1. कंटेंट पर जाएं
  2. मेन्यू पर जाएं
  3. डीडब्ल्यू की अन्य साइट देखें
राजनीतिउत्तरी अमेरिका

पेगासस बनाने वाली कंपनी को अमेरिका ने ब्लैक लिस्ट किया

४ नवम्बर २०२१

अमेरिका के वाणिज्य मंत्रालय ने इस्राएल की उस कंपनी एनएसओ ग्रुप को ब्लैक लिस्ट कर दिया है जो पेगासस जासूसी सॉफ्टवेयर के कारण विवादों में है. अमेरिका ने दो इस्राएली कंपनियों को ब्लैकलिस्ट किया है.

तस्वीर: Jean-François Frey//L'ALSACE/PHOTOPQR/MAXPPP7/picture alliance

जासूसी करने के लिए सॉफ्टवेयर बनाने वालीं दो इस्राएली कंपनियों पर अमेरिका ने प्रतिबंध लगा दिया है. पेगासस जासूसी कांड के कारण विवाद में आए एनएसओ ग्रुप के अलावा कैंडिरू को भी ब्लैक लिस्ट किया गया है. अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय ने बुधवार को कहा कि ये कंपनियां विभिन्न सरकारों को जासूसी सॉफ्टवेर बेचती हैं जिसका इस्तेमाल नेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों की जासूसी के लिए किया गया.

रूस की पॉजीटिव टेक्नोलॉजी और सिंगापुर की कंप्यूटर सिक्यॉरिटी इनिशिएटिव कंसल्टेंसी पीटीई लिमिटेड को भी ब्लैकलिस्ट में डाला गया है. मंत्रालय ने कहा कि इन कंपनियों ने ऐसे सॉफ्टवेयर्स की तस्करी की जिनके जरिए कंप्यूटर नेटवर्क में अनधिकृत रूप से घुसा जा सकता है.

पेगासस जासूसी कांड पर सिद्धार्थ वरदराजन से बातचीत

06:07

This browser does not support the video element.

वाणिज्य मंत्रालय द्वारा किसी कंपनी को ब्लैकलिस्ट में डाले जाने का अर्थ है कि वह अमेरिका के सुरक्षा और विदेश नीति से जुड़े हितों के विपरीत काम कर रही थी. इस सूची में शामिल कंपनियों के साथ अमेरिकी कंपनियां कारोबार नहीं कर सकतीं. यानी अब अमेरिकी सुरक्षा तकनीक आदि में शोध करने वाले इन कंपनियों को सूचनाएं नहीं बेच पाएंगे. अगर कोई अमेरिकी कंपनी इस सूची की कंपनी के साथ कारोबार करना भी चाहती है तो उसे पहले सरकार से इजाजत लेनी होगी, जिसके मिलने की संभावना नगण्य होती है.

सरकारों पर कार्रवाई नहीं

अमेरिकी विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने कहा, "हम उन देशों या सरकारों के खिलाफ कार्रवाई नहीं कर रहे हैं जहां से ये कंपनियां काम करती हैं.” एनएसओ ग्रुप और कैंडिरू पर तानाशाही सरकारों को हैकिंग टूल बेचेने के आरोप लगते रहे हैं. एनएसओ का कहना है कि वह इंटेलिजेंस और सुरक्षा एजेंसियों को ही अपने सॉफ्टवेयर बेचती है, जो अपराधियों और आतंकवादियों को रोकने का काम करती हैं.

अमेरिका के फैसले पर एनएसओ ने निराशा जताई है. कंपनी के एक प्रवक्ता ने कहा कि उनकी तकनीक "आतंकवाद व अपराध को रोक कर अमेरिकी सुरक्षा हितों और नीतियों का समर्थन करती है.” प्रवक्ता ने कहा, "हम इस फैसले को पलटने का आग्रह करते हैं.”

एनएसओ का कहना है कि वह मानवाधिकारों के पालन के लिए सख्त नियमों का पालन करती है और इस प्रक्रिया से अमेरिकी अधिकारियों को अवगत कराएगी. एक ईमेल में प्रवक्ता ने कहा कि उनकी सख्त प्रक्रिया के चलते ही "कई ऐसी सरकारों और एजेंसियों के साथ समझौते रद्द किए जा चुके हैं जिन्होंने हमारे उत्पादों का दुरुपयोग किया.”

