पत्रकारों के सिर काटने वाले आतंकियों पर मुकदमा शुरू
८ अक्टूबर २०२०
इस्लामिक स्टेट से जुड़े दो संदिग्ध ब्रिटिश आतंकवादियों को अमेरिका लाया गया है. आरोप है कि इन आतंकियों ने सीरिया में बर्बरता की सारी हदें पार करते हुए नागरिकों, पत्रकारों के सिर कलम कर दिए थे और उसका वीडियो भी बनाया था.
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इस्लामिक स्टेट के इन आतंकियों को उनके उच्चारण के कारण उन्हें "द बीटल्स" का उपनाम दिया गया था. साल 2014 और 2015 में इन आतंकियों ने ब्रिटिश, अमेरिकी और जापानी पत्रकारों और सहायताकर्मियों के साथ-साथ सीरियाई सैनिकों के सिर काट दिए थे. बुधवार को इन आरोपी आतंकियों को ब्रिटेन से अमेरिका लाया गया. अमेरिकी न्याय विभाग का कहना है कि इन दोनों कथित आतंकियों पर यातनाएं देने, सिर कलम करने और बंधकों के साथ सीरिया में अन्य क्रूर बर्ताव के आरोपों पर सुनवाई होगी.
जिन दो आतंकियों को अमेरिका लाया गया है उनके नाम हैं-अल-शफी शेख और एलेक्जेंड्रा कोटे. ये दोनों चार अपहरणकर्ताओं के समूह से संबंधित थे, जिन्हें उनके ब्रिटिश उच्चारण के कारण "द बीटल्स" उपनाम दिया गया था. बुधवार को दोनों की वर्जीनिया की एक संघीय अदालत में पेशी कराई गई और अदालत की जूरी ने उनपर आठ आरोपों के तहत मुकदमे की शुरूआत की. अभियोजन पक्ष ने आरोप लगाया कि इन दोनों ने एक क्रूर बंधक बनाने की योजना का नेतृत्व किया, जिसके कारण अमेरिकी पत्रकार जेम्स फोले सहित कई पश्चिमी लोगों की हत्या कर दी गई थी. एक साल पहले अमेरिका ने दोनों आतंकियों को सीरिया से बाहर कर इराक पहुंचाया था.
"द बीटल्स" आतंकियों ने 2014 और 2015 में अमेरिकी, ब्रिटिश और जापानी पत्रकारों, सहायताकर्मियों और कुछ सीरियाई सैनिकों का सिर काट दिया था और इस क्रूर वारदात को कैमरे में भी कैद किया था. आईएस ने ऐसे वीडिया का इस्तेमाल अपने प्रोपेंगेंडा को विश्वभर में फैलाने में किया था.
अमेरिकी न्याय विभाग के सहायक अटॉर्नी जनरल जॉन डेमर्स ने कहा कि कि ऐसे लोगों पर अमेरिकी अदालतों में मुकदमा चलाया जाएगा और दुनिया के किसी भी हिस्से में आतंकवादियों पर कार्रवाई की जाएगी. उनका पीछा किया जाएगा. उन्होंने कहा, "अगर आपके सिर पर अमेरिकी लोगों की हत्या का आरोप है तो आपको अमेरिका में न्यायिक प्रक्रिया का सामना करना ही पड़ेगा."
नई अमेरिकी एडवाइजरी में केवल कोरोना ही नहीं, अपराध और आतंकवाद के कारण भी भारत को कहीं ज्यादा खतरनाक बताया गया है. होटल कारोबारियों का मानना है कि भारत को सीरिया, इराक और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ रखना ठीक नहीं है.
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लेवल 4 के मायने
अगस्त में जारी अपनी नई ट्रैवल एडवाइजरी में अमेरिका ने भारत के अलावा सीरिया, इराक, यमन और पाकिस्तान के साथ भारत को भी लेवल 4 में रखा है. अमेरिकी सूची में लेवल 4 का मतलब है सबसे ज्यादा खतरनाक ठिकाने जहां जाने से पर्यटकों को सबसे ज्यादा बचने की सलाह दी जाती है.
