पूर्व ट्विटर कर्मचारी सऊदी अरब के लिए जासूसी करने का दोषी
१० अगस्त २०२२
ट्विटर के पूर्व कर्मचारी अहमद अबूअम्मो को अमेरिकी अदालत ने कुछ ट्विटर यूजर्स की निजी जानकारी तक पहुंचने और सऊदी अरब में अधिकारियों को बेचने का दोषी पाया है.
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अहमद अबूअम्मो को सऊदी सरकार के आलोचकों के निजी डेटा बेचने का दोषी पाया गया है. इस अपराध को अंजाम देने में अबूअम्मो का कथित सऊदी नागरिक आरोप लगने से पहले अमेरिका से भाग गया. उनका साथी ट्विटर में इंजीनियर के रूप में काम कर रहा था.
अबूअम्मो के पास अमेरिका और लेबनान की दोहरी नागरिकता है. वह ट्विटर के मध्य पूर्व क्षेत्र के पूर्व मीडिया पार्टनरशिप मैनेजर थे. अबूअम्मो पर 2019 में अमेरिकी सरकार के साथ पंजीकरण किए बिना सऊदी अरब के एजेंट के रूप में काम करने का आरोप लगाया गया था. एक जूरी ने उन्हें छह मामलों में दोषी पाया, जिसमें वायर फ्रॉड करने की साजिश और मनी लॉन्ड्रिंग शामिल है. जूरी ने उन्हें वायर फ्रॉड से जुड़े पांच अन्य आरोपों से बरी कर दिया.
अदालत के दस्तावेजों के मुताबिक अबूअम्मो ने 2015 में ट्विटर छोड़ दिया था और उसके बाद वह अमेजॉन से जुड़ गए.
अबूअम्मो पर सैन फ्रांसिस्को संघीय अदालत में ढाई सप्ताह की सुनवाई हुई जिसके बाद अदालत उन्हें दोषी पाया. अमेरिकी अटॉर्नी स्टेफनी हिंड्स ने एक बयान में कहा, "सरकार ने साबित कर दिया है और जूरी ने पाया कि अबूअम्मो ने ट्विटर के ग्राहकों से निजी जानकारी रखने के लिए एक पवित्र भरोसे का उल्लंघन किया और निजी डेटा एक विदेशी सरकार को बेच दिया."
2019 में एफबीआई ने शिकायत में आरोप लगाया गया था कि अबूअम्मो और सऊदी नागरिक अली अलजबराह अपने पदों का इस्तेमाल करते हुए यूजर्स के गोपनीय ट्विटर डेटा तक पहुंच बनाई. एफबीआई ने कहा था कि दोनों ने यूजर्स के ईमेल पते, फोन नंबर और आईपी एड्रेस तक पहुंचने के लिए अपने पदों का उपयोग किया, जिसकी मदद से यूजर्स की लोकेशन पता लगाई जा सकती है.
एफबीआई के मुताबिक सऊदी शाही परिवार से करीबी संबंध रखने वाला एक अन्य सऊदी व्यक्ति अहमद अल-मुतारी कथित तौर पर एक मध्यस्थ के रूप में काम करता था.
शिकायत में आरोप लगाया गया कि उन्होंने ने 6,000 से अधिक ट्विटर खातों के निजी डेटा तक पहुंच बनाई थी.
एए/सीके (रॉयटर्स, एएफपी, एपी)
सर्वे: तीन साल में 42 फीसदी भारतीय वित्तीय धोखाधड़ी के शिकार
'लोकल सर्कल्स' की ओर से किए गए एक सर्वेक्षण से पता चला है कि पिछले तीन सालों में 42 फीसदी भारतीयों के साथ वित्तीय धोखाधड़ी हुई. जिन लोगों के साथ धोखाधड़ी हुई उनमें से 74 फीसदी लोग पैसे वापस पाने में विफल रहे.
तस्वीर: Artur Widak/NurPhoto/picture alliance
वित्तीय धोखाधड़ी का खतरा बढ़ा
अधिक से अधिक लोग पैसे भेजने के लिए डिजिटल मोड का इस्तेमाल कर रहे हैं, लेकिन इसी के साथ वित्तीय धोखाधड़ी का जोखिम भी बढ़ रहा है. लोकल सर्कल्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण के मुताबिक लगभग 42 प्रतिशत भारतीयों ने कहा कि वे या उनके परिवार में कोई व्यक्ति पिछले तीन वर्षों में वित्तीय धोखाधड़ी का शिकार हुआ है.
सर्वेक्षण में कहा गया है कि ठगी के शिकार लोगों में से 74 फीसदी ने कहा है कि उन्हें उनका पैसा वापस नहीं मिला.
तस्वीर: Artur Widak/NurPhoto/picture alliance
17 फीसदी को वापस मिला पैसा
सर्वेक्षण में पाया गया कि पिछले 3 वर्षों में बैंकिंग धोखाधड़ी में अपना पैसा गंवाने वालों में से केवल 17 प्रतिशत ही अपना पैसा वापस पाने में सक्षम थे. बाकी 74 फीसदी लोगों का पैसा फंस गया.
तस्वीर: picture-alliance/NurPhoto/N. Kachroo
साझा करते अहम जानकारी
सर्वेक्षण से पता चला है कि 29 प्रतिशत लोग अपने एटीएम या डेबिट कार्ड पिन विवरण करीबी परिवार के सदस्यों के साथ साझा करते हैं, जबकि 4 प्रतिशत इसे अपने घरेलू और कार्यालय कर्मचारियों के साथ साझा करते हैं. सर्वे ने यह भी दिखाया कि 33 प्रतिशत लोग अपने बैंक खाते, डेबिट या क्रेडिट कार्ड और एटीएम पासवर्ड, आधार और पैन नंबर ईमेल या कंप्यूटर में रखते हैं.
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60,414 करोड़ की धोखाधड़ी
भारतीय रिजर्व बैंक के आंकड़े के मुताबिक 2021-22 में 60,414 करोड़ रुपये की धोखाधड़ी हुई थी. हालांकि ऐसा अनुमान है कि कई मामले की रिपोर्ट नहीं की गई होगी. माइक्रोसॉफ्ट 2021 ग्लोबल टेक सपोर्ट स्कैम रिसर्च रिपोर्ट के मुताबिक भारत में उपभोक्ताओं ने 2021 में 69 प्रतिशत की ऑनलाइन धोखाधड़ी की उच्च दर का अनुभव किया.
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सर्वे में कौन शामिल
सर्वे में 301 जिलों के 32 हजार लोगों ने हिस्सा लिया. उनमें 62 प्रतिशत पुरुष और 38 फीसदी महिलाएं थीं.