रूसी सैनिकों पर ईरान में बनी गोलियां दागेंगे यूक्रेनी सैनिक
६ अक्टूबर २०२३
अमेरिका सेना ने एक ईरानी जहाज से गोलियों की जो बड़ी खेप जब्त की थी, उसे यूक्रेन भेज दिया गया है. ईरान ने इस घटनाक्रम पर कोई जवाब नहीं दिया है.
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रूस लंबे समय से यूक्रेन पर ईरान में बने ड्रोनों से हमले कर रहा है. अब यूक्रेनी सैनिक रूसी सैनिकों से लड़ने के लिए ईरान से जब्त की गईं गोलियां दागेंगे.
ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स, यमन के गृहयुद्ध में हूथी उग्रवादियों की मदद करने के लिए एक जहाज से हथियार भेज रहे थे. अमेरिका नौसेना के एक जहाज ने इस खेप को जब्त कर लिया. इस दौरान 11 लाख गोलियां जब्त की गईं. यमन के गृहयुद्ध में ईरान जिस तरह हूथियों की मदद कर रहा है, उसे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के प्रस्ताव का उल्लंघन बताया जा रहा है.
अमेरिकी सेंट्रल कमांड ने बुधवार को बताया कि 7.62 mm की ये गोलियां यूक्रेन भेज दी गई हैं. यूक्रेन के लिए बेहद जरूरी ये हथियार ऐसे वक्त भेजे गए हैं, जब अपनी रक्षा के लिए लड़ने की खातिर यूक्रेन को अमेरिका द्वारा आर्थिक मदद जारी रखना सवालों के घेरे में है.
सोवियत दौर की क्लाश्निकोव राइफलों में और इसी तर्ज पर बनाई गई अन्य बंदूकों में 7.62 mm की गोलियां इस्तेमाल होती हैं. सोवियत संघ का हिस्सा रहे यूक्रेन की बहुत सारी सैन्य टुकड़ियां अब भी क्लाश्निकोव ही इस्तेमाल करती हैं.
कैसे पकड़ा गया अस्लहा
मध्य-पूर्व में स्थित अमेरिकी नौसेना के पांचवें बेड़े और इसके सहयोगियों ने कई ऐसे जहाजों का पता लगाया है, जिनके बारे में माना जा रहा है कि इनसे ईरान-समर्थित हूथियों की मदद के लिए गोला-बारूद ईरान से यमन ले जाया जा रहा है. सेंट्रल कमांड की प्रवक्ता अबिगेल हैमक ने बताया कि ऐसा पहली बार हुआ है, जब जब्त किए गए हथियार यूक्रेन को भेजे गए हैं.
इस शिपमेंट को सेंट्रल कमांड के नौसैनिक बलों ने दिसंबर में एक जहाज से जब्त किया था. कमांड ने इसे ऐसा जहाज बताया था, जो किसी देश की मिल्कियत नहीं था. यह लकड़ी से बना पारंपरिक जहाज था, जिसे इस्लामिक रिवॉल्यूशनल गार्ड कॉर्प्स हूथियों को हथियार भेजने के लिए इस्तेमाल कर रहे थे.
यमन का क्या मामला है
अमेरिका वायुसेना के प्रमुख लेफ्टिनेंट जनरल एलेक्सस जी ग्रिनक्विच ने बताया कि लगभग एक दशक तक चले युद्ध के बाद यमन में अभी तनावपूर्ण संघर्ष-विराम चल रहा है, लेकिन ईरान ने हूथियों की घातक हथियारों से मदद करना जारी रखा है. उन्होंने बताया कि यमन में स्थायी शांति पाने की राह में यह बड़ा खतरा है.
अमेरिका सेंट्रल कमांड ने कहा है, "अमेरिका ने ईरान के इस्लामिक रिवॉल्यूशनल गार्ड कॉर्प्स के खिलाफ 'डिपार्टमेंट ऑफ जस्टिस' के सिविल जब्ती दावों के जरिए 20 जुलाई, 2023 को इन हथियारों का स्वामित्व हासिल किया है."
इतिहास का वो काला दिन जब 100 दिनों में 8 लाख लोगों ने गंवाई अपनी जान
इतिहास गवाह है रवांडा के उस काले दिन का जब सौ दिन के अंदर चरमपंथी हुतु लोगों ने आठ लाख तुत्सी और उदारवादी हुतुओं को मौत के घाट उतार दिया था. उन्होंने इस कत्लेआम में पुरुष, महिला, बच्चे या बूढ़े किसी को नहीं छोड़ा.
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ऐसे हुई शुरुआत
6 अप्रैल 1994 की रात को अफ्रीकी देश रवांडा के राष्ट्रपति जुवेनाल हाबयारीमाना और पड़ोसी देश बुरंडी के राष्ट्रपति सिपरियन न्तारियामी को लेकर जा रहे एक विमान को गिरा दिया जाता है. विमान पर सवार सभी लोग मारे गए. दोनों राष्ट्रपति हुतु कबीले से थे.
