अमेरिकी चुनाव में पहली बार सार्वजनिक रूप से ज्ञात ट्रांसजेंडर राजनीतिज्ञ सारा मैकब्राइड को प्रांतीय सीनेट में जगह मिली. 2020 चुनाव के सारे नतीजे साफ होने के बाद अमेरिका में दिख सकती है एलजीबीटी+ सीनेटरों की सतरंगी लहर.
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एलजीबीटी+ उम्मीदवारों ने 2020 के अमेरिकी चुनाव में कई सीटों पर ऐतिहासिक जीत हासिल की है. इस बार चुनावों में रिकॉर्ड संख्या में खड़े हुए 574 एलजीबीटी+ उम्मीदवारों में से कम से कम 35 के प्रारंभिक नतीजों में जीत हासिल करने की खबर है.
जीतने वालों में 30 साल की ट्रांसजेंडर सारा मैकब्राइड हैं,जो डेलावेयर में प्रांतीय सीनेट में सीट पाने वाली सबसे हाई प्रोफाइल ट्रांसजेंडर राजनीतिज्ञ बन गई हैं. उनके अलावा एफ्रो-लैटिनो समलैंगिक रिची टॉरेस और अश्वेत समलैंगिक मॉन्डेयर जोन्स अमेरिकी कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा के सदस्य चुने जाने वाले पहले समलैंगिक नेता बन गए हैं.
एफ्रो-लैटिनो समलैंगिक नेता रिची टॉरेस विजयी रहे.तस्वीर: Adam Hunger/AP Photo/picture alliance
अमेरिका में एलजीबीटी+ समुदाय के अधिकारों के लिए काम करने वाले जीलैड नामक संस्था की अध्यक्ष सारा केट एलिस ने एक बयान जारी कर कहा, "आज देश भर में हासिल हुई अश्वेत और ट्रांसजेंडर एलजीबीटी अमेरिकी लोगों की जीत ऐतिहासिक है और लंबे समय से अपेक्षित है." एलिस का मानना है कि इनकी जीत "एलजीबीटी की स्वीकार्यता में लगी एक बड़ी छलांग" का प्रतीक है.
सारा मैकब्राइड 2016 में पिछले चुनावों में देश के एक प्रमुख राजनैतिक दल के सम्मेलन को संबोधित करने वाली पहली ओपेनली ट्रांसजेंडर व्यक्ति बनीं थीं. तब उन्होंने डेमोक्रैटिक पार्टी के राष्ट्रीय सम्मेलन को संबोधित किया था और इस बार वह डेलावेयर प्रांत में जीत हासिल कर राज्य की सीनेट में पहुंची हैं. जीत की खबर के बाद एक ट्वीट कर उन्होंने आशा जताई कि उनकी जीत से "एक एलजीबीटी बच्चे को यह लगेगा कि हमारे लोकतंत्र में उनके लिए भी जगह है."
अमेरिकी कांग्रेस की प्रतिनिधि सभा के सदस्य चुने गए अश्वेत समलैंगिक नेता मॉन्डेयर जोन्स. तस्वीर: Kevin Hagen/AP Photo/picture alliance
इसी समुदाय के और विजेताओं में मॉरी टर्नर का नाम लिया जा सकता है, जो खुद को नॉन-बाइनरी यानि ना तो पुरुष और ना ही महिला के तौर पर देखते हैं. एलजीबीटी विक्ट्री फंड नामक संस्था ने बताया है कि टर्नर की ओकलाहोमा विधान सभा में जीत एक नॉन-बाइनरी मुसलमान होने के नाते अपनी तरह का पहला मामला है.
फ्लोरिडा की राज्य विधानसभा के लिए चुनी गई मिशेल रायनर पहली ओपेनली एलजीबीटी अश्वेत महिला हैं. वहीं शेवरिन जोन्स फ्लोरिडा की प्रांतीय सीनेट की पहली अश्वेत एलजीबीटी सदस्य और किम जैकसन जॉर्जिया की पहली ओपेनली एलजीबीटी+ विधायक बनी हैं.
पिछले तीन चुनावों में अमेरिकी मतदाताओं में एलजीबीटी+ वोटरों का हिस्सा लगातार बढ़ा है. तस्वीर: Yuki Iwamura/Sputnik/dpa/picture alliance
ताजा राष्ट्रीय चुनावों पर कराया गया 'एडिसन रिसर्च' एक्जिट पोल दिखाता है कि 2020 के कुल मतदाताओं में एलजीबीटी+ वोटरों की तादाद करीब 7 फीसदी है. 2018 के मध्यावधि चुनावों में एलजीबीटी+ वोटरों का हिस्सा 6 फीसदी के आसपास, तो 2016 के राष्ट्रपति चुनावों में 5 फीसदी रहा था. ह्यूमन राइट्स कैंपेन के अध्यक्ष अल्फोंसो डेविड ने एक वक्तव्य जारी कर कहा है, "पिछले तीन चुनावों से एलजीबीटी+ वोटरों का हिस्सा लगातार बढ़ता ही गया है, जिससे हमारा समुदाय एक ऐसा मजबूत मतदाता वर्ग बन कर उभरा है, जिसे लुभाना राजनेताओं के लिए जरूरी है."
