अमेरिकी विदेश मंत्रालय की आतंकवाद पर रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान अब भी लश्कर ए तैयबा और जैश ए मुहम्मद जैसे आतंकवादी गुटों को अपनी जमीन पर सुरक्षित ठिकाना देता है, जो भारत जैसे पड़ोसी देशों को निशाना बनाते आए हैं.
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काउंटर टेररिज्म पर 24 जून को जारी हुई अमेरिकी सरकार की 2019 की रिपोर्ट में बताया गया है कि कैसे पाकिस्तान ने अपनी सीमाओं में आतंकियों को पाल कर ना केवल भारत को बल्कि अफगानिस्तान को भी निशाने पर रखा. अफगानिस्तान के खिलाफ कार्रवाई करने वाले अफगान तालिबान और हक्कानी नेटवर्क जैसे गुटों के पाकिस्तान में होने की खबरें हैं. वहीं भारत को लेकर लिखा है कि उसे "जम्मू और कश्मीर, पूर्वोत्तर भारतीय राज्यों और केंद्रीय भारत के कुछ हिस्सों में कई आतंकवादी हमले सहने पड़े." रिपोर्ट में कहा गया है कि "भारत अपनी सीमाओं के भीतर होने वाली आतंकी गतिविधियों का पता लगाने और उन्हें हर तरह से रोकने के लिए लगातार दबाव बनाता आया है.”
अमेरिकी रिपोर्ट में उल्लेख है कि अमेरिकी और भारत आपस में आतंकवाद-रोधी सहयोग को लगातार बढ़ाते रहे हैं. वहीं पाकिस्तान के बारे में लिखा है कि उसने "2019 में आतंकवादियों को मिलने वाले धन की सप्लाई रोकने के कुछ कदम उठाए थे और फरवरी हमले के बाद से भारत को निशाना बनाने वाले आतंकी गुटों पर भी पाबंदियां लगाई थीं." फरवरी 2019 में भारत के तत्कालीन जम्मू और कश्मीर राज्य में भारतीय सेना के एक दस्ते पर बड़ा जानलेवा हमला हुआ था जिसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान स्थित गुट जैश ए मुहम्मद ने ली थी.
पाकिस्तान पर एफएटीएफ की राय
इस साल फरवरी में हुई फाइनेंशियल एक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की बैठक में भी पाकिस्तान को साफ साफ कह दिया गया था कि आतंकवाद के खिलाफ ठोस कदम उठाने की उसकी "सारी समय-सीमाएं” बीत गई हैं. पाकिस्तान को कहा गया कि अगर उसने जून 2020 तक आतंकियों को आर्थिक मदद मुहैया कराने वालों को दंडित नहीं किया तो पाकिस्तान के खिलाफ ऐसे निर्णय लिए जा सकते हैं जिससे उसे वित्तीय परेशानियां झेलनी पड़ेंगी.
दुनिया के सबसे कुख्यात देश
हाल ही में वर्ल्ड पॉप्यूलेशन रिव्यू ने 2020 का क्राइम इंडेक्स जारी किया है. इसमें 129 देशों में 2019 में हुए अपराधों के आधार पर लिस्ट बनाई गई. देखिए किस देश में होते हैं सबसे ज्यादा अपराध.
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10. गुयाना
दक्षिण अमेरिकी देश गुयाना इस लिस्ट में दसवें स्थान पर है. वजह है बेरोजगारी की वजह से बढ़ते अपराध. इस पर लगाम लगाने में सरकार और पुलिस नाकाम रही है.
9. अल सल्वाडोर
मध्य अमरीकी देश अल साल्वाडोर भी अपराधों के मामले में टॉप 10 देशों में शामिल है. यहां के लोग जान जोखिम में डालकर लगातार अमेरिका पलायन कर रहे हैं. पुलिस के मुताबिक 2018 में इस छोटे से देश में तीन हजार लोगों की हत्याएं हुईं. यह आंकड़ा 2019 में बढ़ा ही है.
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8. पेरू
दक्षिण अमेरिकी देश पेरू क्राइम इंडेक्स की सूची में आंठवे स्थान पर है. पेरू में कई ड्रग माफिया और अपराधों को अंजाम देने वाले गुट सक्रिय हैं.
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7. ब्राजील
ब्राजील में इस कदर अपराध है कि जायर बोल्सोनारो ने राष्ट्रपति बनने से पहले लोगों से वादा किया था कि सत्ता में आने के बाद बंदूक खरीदने के कानून में बदलाव होगा. इससे आम लोग अपराध से निपटने के लिए बंदूक आसानी से ले सकें.
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6. त्रिनिदाद और टोबैगो
कैरेबियाई देश त्रिनिदाद और टोबैगो में गरीबी और बेरोजगारी की वजह से आए दिन डकैती और हत्याओं की खबर आती हैं. क्राइम इंडेक्स के मुताबिक 20 से 30 साल के युवा ऐसे अपराधों में ज्यादा संलिप्त रहते हैं.