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कोरोना काल में व्यवस्था
फिलहाल भारत ने अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस के साथ 'एयर ट्रांसपोर्ट बबल' स्थापित कर लिया है. भारत के अलावा इस बबल में शामिल देशों के विमान भी भारत आ सकते हैं और बाहर जा सकते हैं. कनाडा, ब्रिटेन और यूएई के साथ भी भारत ने विशेष यात्रा इंतजाम किए हैं.
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'एयर बबल' का फायदा नहीं
ऐसे बबल का फायदा उन देशों को मिल सकता है जहां एक तो कोरोना महामारी पर काबू पा लिया गया हो और दूसरे जिनकी सीमाएं दूसरे देशों के लिए खुली ना हों. भारत और अमेरिका दोनों के साथ ऐसा नहीं है. ना तो यहां महामारी अभी मिटी है और ना ही भारत ने ऐसा बबल केवल अमेरिका के साथ बनाया है.
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अमेरिकी एडवाइजरी में और परेशानियों का जिक्र
अमेरिका ने भारत में यात्रा को लेकर अपने नागरिकों को चेताया है कि यहां उन्हें सीमाएं सील होने, एयरपोर्ट बंद होने, आंशिक लॉकडाउन, बिजनेस बंद होने और कोरोना के कारण पैदा हुई किसी आपातकालीन स्थिति का सामना करना पड़ सकता है.
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भारतीय टूरिज्म सेक्टर की आपत्ति
भारत में यात्रा, पर्यटन और होटल उद्योग के एक संयुक्त संगठन, फेडरेशन ऑफ एसोसिएशंस इन इंडियन टूरिज्म एंड हॉस्पिटैलिटी (फेथ) ने हाल ही में बयान जारी कर कहा है कि हवाई यात्रा मार्गों के खुलने की शुरुआत होते ही अमेरिका की ऐसी सलाह भारत में टूरिज्म सेक्टर से जुड़े कारोबार के लिए बहुत नुकसानदेह साबित होगा.
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अमेरिकी टूरिस्ट की इतनी परवाह क्यों
भारतीय ट्रैवल एंड टूरिज्म सेक्टर के लिए अमेरिकी पर्यटक काफी अहमियत रखते हैं. कारण यह है कि एक तो वे बाकी तमाम देशों के नागरिकों के मुकाबले कहीं ज्यादा लंबे समय तक भारत में रहते हैं. ज्यादातर अमेरिकी यात्री औसतन 29 दिन से भी ज्यादा लंबा समय भारत में बिताते हैं जो कि बाकी तमाम विदेशी पर्यटकों से ज्यादा है. और दूसरी बात यह कि अमेरिकी टूरिस्ट बाकियों के बनिस्पत भारत में खर्च भी ज्यादा करते हैं.
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खराब धारणा बनाने वाला
भारतीय टूरिज्म कारोबारियों को यमन, सीरिया, पाकिस्तान और इराक जैसे देशों के साथ एक ही श्रेणी में डाला जाना भी नागवार गुजरा है. उनका मानना है कि इससे देश के बारे में एक तरह की नकारात्मक धारणा बनती है जो कि पहले से ही संघर्ष कर रहे हॉस्पीटैलिटी सेक्टर के लिए काफी बुरा साबित हो सकता है.
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कोरोना ही नहीं अपराध, आतंकवाद पर भी चिंता
मार्च में कोरोना के मद्देनजर अमेरिका ने सभी अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को लेवल 4 में डाला था लेकिन अगस्त में इसे बदलते हुए उसने सभी देशों को लेवल 1 से लेकर 4 तक में बांटा. लेवल 4 वाले देश सबसे ज्यादा खतरनाक बताए गए और इसमें भारत और चीन समेत 50 देश रखे गए हैं. अमेरिकी एडवाइजरी में केवल कोरोना ही नहीं, अपराध और आतंकवाद के कारण भी भारत को कहीं ज्यादा खतरनाक बताया गया है.