ग्रीन हाउस गैसों से बन रहे हैं कपड़े, बोतल और ईंधन
२ दिसम्बर २०२२![USA LanzaTech Labor in Chicago produziert Bakterien gegen Luftverschmutzung](https://static.dw.com/image/63964189_800.webp)
अमेरिका में शिकागो के उपनगर में बनी लांजाटेक की प्रयोगशाला में कांच की दर्जनों टंकियों में भरे मटमैले पीले रंग के तरल से बुलबुले उठ रहे हैं. इसमें अरबों बैक्टीरिया हैं जो भूख से बिलबिला रहे हैं. इनका भोजन है, गंदी हवा. वास्तव में यह एक रिसाइकिल सिस्टम का पहला चरण है. इस सिस्टम के जरिये ग्रीन हाउस गैसों को उपयोगी सामान में बदला जा रहा है.
उत्सर्जन से बनी ड्रेस
नये सूक्ष्म जीवों के प्रयोग के लिए लांजाटेक को लाइसेंस मिलने के बाद चीन की तीन फैक्ट्रियों में उनसे सामान बनाना भी शुरू हो गया है और जारा, लो रियाल जैसे अंतरराष्ट्रीय फैशन ब्रांड ने उनसे करार भी किया है. लांजाटेक के गठन के एक साल बाद उससे जुड़ने वाले मिषाएल कोपके कहते हैं, "मैंने नहीं सोचा था कि 14 साल बाद हमारे पास बाजार में एक कॉकटेल ड्रेस होगी जो लोहे के उत्सर्जन से बनी होगी."
ब्रिटेन के प्रिंस विलियम और ब्रॉडकास्टर डेविड एटनबरो ने पर्यावरण के लिए काम करने वालों को सम्मानित करने के लिए एक अर्थशॉट अवॉर्ड की शुरुआत की है. कुल पांच विजेताओं को ये पुरस्कार दिये जाएंगे. इसके लिए आखिरी 15 नामों में एक नाम लांजाटेक का भी है.
लांजाटेक का कहना है कि अब तक उसने 2 लाख मीट्रिक टन से ज्यादा कार्बन डाइ ऑक्साइड को वातावरण से बाहर निकाला है और इनकी मदद से करीब 5 करोड़ गैलन एथेनॉल बनाया है. कोपके का कहना है कि जब हम जलवायु परिवर्तन से लड़ाई के बारे में बात करते हैं तो यह काम सागर से एक बाल्टी पानी निकालने जैसा ही है.
हालांकि 15 साल तक प्रक्रिया को विकसित करने और बड़े पैमाने पर इसकी व्यावहारिकता को परखने के बाद कंपनी अपनी महत्वाकांक्षा को पंख दे रही है और इस मुहिम में शामिल फैक्ट्रियों की संख्या बढ़ाई जा रही है.
तेल और गैस की खुदाई बंद करने का सपना
कोपके कहते हैं, "हम सचमुच उस बिंदु तक पहुंचना चाहते हैं जहां केवल धरती के ऊपर मौजूद कार्बन का इस्तेमाल होगा और उसे लगातार सर्कुलेट किया जा जाएगा." दूसरे शब्दों में कहें तो तेल और गैस की खुदाई बंद कर दी जाएगी.
करीब 200 लोगों के साथ काम कर रही लांजाटेक अपनी रिसाइकिलिंग तकनीक की ब्रुअरी से तुलना करती है. हालांकि इसमें चीनी और यीस्ट से बीयर बनाने की बजाय कार्बन प्रदूषण और बैक्टीरिया का इस्तेमाल कर एथेनॉल बनाया जाता है. इस प्रक्रिया में इस्तमाल होने वाले बैक्टीरिया की खोज खरगोश के मल में कई दशक पहले हुई थी.
खेती के कचरे को खजाने में बदलता एक छोटा सा डिब्बा
कंपनी इन्हें औद्योगिक स्थिति में रख कर इस्तेमाल के लिए तैयार करती है. बैक्टीरिया को सूखे पाउडर के रूप में चीन के कॉर्पोरेट ग्राहकों के पास भेजा जाता है. वहां से वे इसे कई मीटर ऊंची टंकियों में भर कर शिकागो वापस भेजते हैं. इस तरह की सेवा मुहैया कराने वाले कार्पोरेट ग्राहक एथेनॉल की बिक्री से होने वाले मुनाफे के अलावा अपने मुख्य कारोबार से होने वाले प्रदूषण की भरपाई करने का भी मौका मिलता है.
चीन में लांजाटेक के ग्राहकों में एक स्टील प्लांट और दो फेरोअलॉय प्लांट हैं. छह और ऐसे ठिकाने तैयार किये जा रहे हैं जिनमें बेल्जियम का आर्सेलरमित्तल प्लांट और भारत की इंडियन ऑयल कंपनी भी शामिल है.
फायेदमंद है बैक्टीरिया
यह बैक्टीरिया कार्बन डाइ ऑक्साइड, कार्बन मोनो ऑक्साइड और हाइड्रोजन को पचा सकता है इसलिए यह प्रक्रिया काफी लचीली है. लांजाटेक की उपाध्यक्ष जारा समर्स ने बताया, "हम कचरा ले सकते हैं, बायोमास ले सकते हैं और औद्योगिक संयंत्रों से निकलने वाली गैसें भी ले सकते हैं." जारा ने इससे पहले 10 साल तक एक्सॉनमोबिल के साथ काम किया है.
इनसे बनाये सामान पहले ही जारा के स्टोर में मिल रहीं पोशाकों में शामिल हो चुके हैं. मसलन, करीब 90 यूरो की कीमत वाली एक ड्रेस पोलिएस्टर से बनी है जिसका 20 फीसदी हिस्सा प्रदूषण फैलाने वाली गैसों से मिला है. समर्स का कहना है, "भविष्य के लिए मेरे ख्याल से विचार यह होगा कि कुछ भी बेकार नहीं है क्योंकि कार्बन का दोबारा इस्तेमाल हो सकता है."
लांजाटेक ने एक अलग कंपनी लांजाजेट बनाई है जो एथेनॉल का इस्तेमाल कर सस्टेनेबल एविएशन फ्यूल यानी एसएएफ बना रही है. एसएएफ का उत्पादन बढ़ाना बहुत बड़ी चुनौती है क्योंकि विमान क्षेत्र में इसका बहुत ज्यादा इस्तेमाल है और अब वह हरित ईंधन की दिशा में आगे बढ़ना चाहता है. लांजाटेक को उम्मीद है कि 2030 तक वह एक अरब गैलन एसएएफ का उत्पादन हर साल करने लगेगी.
गेहूं, चुकंदर या मक्के से बनने वाले बायोएथेनॉल की तुलना में ग्रीनहाउस गैस से बनने वाली एथेनॉल के लिए कृषि भूमि की जरूरत नहीं होती.
एनआर/वीके (एएफपी)