दूतावास के ऊपर उड़ा रहा था हथियारबंद ड्रोन, मार गिराया
६ जुलाई २०२१
भारत के जम्मू-कश्मीर में एयर फोर्स स्टेशन में ड्रोन द्वारा विस्फोट के बीच इराक में अमेरिकी दूतावास के ऊपर उड़ रहे एक ड्रोन को सुरक्षाबलों ने मार गिराया है.
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इराकी सुरक्षा अधिकारियों ने कहा कि अमेरिकी सेना ने सोमवार रात बगदाद में अपने दूतावास के ऊपर एक सशस्त्र ड्रोन को मार गिराया है. अमेरिकी सेना ने यह कार्रवाई देश के पश्चिम में अपने बेस हाउसिंग पर हुए रॉकेट हमले के कुछ घंटे बाद की.
एएफपी के पत्रकार के मुताबिक अमेरिकी रक्षा प्रणालियों ने बगदाद में हवा में रॉकेट दागे. इराकी सुरक्षा सूत्रों ने कहा कि लगातार फायरिंग के बाद विस्फोटकों से लदे एक ड्रोन को मार गिराया गया है.
इस साल की शुरुआत के बाद से देश में 47 अमेरिकी हितों को लक्षित किया जा चुका है. इराक में 2,500 अमेरिकी सैनिक जिहादी इस्लामिक स्टेट समूह से लड़ने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय गठबंधन के हिस्से के रूप में तैनात हैं.
47 हमलों में से छह इस प्रकार के ड्रोन हमले शामिल थे. ड्रोन द्वारा हमले गठबंधन के लिए नया सिरदर्द बन गया है क्योंकि यह हवाई सुरक्षा प्रणाली को चकमा दे सकता है.
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सेना पर हमले के लिए ड्रोन बना हथियार
अप्रैल में विस्फोटकों से भरे एक ड्रोन ने इराकी कुर्द क्षेत्रीय राजधानी इरबिल में गठबंधन सेना के हवाई अड्डे के सैन्य हिस्से पर हमला किया था. इसके बाद मई के महीने में विस्फोटकों से लदा एक ड्रोन हमला आइन-अल-असद हवाई अड्डे पर हुआ था, यह अमेरिकी सैनिकों के लिए एयर बेस है.
9 जून को विस्फोटकों से लदे तीन ड्रोन से बगदाद हवाई अड्डे को निशाना बनाया गया, जहां अमेरिकी सैनिक भी तैनात हैं. एक ड्रोन को इराकी सेना ने मार गिराया था.
देखें: चले गए अमेरिकी, छोड़ गए कचरा
चले गए अमेरिकी, छोड़ गए कचरा
बगराम हवाई अड्डा करीब बीस साल तक अफगानिस्तान में अमेरिकी फौजों का मुख्यालय रहा. अमेरिकी फौज स्वदेश वापस जा रही है और इस मुख्यालय को खाली किया जा रहा है. पीछे रह गया है टनों कचरा...
तस्वीर: Adek Berry/Getty Images/AFP
जहां तक नजर जाए
2021 में 11 सितंबर की बरसी से पहले अमेरिकी सेना बगराम बेस को खाली कर देना चाहती है. जल्दी-जल्दी काम निपटाए जा रहे हैं. और पीछे छूट रहा है टनों कचरा, जिसमें तारें, धातु और जाने क्या क्या है.
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कुछ काम की चीजें
अभी तो जहां कचरा है, वहां लोगों की भीड़ कुछ अच्छी चीजों की तलाश में पहुंच रही है. कुछ लोगों को कई काम की चीजें मिल भी जाती हैं. जैसे कि सैनिकों के जूते. लोगों को उम्मीद है कि ये चीजें वे कहीं बेच पाएंगे.
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इलेक्ट्रॉनिक खजाना
कुछ लोगों की नजरें इलेक्ट्रोनिक कचरे में मौजूद खजाने को खोजती रहती हैं. सर्किट बोर्ड में कुछ कीमती धातुएं होती हैं, जैसे सोने के कण. इन धातुओं को खजाने में बदला जा सकता है.
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बच्चे भी तलाश में
कचरे के ढेर से कुछ काम की चीज तलाशते बच्चे भी देखे जा सकते हैं. नाटो फौजों के देश में होने से लड़कियों को और महिलाओं को सबसे ज्यादा लाभ हुआ था. वे स्कूल जाने और काम करने की आजादी पा सकी थीं. डर है कि अब यह आजादी छिन न जाए.
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कुछ निशानियां
कई बार लोगों को कचरे के ढेर में प्यारी सी चीजें भी मिल जाती हैं. कुछ लोग तो इन चीजों को इसलिए जमा कर रहे हैं कि उन्हें इस वक्त की निशानी रखनी है.
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खतरनाक है वापसी
1 मई से सैनिकों की वापसी आधिकारिक तौर पर शुरू हुई है. लेकिन सब कुछ हड़बड़ी में हो रहा है क्योंकि तालीबान के हमले का खतरा बना रहता है. इसलिए कचरा बढ़ने की गुंजाइश भी बढ़ गई है.
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कहां जाएगा यह कचरा?
अमेरिकी फौजों के पास जो साज-ओ-सामान है, उसे या तो वे वापस ले जाएंगे या फिर स्थानीय अधिकारियों को दे देंगे. लेकिन तब भी ऐसा बहुत कुछ बच जाएगा, जो किसी खाते में नहीं होगा. इसमें बहुत सारा इलेक्ट्रॉनिक कचरा है, जो बीस साल तक यहां रहे एक लाख से ज्यादा सैनिकों ने उपभोग करके छोड़ा है.
