अमेरिका में सोशल मीडिया कंपनियों से संपर्क ना करने का आदेश
५ जुलाई २०२३अमेरिकी कोर्ट का ये फैसला उस मुकदमें में आया है जिसे लूइसियाना और मिसूरी प्रांतों के अटॉर्नी जनरलों ने दायर किया था. इस मामले में आरोप लगा है कि सरकार इन सोशल मीडिया मंचों पर वैक्सीन और चुनावों पर फैली मिसइनफॉर्मेशन यानी गलत सूचनाओं से निपटने के नाम पर सीमाएं पार कर रही है. आरोप यह भी है कि सरकार इन कंपनियों के साथ मिल कर दक्षिणपंथी विचारों को सेंसर कर रही है. अदालत का ये आदेश सूचनाओं को नियंत्रित करने की सरकार की क्षमताओं को बुरी तरह प्रभावित कर सकता है.
फैसले का असर
इस फैसले में सरकारी अधिकारियों के सोशल मीडिया संस्थानों के कर्मचारियों से मुलाकात कर कोई सामग्री हटाने की "गुजारिश, प्रोत्साहन, दबाव डालने या फिर किसी भी तरह से उसे हटाने, छिपाने या मिटा देने" की मनाही की गई है. लुइसियाना के पश्चिमी जिले के डिस्ट्रिक्ट जज टेरी ए डौटी का आदेश देश की प्रमुख सरकारी एजेंसियों और विभागों पर लागू होता है.
केन्द्रीय खुफिया एजेंसी एफबीआई के अलावा गृह और न्याय मंत्रालय समेत अमेरिका की राष्ट्रीय स्वास्थ्य एजेंसी सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल ऐंड प्रिवेंशन भी इसमें शामिल है. यही नहीं कई प्रमुख सरकारी अधिकारी भी इस फैसले की सीमा के भीतर आते हैं जिनमें व्हाइट हाउस की प्रेस सचिव कैरीन ज्यां-पिएर और आंतरिक सुरक्षा सचिव भी शामिल हैं. फैसला अधिकारियों को इस बात के लिए भी रोकता है कि वो इन संस्थानों के साथ मिलकर सूचनाओं पर किसी तरह की साझेदारी करें.
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आदेश की समीक्षा
व्हाइट हाउस की तरफ से कहा गया है कि न्याय विभाग इस आदेश की समीक्षा कर रहा है और देखा जाएगा कि सरकार के सामने क्या विकल्प हैं. एक अधिकारी ने बयान जारी कर कहा, "इस सरकार ने भयंकर महामारी और लोकतांत्रिक चुनावों में विदेशी हस्तक्षेप झेलते हुए भी हमेशा जन स्वास्थ्य, सुरक्षा और बचाव के मामलों में जिम्मेदारी भरे कदमों को प्रोत्साहित किया है."
सरकारी बयान में कहा गया है कि वह अपनी इस बात पर कायम हैं कि सोशल मीडिया माध्यमों को अमेरिकी लोगों के जीवन पर पड़ने वाले प्रभावों की जिम्मेदारी लेनी होगी, हालांकि वो क्या सामग्री पेश करते हैं इसका फैसला लेना के लिए वो स्वतंत्र हैं".
एसबी/एनआर (एपी)