अमेरिका की राष्ट्रीय मौसम सेवा का कहना है कि क्षेत्र के कुछ हिस्सों के लिए गर्मी की लहर "रिकॉर्ड किए गए इतिहास में सबसे चरम में से एक होगी." जीवन के लिए खतरनाक गर्मी के खिलाफ लोगों से सावधानी बरतने की अपील की गई है.
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सिएटल और पोर्टलैंड में रिकॉर्डतोड़ गर्मी पड़ रही है. पोर्टलैंड में गर्म हवा के थपेड़ों से शनिवार को पारा बहुत अधिक बढ़ गया. पूरे वॉशिंगटन, ऑरेगन, आइडहो, व्योमिंग और कैलिफोर्निया के कुछ हिस्सों में अत्यधिक गर्मी की चेतावनी जारी की गई है.
अमेरिका की राष्ट्रीय मौसम सेवा के मुताबिक पूरे क्षेत्र में औसत से अधिक तापमान आने वाले दिनों में बढ़ सकता है. पोर्टलैंड में शनिवार दोपहर को तापमान 41.7 डिग्री सेल्सियस पहुंच गया था. ऑरेगन के सबसे बड़े शहर में इससे पहले 1965 और 1981 में अधिक गर्मी पड़ी थी.
राष्ट्रीय मौसम सेवा के मुताबिक, "यह घटना उत्तर-पश्चिम के भीतरी भाग के इतिहास में दर्ज सबसे चरम और लंबी गर्मी की लहरों में से एक होगी."
उत्तर-पश्चिम का भीतरी भाग एक कम आबादी वाला क्षेत्र है जिसमें पूर्वी वॉशिंगटन और आइडहो और पूर्वोत्तर ऑरेगन के कुछ हिस्से शामिल हैं.
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कई जगह रिकॉर्ड तापमान
पोर्टलैंड, ऑरेगन ने शनिवार को अपना अब तक का सबसे गर्म दिन दर्ज किया, जो दोपहर तक 39.4 डिग्री सेल्सियस से ऊपर था. इससे पहले 1965 और 1981 में इतना ही तापमान दर्ज किया गया था. शनिवार को सिएटल में 42.2 डिग्री सेल्सियस तापमान दर्ज किया गया. जून महीने में दर्ज तापमान का यह अब तक का रिकॉर्ड है.
रविवार को ब्रिटिश कोलंबिया के दक्षिणी आंतरिक भाग में स्थित लिटन गांव में तापमान बढ़कर 46.1 डिग्री सेल्सियस पर पहुंच गया, यह कनाडा में दर्ज अब तक का सबसे गर्म दिन है.
45 सेल्सियस का पिछला रिकॉर्ड 1937 में मध्य प्रांत सास्काचेवान में दर्ज किया गया था. पश्चिमी कनाडा में गर्मी की चेतावनी जारी की गई है.
रेगिस्तान में बर्फ-स्नान
यह अनोखा नजारा दुबई के रेगिस्तान का है. रेत की चादर पर रखा बर्फ से भरा बाथ टब और ऊपर आग बरसाता सूरज. दो अतियों का यह संगम क्यों लुभा रहा है लोगों को, जानिए...
तस्वीर: Rula Rouhana/REUTERS
गर्मी में भी ठंडी का मजा
दुबई के नजदीक रेगिस्तान में आइस बाथ थेरेपी दी जा रही है. यह थेरेपी देते हैं स्विट्जरलैंड के रहने वाले बेनोएट डेम्युलेमेस्टर.
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ऊपर आग नीचे बर्फ
एक तरफ अत्याधिक गर्मी और दूसरी तरफ बर्फ की सर्दी. इन दोनों का मेल क्या हुआ? डेम्युलेमेस्टर दावा करते हैं कि तापमान का यह फर्क शरीर की प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है.