एनएसओ को निर्यात के लिए लाइसेंस देने वाले इस्राएल के रक्षा मंत्रालय ने इस मुद्दे पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. कैंडिरू की संपर्क सूचनाएं उपलब्ध नहीं थीं.

रूसी कंपनी पर प्रतिबंध

अमेरिका ने रूस की साइबर सुरक्षा कंपनी पॉजीटिव टेक्नोलॉजी पर रूसी सुरक्षा एजेंसियों को सेवाएं देने के कारण प्रतिबंध लगाया है. कंपनी ने कहा है कि उसने कोई गलत काम नहीं किया है. पॉजीटिव टेक्नोलॉजी ने कहा कि नए प्रतिबंध उनके कारोबार को प्रभावित नहीं करेंगे और शेयर मार्केट में सूचीबद्ध होने की उसकी योजनाएं पर कोई असर नहीं पड़ेगा.

कंपनी के जनरल डायरेक्टर डेनिस बारानोव ने ईमेल से भेजे एक बयान में कहा, "हमें नहीं पता कि अमेरिकी वाणिज्य मंत्रालय ने किन आधारों पर हमें उस सूची में जोड़ा है. फिर भी, हमने प्रतिबंध के खतरों को पहले भी झेला है और अब भी इनकी वजह से हमें कोई अतिरिक्त खतरा नहीं है.”

एप्पल के नए फीचर पर शक

03:22

This browser does not support the video element.

कंपनी की गतिविधियों से परिचित एक अमेरिकी अधिकारी ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि पॉजीटिव टेक्नोलॉजी ने वो कंप्यूटर इंफ्रास्ट्रक्चर स्थापित करने में मदद की जिससे रूस ने अमेरिका में साइबर हमले किए.

पेगासस जासूसी कांड

इसी साल 17 मीडिया संस्थानों की एक साझी जांच के बाद यह दावा किया गया था कि इस्राएल के सर्वेलांस सॉफ्टवेयर पेगासस के जरिए इन फोन नंबरों की जासूसी की गई. इन संस्थानों में भारत का मीडिया संस्थान द वायर भी शामिल था. द वायर ने लिखा कि इस जांच के तहत कुछ फोनों की फॉरेंसिक जांच की गई जिससे "ऐसे स्पष्ट संकेत मिले कि 37 मोबाइलों को पेगासस ने निशाना बनाया, जिनमें 10 भारतीय थे.

वेबसाइट द वायर ने खबर दी थी कि इस्राएल की निगरानी रखने वाली तकनीक के जरिए भारत के तीन सौ से भी ज्यादा लोगों के मोबाइल नंबरों की जासूसी की गई, जिनमें देश के मंत्रियों और विपक्ष के नेताओं से लेकर पत्रकार, जाने-माने वकील, उद्योगपति, सरकारी अधिकारी, वैज्ञानिक, मानवाधिकार कार्यकर्ता आदि शामिल हैं.

किसके कहने पर की गई मैर्केल की जासूसी?

04:03

This browser does not support the video element.

इस्राएल की कंपनी एनएसओ ग्रुप पेगासस सॉफ्टवेयर बेचता है. द वायर के मुताबिक कंपनी का कहना है कि उसके ग्राहकों में सिर्फ सरकारें शामिल हैं, जिनकी संख्या 36 मानी जाती है. हालांकि कंपनी ने यह नहीं बताया है कि कौन कौन से देशों की सरकारें उसके ग्राहक हैं लेकिन द वायर लिखता है कि कम से कम यह संभावना तो खत्म हो जाती है कि भारत में या बाहर की कोई निजी संस्था इस जासूसी के लिए जिम्मेदार है.

यह जांच फ्रांस की एक गैर सरकारी संस्था ‘फॉरबिडन स्टोरीज' और एमनेस्टी इंटरनेशनल को मिले एक डेटा के आधार पर हुई थी. यह डेटा दुनियाभर के कई मीडिया संस्थानों को उपलब्ध कराया गया था, जिनमें द वायर, ला मोंड, द गार्डियन, वॉशिंगटन पोस्ट, डी त्साइट और ज्यूडडॉयचे त्साइटुंग के अलावा मेक्सिको, अरब और यूरोप के दस अन्य संस्थान शामिल हैं.

वीके/एए (रॉयटर्स)

इस विषय पर और जानकारी को स्किप करें
डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी को स्किप करें

डीडब्ल्यू की टॉप स्टोरी

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें को स्किप करें

डीडब्ल्यू की और रिपोर्टें