अमेरिका ने भारत और पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा पर आतंकी घुसपैठ की निंदा की है. विदेश विभाग ने कहा है कि अमेरिका कश्मीर और अन्य मुद्दों पर भारत और पाकिस्तान के बीच सीधी बातचीत का समर्थन करना जारी रखेगा.
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अमेरिका ने जम्मू-कश्मीर में नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर घुसपैठ करने वाले आतंकवादियों की फिर निंदा करते हुए कहा है कि वह एलओसी के घटनाक्रमों पर बारीकी से नजर बनाए हुए हैं. विदेश विभाग के प्रवक्ता नेड प्राइस ने कहा, "हम उन आतंकवादियों की निंदा करते हैं जो नियंत्रण रेखा के पार घुसपैठ करना चाहते हैं." उन्होंने कहा, "हम सभी पक्षों से नियंत्रण रेखा पर तनाव घटाने के लिए 2003 के संघर्ष विराम समझौते का पालन करने का आह्वान करते हैं."
एक सवाल में जब उनसे पूछा गया कि क्या नए प्रशासन में क्षेत्र की नीति को लेकर कोई बदलाव हुआ है तो उन्होंने कहा, "हमने जम्मू-कश्मीर में घटनाक्रम पर बारीकी से नजर बनाए रखना जारी रखा है. क्षेत्र के प्रति हमारी नीति नहीं बदली है." उन्होंने कहा कि नियंत्रण रेखा के जरिए आतंकवादियों की घुसपैठ की कोशिश की हम निंदा करते हैं और इसका किसी भी तरह से समर्थन नहीं करते हैं.
प्राइस ने कहा कि जब बात यह आती है कि हम किस तरह से समर्थन करेंगे, तो हम भारत और पाकिस्तान के बीच कश्मीर और चिंता के अन्य क्षेत्रों में सीधे संवाद का समर्थन करते रहेंगे.
25 फरवरी को भारत और पाकिस्तान के सैन्य अभियानों के निदेशक जनरलों (डीजीएमओ) की वार्ता के बाद एक साझा बयान जारी हुआ था, जिसके मुताबिक दोनों पक्षों ने सभी अनुबंधों और समझौतों का कड़ाई से पालन करने, नियंत्रण रेखा और अन्य सभी क्षेत्रों में युद्धविराम का पालन करने पर सहमति व्यक्त की थी.
कश्मीर में आतंकवाद का संकट और राजनीतिक तनाव कम नहीं हुआ है, लेकिन पर्यटन एक बार फिर धीरे धीरे पांव जमाने की कोशिश कर रहा है. देखिए कैसे कई जगहों से आए पर्यटक चारों तरफ गिरी हुई बर्फ का अनुभव ले रहे हैं.
तस्वीर: Rifat Fareed/DW
पर्यटकों को लेकर आया 2021
तालाबंदी के एक लंबे पड़ाव के बाद 2021 में कश्मीर में पर्यटक लौट कर आ रहे हैं. ये इलाके के पर्यटन उद्योग के लिए एक नाटकीय बदलाव है, क्योंकि इसने बीते डेढ़ साल में कोरोना वायरस महामारी और केंद्र द्वारा लागू किए गए प्रतिबंधों की दोहरी मार झेली है.
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फिर खिला गुलमर्ग
कश्मीर की पहाड़ियों में ऊंचाई पर बसे गुलमर्ग में काफी बर्फ पड़ती है जिसकी वजह से इसे पूरे एशिया में स्कीइंग जैसे सर्दियों के खेलों के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक के रूप में जाना जाता है. गुलमर्ग एक बार फिर बर्फ की चादर से ढंक गया है और इसके होटल पर्यटकों से भर रहे हैं.
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हर मौसम में गुलजार
गुलमर्ग को करीब 100 साल पहले अंग्रेजों ने पर्यटन के लिए विकसित किया था. यहां देश-विदेश से पर्यटक हर मौसम में आते हैं. सर्दियों में यहां स्की, ट्रेक और स्नोबोर्डिंग की जाती है. गर्मियों में पर्यटक इसके चारागाहों, घाटियों और सदाबहार पेड़ों के जंगलों की खूबसूरती का आनंद लेते हैं.
तस्वीर: Rifat Fareed/DW
पसर गया था वीराना
2019 में कश्मीर की स्वायत्ता के अंत और सुरक्षा-संबंधी अभूतपूर्व प्रतिबंधों के लागू होने के बाद गुलमर्ग एक भूतिया शहर में तब्दील हो गया था. प्रतिबंधों के तहत कश्मीर में संचार व्यवस्था भी ठप हो गई थी, लेकिन अब तस्वीर धीरे धीरे बदल रही है.
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भीषण आर्थिक तंगी
प्रतिबंधों की वजह से आम लोगों का जीवन अस्त-व्यस्त हो गया, कई नौकरियां चली गईं और गंभीर आर्थिक तंगी का सामना करना पड़ा. कश्मीर की पहले से कमजोर स्वास्थ्य व्यवस्था भी चरमरा गई. स्कूल-कॉलेज बंद होने से लाखों छात्रों का भी नुकसान हुआ. कश्मीर चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्री का अनुमान है कि अगस्त 2020 तक इलाके में करीब 5.3 अरब डॉलर मूल्य का आर्थिक नुकसान हो चुका था और लगभग पांच लाख नौकरियां खत्म हो गई थीं.
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महामारी का एक फायदा
गुलमर्ग को महामारी से एक फायदा भी हुआ है. महामारी के शुरूआती दिनों में तो विदेश यात्रा बिलकुल बंद थी और बीते कुछ महीनों में यह शुरू तो हुई है लेकिन सीमित स्तर पर. ऐसे में वो लोग जो अमूमन पर्यटन के लिए विदेश चले जाते वो गुलमर्ग आ गए.
तस्वीर: Rifat Fareed/DW
एक अच्छा संकेत
15 महीनों में पहली बार सभी होटल फरवरी के अंत तक के लिए पूरी तरह से भर गए हैं. एक पर्यटन अधिकारी ने डीडब्ल्यू को बताया, "जनवरी और फरवरी के लिए हमारे पास गुलमर्ग में 100 प्रतिशत बुकिंग है, जो एक अच्छा संकेत है. हम उम्मीद करते हैं कि यह ट्रेंड और बेहतर होगा." कई पर्यटकों का कहना है कि वो इस समय गुलमर्ग इसलिए आए हैं क्योंकि यूरोप जैसी जगहों पर कोविड को लेकर यात्रा संबंधी प्रतिबंध लगे हुए हैं.