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5. होंडुरास
मध्य अमेरिकी देश होंडुरास में आपराधिक गुटों का दबदबा इतना ज्यादा है कि वे देश और समाज के अस्तित्व के लिए ही खतरा बन गए हैं. इस वजह से इस देश को क्राइम इंडेक्स में पांचवा स्थान मिला है.
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4. अफगानिस्तान
क्राइम इंडेक्स 2020 की सूची में अफगानिस्तान को चौथे स्थान पर रखा गया है. आत्मघाती हमले और कई आंतकी संगठनो के सक्रिय रहने की वजह से इस देश के लोग दूसरे देशों में शरण लेने को मजबूर हैं.
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3. दक्षिण अफ्रीका
क्राइम इंडेक्स 2020 की सूची में दक्षिण अफ्रीका को तीसरे स्थान पर रखा गया है. आमतौर पर उन देशों में अपराध सबसे ज्यादा होता है जहां गरीबी, और बेरोजगारी चरम पर होती है.
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2. पापुआ न्यू गिनी
पापुआ न्यू गिनी को दुनिया के सबसे बदतर देशों की फेहरिस्त में शामिल किया गया है. महिलाओं के लिए तो यह देश सबसे खतरनाक है ही, यहां का क्राइम रिकॉर्ड भी टॉप पर है.
दक्षिण अमेरिकी देश वेनेजुएला क्राइम इंडेक्स लिस्ट में पहले नंबर पर है. वेनेजुएला इस समय भयानक आर्थिक और राजनीतिक संकट से जूझ रहा है. महंगाई की वजह से जनता की हालत खराब है. इन्हीं सब कारणों की वजह से अपराधों को भी बढ़ावा मिल रहा है.
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63. पाकिस्तान
129 देशों की लिस्ट में पाकिस्तान 63वें स्थान पर है. क्राइम इंडेक्स 2020 के जारी आंकड़े 2019 में अपराध और हत्या के दर्ज मामलों पर आधारित हैं.
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68. भारत
इस लिस्ट में भारत ने पाकिस्तान से बेहतर प्रदर्शन किया है लेकिन महिलाओं पर अत्याचार और गरीबी की वजह से हो रहे अपराध और हत्या की वजह से क्राइम इंडेक्स में भारत को 72वें स्थान पर रखा गया है.
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फरवरी में एफएटीएफ की इस बैठक से ठीक पहले ही ब्लैकलिस्ट होने का खतरा झेल रहे पाकिस्तान ने आतंकवादी हाफिज सईद को दो मामलों में साढ़े पांच साल जेल की सजा सुना दी थी. सईद, लश्कर ए तैयबा का संस्थापक और जमात उद दावा का प्रमुख है. संयुक्त राष्ट्र ने लश्कर ए तैयबा को आतंकवादी संगठन घोषित किया है.
कैसा रहा है अमेरिका का बर्ताव
अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने जनवरी 2018 में ही पाकिस्तान को मिलती आ रही अमेरिकी मदद राशि को रोकने की घोषणा कर दी थी और पूरे 2019 में भी स्थिति ऐसी ही बनी रही. अब नई रिपोर्ट में उस पर आरोप लगाए गए हैं कि आतंकवाद से लड़ने के लिए पाकिस्तान ने पर्याप्त कदम नहीं उठाए जैसे कि "ना तो दूसरे जाने माने आतंकियों जैसे जैश के संस्थापक और यूएन द्वारा आतंकवादी घोषित किए जा चुके मसूद अजहर के खिलाफ कार्रवाई की और ना ही 2008 मुंबई हमलों के 'प्रोजेक्ट मैनेजर' साजिद मीर के खिलाफ, जबकि ये दोनों ही पाकिस्तान में आजाद बताए जाते हैं."
रिपोर्ट में पाकिस्तान को इस बात के लिए श्रेय दिया गया है कि उसने अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में कुछ सकारात्मक सहयोग प्रदान किया. लेकिन अमेरिकी रिपोर्ट में इसे लेकर असंतोष है कि पाकिस्तान की "सरकार और सेना ने देश भर में फैले आतंकियों के सुरक्षित ठिकानों को मिटाने के लिए लगातार काम नहीं किया. अमेरिकी कांग्रेस की 'कंट्री रिपोर्ट्स ऑन टेररिज्म 2019' में कहा गया कि पाकिस्तान "प्रशासन ने कुछ आतंकी संगठनों और व्यक्तियों को देश में आजादी से अपना काम करने दिया और उनके खिलाफ पर्याप्त कार्रवाई नहीं की."
अफगानिस्तान में तैनात विदेशी सेनाओं के लिए हक्कानी नेटवर्क सबसे बड़ा खतरा रहा है. आखिर हक्कानी नेटवर्क को इस इलाके में सबसे दुर्दांत आतंकवादी संगठन क्यों माना जाता है?
