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सिख नेता निज्जर की हत्या को लेकर भारत और कनाडा में तनाव बढ़ा

१९ सितम्बर २०२३

कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने संसद में कहा है कि जून में ब्रिटिश कोलंबिया में हुई सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के शामिल होने के पक्के संकेत मिले हैं. दोनों देशों ने राजनयिकों को निकाला है.

कनाडा जस्टिन ट्रूडो
कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडोतस्वीर: Sean Kilpatrick/ZUMA Press/IMAGO

कनाडा के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने भी अपने यहां नियुक्त एक कनाडाई अधिकारी को निष्कासित कर दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “आज कनाडा के उच्चायुक्त को बुलाया गया और एक अधिकारी के निष्कासन की सूचना दी गयी. इस अधिकारी को पांच दिन के भीतर देश से जाना होगा.“ कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने कहा है कि सिख नेता हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार का हाथ होने के पक्के संकेत हैं. 

भारत ने कहा है कि यह फैसला कनाडाई कूटनीतिज्ञों के भारत के अंदरूनी मामलों बढ़ते दखल की चिंताओं के चलते लिया गया है. इससे पहले कनाडा ने भारत के एक वरिष्ठ कूटनीतिक अधिकारी पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया था. राय कनाडा में भारतीय जासूसी एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख थे.

कनाडा के ब्रिटिश कोलंबिया राज्य के सरी में हरदीप सिंह निज्जर की एक गुरुद्वारे के सामने गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. भारत सरकार निज्जर को आतंकवादी मानती थी और उन्हें उग्रवादी अलगाववादी संगठन का नेता बताती है. हालांकि निज्जर के समर्थक इसे सरासर गलत बताते हैं.

कनाडा की संसद के निचले सदन हाउस ऑफ कॉमंस में एक बयान में ट्रूडो ने कहा, "कनाडाई सुरक्षा एजेंसियां ऐसे ठोस आरोपों की जांच कर रही हैं कि एक कनाडाई नागरिक हरदीप सिंह निज्जर की हत्या में भारत सरकार के जासूसों का हाथ है. कनाडा की धरती पर एक कनाडाई नागरिक की हत्या में किसी विदेशी सरकार की भूमिका हमारी संप्रभुता का उल्लंघन है जिसे स्वीकार नहीं किया जा सकता."

कूटनीतिक संकट

ट्रूडो के इन गंभीर आरोपों ने राजनीतिक हलकों में खासी हलचल मचाने के साथ ही और भारत व कनाडा के पहले से ही तनावपूर्ण रिश्तों को और खराब करने की गुंजाइश पैदा कर दी है. ट्रूडो ने कहा कि उन्होंने इस घटनाक्रम के बारे में अपने सबसे करीबी सहयोगियों को भी अवगत करवा दिया है. इनमें युनाइटेड किंगडम के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक, फ्रांस के राष्ट्रपति इमानुएल माक्रों और अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन शामिल हैं.

कनाडा की विदेश मंत्री मेलनी जोली ने इन आरोपों पर कार्रवाई करते हुए भारत के एक वरिष्ठ कूटनीतिक अधिकारी पवन कुमार राय को निष्कासित कर दिया है. राय कनाडा में भारतीय जासूसी एजेंसी रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के प्रमुख थे. जोली ने कहा कि आरोपों की "समस्याप्रद और पूरी तरह अस्वीकार्य" गंभीरता को देखते हुए यह कार्रवाई की गयी है.

देश के जनसुरक्षा मंत्री डॉमिनिक लेब्लाँ ने कहा कि रॉयल कनेडियन माउंटेड पुलिस (आरसीएमपी) हत्या के मामले की जांच कर रही है और जिम्मेदार लोगों को बख्शा नहीं जाएगा. कनाडा पुलिस की इंटेग्रेटेड होमीसाइड इन्वेस्टिगेशन टीम (एचआईटी) निज्जर की हत्या के मामले की जांच कर रही है.

कनाडा के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करते हुए भारत ने भी अपने यहां नियुक्त एक कनाडाई अधिकारी को निष्कासित कर दिया है. भारतीय विदेश मंत्रालय ने एक बयान जारी कर कहा, “आज कनाडा के उच्चायुक्त को बुलाया गया और एक अधिकारी के निष्कासन की सूचना दी गई. इस अधिकारी को पांच दिन के भीतर देश से जाना होगा.“

भारत ने कहा है कि यह फैसला कनाडाई कूटनीतिज्ञों के भारत के अंदरूनी मामलों बढ़ते दखल की चिंताओं के चलते लिया गया है.  

भारत का जवाब

कनाडा के आरोपों पर भारत ने कहा कि ये बेबुनियाद बातें हैं. विदेश मंत्रालय ने कहा कि ये आरोप “बकवास और प्रेरित” हैं और इनका मकसद खालिस्तानी आतंकवादियों और उग्रवादियों के मामले से ध्यान हटाना है, जिन्हें कनाडा में पनाह मिली हुई है.

