फ्लोरिडा के मतदाताओं को कितना लुभा पाए ट्रंप और बाइडेन?
३० अक्टूबर २०२०
ट्रंप और राष्ट्रपति चुनाव में उनके प्रतिद्वंद्वी बाइडेन ने फ्लोरिडा राज्य में रैलियों को आयोजित करके मतदाताओं को आकर्षित करने की भरपूर कोशिश की. फ्लोरिडा चुनाव परिणामों के लिहाज से बहुत संवेदनशील और महत्वपूर्ण है.
विज्ञापन
अमेरिका में 3 नवंबर को राष्ट्रपति चुनाव होने वाले हैं लेकिन इससे ठीक पहले कोरोना वायरस के मामलों में तेजी से बढ़ोतरी हो रही है. बीते एक दिन में अमेरिका में कोरोना के 90 हजार से अधिक मामले सामने आए हैं. इस बीच ट्रंप और उनके प्रतिद्वंद्वी जो बाइडेन ने अहम राज्य फ्लोरिडा में रैलियां कीं. दोनों पार्टियों के लिए यह महत्वपूर्ण राज्य माना जाता है. कोरोना वायरस महामारी को लेकर दोनों नेताओं ने अपने अपने तरीके से मतदाताओं को अपने भरोसे में लेने की भरपूर कोशिश की. फ्लोरिडा के टाम्पा में ट्रंप की रैली में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे, कई लोगों ने तो मास्क भी नहीं लगाए थे. बाइडेन ने ट्रंप की रैली को "महा प्रसार आयोजन" करार दिया. उन्होंने ट्रंप को गैरजिम्मेदार कहा और उन्होंने अमेरिकी आत्मा को ठीक करने की कसम खाई. अपनी रैली में ट्रंप ने कहा कि वे स्वास्थ्य आपातकाल की जल्द समाप्ति करेंगे. उन्होंने आगे कहा कि अगर वे चुनाव में दोबारा नहीं जीतते हैं तो सत्ता "समाजवादियों" के नियंत्रण में चली जाएगी.
ट्रंप ने कोरोना वायरस के खतरे को कम करके बताते हुए लोगों से कहा कि अगर वे संक्रमित हो जाते हैं तो वे उनकी तरह ठीक हो जाएंगे. ट्रंप ने साथ ही कहा कि वे दोबारा देश में लॉकडाउन नहीं लगाएंगे. उन्होंने कहा, "हम दोबारा तालाबंदी नहीं करने वाले हैं. हम कारोबार के लिए खुले हैं." अमेरिका में अब तक कोरोना वायरस से 2,28,000 लोगों की मौत हो चुकी है.
ट्रंप की रैली के कुछ ही घंटे बाद बाइडेन ने भी कार रैली की. इस रैली की खास बात यह थी कि लोग मास्क लगाए हुए थे, लोग कार के अंदर या फिर उसके पास ही खड़े थे, हालांकि कई बार देखा गया कि सोशल डिस्टैसिंग का पालन नहीं हो रहा था. बाइडेन ने अपने समर्थकों से कहा, "आपके पास शक्ति है." उन्होंने कहा, "अगर फ्लोरिडा डेमोक्रेटिक पार्टी के साथ जाता है, तो खेल आपका है." बाइडेन ने कहा, "मैं अर्थव्यवस्था को बंद नहीं करूंगा, मैं देश को बंद नहीं करूंगा, मैं वायरस को बंद करूंगा." पूर्व उप राष्ट्रपति ने ट्रंप पर हमला करते हुए कहा, "वे वायरस से ज्यादा प्रसार कर रहे हैं, वे विभाजन और फूट डाल रहे हैं. हमें ऐसा राष्ट्रपति चाहिए जो सबको साथ लाए ना कि एक दूसरे से अलग करे. देश का दिल और आत्मा दांव पर है."
राष्ट्रपति ट्रंप खुद इस महीने की शुरुआत में कोरोना वायरस से संक्रमित थे और उन्होंने बीमारी से उबरने के बाद अपने अभियान को फिर से शुरू किया. उनके प्रचार से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि उन्होंने अब तक दस राज्यों का दौरा किया है और अगले दो दिनों में 11 और रैलियां करने की योजना बना रहे हैं.
तीन नवंबर को होने वाले चुनाव के पहले ही 8 करोड़ मतदाताओं ने अपने मत डाल दिए हैं. इस बार भारी संख्या में मतदान का एक नया रिकॉर्ड बना सकता है. दूसरी ओर चुनाव के ठीक पहले अमेरिकी अर्थव्यवस्था में तेजी दर्ज की गई है. अर्थव्यवस्था में बहाली ऐसे वक्त में हुई है जब देश कोरोना वायरस के गंभीर संकट से घिरा हुआ है. महामारी के बाद अमेरिकी अर्थव्यवस्था में रिकॉर्ड गिरावट के बाद देश की अर्थव्यवस्था में अब तक का सबसे मजबूत सुधार दर्ज किया गया है. यह तीसरी तिमाही में 33 प्रतिशत की दर से बढ़ी है. अर्थव्यवस्था में तेजी से ट्रंप उत्साहित हैं.
