अमेरिका में कोरोना वायरस के कारण एक दिन में सबसे अधिक 1,169 लोगों की मौत हुई. ऐसा लग रहा है इस महामारी के आगे अमेरिका बेबस होता जा रहा है.
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जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के आंकड़ों के मुताबिक अमेरिका में पिछले 24 घंटे में कोरोना वायरस के कारण 1,169 लोगों की मौत हो गई वहीं देश में 2 लाख 45 हजार से अधिक लोग इससे संक्रमित हो चुके हैं. महामारी के फैलने के बाद किसी भी देश में इतनी बड़ी संख्या में एक दिन के भीतर मौत नहीं हुई है. इस महामारी के कारण एक दिन में सबसे अधिक मौतों का रिकॉर्ड इटली के नाम था, जहां 27 मार्च को 24 घंटे के भीतर 969 लोगों की मौत हो गई थी.
शुक्रवार 3 अप्रैल की सुबह तक अमेरिका में कोविड-19 के कारण 5,926 लोगों की जान जा चुकी थी. इटली, स्पेन के बाद सबसे अधिक मौतें अमेरिका में ही हो रही हैं. यहीं नहीं अमेरिका में कोरोना वायरस के 30,000 नए मामले भी 24 घंटे के भीतर सामने आए हैं. वहीं जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी के मुताबिक दुनिया भर में 10 लाख 11 हजार से ज्यादा कोरोना के मामले दर्ज हो चुके हैं और और मौत का आंकड़ा 52,800 के पार पहुंच गया है.
अमेरिका में सबसे अधिक इस महामारी का असर न्यू यॉर्क शहर में देखने को मिल रहा है. शहर के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक गुरुवार 2 अप्रैल की देर शाम तक यहां 1,500 मौतें दर्ज की गईं और शहर में 50,000 पॉजिटिव केस हैं. अमेरिका के उप राष्ट्रपति माइक पेंस ने व्हाइट हाउस में प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि देश में 13 लाख लोगों का कोविड-19 टेस्ट कराया जा चुका है. उन्होंने कहा, "अब हम रोजाना एक लाख कोरोना वायरस टेस्ट कर रहे हैं.”
दूसरी ओर न्यू यॉर्क के गवर्नर एंड्रयू कुओमो ने अमेरिका के अन्य गवर्नरों से अपील की है कि वे कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिए तुरंत कार्रवाई शुरू करें. उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा है कि उनके शहरों को भी न्यू यॉर्क जैसे हालात का सामना करना पड़ सकता है.
अमेरिका ऐसे बना कोरोना का सबसे बड़ा गढ़
अमेरिका में कोरोना वायरस का पहला मामला जनवरी के आखिरी दिनों में सामने आया. लेकिन अब वहां इस वायरस से संक्रमण के केसों की तादाद छह लाख की तरफ बढ़ रही है. आखिर ऐसा हुआ कैसे?
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गंभीर स्थिति
अमेरिका में कोरोना विस्फोट की कई वजहें हैं, हालांकि कई जानकार आशंका जता रहे हैं कि सबसे बदतर स्थिति अभी आनी बाकी है. इस वक्त अमेरिका में इस वायरस के सबसे ज्यादा मामले हैं.
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ट्रंप की चूक
जब अमेरिका में वायरस फैलना शुरू हुआ तो राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप पर इसे गंभीरता से ना लेने के आरोप लगे. उन्होंने कहा कि जरूरी नहीं कि ये वायरस ज्यादा लोगों में फैले.
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सुस्त टेस्टिंग
अमेरिका में सबसे पहले कोविड19 बीमारी पश्चिमी तट पर स्थित वॉशिंगटन और कैलीफोर्निया जैसे राज्यों में शुरू हुई. टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से सभी संक्रमित लोगों का पता लगाने में देरी हुई.
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सुस्त टेस्टिंग
अमेरिका में सबसे पहले कोविड19 बीमारी पश्चिमी तट पर स्थित वॉशिंगटन और कैलीफोर्निया जैसे राज्यों में शुरू हुई. टेस्टिंग की रफ्तार धीमी होने की वजह से सभी संक्रमित लोगों का पता लगाने में देरी हुई.