एक बयान में भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा, “हमने कनाडा के प्रधानमंत्री का बयान देखा है और हम उसे खारिज करते हैं. कनाडा में किसी हिंसक घटना में भारतीय सरकार की भूमिका बकवास और प्रेरित है. जी20 के दौरान भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात के वक्त भी कनाडा के प्रधानमंत्री ने ऐसे आरोप लगाये थे, जिन्हें पूरी तरह खारिज कर दिया गया था.”

भारत ने अपने मामलों में दखल को लेकर भी कनाडा से चिंता जताई है. विदेश मंत्रालय ने कहा, “हम एक लोकतांत्रिक राष्ट्र हैं और कानून व्यवस्था के प्रति प्रतिबद्ध हैं. ऐसे निराधार आरोपों का मकसद खालिस्तानी उग्रवादियों के मामले से ध्यान हटाना है जिन्हें कनाडा में पनाह मिली है और जो भारतीय संप्रभुता के लिए लगातार खतरा बने हुए हैं.”

भारत कनाडा रिश्ते

कनाडा की वर्ल्ड सिख ऑर्गनाइजेशन ने ट्रूडो के आरोपों का समर्थन करते हुए कहा है कि निज्जर ने भारतीय एजेंसियों से अपनी जान को खतरा होने की बात कही थी. संगठन ने कहा कि "कई अन्य कनाडाई सिख नेता" भारतीय जासूसी एजेंसियों की कथित हिट लिस्ट में हैं.

ट्रूडो के आरोप ऐसे समय में आए हैं जबकि भारत और कनाडा के रिश्तों में तनाव चल रहा है. हाल ही में दिल्ली में हुए जी20 सम्मेलन के दौरान भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जस्टिन ट्रूडो के बीच बैठक भी इसी तनाव के माहौल में हुई थी. उस वक्त भारत ने एक बयान जारी कर कहा था कि कनाडा में "भारत विरोधी गतिविधियों" को लेकर वह "काफी चिंतित" है.

उसके बाद कनाडा के प्रतिनिधिमंडल के साथ स्वदेश जाने के बजाय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जोडी थॉमस सीधे लंदन रवाना हो गई थीं. एक सरकारी सूत्र के मुताबिक थॉमस ने घटनाक्रम के बारे में ब्रिटेन की सरकार को सूचित किया.

दो दिन पहले ही कनाडा और भारत ने अक्टूबर में होने वाली व्यापार वार्ता को स्थगित कर दिया था. इस वार्ता के लिए कनाडा के अंतरराष्ट्रीय व्यापार मंत्री मेरी निग की अध्यक्षता में एक दल पांच दिन की भारत यात्रा पर जाने वाला था. बीते हफ्ते खबर आई कि कनाडा ने इस यात्रा को स्थगित कर दिया है. इस स्थगन के लिए कोई वजह नहीं बतायी गई थी. एक भारतीय अधिकारी ने कहा कि उन्हें स्थगन के बारे में मीडिया रिपोर्ट से ही पता चला.

इससे पहले अगस्त में अर्ली प्रोग्रेस ट्रेड अग्रीमेंट (ईपीटीए) के लिए जारी बातचीत को अनिश्चित काल के लिए टाल दिया गया था. पिछले साल भारत ने कनाडा को एक औपचारिक आपत्ति जारी की थी जिसमें "कनाडा में जारी भारत-विरोधी गतिविधियों" के बारे में चिंता जताई गई थी.

अन्य देशों ने भी जताई चिंता

उधर अमेरिका ने भी इस घटना पर चिंता जताई है. व्हाइट हाउस की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की प्रवक्ता आड्रिएने वॉटसन ने एक बयान जारी कर कहा, “हम प्रधानमंत्री ट्रूडो द्वारा लगाये गये आरोपों को लेकर बेहद चिंतित हैं. हम अपने कनाडाई साझीदारों के साथ लगातार संपर्क में हैं. यह आवश्यक है कि कनाडा मामले की जांच करे और अपराधियों को सजा मिले.“

ऑस्ट्रेलिया ने भी मामले पर टिप्पणी की है. ऑस्ट्रेलिया के विदेश मंत्रालय की ओर से जारी एक बयान में घटनाक्रम पर चिंता जतायी गयी. स्थानीय समाचार चैनल एसबीएस को भेजे एक बयान में विदेश मंत्री पेनी वॉन्ग ने कहा कि ऑस्ट्रेलिया इस बारे में बेहद चिंतित है. उन्होंने कहा, “ऑस्ट्रेलिया मानता है कि हर देश को अन्य देशों की संप्रभुता और कानून व्यवस्था का सम्मान करना चाहिए. हम इस मामले पर करीबी निगाह बनाये हुए हैं. हमने भारतीय अधिकारियों को भी अपनी चिंता जता दी है. हम जानते हैं कि ऑस्ट्रेलिया के कुछ समुदायों को इन खबरों से परेशानी होगी. भारतीय समुदाय हमारे समाज का बेहद महत्वपूर्ण हिस्सा है और बहुसांस्कृतिक समाज में उसका बहुत योगदान है.“

विवेक कुमार (रॉयटर्स, एएफपी)

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