कोरोना महामारी शुरू होने के महीनों बाद भी अंतरराष्ट्रीय उड़ानें बंद पड़ी हैं. भारत ने 13 देशों के साथ समझौता किया है. भारत और इन देशों के बीच कुछ सीमित उड़ानें चल रही हैं. सूची में और देशों को जोड़ने पर बात चल रही है.
तस्वीर: DW/Syamantak Ghosh
क्या होता है एयर बबल?
एयर बबल बनाने का मकसद किन्ही दो देशों में अटके वहां के नागरिकों को सुरक्षित वापस लाना होता है. अमेरिका, जर्मनी और फ्रांस के साथ जुलाई से ही भारत ने एयर बबल शुरू कर दिया था.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Mainka
वंदे भारत मिशन
कोरोना महामारी शुरू होने पर उन लोगों को काफी मुश्किलों का सामना करना पड़ा जिनका वीजा खत्म हो रहा था या जिन्हें नौकरी या पढ़ाई के लिए दूसरे देश में जाना था. शुरू में वंदे भारत मिशन के तहत भारत ने कुछ स्पेशल उड़ानें चलाईं और दुनिया भर से भारतीयों को देश वापस लाया गया. फिर धीरे धीरे एयर बबल की शुरुआत हुई.
तस्वीर: DW/Rishabh Sharma
ठोस वजह जरूरी
वंदे भारत मिशन से अलग एयर बबल के तहत एक व्यक्ति किसी देश में जा कर वहां से लौट भी सकता है. इसके तहत नियमित रूप से उड़ानें चल रही हैं लेकिन यात्री को ठोस वजह देने के बाद ही सफर की अनुमति मिलती है.
तस्वीर: picture-alliance/dpa/M. Kusch
यूं हुई शुरुआत
कोरोना काल में यूरोप के तीन छोटे छोटे बाल्टिक देशों - एस्टोनिया, लिथुआनिया और लातविया ने सबसे पहले एयर बबल बनाए थे. इसकी सफलता के बाद बाकी देशों ने भी ऐसा करना शुरू किया.
तस्वीर: picture-alliance/Y. Tang
कौन से हैं 13 देश?
अमेरिका, जापान, कनाडा, कतर, फ्रांस, जर्मनी, ब्रिटेन, अफगानिस्तान, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, इराक, नाइजीरिया, बहरीन. इन 13 देशों के साथ भारत ने एयर बबल समझौता किया है.
तस्वीर: DW/Syamantak Ghosh
लुफ्थांसा के साथ विवाद
जर्मनी की लुफ्थांसा एयरलाइंस ने भारत और जर्मनी के बीच उड़ान भरने से मना कर दिया है. उसका आरोप है कि उसे तय उड़ानें नहीं भरने दी जा रही हैं, जबकि भारत का कहना है कि एयर इंडिया की तीन से चार उड़ानों की तुलना में लुफ्थांसा हफ्ते में 20 उड़ानें भर रहा था.
तस्वीर: Daniel Roland/AFP/Getty Images
कौन जा सकता है?
मौजूदा समझौते के तहत भारतीय नागरिक, ओसीआई कार्ड होल्डर और भारत का वीजा रखने वाले विदेशी भारत आ सकते हैं. इसी तरह भारत में रहने वाले विदेशी नागरिक या उस देश का वीजा रखने वाले भारतीय भी यात्रा कर सकते हैं.
तस्वीर: DW/Syamantak Ghosh
क्वॉरंटीन जरूरी
भारत पहुंचने पर यात्रियों को 14 दिन का क्वॉरंटीन करना अनिवार्य है. इसमें 7 दिन सरकार द्वारा निर्धारित जगह पर और 7 दिन घर में क्वॉरंटीन किया जा सकता है. यदि किसी व्यक्ति ने यात्रा से 96 घंटे पहले तक अपना कोविड टेस्ट कराया हो, तो वह क्वॉरंटीन से बच सकता है. इस तरह की उड़ानों में एयर हॉस्टेस आपको खाना देने या सामान बेचने के लिए नहीं आती हैं.
तस्वीर: Getty Images/AFP/J. Reina
व्यापार को फायदा
जहां जुलाई से अक्टूबर के बीच गर्मियों के मौसम में भारत से बड़ी संख्या में लोग यूरोप घूमने आया करते थे, वहीं इस साल टूरिज्म उद्योग बिलकुल ही ठप रहा. एयर बबल समझौते देशों के लिए व्यापार और कुछ हद तक टूरिज्म के दरवाजे भी खोलते हैं जिन पर कोरोना महामारी के कारण काफी बुरा असर हुआ है.
तस्वीर: picture-alliance/Pacific Press/S. Shankar
और 13 देश मुमकिन
इस वक्त कुल 13 देशों के साथ एयर बबल चल रहे हैं लेकिन 13 और देशों के साथ भी बात चल रही है. इनमें इटली, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रेलिया, इस्राएल, कीनिया, फिलीपींस, रूस, सिंगापुर, दक्षिण कोरिया और थाईलैंड शामिल हैं.