अमेरिका ने कहा, जर्मनी तोड़े उत्तर कोरिया से रिश्ते
३० नवम्बर २०१७
अमेरिका ने कहा है कि जिन देशों के उत्तर कोरिया के साथ संबंध हैं, वे अपने संबंध खत्म कर लें. अमेरिका ने खास तौर से जर्मनी का जिक्र किया है जबकि स्वीडन और ब्रिटेन के दूतावास भी उत्तर कोरिया में हैं.
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उत्तर कोरिया को अलग थलग करने की एक और कोशिश के तहत अमेरिका ने उन देशों से उत्तर कोरिया के खिलाफ कदम उठाने को कहा है जिनके उसके साथ अब भी राजनयिक संबंध हैं. अमेरिकी विदेश विभाग की प्रवक्ता हीथर नोएर्ट ने कहा कि रिश्ते खत्म करने और विदेशों में उत्तर कोरियाई कामगारों की संख्या सीमित करने से उत्तर कोरिया पर दबाव बढ़ेगा और वह अपने परमाणु कार्यक्रम को खत्म करने के लिए मजबूर होगा.
बुधवार को उत्तर कोरिया ने एक उन्नत बैलेस्टिक मिसाइल ह्वासोंग-15 का परीक्षण कर दावा किया कि अब वह अमेरिका में कहीं भी मार करने की क्षमता रखता है. हालांकि नोएर्ट ने उत्तर कोरिया से संबंध तोड़ने का आग्रह सभी देशों से किया, लेकिन डीडब्ल्यू रिपोर्टर की तरफ से सवाल पूछे जाने पर उन्होंने जर्मनी का खास तौर से जिक्र किया.
कितना ताकतवर है उत्तर कोरिया
सालों तक अंतरराष्ट्रीय समुदाय उत्तर कोरिया की सैन्य शक्ति को कम करके आंकता रहा. आईसीबीएम का परीक्षण कर उत्तर कोरिया ने जता दिया है कि उसकी क्षमता ताकतवर देशों के अनुमान से कहीं ज्यादा है.
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आईसीबीएम दूसरी बार
उत्तर कोरिया के सरकारी टीवी पर प्रसारित एक बयान में कहा गया कि उत्तर कोरिया ने एक नयी तरह की इंटरकॉन्टिनेंटल बैलेस्टिक मिसाइल (आईसीबीएम) का परीक्षण किया है जिसका नाम ह्वासोंग-15 है. उत्तर कोरिया का दावा है कि वह अमेरिका के किसी भी हिस्से में मार कर सकता है.
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बड़ी कामयाबी
इस साल जुलाई में उत्तर कोरिया ने पहली बार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल यानी आईसीबीएम का परीक्षण किया. अमेरिका ने भी इसकी पुष्टि की. आईसीबीएम का परीक्षण उत्तर कोरिया के लिए बड़ी कामयाबी है. इसका एक मतलब ये भी है कि इलाके में अमेरिका और उसके सहयोगियों के साथ उत्तर कोरिया का तनाव बढ़ेगा खासतौर से जापान और दक्षिण कोरिया के साथ.
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आईसीबीएम का दम
रक्षा मामलों के जानकार कह रहे हैं कि उत्तर कोरिया ने जिस आइसीबीएम का परीक्षण किया है वो अलास्का और हवाई द्वीप तक जा सकता है. हालांकि ये सवाल अब भी है कि क्या उत्तर कोरिया परमाणु ताकत से लैस आईसीबीएम को तैनात कर सकता है. उत्तर कोरिया के सरकारी मीडिया ने यह जरूर कहा है कि जिस आईसीबीएम का परीक्षण किया गया वह "भारी और विशाल परमाणु हथियार" ले जाने में सक्षम है.
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उत्तर कोरिया के परमाणु परीक्षण
आईसीबीएम को उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम की दिशा में बढ़ा एक और कदम कहा जा रहा है. पारंपरिक बैलिस्टिक मिसाइलों के परीक्षण के साथ ही उत्तर कोरिया ने पांच बार परमाणु परीक्षण किये हैं. 2016 में ही दो बार परमाणु परीक्षण हुआ. उत्तर कोरिया का दावा है कि आखिरी बार जिसका परीक्षण हुआ उसे रॉकेट से जोड़ा जा सकता है.