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बगराम का क्या होगा?
हिंदुकुश पर्वत की तलहटी में बसा बगराम एक ऐतिहासिक सैन्य बेस है. 1979 में जब सोवियत संघ की सेना अफगानिस्तान आई थी, तो उसने भी यहीं अपना अड्डा बनाया था. लेकिन, अब लोगों को डर सता रहा है कि अमरीकियों के जाने के बाद यह जगह तालीबान के कब्जे में जा सकती है.
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सोचो, साथ क्या जाएगा
क्या नाटो के बीस साल लंबे अफगानिस्तान अभियान का हासिल बस यह कचरा है? स्थानीय लोग इसी सवाल का जवाब खोज रहे हैं.
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चुनौती बने ड्रोन हमले
ड्रोन हमलों से चिंतित अमेरिका ने हाल ही में इराक स्थित अपने ठिकानों को निशाना बनाकर किए जाने वाले हमलों के बारे में सूचना देने वालों के लिए 30 लाख डॉलर तक का इनाम देने की पेशकश की है.
अंतरराष्ट्रीय जिहादी विरोधी गठबंधन ने कहा कि सोमवार को तीन रॉकेटों ने पश्चिमी रेगिस्तान में एक इराकी हवाई अड्डे को निशाना बनाया, जिसमें अमेरिकी सैनिक भी मौजूद थे.
भारत में ड्रोन को लेकर बढ़ी चिंता
27 जून को जम्मू के एयर फोर्स स्टेशन पर ड्रोन हमला हुआ था. ये देश में पहला ड्रोन हमला था. रिपोर्टों के मुताबिक हमले में इस्तेमाल किया गया विस्फोटक आरडीएक्स था, जिसे सैन्य विस्फोटक के रूप में इस्तेमाल किया जाता है.
इस हमले की जांच राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) कर रही है. हमले के बाद फोरेंसिक एनालिसिस ने सुझाव दिया है कि हमले में इस्तेमाल किया विस्फोटक आरडीएक्स था. मीडिया में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि एयर फोर्स स्टेशन में जीपीएस युक्त ड्रोन संभवतया चीन में बना था.
जम्मू कश्मीर के पुलिस महानिदेश्क दिलबाग सिंह ने आशंका जताई है कि ड्रोन हमले के पीछे पाकिस्तान के प्रतिबंधित आतंकी संगठन लश्कर ए तैयबा का हाथ है.
हमले के बाद श्रीनगर-कठुआ और जम्मू जिले में ड्रोन पर प्रतिबंध लगा दिया गया है. बाकी जिले भी इस पर जल्द ही फैसला ले सकते हैं. श्रीनगर पुलिस ने कहा है कि जिनके पास भी ड्रोन हैं वे तत्काल उसे पुलिस स्टेशन में जमा करा दें. श्रीनगर पुलिस ने ड्रोन रखने, बेचने और इस्तेमाल करने पर पूरी तरह से रोक लगा दी है.
आमिर अंसारी (एएफपी)
हाई हील्स परेड से फजीहत झेलता यूक्रेन का रक्षा मंत्रालय
महिला सैनिकों को हाई हील्स में परेड करवाने के बाद यूक्रेन का रक्षा मंत्रालय किरकिरी झेल रहा है. उस पर महिला सैनिकों का सम्मान करने के बजाए सेक्सिस्ट होने के आरोप लग रहे हैं.
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सम्मान या अपमान?
यूक्रेन की महिला सैनिकों की ये परेड हाई हील्स में करवाई गई. रक्षा मंत्रालय ने इन तैयारियों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर डालीं. एक जुलाई को अपलोड की गई इन तस्वीरों के बाद रक्षा मंत्री और उनके मंत्रालय की कड़ी आलोचना हो रही है.
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बूट कहां हैं?
दुनिया भर की सेनाओं में बूट सैनिकों की वर्दी का अनिवार्य हिस्सा हैं. लेकिन यूक्रेन की इस परेड में महिला सैनिक फौजी बूटों और अपनी बंदूकों के बजाए सिर्फ हाई हील्स में नजर आईं.
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विवादों में घिरा आजादी का जश्न
24 अगस्त को यूक्रेन अपनी आजादी की 30वीं वर्षगांठ मनाने जा रहा है. यह परेड राजधानी कीव में होने वाले समारोह की रिहर्सल थी.
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तनाव के बीच उड़ा मजाक
सोवियत संघ के विघटन के दौरान ही 24 अगस्त 1991 को यूक्रेन एक अलग देश बना. क्रीमिया और पूर्वी सीमा पर रूस के साथ हो रहे विवाद के बीच यूक्रेन आजादी का जश्न धूमधाम से मनाना चाहता है.
तस्वीर: imago images/ITAR-TASS/A. Marchenko
मंत्री भी करें हाई हील्स में परेड
यूक्रेन की संसद में विपक्ष की नेता इरीना गेराशेंको ने हाई हील्स में हुई इस परेड को अपमानजक करार दिया. उन्होंने कहा कि ऐसी परेड महिलाओं को सैनिकों के बजाए सेक्स ऑब्जेक्ट के रूप में पेश करती है.
तस्वीर: picture alliance/AA
सेना में महिलाओं की हिस्सेदारी
यूक्रेन की सेना में 31,000 से ज्यादा महिला सैनिक हैं. इनमें से करीब 13,500 महिलाएं 2014 में क्रीमिया में रूसी सेना का सामना कर चुकी हैं. सेना में शामिल महिलाओं में से करीब 4,000 सैन्य अफसर हैं.