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समाज

काबुल: अमेरिकी दूतावास के सदस्य सैन्य वापसी से पहले लौट रहे

२८ अप्रैल २०२१

अमेरिका का कहना है कि उसके सैनिकों के अफगानिस्तान छोड़ने की तैयारी के बाद से उसके अधिकारियों को "हिंसा की धमकियां" मिलनी शुरू हो गई. वॉशिंगटन ने कहा कि देश से सेना के चले जाने के बाद भी वह दूतावास बनाए रखेगा.

तस्वीर: picture-alliance/dpa/J. Jalali

अफगानिस्तान में अमेरिका के कार्यकारी राजदूत रॉस विल्सन ने अपने ट्वीट में कहा यह फैसला "काबुल में हिंसा और धमकी की बढ़ती रिपोर्ट के मद्देनजर" लिया गया है. साथ ही विल्सन ने कहा कि दूतावास से दी जाने वाली सेवाओं में कोई कमी नहीं होगी. उन्होंने कहा कि कर्मचारियों की संख्या में कमी "यह सुनिश्चित करती है कि अमेरिकी कूटनीति और अफगानिस्तान के लिए समर्थन टिकाऊ, मजबूत और प्रभावी होगा." अमेरिकी विदेश विभाग का यह आदेश अमेरिकी कमांडर जनरल स्कॉट मिलर के उस बयान के दो दिन बाद आया है जिसमें उन्होंने कहा था कि अमेरिकी सेना ने देश में ऑपरेशन बंद करना शुरू कर दिया है और अफगानिस्तान के सुरक्षा बलों को सुरक्षा से जुड़ी जिम्मेदारी संभालने के लिए तैयार रहने की जरूरत है. जनरल मिलर ने रविवार को कहा था, "राष्ट्रपति जो बाइडेन अमेरिका के सबसे लंबे युद्ध को समाप्त करने के फैसले के तहत आदेशों को लागू कर रहे हैं." उन्होंने कहा "विदेशी सैनिकों की वापसी" इस प्रक्रिया का हिस्सा है.

वर्तमान में युद्धग्रस्त देश में लगभग 2,500 अमेरिकी सेना और लगभग 7,000 गठबंधन सैनिक मौजूद हैं. अप्रैल के मध्य में बाइडेन प्रशासन ने घोषणा की कि अफगानिस्तान से वापसी का अंतिम चरण 1 मई से शुरू होगा और 11 सितंबर के पहले समाप्त हो जाएगा. अमेरिका में 20 साल पहले हुए आतंकी हमले में तीन हजार लोग मारे गए थे.

जनरल मिलर के मुताबिक विदेशी सेना इस दौरान सेना और अन्य सैन्य उपकरणों की रक्षा करेगी और अफगान सुरक्षा बलों के साथ सहयोग करना जारी रखेगी. हालांकि अमेरिका और नाटो सेना की वापसी की आधिकारिक शुरुआत 1 मई से शुरू होने वाली है लेकिन मिलर का कहना है कि सेना की वापसी शुरू हो चुकी है. यूएस सेंट्रल कमांड के प्रमुख जनरल केनेथ मैकेंजी ने कहा कि अमेरिका काबुल में एक कामकाजी दूतावास रखने के लिए प्रतिबद्ध है. मैकेंजी ने कहा, "हमारा मकसद अफगानिस्तान में दूतावास बनाए रखना है, लेकिन वहां हमारी सैन्य उपस्थिति बहुत कम होगी- जो दूतावास की रक्षा के लिए आवश्यक है."

तस्वीर: picture-alliance/dpa

तालिबान से अब तक कोई समझौता नहीं

तालिबान और अफगान सरकार द्वारा शांति समझौते के लिए सहमत नहीं होने के बावजूद सेना की वापसी हो रही है. तालिबान ने ओसामा बिन लादेन के अल-कायदा आतंकवादी नेटवर्क को शरण दी, अमेरिका में हुए 2001 के आतंकवादी हमले के तुरंत बाद उसने अफगानिस्तान पर हमला किया था. तालिबान और अफगानिस्तान सरकार के बीच बातचीत बीते कुछ समय से अटकी हुई है. बातचीत के अगले महीने भी शुरू नहीं होने की संभावना है. चिंता इस बात की है कि अमेरिका और नाटो सेना की वापसी देश में गृह युद्ध को फिर से शुरू कर सकती है.

एए/सीके (एएफपी,एपी)

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