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सेना की ताकत
तकरीबन सात लाख लोगों के सक्रिय दल के अतिरिक्त इसके पास 45 लाख लोगों की रिजर्व फोर्स भी है. इसके अलावा शासन कभी भी इसकी एक तिहाई आबादी को सेना में सेवाएं देने के लिये बुला सकती है. देश के हर पुरूष के लिए किसी न किसी तरह का सैन्य प्रशिक्षण लेना अनिवार्य है और उन्हें किसी भी वक्त बुलाया जा सकता है.
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हथियारों का भंडार
साल 2016 के ग्लोबल फायरपावर इंडेक्स के मुताबिक उत्तर कोरिया के पास शस्त्रों की कोई कमी नहीं है. इसके भंडार में 76 पनडुब्बी, 458 फाइटर एयरक्राफ्ट और 5025 लड़ाकू विमान और 50 लाख से अधिक सेना अधिकारी हैं. साल 2013 की इस तस्वीर में कोरियाई नेता किम जोंग उन रणनीतिक बलों को अमेरिका और दक्षिण कोरिया के खिलाफ तैयार रहने के आदेश देते हुये नजर आ रहे हैं.
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शक्तिप्रदर्शन में नहीं पीछे
हर साल राजधानी प्योंगयांग में होने वाली सैन्य परेड में सैकड़ों-हजारों की संख्या में सैनिक और आम नागरिक हिस्सा लेते हैं. इस परेड या अन्य किसी ऐसी रैली की तैयारी महीनों पहले शुरू कर दी जाती है. आमतौर पर ये परेड किम जोंग उन के परिवार या पार्टी के किसी सदस्य की सालगिरह के मौके पर होती है.
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नहीं किसी की परवाह
अंतरराष्ट्रीय समुदाय के दवाब और विरोध के बावजूद प्योंगयांग ने कभी परमाणु हथियारों को लेकर अपनी मंशाओं और महत्वाकांक्षाओं को नहीं छुपाया. बैलेस्टिक मिसाइल परीक्षण के अलावा उत्तर कोरिया ने पांच बार परमाणु परीक्षण भी किया है. इनमें से दो परीक्षण 2016 में किये. उत्तर कोरिया का दावा है कि उसने जिस आखिरी मिसाइल का परीक्षण किया है उसे रॉकेट के जरिये भी दागा जा सकता है.
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दुश्मन बना जमाना
अमेरिका और उत्तर कोरिया की शत्रुता किसी से नहीं छिपी. लेकिन पड़ोस में भी इसके शत्रु कुछ कम नहीं. प्योंगयांग अपने पड़ोसी दक्षिण कोरिया और जापान को भी अपना बड़ा दुश्मन मानता है. उत्तर कोरियाई शासन इस क्षेत्र में अमेरिका के सैन्य अभ्यास को उसके खिलाफ एक साजिश बताता है. इसका दावा है कि अमेरिका, उत्तर कोरिया को निशाना बनाना चाहता है.
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धीरज खोता अमेरिका
अमेरिका ने भी अपने कार्ल विल्सन विमान वाहक पोत को कोरियाई प्रायद्वीप में भेज कर संदेश दे दिया है कि वह उत्तर कोरिया के प्रति सावधानी बरत रहा है. जवाब में उत्तर कोरिया ने कहा कि वह अमेरिका के किसी भी तरह के हमले का जवाब देने को तैयार है. खुफिया एजेंसियों के मुताबिक उत्तर कोरिया अगले दो सालों में अमेरिका पर हमला करने की हालत में हो सकता है.
एए/आरपी
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डीडब्ल्यू के कार्स्टेन फॉन नामेन ने उनसे पूछा, "क्या आप चाहेंगी कि जर्मनी अपने राजदूत को उत्तर कोरिया से वापस बुलाये और राजनयिक रिश्ते तोड़ दे? या फिर यह संपर्क बनाये रखने का एक अहम माध्यम हो सकता है, अमेरिका के लिए भी?" नोएर्ट ने कहा, "हम जर्मनी और दुनिया भर के देशों से कहते हैं कि वह अपने राजदूतों को वापस बुला लें."
उत्तर कोरिया से भागता सैनिक
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अमेरिकी प्रवक्ता ने माना कि जर्मन सरकार उत्तर कोरिया के "गेस्ट वर्कर" सिस्टम से निपटने में मददगार रही है. माना जाता है कि विदेशों में काम करने वाले उत्तर कोरियाई कामगारों के वेतन का बड़ा हिस्सा किम जोंग उन की सरकार के पास जाता है जिससे उत्तर कोरिया के परमाणु कार्यक्रम के लिए धन जुटाया जाता है.