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कौन जिम्मेदार
हुतु चरमपंथियों ने इसके लिए रवांडा पैट्रिओटिक फ्रंट (आरपीएफ) को जिम्मेदार ठहराया जो निर्वासन में रह रहे विद्रोही तुत्सी लोगों का गुट था. इसके बाद तुत्सियों का कत्लेआम शुरू हो गया. आरपीएफ का कहना है कि विमान को हुतु लोगों ने ही गिराया ताकि अपनी हिंसा के लिए आधार तैयार कर सकें.
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किसी को नहीं बख्शा
उन्होंने सारे रास्ते बंद कर दिए और घर घर जाकर लोगों को कत्ल किया. पुरुष, महिला, बच्चे या फिर बूढ़े, उन्होंने किसी को नहीं छोड़ा. तुत्सियों के खिलाफ नफरत फैलाने के लिए रेडियो का इस्तेमाल किया गया. हुतु लोगों से कहा जाता था कि तुत्सियों की पहचान करो और काट दो.
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हिंसा का तांडव
सौ दिन के भीतर चरमपंथी हुतु लोगों ने रवांडा में आठ लाख तुत्सी और उदारवादी हुतुओं को मौत के घाट उतार दिया. उनका नेतृत्व रवांडा की सेना और इंटरनाहामवे नाम की एक मिलिशिया कर रही थी.
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डेथ लिस्ट
हुतु चरमपंथी नेता स्थानीय समुदायों से वाफिक मिलिशिया के लोगों को लिस्ट देते थे कि किसे मारना है. हिंसा और नफरत का ऐसा माहौल था कि पड़ोसी ने पड़ोसी को मारा और हुतु पतियों ने अपनी तुत्सी पत्नियों को मारा. उन्हें डर था कि ऐसा नहीं करेंगे तो चरमपंथी उनकी जान ले लेंगे.
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हर दिन 10 हजार मौतें
नरसंहार के दौरान हर दिन औसतन दस हजार लोग मारे जाते थे. तुत्सियों की 70 फीसदी आबादी को कत्ल कर दिया गया. लेकिन इस दौरान हुतुओं की 10 प्रतिशत आबादी भी चरमपंथियों का शिकार बनी.
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चर्च में सुरक्षित नहीं
बहुत से तुत्सी शरण पाने के लिए चर्चों में चले गए, लेकिन कुछ पादरियों और ननों ने चरमपंथियों को बता दिया कि उनके यहां तुत्सियों ने शरण ले रखी है. इस तरह वे सब मार दिए गए. कहीं ऐसे चर्चों में आग लगाई गई तो कहीं धारदार हथियारों से उन्हें कत्ल किया गया.
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एड्स का इस्तेमाल
हुतु चरमपंथियों ने अस्पतालों से एड्स के मरीजों को छोड़ दिया ताकि वे तुत्सी महिलाओं का बलात्कार कर उन्हें एड्स की बीमारी दे सकें. इसी का नतीजा था कि कत्लेआम से जो लोग बच गए, वे जिंदगी भर एचआईवी एड्स से जूझते रहें.
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बलात्कार हथियार
इस दौरान यौन हिंसा को हथियार के तौर पर इस्तेमाल किया गया. लगभग ढाई लाख औरतों और महिलाओं का बलात्कार किया गया जिनसे बाद में हजारों अनचाहे बच्चे पैदा हुए.
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हुतुओं का कत्ल
हुतुओं का डर सही निकला. मानवाधिकार संगठनों का कहना है कि आरपीएफ के सत्ता में आने पर उसके लड़ाकों ने हजारों हुतु लोगों को कत्ल किया गया. हालांकि आरपीएफ इस तरह के आरोपों से इनकार करती है.
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खत्म हुआ नरसंहार
युंगाडा के समर्थन से लड़ रही आरपीएफ ने जब रवांडा के ज्यादातर हिस्से पर कब्जा कर लिया तो जुलाई 1994 में हिंसा पर विराम लगा. सत्ता तुत्सियों के हाथ में आने पर बहुत से हुतुओं को बदले की कार्रवाई का डर था, इसलिए वे पड़ोसी डेमोक्रेटिक रिपब्लिक ऑफ कांगो, तंजानिया और बुरुंडी भाग गए.
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इंसाफ?
संयुक्त राष्ट्र ने नरसंहार के लिए जिम्मेदार लोगों के खिलाफ मुकदमा चलाने के लिए नवंबर 1994 में तंजानिया में अंतरराष्ट्रीय रवांडा आपराधिक ट्राइब्यूनल का गठन किया.
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लंबी कानूनी प्रक्रिया
लंबी कानूनी प्रक्रिया के बाद 90 लोगों के खिलाफ आरोप तय किए गए. रवांडा की पूर्व सरकार के दर्जनों अधिकारियों को दोषी करार दिया गया. ये सभी हुतु थे. रवांडा की नई सरकार ने भी संदिग्धों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई के लिए अदालतें बनाईं.
