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डब्ल्यूटीओ संधि से सबसे ज्यादा फायदे में हैं तीन देश

३० दिसम्बर २०१९

विश्व व्यापार संगठन यानी डब्ल्यूटीओ के 25 साल पूरे होने के मौके पर जारी रिपोर्ट से पता चला है कि संगठन के जरिए होने वाले व्यापार में सबसे ज्यादा फायदा अमेरिका, चीन और जर्मनी को हुआ है.

Schweiz Genf | WTO Hauptquartier
तस्वीर: Getty Images/AFP/F. Coffrini

विश्व के तीन सबसे बड़े निर्यातक देश जर्मनी, चीन और अमेरिका को विश्व व्यापार संगठन (WTO) का सदस्य होने का सबसे ज्यादा फायदा मिला है. बेर्टेल्समान फाउंडेशन की 30 दिसंबर को जारी हुई एक रिपोर्ट इन आंकड़ों की तस्दीक करती है. रिपोर्ट के मुताबिक डब्ल्यूटीओ के नियमों के मुताबिक होने वाले व्यापार से सबसे ज्यादा कमाई इन तीन देशों ने की है. ये रिपोर्ट 2016 में हुए व्यापार के आंकड़ों पर जारी की गई है. 2016 में अमेरिका को सबसे ज्यादा 87 अरब डॉलर का फायदा हुआ. दूसरे नंबर पर चीन को 86 अरब डॉलर तो जर्मनी को 66 अरब डॉलर का फायदा हुआ है. शोधकर्ताओं के एक समूह ने डब्ल्यूटीओ के 164 सदस्य देशों समेत 180 देशों के व्यापार के आंकड़ों का विश्लेषण किया. इसमें डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों और दूसरे देशों के साथ होने वाला व्यापार शामिल था.

तस्वीर: picture-alliance/Xinhua/Xu Jinquan

इस रिपोर्ट के मुताबिक साल 1980 की तुलना में 2016 में डब्ल्यूटीओ के सदस्यों को औसत निर्यात करीब 14 प्रतिशत बढ़ गया है. हालांकि रिपोर्ट के मुताबिक सदस्य देशों द्वारा गैर सदस्य देशों को किया जाने वाला निर्यात 5.5 प्रतिशत की औसत से कम हो गया है. 2016 में डब्ल्यूटीओ के सदस्य देशों ने दुनिया की कुल धन संपदा में 855 अरब डॉलर की बढ़ोत्तरी की. यह पूरी दुनिया की कुल जीडीपी के एक प्रतिशत हिस्से के बराबर है. बेर्टेल्समान फाउंडेशन में व्यापार विशेषज्ञ क्रिश्चियन ब्लूथ का कहना है कि डब्ल्यूटीओ वैश्विक अर्थव्यवस्था का ऑपरेटिंग सिस्टम है. यह संगठन सुनिश्चित करता है कि वस्तुएं एवं सेवाएं एक स्थायी और नियमों से बंधे व्यापार के माहौल में ठीक तरह से काम करें.

इस रिपोर्ट से जाहिर होता है कि जिन देशों में निर्माण अच्छा है और निर्यात ज्यादा है, उन्हें डब्ल्यूटीओ का सदस्य बनने से बहुत फायदा हो रहा है. उदाहरण के लिए मेक्सिको को 58 अरब डॉलर और दक्षिण कोरिया को 31 अरब डॉलर का फायदा हुआ. भारत को इस रिपोर्ट में मध्यम आय वाले देशों में रखा गया है.

तस्वीर: Reuters/K. Nietfeld

अंधकार में भविष्य?

इस स्टडी को 1 जनवरी को इस संगठन की स्थापना के 25 साल पूरे होने के मौके पर जारी किया गया है. जेनेवा से चलने वाले इस संगठन पर अमेरिका लगातार दबाव बना रहा है. अमेरिका का कहना है कि डब्ल्यूटीओ उसके प्रतिद्वंदी देशों को आगे बढ़ाने के हिसाब से नियम बना रहा है. इन नियमों का नुकसान अमेरिका को हो रहा है. डब्ल्यूटीओ के नियम वैश्विक व्यापार में एक सर्वोच्च अदालत के फैसलों की तरह होते हैं. यही वजह है कि अमेरिका ने डब्ल्यूटीओ के नए अपील जज की नियुक्ति के पिछले दो साल से अटकाया हुआ है. इसके चलते दिसंबर की शुरुआत में डब्ल्यूटीओ में सिर्फ एक ही जज रह गया है. जबकि किसी भी व्यापारिक विवाद पर फैसला देने के लिए कम से कम तीन जजों का होना जरूरी है. इसी वजह से फिलहाल किसी विवाद पर फैसला नहीं दिया जा सका है.

दूसरे देशों की भी डब्ल्यूटीओ के काम के तरीके को लेकर शिकायतें रहती हैं. आलोचकों का कहना है कि यहां पर किसी भी विवाद का फैसला होने में बहुत ज्यादा समय लग जाता है. साथ ही चीन जैसी अर्थव्यवस्थाओं द्वारा किए जाने वाले नियमों के उल्लंघनों की जांच करने और उस पर कार्रवाई करने के लिए संगठन के पास जरूरी संसाधन भी नहीं हैं. इस रिपोर्ट में कहा गया है कि इस संगठन के दो सबसे बड़े सदस्य चीन और अमेरिका अपने व्यापार विवादों को संगठन की सीमा से बाहर आपसी स्तर पर ही निपटा रहे हैं.  क्रिश्चियन ब्लूथ का कहना है कि इस संगठन को जल्दी से खुद को अपडेट करना चाहिए. उनका कहना है कि नियमों को लागू करे बिना कोई भी नियम आधारित संगठन लंबे समय तक नहीं चल सकता है.

आरएस/आरपी (डीपीए, एएफपी)

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