संयुक्त राष्ट्र में अमेरिकी राजदूत निक्की हेली ने भी सभी देशों से उत्तर कोरिया से राजनयिक संबंध तोड़ने के साथ साथ उसके साथ व्यापार भी खत्म करने को कहा है. लेकिन जर्मन चांसलर अंगेला मैर्केल की सीडीयू पार्टी के युर्गन हार्ड्ट ने उत्तर कोरिया से संबंध खत्म करने की अपील को खारिज किया है. उन्होंने कहा कि जर्मनी को उत्तर कोरिया से अपने राजदूत को बुलाने के अमेरिका के आग्रह को नहीं मानना चाहिए. रूस ने भी अमेरिकी अपील को खारिज किया है.
जिन देशों के राजनयिक मिशन उत्तर कोरिया की राजधानी प्योंगयांग में मौजूद हैं उनमें जर्मनी और रूस के अलावा चीन, ब्रिटेन, स्वीडन, पोलैंड, भारत और पाकिस्तान जैसे देश शामिल हैं.
-रिबेका श्टाउडेनमायर
इन देशों में अब भी कम्युनिस्ट सरकारें हैं
दुनिया के बहुत से देशों में सीधे जनता अपने शासकों को चुनती है. यानी वहां लोकतंत्र है. लेकिन दुनिया में अब भी कुछ ऐसे देश हैं जहां शासकों का चुनाव जनता नहीं, एक पार्टी करती है. एक नजर आज की दुनिया के कम्युनिस्ट देशों पर.
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चीन
माओ त्सेतुंग ने 1949 में चीन की सत्ता अपने हाथ में ली और देश को पीपल्स रिपब्लिक ऑफ चाइना घोषित किया. इस तरह चीन में एक पार्टी का शासन कायम हुआ जो अब तक जारी है. हालांकि कई आलोचक कहते हैं कि चीन आज पूरी तरह पूंजीवादी रास्ते पर चल रहा है.
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क्यूबा
1959 में हुई क्रांति के बाद क्यूबा में फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में सरकार बनी. दशकों तक राज करने के बाद कास्त्रो ने 2008 में सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो को सौप दी. क्यूबा को कई प्रतिबंध भी झेलने पड़े लेकिन वह कम्युनिज्म के रास्ते पर चलता रहा.
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लाओस
दक्षिण पूर्व एशिया में बसे लाओस का पूरा नाम लाओ पीपल्स डेमोक्रेटिक रिपब्लिक है. वियतनाम और सोवियत संघ के सहयोग से वहां 1975 में क्रांति हुई और लाओस एक कम्युनिस्ट देश बन गया. देश में एक पार्टी वाली शासन व्यवस्था है, लेकिन 2013 वह विश्व व्यापार संगठन का सदस्य बना.
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उत्तर कोरिया
उत्तर कोरिया दुनिया के सबसे चर्चित कम्युनिस्ट गढ़ों में से एक है. किम परिवार के नेतृत्व में 1948 से वर्कर्स पार्टी देश को चला रही है. हालांकि उत्तर कोरिया की सरकार खुद को कम्युनिस्ट नहीं मानती, बल्कि वह किम परिवार की "जूचे" विचारधारा को अपना पथ प्रदर्शक कहती है.
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वियतनाम
दो दशकों तक चली लड़ाई के बाद 1976 में वियतनाम के दो हिस्से फिर से एक हो गये और वह एक कम्युनिस्ट देश बना. कई अन्य कम्युनिस्ट देशों की तरह, वियतनाम भी हाल के वर्षों में बाजार अर्थव्यवस्था की तरफ बढ़ा है. इसीलिए वहां भी आपको पूंजीवाद के निशान दिखते हैं.
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लोकतंत्र में कम्युनिस्ट पार्टियां
बहुदलीय व्यवस्था वाले कई देशों में कम्युनिस्ट पार्टियां सरकार में रही हैं. नेपाल, गुयाना और मोल्डोवा जैसे देशों में कम्युनिस्ट नेताओं ने सरकार का नेतृत्व किया है. भारत में कम्युनिस्ट पार्टियां केरल, पश्चिम बंगाल और त्रिपुरा जैसे राज्यों में सरकार में रही हैं. केंद्र में वह सत्ताधारी गठबंधन में शामिल रह चुकी हैं.