कोस्टा रिका में समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल जाने के बाद, अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
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समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता
कोस्टा रिका के सुप्रीम कोर्ट के आदेश के अनुसार, वहां 26 मई को समलैंगिक विवाह को कानूनी मान्यता मिल गई. इसी के साथ कोस्टा रिका समलैंगिक विवाहों को कानूनी रूप से वैध मानने वाला दक्षिण अमेरिका का आठवां देश बन गया. अब दुनिया में कम से कम 29 देशों में समलैंगिक विवाह की अनुमति है. जानिए कौन कौन से हैं ये देश.
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अमेरिका
अमेरिका में 2004 तक सिर्फ एक राज्य में समलैंगिक विवाह मान्य था, लेकिन 2015 तक सभी 50 राज्यों में कानूनी वैधता मिल चुकी थी. सभी राज्यों में अलग अलग कानून हैं.
यूनाइटेड किंगडम के सभी हिस्सों में समलैंगिक विवाह मान्य हैं. इंग्लैंड, स्कॉटलैंड और वेल्स में मान्यता 2014 में मिली थी और नॉर्दर्न आयरलैंड में जनवरी 2020 में. इसके अलावा 14 ब्रिटिश ओवरसीज टेरिटरीज में से नौ में समलैंगिक विवाह मान्य हैं.
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फ्रांस
फ्रांस में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से मान्य हैं. ये वैधता मेट्रोपोलिटन फ्रांस और फ्रेंच ओवरसीज टेरिटरीज में भी लागू है. फ्रांस में एक सिविल यूनियन योजना नवंबर 1999 से लागू है, जिसके तहत समलैंगिक जोड़े रिश्ता कायम कर सकते हैं.
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जर्मनी
जर्मनी में समलैंगिक विवाहों को अक्टूबर 2017 में मान्यता मिली थी. वैसे देश में समलैंगिक जोड़ों को विवाह के अधिकार सीमित रूप से 2001 से ही प्राप्त थे.
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ऑस्ट्रेलिया
ऑस्ट्रेलिया में समलैंगिक विवाह दिसंबर 2017 से वैध हैं. कानून पारित होने से पहले पूरे देश में डाक से एक सर्वेक्षण भी कराया गया था, जिसमें 61.6 प्रतिशत लोगों ने समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने का समर्थन किया था.
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ब्राजील
ब्राजील में समलैंगिक विवाह मई 2013 से कानूनी रूप से वैध हैं. समलैंगिक रिश्तों को मान्यता 2004 में ही मिल गई थी और विवाह के सीमित अधिकार 2011 में मिल गए थे.
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कनाडा
कनाडा के कुछ प्रांतों में समलैंगिक विवाहों को मान्यता 2003 से ही मिलनी शुरू हो गई थी और जुलाई 2005 में ये वैधता पूरे देश में लागू हो गई.
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नीदरलैंड्स
अप्रैल 2001 को नीदरलैंड्स समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता देने वाला दुनिया का सबसे पहला देश बन गया था. वहां समलैंगिक जोड़ों के लिए रजिस्टरड पार्टनरशिप जनवरी 1998 से ही उपलब्ध थी.
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दक्षिण अफ्रीका
दक्षिण अफ्रीका अफ्रीका का एकमात्र देश है जहां समलैंगिक विवाह कानूनी रूप से मान्य हैं. यहां समलैंगिक विवाहों को मान्यता नवंबर 2006 में ही मिल गई थी.
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ताइवान
ताइवान में समलैंगिक विवाहों को कानूनी मान्यता मई 2019 में मिली थी. ताइवान यह मान्यता देने वाला एशिया का एकलौता देश है. हालांकि समलैंगिक जोड़ों को बच्चा गोद लेने जैसे कुछ अधिकार अभी भी नहीं मिले हैं.
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20 और देश
इसके अलावा समलैंगिक विवाहों को अर्जेंटीना, ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, कोलंबिया, डेनमार्क, इक्वाडोर, फिनलैंड, आइसलैंड, आयरलैंड, लक्जमबर्ग, माल्टा, न्यूजीलैंड, नॉर्वे, पुर्तगाल, स्पेन, स्वीडन और उरुग्वे में भी कानूनी मान्यता प्राप्त है. इनके आलावा मेक्सिको और इस्राएल में सीमित रूप से इन्हें मान्यता दी जाती है.