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किसकी है यह तकनीक
ठंडे पानी में डूबकर सांस लेने की विशेष तकनीक के इस्तेमाल की यह थेरेपी एक डच नागरिक विम होफ की देन है, जो ठंडे पानी में रहने के कई वर्ल्ड रिकॉर्ड रखते हैं.
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तिब्बती बौद्धों से प्रेरित
विम होफ की तकनीक तिब्बत के बौद्ध साधुओं से प्रेरित है, जिसमें सांस, सर्दी और संयम का संगम होता है.
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दूर की रेत सुहावनी
इस थेरेपी के लिए लोग अमेरिका और यूरोप से भी यूएई पहुंच रहे हैं.
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बैंकर से बने थेरेपिस्ट
बेनोएट डेम्युलेमेस्टर पहले एक बैंकर थे. अब वह बर्फ स्नान में कोच हो गए हैं. वह विम होफ की तकनीक का ही इस्तेमाल करते हैं.
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कुदरत से संपर्क
बेनोएट डेम्युलेमेस्टर कहते हैं कि वह लोगों को उनके आरामदायक दायरे से बाहर ले जाते हैं और शरीर व मस्तिष्क को कुदरत के नजदीक जाने का अनुभव देते हैं.
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गर्मी से हाल बुरा
प्रशांत नॉर्थवेस्ट के निवासी आमतौर पर गर्मी से निपटने के लिए तैयार नहीं रहते हैं. कई घरों में एयर कंडीशनिंग नहीं होती है. अब यहां पूरे क्षेत्र की दुकानों के पंखे और एयर कंडीशनरों की बिक जाने की खबरें हैं.
7 लाख 25 हजार आबादी वाले सिएटल में अधिकारियों ने शहर के लोगों से अधिक पानी पीने, खिड़की बंद रखने और पंखों के इस्तेमाल की सलाह दी है. लोगों से कहा गया है कि वे जरूरत पड़ने पर शहर के कूलिंग केंद्र में जाएं.
अधिकारियों ने लोगों से यह भी कहा कि सार्वजनिक परिवहन में इस कारण देरी हो सकती है. उन्होंने बताया कि वे लोगों को गर्मी से बचने के लिए कूलिंग केंद्र मुहैया कराएंगे.
गर्मी के कारण प्रशांत नॉर्थवेस्ट में कृषि और वन्यजीव संरक्षण भी प्रभावित हुआ है. बेरी किसानों को बेल पर सड़ने से पहले फसल लेने के लिए जद्दोजहद करनी पड़ी. वहीं मत्स्य प्रबंधक सैलमन को नदी के गर्म पानी से बचाने की कोशिश में जुटे हुए हैं.
पिछले हफ्ते आइडहो के द्वारशॉक जलाशय से निचली स्नेक नदी में पानी छोड़ना शुरू किया गया जिससे तापमान में गिरावट हो. अधिकारियों को 2015 की जैसी घटना का डर है, जब कोलंबिया और स्नेक नदी के जलाशयों में पानी का तापमान सैलमन के लिए घातक स्तर तक पहुंच गया था.
इस प्रचंड गर्मी से एक और हफ्ते तक क्षेत्र के लोगों को जूझना पड़ सकता है. मौसम विभाग कैलिफोर्निया में जंगल की आग को लेकर भी अलग से चेतावनी जारी कर सकता है.
एए/वीके (एपी, रॉयटर्स)
गर्मी के कारण होने वाली मौत के लिए जलवायु परिवर्तन भी जिम्मेदार
शोधकर्ताओं का कहना है कि एक तिहाई से अधिक गर्मी से संबंधित मौतें जलवायु परिवर्तन के कारण होती हैं. उन्होंने बढ़ते वैश्विक तापमान के कारण और अधिक मौतों की चेतावनी दी है. ताजा शोध नेचर क्लाइमेट चेंज में छपा है.