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कानूनी अड़चनें
सरकार ने शुरू में नियामक अड़चनों में ढील देने से इनकार कर दिया. इसके चलते अमेरिकी राज्य और स्थानीय स्वास्थ्य विभाग विश्व स्वास्थ्य संगठन के निर्देशों के मुताबिक अपनी खुद की टेस्टिंग किट तैयार नहीं कर पाए.
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खराब किटें
सभी शुरुआत सैंपलों को टेस्ट के लिए अटलांटा के सेंटर फॉर डिजीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) में भेजा गया. बाद में सीडीसी की तरफ से राज्यों को जो टेस्ट किट भेजी गईं, वे भी खराब थी. इससे टेस्टिंग में और विलंब हुआ.
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ढीला रवैया
अमेरिका में पहला मामले सामने आने के एक महीने बाद 29 फरवरी को वहां इस वायरस से पहली मौत हुई. तब कहीं जाकर अमेरिकी सरकार ने प्रतिबंध हटाया और प्राइवेट सेक्टर इस मामले में सक्रिय हो सका.
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देरी ने की गड़बड़
जॉन हॉपकिंस यूनिवर्सिटी में इमरजेंसी मेडिसिन के डायरेक्टर डॉ गेबोर केलेन कहते हैं, "अगर हम जल्दी ज्यादा से ज्यादा मामलों का पता लगा लेते तो वायरस से सबसे ज्यादा प्रभावित जगहों को बंद कर सकते थे."
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बचाव
अमेरिकी अधिकारी अपने रुख का बचाव करते हैं. वह बार बार कह रहे हैं कि दक्षिण कोरिया में टेस्ट के जिस तरीके को शुरू में सबसे प्रभावी बताया गया, उससे कभी कभी गलत नतीजे भी सामने आए. रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)
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ट्रंप का टेस्ट नेगेटिव
दूसरी ओर राष्ट्रपति डॉनाल्ड ट्रंप कोरोना वायरस की दूसरी जांच में संक्रमित नहीं पाए गए हैं. वह ‘स्वस्थ' हैं और उनमें इस जानलेवा बीमारी के कोई लक्षण नहीं दिख रहे हैं. ट्रंप के डॉक्टर सीन कोनली ने दूसरी जांच कराने की कोई वजह नहीं बताई, हालांकि उन्होंने बताया कि राष्ट्रपति की जांच ऐसी तकनीक से की गई जिसने 15 मिनट में ही नतीजे दे दिए. ट्रंप ने टेस्ट नतीजे के बाद व्हाइट हाउस में पत्रकारों से बात करते हुए कहा, "मैंने अपनी जांच कराई है और इसमें सिर्फ 14-15 मिनट लगे. यह रिपोर्ट अभी आई है, यह व्हाइट हाउस के डॉक्टर ने दी है.'' ट्रंप ने कहा कि उन्होंने जांच इसलिए कराई थी क्योंकि उन्हें जानने की उत्सुकता थी कि यह कितनी जल्दी और कितनी तेजी से काम करता है.
दरअसल ट्रंप की जांच एक नई प्रणाली के जरिए की गई और वह बेहद कम समय लेती है. ट्रंप ने एक बार फिर देशवासियों से सोशल डिस्टेंसिंग के नियम को सख्ती से पालन करने की अपील की है.
एए/सीके (एएफपी,रॉयटर्स)
कोरोना वायरस की वे बातें जो हम अब तक नहीं जानते
चीन से दुनिया भर में फैले कोरोना वायरस पर इतनी चर्चा और गहन रिसर्च के बावजूद हम इस खतरनाक वायरस के बारे में कई अहम बातें नहीं जानते हैं. डालते हैं इन्हीं पर नजर:
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किसके लिए घातक
सबसे बड़ा रहस्य यह है कि 80 फीसदी लोगों में इसके लक्षण या तो दिखते ही नहीं या बहुत कम दिखते हैं. दूसरे लोगों में यह घातक न्यूमोनिया की वजह बन उनकी जान ले लेता है. ब्रिटिश जर्नल लांसेट में छपी रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक संक्रमण से सबसे ज्यादा पीड़ित लोगों के नाक और गले में वायरस का जमाव कम पीड़ित लोगों की तुलना में 60 फीसदी ज्यादा होता है.
