोनों की ओर आकर्षित महसूस करे. ऐंजेलिना जोली और लेडी गागा खुल कर अपने बायसेक्शुअल होने की बात कह चुकी हैं.
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टी से ट्रांसजेंडर
एल, जी और बी से अलग ट्रांसजेंडर को उनके लैंगिक रुझान के अनुसार नहीं देखा जाता. भारत में जिन्हें हिजड़े या किन्नर कहा जाता है, वे भी ट्रांसजेंडर हैं और बॉलीवुड में जानेमाने बॉबी डार्लिंग जैसे वे लोग भी जो खुद अपना सेक्स बदलवाते हैं.
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क्यू से क्वीयर
इस शब्द का मतलब होता है अजीब. इसके जरिये हर उस व्यक्ति की बात की जा सकती है जो "सामान्य" नहीं है. चाहे जन्म से उस व्यक्ति में महिला और पुरुष दोनों के गुण हों और चाहे वह किसी की भी ओर आकर्षित हो.
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और भी हैं
यह सूची यहां खत्म नहीं होती. कई बार एलजीबीटीक्यू के आगे ए भी लगा दिखता है. इसका मतलब है एसेक्शुअल यानी ऐसा व्यक्ति जिसकी सेक्स में कोई रुचि ना हो. इनके अलावा क्रॉसड्रेसर भी होते हैं यानी वे लोग जो विपरीत लिंग की तरह कपड़े पहनना पसंद करते हैं.
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यह मामला पिछले साल से चल रहा है. 17 साल के गैविन ग्रिम के नाम पर अमेरिकन सिविल लिबर्टीज यूनियन ने ग्लूसेस्टर काउंट स्कूल पर मुकदमा कर दिया. यूनियन की आपत्ति स्कूल की टॉयलेट नीति को लेकर थी. इस नीति के तहत ट्रांसजेंडर स्टूडेंट्स को वैकल्पिक टॉयलेट्स इस्तेमाल करने होते हैं.
ग्रिम के वकील जोशुआ ब्लॉक बताते हैं कि वे सुप्रीम कोर्ट के फैसले से खुश नहीं हैं. उन्होंने कहा, "निराशाजनक है. गैविन को स्कूल का एक और साल उसी पीड़ा के साथ शुरू करना होगा. इस नीति ने उसे उसके साथियों से जुदा कर दिया है."
लेकिन स्कूल खुश है. वॉशिंगटन डीसी से करीब 225 किलोमीटर दूर ग्लूसेस्टर काउंटी के इस स्कूल के बोर्ड ने एक बयान जारी कर कहा, "हम इस बात पर यकीन रखते हैं कि यह एक जटिल मामला है और स्कूल की नीति सारे अभिभावकों और बच्चों का भला देखते हुए बनाई गई है."
जो दुआ देते हैं, उनकी जिंदगी नर्क जैसी है
दुआ देने वाले किन्नरों का अभिशाप सा जीवन
किसी के घर शादी हो, बच्चा हो या कोई और खास मौका, किन्नरों को खबर मिल जाती है और वे वहां नाचने आते हैं. कुछ लोगों का मानना है कि इनकी की दुआएं जल्दी कुबूल होती हैं. लेकिन इनकी खुद की जिंदगी में क्या दुआओं की कोई जगह है.
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एक शख्स, दो रूप
दिन में वसीम एक मोबाइल रिपेयर की दुकान में काम करता है. अंधेरा होते ही वह नया रूप धारण कर लेता है. रावलपिंडी के कोठों में 27 साल का वसीम नाचता दिखता है. यहां उसकी पहचान महज एक किन्नर की है.
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क्या है पहचान
वसीम के साथ काम करने वाले उसकी इस दोहरी जिंदगी के बारे में कुछ नहीं जानते. पाकिस्तान में करीब आठ लाख किन्नर रहते हैं. वसीम उन्हीं में से एक है.
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वसीम या रानी
अपना पेट भरने के लिए वसीम ने यह रास्ता चुना है. वह बताता है, "मोबाइल की दुकान में काम के मुकाबले नाच कर मैं ज्यादा पैसे कमा लेता हूं." वसीम कोठे पर नाचता है लेकिन जिस्मफरोशी कहीं करता.
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अलग थलग जिंदगी
भारत की तरह पाकिस्तान में भी किन्नर समाज से अलग रहने पर मजबूर हैं. कट्टरपंथी उन्हें अपवित्र मानते हैं. 43 साल के बख्तावर का कहना है, "जब मैं सड़कों पर निकलता हूं तो लोग मुझे अजीब सी नजरों से देखते हैं. मैं केवल अपनी तरह के लोगों के बीच ही सुरक्षित महसूस करता हूं."
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तितर बितर सपने
पाकिस्तान में किन्नर अपनी असली पहचान छिपा कर रखते हैं. 2011 में ही पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने "तीसरे लिंग" को मान्यता दे दी थी. वे अपना पासपोर्ट बनवा सकते हैं, वोट दे सकते हैं, बैंक में खाता खुलवा सकते हैं और यहां तक कि सरकारी नौकरी भी कर सकते हैं.
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हक की लड़ाई
2013 में पहली बार किसी किन्नर ने चुनाव में हिस्सा लिया. बिंदिया रानी (दाएं) चुनाव तो नहीं जीत पाईं, लेकिन किन्नरों के हक की लड़ाई उन्होंने जारी रखी है.
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दोहरी जिंदगी
44 साल के अमजद भी बाकी किन्नरों की तरह दोहरी जिंदगी जीने पर मजबूर हैं. फिर भी उन्हें खुद पर नाज है और वह कहते हैं, "एक औरत के तौर पर बस एक ही चीज है जो मैं नहीं कर सकता, वह है बच्चे पैदा करना."
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सुप्रीम कोर्ट में फैसला सुनाते वक्त सारे जज सहमत नहीं थे. आठ में से तीन जज गैविन के साथ थे. पिछले साल मई में ओबामा प्रशासन ने सरकारी स्कूलों को आदेश दिया था कि ट्रांसजेंडर बच्चों को अपने नए लिंग के हिसाब से टॉयलेट इस्तेमाल करने दें, नहीं तो उन्हें संघीय सहयोग राशि से हाथ धोना होगा. देश के 23 राज्य इस आदेश को चुनौती दे चुके हैं.