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तीन में से एक मौत के लिए जिम्मेदार
पू्र्व के शोधों में जलवायु परिवर्तन मानव स्वास्थ्य को कैसे प्रभावित करता है इस पर ध्यान दिया गया था. गर्म हवा के थपेड़े, सूखा, जंगल की आग और जलवायु परिवर्तन से बदतर होने वाली अन्य चरम घटनाओं से भविष्य के जोखिमों का अनुमान लगाया जाता रहा है. नए शोध में कहा गया है कि मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन, पिछले तीन दशकों में गर्मी की वजह से होने वाली सभी मौतों में एक तिहाई से अधिक मामलों के लिए जिम्मेदार है.
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मानवजनित जलवायु परिवर्तन
70 विशेषज्ञों की एक अंतरराष्ट्रीय टीम द्वारा किया गया यह अध्ययन स्वास्थ्य पर पहले ही पड़ चुके प्रभाव को जानने वाला पहला और सबसे बड़ा शोध है. नेचर क्लाइमेट पत्रिका में छपे शोध के मुताबिक गर्मी की वजह से होने वाली सभी मौतों के औसतन 37 प्रतिशत मौतों के लिए सीधे तौर पर जलवायु परिवर्तन जिम्मेदार है.
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732 स्थानों से जुटाए आंकड़े
शोधकर्ताओं ने अपने अध्ययन के लिए 43 देशों में 732 स्थानों से आंकड़े लिए हैं जो पहली बार गर्मी की वजह से मृत्यु के बढ़ते खतरे में मानवजनित जलवायु परिवर्तन के वास्तविक योगदान को दिखाता है.
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जलवायु परिवर्तन और हम
शोध के वरिष्ठ लेखक अंटोनियो गसपर्रिनी कहते हैं, "जलवायु परिवर्तन दूर के भविष्य की चीज नहीं है." वे कहते हैं कि यह जलवायु परिवर्तन के कारण स्वास्थ्य खतरों को लेकर अब तक का सबसे बड़ा अध्ययन है. गसपर्रिनी कहते हैं, "हम पहले से ही स्वास्थ्य पर नकारात्मक प्रभावों को माप सकते हैं."
तस्वीर: Reuters/M. Torokman
मानवजनित जलवायु के गंभीर परिणाम
लेखकों ने कहा कि उनके तरीके अगर दुनिया भर में विस्तारित किए जाते हैं तो हर साल एक लाख से अधिक गर्मी से संबंधित मौतें जुड़ जाएंगी. यह मौतें मानव प्रेरित जलवायु परिवर्तन के कारण होंगी.
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दो अहम क्षेत्र के आंकड़े उपलब्ध नहीं
इस संख्या को कम करके आंका जा सकता है क्योंकि जिन दो क्षेत्रों के लिए डेटा काफी हद तक उपलब्ध नहीं था वह है दक्षिण एशिया और मध्य अफ्रीका. ये दोनों ऐसे क्षेत्र हैं जो विशेष रूप से अत्यधिक गर्मी से होने वाली मौतों के लिए संवेदनशील माने जाते हैं.
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भविष्य की चिंता
अध्ययन की प्रथम लेखिका एना एम विसेडो-कैबेरा कहती हैं, "हमें आशंका है की अगर हमने जलवायु परिवर्तन के बारे में कुछ नहीं किया तो इससे मौत के प्रतिशत में और इजाफा होगा."
तस्वीर: picture-alliance/AP Photo/V. Mayo
स्थिति चिंताजनक
अगर 95 प्रतिशत आबादी के पास एयर कंडीशनिंग है, तो मृत्यु दर कम होगी. लेकिन अगर वह उनके पास नहीं है, या फिर किसान को 45 डिग्री सेल्सियस तापमान में अपने परिवार के भरण-पोषण करने के लिए बाहर काम करना पड़ता है, तो प्रभाव विनाशकारी हो सकते हैं. यहां तक कि धनी राष्ट्र भी असुरक्षित होते हैं. 2003 में, पश्चिमी यूरोप में एक निरंतर गर्मी ने 70,000 लोगों की जान ले ली थी.