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संयुक्त राष्ट्र के हथियार संबंधी प्रतिबंध ने 2014 में हूथियों के हथियार देने पर रोक लगा दी थी. ईरान इस प्रतिबंध को मानने का दावा करता है, लेकिन तेहरान लंबे वक्त से समुद्री रास्ते के जरिए हूथियों को राइफल, रॉकेट ग्रेनेड, मिसाइलें और अन्य हथियार मुहैया करा रहा है.
स्वतंत्र विशेषज्ञों, पश्चिमी देशों और संयुक्त राष्ट्र के विशेषज्ञों ने जहाज से जब्त किए हथियारों का ईरान से ताल्लुक पता लगाया है. संयुक्त राष्ट्र में ईरान के प्रतिनिधियों से जब बुधवार को इस पर सवाल पूछा गया, तो उन्होंने तुरंत कोई जवाब नहीं दिया.
अमेरिकी मदद पर सवाल
यूं तो 10 लाख से ज्यादा गोलियों की खेप अपने आप में पर्याप्त है, लेकिन यह उन हथियारों से कहीं कम है, जो रूस के यूक्रेन पर हमला करने के बाद से अमेरिका यूक्रेन को भेज चुका है. इसमें से अधिकांश गोला-बारूद थल युद्ध में किया जा चुका है.
अमेरिका ने यूक्रेन की मदद के लिए करीब 44 बिलियन डॉलर की सैन्य सहायता भेजी है. इसके एक हिस्से के रूप में अमेरिका ने यूक्रेन को छोटे हथियारों की 30 करोड़ गोलियां और ग्रेनेड वगैरह भेजे हैं.
यमन में 600 रूपये पाने की कोशिश में 85 लोगों ने जान गंवाई
जंग से तबाह यमन में रमजान के दौरान 600 रुपये की नगद इमदाद पाने की कोशिश में 85 लोगों की जान चली गई. भारी भीड़ को नहीं संभाल पाये आयोजक.
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600 रुपये की मदद
यमन की राजधानी सना में विद्रोहियों के नियंत्रण वाले इलाके में एक स्कूल में गरीब परिवारों को 5000 रियाल (लगभग 600 रुपये) बांटे जा रहे थे. इसी दौरान हुआ हादसा.
तस्वीर: Al Masirah TV/REUTERS
भयानक तस्वीरें
स्थानीय टीवी चैनल पर दिखाई जा रही तस्वीरों में लोग भीड़ के बीच फंसे हुए दिख रहे हैं. इन लोगों को बाहर निकलने का रास्ता नहीं मिल पा रहा है.
तस्वीर: Al Masirah TV/REUTERS
सबकुछ खत्म
त्यौहार मनाने के लिए मदद पाने आये लोगों की जान चली गई और हादसे के बाद वहां उनके कपड़े, सैंडल और दूसरी चीजें बिखरी पड़ी थीं.
तस्वीर: ANSAR ALLAH HOUTHI MEDIA OFFICE/AP/picture alliance
बड़ी संख्या में लोग घायल
हादसे में करीब 322 लोग घायल भी हुए हैं जिनका अस्पतालों में इलाज चल रहा है. अस्पतालों के बाहर परिजनों की भीड़ जमा है. मरने वालों में महिलाएं और बच्चे ज्यादा हैं.
तस्वीर: AL-MASIRAH TV/AFP
गोली चलने से भगदड़
अपुष्ट खबरों में कहा जा रहा है कि वहां भारी भीड़ जमा थी इसी दौरान गोली चलने की आवाज सुनाई दी जिसके बाद भगदड़ मच गई. घबराहट में लोग भागे और बाहर निकलने का रास्ता जाम हो गया.
तस्वीर: AL-MASIRAH TV CHANNEL/dpa/picture alliance
क्यों उमड़ी भीड़
एक कारोबारी ने एक हफ्ते पहले से सूचना दी थी कि बिना आईडी कार्ड के 5000 रियाल दिये जायेंगे. लोग स्कूल के पिछले दरवाजे पर जमा हो गये जो एक संकरी गली में था. इसी गलियारे में हुआ हादसा.
तस्वीर: KHALED ABDULLAH/REUTERS
यमन की गरीबी
अरब जगत के सबसे गरीब देशों में शामिल यमन बीते कई सालों से गृहयुद्ध में फंसा हुआ है. पिछले दिनों लड़ने वाले गुटों के बीच शांति की कुछ उम्मीद बनी है. रमजान में करीब 1000 कैदियों की अदलाबदली भी हुई.
तस्वीर: KHALED ABDULLAH/REUTERS
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अमेरिका इससे इतर यूक्रेन की जो मदद कर रहा है, उसे उन अस्थायी उपायों में शामिल नहीं किया गया है, जिसने पिछले सप्ताह अमेरिका सरकारी शटडाउन रोका है. रिपब्लिकन पार्टी के नेता केविन मैकार्थी स्पीकर पद से हटाए जा चुके हैं.
ऐसे में अब यह स्पष्ट नहीं है कि क्या अगले नेता रिपब्लिकन पार्टी के उन कट्टरपंथियों का समर्थन हासिल करने में कामयाब होंगे या नहीं, जिन्होंने पहले ही यूक्रेन को और पैसे भेजने का विरोध किया था.