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और रिसर्च की जरूरत
तो क्या यह माना जाए कि बढ़ती उम्र की वजह से ज्यादा पीड़ित लोगों का प्रतिरोधी तंत्र मजबूती से काम नहीं कर रहा है या फिर वे वायरस के संपर्क में ज्यादा थे? यह सवाल अपनी जगह कायम है. अभी इस बारे में और रिसर्च करने की जरूरत है.
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हवा में वायरस
माना जाता है कि कोरोना वायरस शारीरिक संपर्क और संक्रमित व्यक्ति के खांसने और छींकने से निकलने वाली छोटी छोटी बूंदों से फैलता है. तो फिर यह वायरस मौसमी फ्लू फैलाने वाले वायरस की तरह हवा में कैसे रह सकता है?
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वायरस की ताकत
अध्ययन बताते हैं कि नया कोरोना वायरस लैब मे तीन घंटे तक हवा में रह सकता है. वैज्ञानिक यह नहीं जानते कि इतनी देर हवा में रहने के बाद भी क्या यह किसी को संक्रमित कर सकता है? पेरिस के सेंट अंटोनी अस्पताल की डॉक्टर कैरीन लाकोम्बे कहती हैं, "हम वायरस ढूंढ तो सकते हैं, लेकिन हम यह नहीं जानते कि क्या वायरस तब संक्रमण में सक्षम है."
तस्वीर: Reuters/A. Gebert
असल मामले कितने
दुनिया में जर्मनी और दक्षिण कोरिया जैसे कुछ देश ही सघन जांच कर रहे हैं. ऐसे में दुनिया भर में कोरोना के मामलों की असल संख्या क्या है, यह नहीं पता. ब्रिटिश सरकार ने 17 मार्च को अंदेशा जताया कि 55 हजार लोगों को वायरस लग सकता है जबकि तब तक महज 2000 लोग ही टेस्ट में संक्रमित पाए गए थे.
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नए तरीके की जरूरत
बीमारी से निपटने और इसे रोकने के लिए कुल मरीजों की असल संख्या जानना बहुत जरूरी है ताकि उन्हें अलग रखा जा सके और उनका इलाज हो सके. यह तभी संभव होगा जब ब्लड टेस्ट के नए तरीके विकसित किए जा सकें.
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गर्मी से भागेगा कोरोना?
क्या उत्तरी गोलार्ध में वसंत के गर्म दिनों या गर्मी के आने बाद कोविड-19 बीमारी रुक जाएगी? विशेषज्ञ कहते हैं कि ऐसा संभव है, लेकिन पक्के तौर पर ऐसा कहना मुश्किल है. फ्लू जैसे सांस संबंधी वायरस ठंडे और सूखे मौसम में ज्यादा टिकते हैं इसीलिए वे सर्दियों में तेजी से फैलते हैं.
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चेतावनी
अमेरिका के मेडिकल हावर्ड स्कूल ने चेतावनी दी है कि मौसम में बदलाव होने से जरूरी नहीं है कि कोविड-19 के मामले रुक जाएं. विशेषज्ञों का कहना है कि मौसम से भरोसे रहने की बजाय बीमारी की रोकथाम के सभी प्रयासों को लगातार और तेजी से किए जाने की जरूरत है.
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कोरोना एक पहेली
वयस्कों के मुकाबले बच्चों को कोविड-19 होने का खतरा कम है. जो संक्रमित भी हुए वे ज्यादा बीमार नहीं हुए. बीमार लोगों के साथ रहने वाले बच्चों में भी इस वायरस से लगने की संभावना दो से तीन गुनी कम थी. प्रोफेसर लाकोम्बे कहती हैं, "कोरोना के बारे में बहुत सारी बातें हैं जो हम अब तक नहीं जानते हैं जो इस वायरस से निपटने में बाधा बन रही हैं." रिपोर्ट: एके/एनआर (एएएफपी)