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सोवियत अफगान युद्ध का अवशेष
हक्कानी नेटवर्क का गठन जलालुद्दीन हक्कानी ने किया था जिसने अफगानिस्तान में 1980 के दशक में सोवियत फौजों से जंग लड़ी थी. उस समय मुजाहिदीन को अमेरिका का समर्थन हासिल था. 1995 में हक्कानी नेटवर्क तालिबान के साथ मिल गया और दोनों गुटों ने अफगान राजधानी काबुल पर 1996 में कब्जा कर लिया. 2012 में अमेरिका ने इस गुट को आतंकवादी संगठन घोषित किया.
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इस्लामी विचारक
1939 में अफगान प्रांत पकतिया में जलालुद्दीन हक्कानी का जन्म हुआ. उसने दारुल उलूम हक्कानिया से पढ़ाई की. इसे पाकिस्तान के बड़े धार्मिक नेता मौलाना समी उल हक के पिता ने 1947 में शुरू किया था. दारुल उलूम हक्कानिया तालिबान और दूसरे चरमपंथी गुटों के साथ अपने संबंधों के लिए जाना जाता है.
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तालिबान मंत्री बने जलालुद्दीन हक्कानी
तालिबान के शासन में जलालुद्दीन हक्कानी को अफगान कबायली मामलों का मंत्री बनाया गया. 2001 में अमेरिका के हमलों के बाद तालिबान का शासन खत्म होने तक वह इस पद पर था. तालिबान नेता मुल्ला उमर के बाद जलालुद्दीन को अफगानिस्तान में सबसे प्रभावशाली चरमपंथी माना जाता था. जलालुद्दीन के अल कायदा के नेता ओसामा बिन लादेन से भी गहरे संबंध थे.
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हक्कानी नेटवर्क कहां है
रक्षा मामलों के विशेषज्ञों का कहना है कि इस गुट का कमांड सेंटर अफगान सीमा से लगते पाकिस्तान के उत्तरी वजीरिस्तान के मीरनशाह शहर में है. अमेरिकी और अफगान अधिकारियों का दावा है कि हक्कानी नेटवर्क को पाकिस्तान की सेना का समर्थन है हालांकि पाकिस्तानी अधिकारी इससे इनकार करते हैं. अमेरिका का कहना है कि इस गुट के लड़ाकों ने अफगानिस्तान में विदेशी सेना, स्थानीय फौज और नागरिकों पर हमले किये हैं.
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हक्कानी विरासत
माना जाता है कि 2015 में जलालुद्दीन हक्कानी की मौत हो गयी लेकिन इस गुट ने पहले इस तरह की खबरों को खारिज किया. नेटवर्क का नेतृत्व अब जलालुद्दीन के बेटे सिराजुद्दीन हक्कानी के हाथ में है. सिराजुद्दीन तालिबान का भी उप प्रमुख है.
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सिराजुद्दीन हक्कानी कौन है?
इस बारे में बहुत पुख्ता जानकारी तो नहीं लेकिन जानकारों का कहना है कि उसने अपना बचपन पाकिस्तान के मीरनशाह में बिताया है. पेशावर के उपनगर में मौजूद दारुल उलूम हक्कानिया में पढ़ाई की है. सिराजुद्दीन को सैन्य मामलों का जानकार माना जाता है. कुछ विश्लेषकों का कहना है कि सिराजुद्दीन वैचारिक रूप से अपने पिता की तुलना में ज्यादा कट्टर हैं.
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अनास हक्कानी को मौत की सजा
अनास हक्कानी जलालुद्दीन हक्कानी का बेटा है. उसकी मां संयुक्त अरब अमीरात से है. अनास फिलहाल अफगान सरकार की गिरफ्त में है और उसे मौत की सजा सुनायी गयी है. हक्कानी नेटवर्क ने अनास को फांसी की सजा होने पर अफगानिस्तान को कड़े नतीजे भुगतने की चेतावनी दी है.
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/National Directorate of Security
कितना बड़ा है हक्कानी नेटवर्क
अफगान मामलों के जानकार और रिसर्च संस्थानों का कहना है कि इस गुट के साथ तीन से पांच हजार लड़ाके हैं. नेटवर्क को मुख्य रूप से खाड़ी के देशों से धन मिलता है. हक्कानी नेटवर्क अपहरण और जबरन वसूली के जरिये भी अपने अभियानों के लिए धन जुटाता है.
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आतंकवादी गुटों से संबंध
हक्कानियों का क्षेत्रीय और अंतरराष्ट्रीय चरमपंथी संगठनों जैसे कि अल कायदा, तहरीक ए तालिबान पाकिस्तान, लश्कर ए तैयबा और मध्य एशियाई इस्लामी गुटों से अच्छा संबंध है. जलालुद्दीन हक्कानी ना सिर्फ बिन लादेन बल्कि अल कायदा के वर्तमान प्रमुख अयमान अल जवाहिरी के भी काफी करीब थे.